कुम्भ महापर्व 2021 में देवडोली शोभायात्रा की व्यवस्था हेतु मोहन सिंह रावत गॉंववासी के नेतृत्व में देवभूमि लोक संस्कृति विरासतिय शोभायात्रा समिति का एक प्रतिनिधि मंडल ने संस्कृति एवं पर्यटन सतपाल महाराज से भेंट की। बैठक में पर्यटन सचिव दलीप जावलकर, संस्कृति विभाग से महानिदेशक आनंद स्वरूप, निदेशक वीना भट्ट उपस्थित थे।
मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि देवडोली के कार्यक्रम में कोरोना नियमों तथा सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करते हुये कार्यक्रम को ऐतिहासिक व अविस्मरणीय बनाया जायेगा।
प्रतिनिधि मंडल ने बताया कि कुम्भ महापर्व में उत्तराखंड सहित भारत के सुदूर क्षेत्रो हिमाचल, असम, मुम्बई आदि स्थानों से देवडोलियाँ स्नानार्थ हरिद्वार पधारती हैं, जिसकी व्यवस्था शासन-प्रशासन द्वारा के जाती रही है।
कार्यक्रमानुसार 2021 के कुम्भ महापर्व में 24 अप्रैल को देवडोलियाँ पूर्वाह्न 11 बजे तक ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट पर एकत्र होकर 2 बजे अपराह्न नगर का भव्य परिभ्रमण करने के पश्चात रात्रि विश्राम हेतु हरिद्वार पहुंचेगी। 25 अप्रैल को हर की पैड़ी तक समस्त डोलियां समूह में दक्ष प्रजापति कनखल से शोभायात्रा के साथ ब्रह्मकुंड में स्नानोपरांत पंतदीप में पंडाल में एकत्र होकर श्रद्धलुओं, सन्त-महात्माओं व शासन द्वारा देवी-देवताओं का पूजन-अर्चना किया जायेगा। तदुपरान्त वे अपने गंतव्य दिशा में प्रस्थान करेगे।
समिति ने जानकारी दी कि उक्त कार्यक्रम में 100 से 150 देव डोलियां, ध्वज तथा उनके साथ पर्वतीय क्षेत्र के पारंपरिक वाद्य यंत्र, ढोल, दमाऊ, रणसिंहा आदि रहेंगे जिनके संख्या 5000 के लगभग होगी।
सामिति ने उक्त कार्यकम हेतु प्रशासनिक एवं अन्य व्यवस्थाये के अपेक्षा शासन से की। जिसमे ऋषिकेश में उचित स्थान पर पांडालादि के सम्पूर्ण व्यवस्थायें जिसमे एक सभा व प्रवचन हाल, चार कक्ष, भोजनालय, जल व शौचालय आदि की व्यवस्था।
हरिद्वार में 24 अप्रैल को 500 व्यक्तियों की भोजन व आवास आदि की व्यवस्था। 24 अप्रैल को ऋषिकेश व 25 अप्रैल को हरिद्वार में शोभायात्रा की सुरक्षा पंतदीप में देवडोली की पूजन सम्मानदि के पश्चात प्रसाद वितरण । पूर्व वर्षों की भांति उत्तराखंड संस्कृति विभाग की और से स्मृति चिन्ह भेंट। तथा पर्यटन विभाग द्वारा 13 जिलों में देवडोलियों के स्वागत के होल्डिंग व बैनर लगवाये जाए।
प्रतिनिधि मंडल में डॉ. धीरेन्द्र रांगड़, गजेंद्र सिंह कंडियाल, ज्योति सजवाण, आशाराम व्यास, शिवप्रसाद चमोली, हर्षमणी व्यास, यतेंद्र कंडियाल आदि थे।