मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को आईटी पार्क स्थित राज्य आपदा परिचालन केन्द्र से प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में हो रही अतिवृष्टि की जानकारी ली। सचिव आपदा प्रबंधन को उन्होंने निर्देश दिये कि जिलाधिकारियों से निरंतर समन्वय बनाये रखें। अतिवृष्टि के कारण राहत एवं बचाव कार्यों के लिए जिलाधिकारियों द्वारा किसी भी प्रकार की सहायता मांगे जाने पर यथाशीघ्र उपलब्ध कराया जाय। उन्होंने बालगंगा एवं बूढ़ाकेदार क्षेत्र के प्रभावित गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया को भी शीघ्र से शीघ्र शुरू किए जाने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा से राहत एवं बचाव कार्यों के लिए सभी जनपदों को इस वित्तीय वर्ष में अभी तक कुल 315 करोड़ की धनराशि उपलब्ध कराई जा चुकी है। आवश्यकता पड़ने पर जनपदों को और भी धनराशि उपलब्ध कराई जायेगी।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर जिलाधिकारी हरिद्वार, टिहरी, देहरादून, चमोली, नैनीताल, अल्मोड़ा और उत्तरकाशी से बारिश की स्थिति, जानमाल के नुकसान, जलभराव की स्थिति, सड़कों, पुलों, पेयजल और विद्युत की उपलब्धता के बारे में जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि अगले 24 घण्टे सभी अधिकारियों को अलर्ट मोड में रखें। आपदा की दृष्टि से संवेदनशील स्थानों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर लाया जाए और उनके रहने खाने की पर्याप्त व्यवस्थाएं रखी जाए। सुरक्षित स्थानों पर लाये जा रहे बुजुर्गों, बच्चों और गर्भवती माताओं को रहने के साथ दवाइयों एवं अन्य आवश्यक सामग्रियों की समुचित व्यवस्था रखी जाए।
मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि अतिवृष्टि के कारण सड़के बाधित होने की स्थिति में उनको सुचारू करने में कम से कम समय लिया जाए। उन्होंने पुल टूटने पर बैली ब्रिज बनाकर जल्द से जल्द आवागमन को सुचारू किए जाने के भी निर्देश दिए, कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि लोगों को पेयजल और विद्युत की सूचारू आपूर्ति हो। चारधाम यात्रा मार्गों पर श्रद्धालुओं की सुविधा के दृष्टिगत सभी व्यवस्थाएं रखने के उन्होंने निर्देश दिये हैं। यात्रा मार्ग में अतिवृष्टि के कारण यदि कहीं पर मार्ग बाधित होते हैं या आगे कोई खतरा प्रतीत होता है तो यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर रोक लिया जाए। अतिवृष्टि से प्रभावित परिवारों को अनुमन्य सहायता राशि शीघ्र उपलब्ध कराये जाने के साथ ही फसलों और मवेशियों को हुए नुकसान का आंकलन करने के निर्देश भी मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों को दिए हैं।
इस अवसर पर उपाध्यक्ष राज्य सलाहकार समिति आपदा प्रबंधन विनय कुमार रूहेला, सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन, महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशासन आनंद स्वरूप, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्रियान्वयन राजकुमार एवं आपदा प्रबंधन से जुड़े अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
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शीत लहर के प्रकोप से बचाव हेतु जारी की गई 1.35 करोड़ की धनराशि
