(एनएन सर्विस-डेस्क)
पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन के द्वारा बाधाएं पैदा करने के बाद भी केन्द्र सरकार ने निर्माण परियोजनाएं को नही रोकने का निर्णय लिया है। केन्द्र सरकार निर्माण कार्य रोकने के बजाय दोगुनी रफ्तार से इन्हें आगे बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रही है। दरबुक से श्योक नदी और फिर दौलत बेग ओल्डी एयरबेस तक 255 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण चीन को सबसे ज्यादा अखर रहा है।
सूत्रों ने बताया कि श्योक और गलवां नदी के संगम स्थल के पास जैसे ही पुल का निर्माण शुरू किया गया, चीन ने आपत्ति जताने के साथ तनातनी का माहौल बनाना शुरू कर दिया। इसके बावजूद सेना ने इस बेहद महत्वपूर्ण पुल को अपग्रेड करने का काम पूरा कर लिया। गलवां घाटी की घटना के बाद से रोड कनेक्टिविटी से जुड़ी परियोजनाओं में भी तेजी लाई जा रही है। हिंसक झड़प वाली जगह से कुछ ही दूर पुल बनाया जा रहा था। चीन की कोशिश थी कि किसी तरह से पुल का निर्माण रुकवा दिया जाए। एक अधिकारी ने बताया कि इस घटना से और हिंसक संघर्षों की आशंका बन गई थी। ऐसे में पुल तैयार होना और भी जरूरी हो गया था। इसके लिए पुल निर्माण दल से कहा गया, किसी भी सूरत में इस पुल के निर्माण को अंजाम तक पहुंचाए। बताया जा रहा है कि सैनिकों की शहादत के तीन दिन में इसे टेस्टिंग के साथ सैन्य मूवमेंट के लिए तैयार भी कर लिया गया। इस तरह का पहला पुल ब्रिटिश वार ऑफिस में तैनात डोनाल्ड बेली के मॉडल पर वर्ष 1940-41 में तैयार किया गया था। उन्हीं के नाम से पुल के डिजाइन का नामकरण हो गया।
नागरिक सेवाओं के काम भी नहीं करने देता ड्रैगन- एलएसी के उस पार चीन धड़ल्ले से निर्माण करता आ रहा है लेकिन इस पार छिटपुट निर्माण पर भी चीन आपत्ति जताकर काम रुकवाता रहा है। लद्दाख के स्थानीय प्रतिनिधियों के अनुसार कई मर्तबा एलएसी से सटे ग्रामीणों के लिए सिंचाई कूहल समेत बुनियादी सुविधाओं से जुड़े निर्माण भी केवल चीन की आपत्ति को देखते हुए बंद कर दिए गए।
वहीं, सीमा पर तनाव को देखते हुए छुट्टी पर घर पहुंचे भारतीय सेना के जवानों और अधिकारियों की छुट्टियां भी रद्द कर दी गईं हैं। सभी को जल्दी से जल्द अपने अपने बटालियनों में उपस्थिति देने के आदेश दिए गए हैं। जोशीमठ स्थित सेना के ब्रिगेड हेडक्वार्टर में सेना की बैठक में चमोली जिले से लगी सीमा पर जारी गतिविधियों की जानकारी ली गई। सेना व आईटीबीपी के अधिकारियों ने सीमा पर स्थिति का जायजा लिया। सूत्रों के अनुसार शनिवार को जोशीमठ स्थित सेना के हेलिपैड पर दो चेतक हेलिकॉप्टर उतरे। सीमा पर सेनाओं की अलर्टनेस बढ़ गई है। सीमा पर प्राइवेट ट्रकों से भी जरूरी सामान पहुंचाया जा रहा है।
वहीं, एक महत्वूपर्ण जानकारी देते हुए गिलगित बाल्टिस्तान के राजनीतिक कार्यकर्ता और इंस्टीट्यूट ऑफ गिलगित बाल्टिस्तान स्टडीज के निदेशक सेंगे एच सेरिंग ने कहा कि लद्दाख में भारत के बुनियादी ढांचा निर्माण से चीन डरता है। इसलिए वह भारत को धमकाने की कोशिश कर रहा है। इंस्टीट्यूट ऑफ गिलगित सेरिंग ने कहा, भारत बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रहा है और काराकोरम पास तक पहुंच को और आसान बना रहा है। इसके जरिये अब भारत गलवां घाटी से चीन के राष्ट्रीय राजमार्ग जी 219 तक पहुंच सकता है। ऐसे में अगर भारत पूर्व और उत्तर की ओर बढ़ता है तो वह तिब्बत को जिनजियांग से काट सकता है। साथ ही साथ व पूर्वी रूट को भी काट सकता है, जोकि सीपेक का दूसरा रास्ता है।