गुरमीत राम रहीम सिंह को दोषी करार दिए जाने के बाद कोर्ट से भगाने की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार लाल सिंह को दो दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा गया है। आरोप ये भी है कि लालचंद ही पुलिस के हर मूवमेंट की जानकारी गुरमीत के खास भक्तों तक पहुंचा रहा था। पूछताछ के दौरान उसने अपनी साजिश के बारे में अहम खुलासे किए हैं।
पंचकुला हिंसा की जांच कर रही एसआईटी का दावा है कि डेरामुखी राम रहीम को भगाने की जिम्मेदारी चंडीगढ़ पुलिस की इंटेलिजेंस विंग के कॉन्स्टेबल लालचंद ने ली थी। यह खुलासा पूछताछ के दौरान हुआ है। बता दें कि लालचंद को एसआईटी ने पूछताछ के लिए सेक्टर-26 स्थित क्राइम ब्रांच के ऑफिस में बुलाया था और फिर उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
एसआईटी ने लालचंद को कोर्ट में पेश किया। जहां से पुलिस को दो दिन का रिमांड मिल गया। अब लगातार पुलिस उससे पूछताछ कर रही है। पुलिस उससे कई सवालों के जवाब पाना चाहती है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, 25 अगस्त को फैसला आने के बाद जैसे ही गुरमीत को कोर्ट से बाहर लाया गया, लालचंद दूसरे पुलिसवालों से राम रहीम को बुलेटप्रूफ गाड़ी में बैठाने को कहने लगा, लेकिन पुलिसकर्मी तैयार नहीं हुए, फिर लालचंद ने प्लान-बी पर काम शुरू कर दिया।
प्लान-बी के मुताबिक गुरमीत राम रहीम की गाड़ी में कमांडो को बैठाना था, ये कमांडो उसका खास था। उसका जिम्मा गुरमीत को गनपॉइंट पर गाड़ी से उतारना था। उसके बाद उसे बुलेटप्रूफ गाड़ी से चंडीगढ़ में एंटर कराना था, लेकिन भागना हिमाचल की तरफ था।
इस दौरान लालचंद के पास वायरलेस सेट था। जिसमें सारे मैसेज फ्लैश हो रहे थे। तभी कोर्ट के बाहर उसने एक कमांडो को अफसरों से भिड़ने का इशारा किया। कमांडो ने वैसा ही किया, लेकिन इस दौरान भी लालचंद गुरमीत तक नहीं पहुंच पाया। यहां भी साजिश नाकाम रही तो उसने गुरमीत का पीछा किया।
लालचंद ने गुरमीत को छुड़ाने में एक आखिरी कोशिश और की। अपनी गाड़ी से गुरमीत को लेकर जा रही गाड़ी का पीछा कमांड तक किया। एक बुलेटप्रूफ गाड़ी साथ लगा दी, ताकि बीच में घेरकर उसे छुड़ाया जा सके। डेरामुखी के कमांडोज को पुलिस मूवमेंट का हर अपडेट मिला रहा था।
फैसले वाले दिन पुलिस ने तीन स्टेशनों पर वायरलेस सेट लगाए थे। लालचंद को फ्रीक्वेंसी पता थी, इसलिए हर सूचना गुरमीत की जैमर लगी गाड़ी में बैठे कमांडोज को वायरलेस सेट पर भी मिल रही थी।