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिछले मंगलवार को देर सायं देहरादून शहर के विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण के साथ आईएसबीटी के समीप स्थित मलिन बस्ती में रह रहे लोगो का हालचाल जाना तथा वहां की व्यवस्थाओं को परखा तथा लोगों को कंबल आदि वितरित किये। मुख्यमंत्री ने आईएसबीटी की व्यवस्थाओं का भी़ जायजा लिया तथा वहां भी बेसहारा लोगों को कंबल वितरित किए।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी जिलाधिकारियों एवं नगर आयुक्तों को प्रदेश में बेसहारा एवं बेघर लोगों को सर्दी से बचाव की कारगर व्यवस्था सुनिश्चित किये जाने के निर्देश दिये गये थे। मुख्यमंत्री ने तहसील एवं विकासखण्ड स्तर पर यह व्यवस्था बनाये जाने को भी कहा था। इसके लिए उपजिलाधिकारियों को जिम्मेदारी दिये जाने के निर्देश भी मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों को दिये। उन्होंने जिलाधिकारियों को इस कार्य को मानवता की सेवा के भाव से सुनिश्चित किये जाने को कहा। उन्होंने जन सेवा के इस कार्य में आम जन का भी सहयोग लेने को भी कहा।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिये थे कि सर्दी के मौसम में विभिन्न स्थलों पर अलाव की व्यवस्था के साथ बेसहारा लोगो को आवश्यकतानुसार गर्म कंबल व कपड़ों की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को रैन बसेरों की स्थिति में और सुधार किये जाने के साथ ही शहर में जगह-जगह अलाव जलाने की व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए थे।
मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुपालन में सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा द्वारा प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को 1.35 करोड़ की धनराशि जारी की गई है। डॉ. सिन्हा द्वारा इस सम्बन्ध में निर्गत शासनादेश में जिलाधिकारियों से अपेक्षा की है कि राज्य में शीतलहर के प्रकोप से बचाव हेतु सार्वजनिक स्थानों पर अलाव जलाने तथा निःशुल्क कम्बल वितरण, रैनबसेरों में व्यवस्थायें सुनिश्चित किये जाने हेतु इस धनराशि का उपयोग किया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया है कि इस संबंध में जिलाधिकारी हरिद्वार द्वारा शीतलहर के प्रकोप से बचाव हेतु सार्वजनिक स्थानों पर अलाव जलाने तथा निशुल्क कम्बल वितरण, रेनबसेरों में व्यवस्थाएं सुनिश्चित किये जाने हेतु रू. 15.00 लाख की धनराशि आवंटित किये जाने का अनुरोध किया गया था।
इसी क्रम में राज्य में शीतलहर के प्रकोप से बचाव हेतु सार्वजनिक स्थानों पर अलाव जलाने तथा निःशुल्क कम्बल वितरण, रैनबसेरों में व्यवस्थायें सुनिश्चित किये जाने के सम्बन्ध में राज्य आपदा मोचन निधि मद के रिस्पॉन्स और रिलीफ मद से रू. 01 करोड़ 35 लाख की धनराशि सभी जिलाधिकारियों को स्वीकृत की गई है। जिसमें जनपद पौड़ी को 15 लाख तथा अन्य जनपदों को 10-10 लाख की धनराशि शामिल है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि शीतलहर के दौरान निराश्रित एवं असहाय/गृहविहीन व्यक्तियों को ठण्ड के प्रकोप से बचाने हेतु निःशुल्क वितरण सार्वजनिक स्थानों जैसे-धर्मशाला, रैनबसेरा, मुसाफिर खाना, पड़ाव, सराय, चौराहा, रेल एवं बस स्टेशनों आदि पर अलाव जलाने की व्यवस्था के सम्बन्ध में भारत सरकार, गृह मंत्रालय एवं राज्य सरकार के पूर्व में निर्गत दिशा निर्देशों का भी अक्षरसः अनुपालन सुनिश्चित किया जाय।
सीएम ने राज्य आपातकालीन परिचालन केन्द्र से प्रदेश में अतिवृष्टि से हुए नुकसान की ली जानकारी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दिल्ली से वापस आते ही सचिवालय स्थित राज्य आपातकालीन परिचालन केन्द्र पहुंचकर प्रदेश में हो रही अतिवृष्टि एवं नुकसान की अधिकारियों से जानकारी ली। उन्होंने जिलाधिकारी टिहरी एवं पौड़ी से फोन पर वार्ता कर इन जनपदों में हुए नुकसान की जानकारी ली। मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि अगले दो दिनों में राज्य के अधिकांश जनपदों में भारी से बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है। मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि मौसम विभाग के पूर्वानुमान को दृष्टिगत रखते हुए जिला प्रशासन को अलर्ट मोड पर रखें एवं सभी सहयोगी संस्थाओं से निरन्तर समन्वय बनाये रखें। मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि जनपदों में खाद्यान्न से संबंधित सभी वस्तुओं के साथ ही दवाओं की भी पर्याप्त उपलब्धता रखी जाएं। शासन के उच्चाधिकारियों एवं सचिव आपदा प्रबंधन को भी जिलाधिकारियों से निरन्तर समन्वय बनाये रखने के मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अतिवृष्टि से प्रदेश में बहुत लोग प्रभावित हुए हैं। कुछ लोगों ने अपने परिवार के लोगों को खोया है। काफी लोग बेघर हुए हैं। ऐसे लोगों के लिए जल्द ही एक योजना लाई जा रही है। बेघर हुए लोगों को पुनर्वास की व्यवस्था, उनके रोजगार के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था की जायेगी। जिन बच्चों ने इस आपदा में अपने माता-पिता को खो दिया है, उन बच्चों के लिए शिक्षा का इस योजना के तहत प्रबंध किया जायेगा। अतिवृष्टि के कारण प्रदेश में आपदा की स्थिति है। सड़कों, पुलों, मकानों, फसलों, बिजली एवं पानी की लाईनों का भी काफी नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा राज्य में अतिवृष्टि से एक हजार करोड़ से भी अधिक की परिसम्पति का प्रदेश को नुकसान हुआ है। भारत सरकार की टीम ने राज्य में हो रहे नुकसान का प्रारंभिक रूप में सर्वे भी किया है। आपदा से हो रहे नुकसान का आकलन करने के लिए राज्य सरकार से भी भारत सरकार को पत्र भेजा रहा है।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव शैलेश बगोली, सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण रिद्धिम अग्रवाल, अपर सचिव सविन बंसल एवं विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।
प्रदेश में हो रही लगातार बारिश के दृष्टिगत अधिकारियों को दिये सतर्क रहने के निर्देश
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शुक्रवार को देर सायं सचिवालय स्थित आपदा प्रबंधन केंद्र पहुंचे। मुख्यमंत्री ने प्रदेश में हो रही वर्षा से उत्पन्न स्थिति का अधिकारियों के साथ समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को सतर्क रहने के निर्देश देने के साथ ही सचिव आपदा प्रबंधन को सभी जिलाधिकारियों से समन्वय बनाने को कहा। जिलाधिकारियों को उनकी जरूरत के अधार पर सहायता उपलब्ध करायी जाय। जनपदों में सड़कों की आवश्यक मरम्मत में भी तेजी लायी जाय। चारधाम यात्रा के दृष्टिगत सभी व्यवस्थायें समय पर सुनिश्चित किये जाने के निर्देश भी मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को दिये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य संबंधी किसी भी प्रकार की कठिनाई न हो, इसके लिये आवश्यक व्यवस्थायें समय पर की जानी होगी। इस संबंध में उन्होंने स्वयं भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से वार्ता की है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री द्वारा भी पूरे सहयोग का आश्वासन दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में वर्षा के कारण किसानों को हुए नुकसान के आकलन के निर्देश कृषि विभाग को दिये गये हैं। किसानों की जो भी मदद जरूरी होगी वह की जायेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जोशीमठ सहित अन्य क्षेत्रों की वर्षा के दृष्टिगत निरंतर समीक्षा कर अधिकारियों को स्थिति पर नजर रखने को कहा गया है। उन्होंने अधिकारियों को 24 घंटे सतर्क रहने के निर्देश देते हुए कहा कि भूकम्प के अलावा ज्यादातर आपदाएं बरसात के मौसम में ही घटित होती रही हैं, परन्तु पिछले कुछ वर्षों में आपदाएं हर मौसम में आ रही हैं। इसको देखते हुये राज्य को आपदाओं का सामना करने के लिये विशेष तैयारी की आवश्यकता है। जागरूकता और पूर्व चेतावनी से आपदाओं से होने वाले नुकसान को काफी कम किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी चारधाम में गत वर्ष की अपेक्षा अधिक लोगों के आने के दृष्टिगत सभी व्यवस्थायें दिसम्बर-जनवरी से आरंभ कर दी गई थी। स्वयं उन्होंने चार बैठकें कर समीक्षा की है। यात्रा सुगमता व सुरक्षित हो इसके लिये सभी आवश्यक व्यवस्थायें की जा रही हैं।
सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने मुख्यमंत्री को प्रदेश में वर्षा से उत्पन्न स्थिति की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वर्षा के कारण कोई जनहानि नहीं हुई है। सड़क दुर्घटनाओं में टिहरी में दो लोगों की मृत्यु हुई है जबकि मसूरी में पार्किंग की दीवार गिरने से 4 वाहन क्षत्रिग्रस्त हुए हैं तथा नैनीताल के रामनगर में बस के नदी के बहाव में आने से सवारियों को सुरक्षित बचा लिया गया है। उन्होंने बताया कि उत्तरकाशी में आकाशीय बिजली गिरने से भेड़ बकरियों के नुकसान का मुआवजा वितरित कर दिया गया है।
इस अवसर पर अपर सचिव आपदा प्रबंधन सविन बंसल, रिद्विम अग्रवाल सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
बदलते मौसम से अभी राहत मिलने की उम्मीद नही
मौसम विभाग ने उत्तराखंड में सात फरवरी तक बारिश और बर्फबारी की संभावना जताई है। 6 और 8 फरवरी को एक और पश्चिमी विक्षोभ के असर से मौसम में फिर बदलाव दिखने को मिलेगा। मौसम विभाग के अनुसार उत्तराखंड में कहीं-कहीं शीत दिवस रहने की संभावना है। इसे लेकर अगले दो-तीन दिन राज्य में येलो अलर्ट रहेगा। मौसम विभाग ने सात फरवरी तक चमोली, बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिलों में बारिश-बर्फबारी की संभावना जताई है। शेष राज्य में मौसम शुष्क रहेगा।
वहीं, पर्वतीय क्षेत्रों में बारिश-बर्फबारी के अलावा पाला पड़ने की संभावना है। वहीं, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर जिलों में मध्यम से घना कोहरा छाया रह सकता है। 2000 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में मध्यम बर्फबारी से सड़कें अवरूद्ध हो सकती हैं। जिला प्रशासन से बर्फ से अवरूद्ध सड़कों को खोलने के लिए आवश्यक व्यवस्था करने का सुझाव दिया गया है। लोगों को फिलहाल पर्वतीय स्थानों में यात्रा न करने की सलाह दी गई है। मौसम विभाग के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि उत्तर पाकिस्तान से लगे इलाके और जम्मू कश्मीर वाले क्षेत्र से पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय है। इसके अलावा राजस्थान और उससे जुड़े हुए इलाकों में कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। 6 के बाद 8 फरवरी को भी एक और पश्चिमी विक्षोभ प्रभावी दिख रहा है।
उधर, उत्तराखंड में पिछले 24 घंटे में 23.6 एमएम बारिश दर्ज की गई है। सभी 13 जिलों में जमकर बारिश हुई है, जिसमें अल्मोड़ा में 21.1, बागेश्वर 28.6, चमोली 25.2, चंपावत 16.1, देहरादून 19.2, पौड़ी गढ़वाल 11.3, टिहरी 26.4, हरिद्वार 27.6, नैनीताल 35.3, पिथौरागढ़ 33.6, रुद्रप्रयाग 18.7, ऊधमसिंह नगर 26.3 और उत्तरकाशी में 15.4 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई। इसके अलावा मुनस्यारी, धनोल्टी, चकराता, नैनीताल, मुक्तेश्वर, मसूरी, टिहरी, लोहारखेत, पिथौरागढ़, गंगोत्री, ओली में अच्छा हिमपात देखने को मिला है।
बचाव और राहत कार्यों को सीएम ने युद्ध स्तर पर करने के दिए निर्देश
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जनपद पिथौरागढ़ के तहसील धारचूला के ग्राम जुम्मा में भारी वर्षा से हुए नुकसान के बारे में कुमाऊं कमिश्नर सुशील कुमार एवं अपर जिलाधिकारी पिथौरागढ़ फिंचाराम से वर्चुअल माध्यम से जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने प्रभावित क्षेत्र में मौजूद जिलाधिकारी आशीष चौहान से फोन पर राहत व बचाव कार्यों की जानकारी ली।
मुख्यमंत्री ने कुमाऊं कमिश्नर एवं जिलाधिकारी पिथौरागढ़ को निर्देश दिए कि प्रभावित क्षेत्र से लोगों को तत्काल सुरक्षित स्थानों पर लाया जाय। प्रभावितों को रहने के साथ ही खाद्य सामग्री, दवाइयों एवं बच्चों को दूध की पर्याप्त व्यवस्था की जाए। यह सुनिश्चित किया जाय की प्रभावित क्षेत्र में कोई न फंसे।
मुख्यमंत्री ने कुमाऊं कमिश्नर को निर्देश दिए की प्रभावित क्षेत्र में यातायात व्यवस्था को जल्द शुरू करने के लिए युद्धस्तर पर कार्य किया जाय। लोक निर्माण विभाग की टीम से जल्द रास्ते का मलवा हटाया जाय। एनएच के जो भी रूट बाधित हो रहे हैं, उनको शीघ्र खुलवाने के लिए जेसीबी एवं अन्य करण की पर्याप्त व्यवस्था रखी जाए।
मुख्यमंत्री ने कुमाऊं कमिश्नर एवं जिलाधिकारी पिथौरागढ़ से बारिश से हुए नुकसान की जानकारी ली । प्राप्त जानकारी के अनुसार 3 लोगों के मृत्यु एवं 4 लोगों के लापता होने की सूचना है। प्रशासन एवं एसएसबी की टीम घटना स्थल पर राहत एवं बचाव कार्य में जुटी है। जिलाधिकारी पिथौरागढ़ आशीष चौहान प्रभावित क्षेत्र में हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी फोन से जिलाधिकारी से लगातार अपडेट ले रहे हैं। मौसम साफ होते ही मुख्यमंत्री प्रभावित क्षेत्र का दौरा करेंगे।
इस अवसर पर केबिनेट मंत्री गणेश जोशी, विधायक चंद्रा पंत, खजान दास, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी, आपदा प्रबंधन रिद्धिम अग्रवाल, अपर सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. आनन्द श्रीवास्तव, पिथौरागढ़ से वर्चुअल माध्यम से एडीएम फिंचाराम चौहान मौजूद थे।
मौसम का फिर बिगड़ा मिजाज, बर्फबारी और ओलावृष्टि का अलर्ट
उत्तराखंड के कई इलाकों में आज और कल भारी बारिश और बर्फबारी हो सकती है। कुछ इलाकों में बिजली गिरने का अलर्ट भी जारी किया गया है। मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार कई क्षेत्रों में ओलावृष्टि होने के भी आसार हैं।
मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार, प्रदेशभर के कई इलाकों में आज मौसम का मिजाज बिगड़ा रहेगा। राज्य के ज्यादातर स्थानों में गरज और चमक के साथ बारिश हो सकती है। वहीं, तीन हजार मीटर और उससे अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फ भी गिर सकती है।
राजधानी देहरादून और उसके आसपास के इलाकों में आंधी और बारिश के साथ ओले भी गिर सकते हैं। मौसम विभाग ने कई क्षेत्रों में बिजली गिरने का अनुमान भी जताया है। मौसम केंद्र निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार एक मार्च को भी ज्यादातर स्थानों पर मौसम इसी तरह का बना रहेगा। उसके बाद हालांकि मौसम में सुधार होगा। बारिश के बावजूद राजधानी में तापमान सामान्य बना रहने की उम्मीद है।
केदारनाथ में बर्फ हटाने का कार्य शुरु
केदारनाथ यात्रा तैयारियों के तहत प्रशासन के दिशा-निर्देशन में यात्रा मैनेजमेंट फोर्स (वाईएमएफ) का 60 सदस्यीय दल गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर चरणबद्ध बर्फ सफाई में जुट गया है। शुक्रवार को भीमबली से रामबाड़ा के बीच बर्फ को काटकर रास्ता बनाने का कार्य शुरू किया गया है।
यात्रा मैनेजमेंट फोर्ट (वाईएमएफ) के 44 जवानों समेत 60 सदस्यीय दल बीते एक सप्ताह से भीमबली में डेरा जमाए हुए है। पहले चरण में जंगलचट्टी से भीमबली तक पैदल मार्ग पर जमा हल्की बर्फ को साफ किया गया। दूसरे चरण में शुक्रवार को भीमबली से रामबाड़ा के बीच बर्फ को काटकर रास्ता बनाने का कार्य शुरू किया गया है।
2013 की आपदा के बाद निर्मित नए मुख्य मार्ग के बजाय डेढ़ किमी वैकल्पिक मार्ग पर पांच से छह फीट तक बर्फ है, जिसे साफ करने में दिक्कतें आ रही हैं। क्योंकि यहां घना जंगल होने से धूप कम पड़ती है, जिससे बर्फ की मोटी परत कठोर हो चुकी है। सहायक अभियंता (एई) दीपचंद्र नवानी ने बताया कि एक माह में मरम्मत के सभी कार्य पूरे कर दिए जाएंगे।
कोल्ड रिकाॅर्ड बनने के आसार, लगातार बारिश जारी
राज्य मौसम विज्ञान केंद्र ने नैनीताल, ऊधमसिंह नगर, हरिद्वार, देहरादून और पौड़ी में बारिश के साथ ओलावृष्टि की संभावना जताई है। वहीं राजधानी देहरादून सहित कई इलाकों में रुक-रुक कर बारिश जारी है। रुद्रप्रयाग में रातभर से हो रही रुकरुक कर बारिश हो रही है। केदारनाथ में लगभग 6 फीट तक नई बर्फ गिर चुकी है। यहां पहले से पांच फीट बर्फ मौजूद है। तुंगनाथ में 6 फीट और चोपता में 5 फीट तक बर्फ गिर चुकी है। जनपद के गौंडार, तोषी, चैमासी, चिलौण्ड, जालमल्ला, ब्युखी, त्रियुगीनारायण और गौरीकुंड गांव बर्फ से लकदक हैं।
टिहरी जिले में रात भर से बारिश का सिलसिला बुधवार की सुबह भी जारी रहा। यहां ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी होने से कड़ाके की ठंड बढ़ गई है। उत्तरकाशी जिले के राष्ट्रीय राज्य मार्ग गंगोत्री गंगनानी से ऊपर बर्फबारी के कारण बाधित है तथा मार्ग खोलने का कार्य जारी है। यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग राड़ी टॉप, सुवाखोली और फूलचट्टी के पास बर्फबारी के कारण बाधित है। बागेश्वर जिले में कपकोट के अन्तर्गत बदियाकोट क्षेत्र में वाछम, तीख, खाती, सोराग, कालू, किलपारा, कुंवारी, डौला, बोरबलड़ा में लगभग 2 फीट बर्फबारी हो चुकी है।
मौसम विभाग के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि बुधवार को दिनभर ऐसा ही मौसम रहेगा। बृहस्पतिवार को हल्की राहत के आसार हैं। उन्होंने बताया कि फिलहाल पहाड़ों में बर्फबारी और रात को पाला पड़ने से हाड़ कंपाने वाली ठंड होगी। जबकि मैदानी इलाकों में शीतलहर चलेगी। मौसम विभाग के अनुसार नौ जनवरी को भी कुछ स्थानों पर शीत से तीक्षण दिवस हो सकता है। 10 और 11 जनवरी को हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में घना कोहरा छाया रहेगा।
केंद्र की ओर से राज्य सरकार को सलाह दी गई है कि आठ जनवरी को अधिक बर्फबारी के कारण दो हजार मीटर या इससे अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सड़कों के अवरुद्ध होने की आशंका है। बर्फबारी से पर्वतीय क्षेत्र की सड़कों पर फिसलन की स्थिति हो सकती है। यात्रियों और पर्यटकों को सतर्क रहने और राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ समन्वय बनाने की सलाह दी गई है।मंगलवार को मसूरी में भी दिनभर बारिश होती रही। पर्यटन स्थल धनोल्टी में बारिश के बीच हल्की बर्फबारी हुई।
वहीं, उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री और गंगोत्री सहित समुद्र तट से दो हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित करीब 100 गांव बर्फ से ढक गए हैं। यमुनोत्री और गंगोत्री हाईवे समेत करीब आधा दर्जन सड़कें बर्फ से बंद हो गई है। चमोली जिले में करीब 80 गांवों में बर्फ की सफेद चादर बिछ गई है। पैदल रास्ते और पानी के स्रोत भी जम गए हैं। मौसम के बदले मिजाज के बीच जौनसार बावर की ऊंची चोटियां बर्फ की सफेद चादर से ढक गईं। लोखंडी, देववन, खंडबा, व्यास शिखर, मुंडाली, मोयला टॉप समेत कई ऊंची चोटियों पर छह इंच से एक फिट तक बर्फबारी हुई।
मौसम लगातार नया रिकॉर्ड बना रहा है। पिछले 12 वर्षों में पहली बार जनवरी 2020 में छह और सात जनवरी को बदरा बरसे। बारिश के चलते अधिकतम तापमान भी दो डिग्री सेल्सियस गिर गया। मंगलवार की सुबह से ही बादलों ने आसमान में डेरा डाल रखा था। सुबह से बूंदाबांदी हो रही थी। शाम को भी बारिश हुई।
मौसम की खराबी के कारण नैनीसैनी एयरपोर्ट से मंगलवार को सभी उड़ानें रद्द कर दी गईं। विजिबिलिटी नहीं होने से देहरादून से विमान पिथौरागढ़ नहीं आ सका। यात्रियों को घंटों इंतजार के बाद वापस लौटना पड़ा। नैनीसैनी के लिए पहली फ्लाइट देहरादून से आती है।
मौसम विभाग का आरेंज अलर्ट, प्रशासन ने सावधानी बरतने की दी सलाह
प्रदेश के नौ जिलों में 14 और 15 जुलाई को भारी बारिश की संभावना है। अन्य जिलों में भी अच्छी बारिश होने का अनुमान है। मौसम विभाग ने ऑरेंज अलर्ट जारी कर अतिरिक्त सावधानी बरतने के निर्देश जारी किए हैं।
मौसम विभाग की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार देहरादून, नैनीताल, चंपावत, ऊधमसिंह नगर, पिथौरागढ़, चमोली, टिहरी, पौड़ी और हरिद्वार जिले के कई स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है। जबकि रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, उत्तरकाशी, बागेश्वर जिलों में भी कुछ स्थानों पर अच्छी बारिश की संभावना है। मौसम केंद्र निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि प्रदेश में लगातार बारिश का मौसम बना हुआ है।
अगले दो दिन प्रदेश के ज्यादातर इलाकों में भारी बारिश हो सकती है। इस पर विभाग ने एडवाइजरी जारी कर दी है। इस दौरान पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन की आशंका भी बनी हुई है। हिमालयी क्षेत्रों में पर्यटकों की आवाजाही रोकने का सुझाव दिया गया है। साथ ही राज्य सरकार से अतिरिक्त सतर्कता बरतने को कहा गया है।
लगातार हो रही बारिश सड़कों पर भारी पड़ रही हैं। पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिले में दर्जनभर सड़कें बोल्डरों से पट गईं हैं। जहां-तहां मार्ग बंद होने से लोगों की परेशानी भी बढ़ गई है। पंग्बाबे के पास बोल्डर गिरने से कैलाश यात्रा मार्ग भी बंद हो गया है। जौलजीबी-मदकोट-मुनस्यारी सड़क कई स्थानों में रोखड़ में तब्दील हो गई है। थल-मुनस्यारी सड़क भारी वाहनों के लिए बंद हो गया है। जड़बुंगा-अमल्यानी संपर्क मार्ग, हुनरी-तल्ला खुमती संपर्क मार्ग भी क्षतिग्रस्त हो गया है। इनके अलावा, जौलजीबी-मुनस्यारी, समकोट-मुनस्यारी मार्ग बंद हैं। बलतिर-अल्काथल सड़क एक सप्ताह से बंद है। इसे अब तक नहीं खोलने पर ग्रामीणों में रोष है। उन्होंने प्रदर्शन कर नाराजगी जताई।
बागेश्वर जिले में सात सड़कें अब भी बंद हैं। इनमें पोथिंग-शोभाकुंड मोटर मार्ग नौ दिन से बंद है। कपकोट-कर्मी-बघर, कपकोट-कर्मी-तोली सड़क पांच दिन से बंद हैं। डंगोली-कलानी, कपकोट-पोलिंग और रीमा-सनेती-बैकुड़ी भी बंद हैं। बारिश के दौरान जसपुर के ग्राम रामनगर वन में कच्चे मकान की दीवार गिरने से कैलाशो देवी (65) की मौत हो गई। नैनीताल में 80 साल पुराने पांच मंजिले मकान का एक हिस्सा शनिवार सुबह पांच बजे भरभरा कर गिर गया। यह मकान 15 साल से खाली था। नगर पालिका ने मलबा हटाने का काम शुरू कर दिया है। उधर, ओखलकांडा ब्लॉक की बड़ौन ग्रामसभा में शनिवार को तूफान और मूसलाधार बारिश से छह घरों की छतें उखड़ गईं। बारिश के पानी से घरों के अंदर रखा सामान भीग गया। पेड़ गिरने से विद्युत लाइनें क्षतिग्रस्त हो गई हैं।
इससे बड़ौन में 150 परिवार अंधेरे में रात काटने को मजबूर हैं। पिछले दो दिन में हुई बारिश से मुनस्यारी और धारचूला में 25 मकान खतरे की जद में आ गए है। धारचूला से मिली जानकारी के मुताबिक कालिका-खुमती सड़क पर खुमती के पास एक मकान सड़क से निकले मलबे में दब गया।