ब्लैक में शराब के चलन से हो रही राजस्व हानि को रोकने के निर्देश

वित्त व संसदीय कार्यमंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने आबकारी विभाग में राजस्व को बढ़ाने के संदर्भ में विभागीय अधिकारियों की समीक्षा बैठक की। उन्होंने बैठक में सितंबर माह तक होलोग्राम और ट्रैकिंग कार्य दुरस्त करने के निर्देश दिए।
मंगलवार को विधानसभा स्थित कक्ष संख्या 120 में बैठक आयोजित की गई। बैठक में आबकारी विभाग द्वारा कम राजस्व प्राप्ति होने पर मंत्री डॉ अग्रवाल ने नाराजगी व्यक्त की। बैठक में विभागीय अधिकारियों ने बताया कि वित्तीय वर्ष 20-21 में 658 सरकारी दुकानें संचालित थी, जो वर्तमान में घटकर 603 ही रह गयी।
विभागीय अधिकारियों ने बताया कि 160 करोड़ रुपए का बकाया प्राप्त नहीं हो सका हैं। इस पर मंत्री डॉ अग्रवाल ने प्रति माह लगभग 25 करोड़ रुपए वसूलने के निर्देश दिए। डॉ अग्रवाल ने कहा कि ब्लैक में शराब के चलन से राजस्व की हानि हो रही है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि विभाग लीकेज की समस्या को दूर करे, इससे स्वतः ही राजस्व में वृद्धि होगी। डॉ अग्रवाल ने बैठक में अन्य राज्यों जैसे उत्तरप्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश के रेवेन्यू ग्रोथ पर नज़र डाली। साथ ही उत्तराखंड के रेवेन्यू ग्रोथ को सुधारने को कहा।
मंत्री डॉ अग्रवाल ने स्पष्ट तौर पर कहा कि डिफाल्टर लोगों को भविष्य में दुबारा दुकान आवंटित न की जाए। उन्होंने बैठक में विभागीय अधिकारियों को होलोग्राम और ट्रैकिंग कार्य सितंबर तक दुरुस्त करने के निर्देश दिए।
मंत्री डॉ अग्रवाल ने वित्तीय वर्ष 22-23 में विभाग को मिले 3600 करोड़ रुपए के टारगेट से इतर राजस्व बढ़ाने के निर्देश दिए। बैठक में सचिव वित्त सौजन्या, सचिव वित्त दिलीप जावलकर, सचिव आबकारी हरीश सेमवाल सहित विभागीय अधिकारी मौजूद रहे।

प्रेमचंद अग्रवाल के कार्यालय का विधानसभा में हुआ उद्धाटन

उत्तराखंड का विधानसभा का सत्र 29 मार्च से शुरू होने जा रहा है। ऋषिकेश विधायक व पूर्व स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल को अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है। सत्र 29 मार्च से 31 मार्च के तक चलेगा।
वहीं, सत्र की शुरूआत से ठीक एक दिन पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने विधानसभा स्थित अपने कार्यालय में आज प्रवेश किया। उन्होंने प्रवेश से पूर्व विधिवत कार्यालय की पूजा अर्चना की। गंगा जल से छिड़काव के बाद हवन भी कार्यालय के भीतर ही किया गया। इस दौरान विधानसभा सहित राजधानी से कार्यकर्ताओं ने उन्हें शुभकामनाएं दी और कार्यालय के प्रवेश के दौरान भी मौजूद रहे।

कार्यालय में प्रवेश के दौरान कैबिनेट मंत्री की धर्मपत्नी शशीप्रभा अग्रवाल, बेटा पीयूष अग्रवाल, बेटी, भाई भी मौजूद रही।

वहीं, शुभकामनाएं देने वालों में पार्षद शिव कुमार गौतम, सुंदरी कंडवाल, तनु विकास तेवतिया, रीना शर्मा, वीरेंद्र मोघा, संजीव पाल, मंडल अध्यक्ष ऋषिकेश दिनेश सती, मंडल अध्यक्ष वीरभद्र अरविंद चौधरी, मंडल अध्यक्ष श्यामपुर गणेश जोशी, मोनिका गर्ग, अनीता तिवारी, माधवी गुप्ता, इंद्रकुमार गोदवानी, सुमित पंवार, दीपक बिष्ट, अनिकेत गुप्ता, जयंत शर्मा, सचिन अग्रवाल, संजय शास़्त्री, राजू नरसिम्हा आदि भाजपा कार्यकर्ता मौजूद रहे।

चुनाव से पहले माहौल भांप गये धामी!

उत्तराखंड से आज की बड़ी खबर यह है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को चारधाम देवस्थानम बोर्ड पर त्रिवेंद्र सरकार का फैसला पलट दिया। धामी ने बड़ा फैसला लेते हुए देवस्थानम बोर्ड को भंग करने का एलान किया। दो साल पहले त्रिवेंद्र सरकार के समय चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड अस्तित्व में आया था। तीर्थ पुरोहितों, हकहकूकधारियों के विरोध और कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बोर्ड को मुद्दा बनाने से सरकार पर दबाव था। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वर्ष 2019 में श्राइन बोर्ड की तर्ज पर चारधाम देवस्थानम बोर्ड बनाने का फैसला लिया था। तीर्थ पुरोहितों के विरोध के बावजूद सरकार ने सदन से विधेयक पारित कर अधिनियम बनाया। चारधामों के तीर्थ पुरोहित व हकहकूकधारी आंदोलन पर उतर आए, लेकिन त्रिवेंद्र सरकार अपने फैसले पर अडिग रही।

चारधाम समेत 51 मंदिर थे शामिल
सरकार का तर्क था कि बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री धाम समेत 51 मंदिर बोर्ड के अधीन आने से यात्री सुविधाओं के लिए अवस्थापना विकास होगा। प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री बने तीरथ सिंह रावत ने भी जनभावनाओं के अनुरूप देवस्थानम बोर्ड निर्णय लेने की बात कही थी, लेकिन उनके कार्यकाल में देवस्थानम बोर्ड पर सरकार आगे नहीं बढ़ पाई। फिर नेतृत्व परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री बने पुष्कर सिंह धामी ने तीर्थ पुरोहितों के विरोध को देखते हुए उच्च स्तरीय कमेटी बनाने की घोषणा की।

पूर्व सांसद मनोहर कांत ध्यानी की अध्यक्षता में समिति का गठन किया। इस समिति में चारधामों के तीर्थ पुरोहितों को भी शामिल किया। अब समिति की अंतिम रिपोर्ट का परीक्षण कर मंत्रिमंडलीय उप समिति ने भी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी।

देवस्थानम बोर्ड पर कब क्या हुआ
– 27 नवंबर 2019 को उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन विधेयक को मंजूरी।
– 5 दिसंबर 2019 में सदन से देवस्थानम प्रबंधन विधेयक पारित हुआ।
– 14 जनवरी 2020 को देवस्थानम विधेयक को राजभवन ने मंजूरी दी।
– 24 फरवरी 2020 को देवस्थानम बोर्ड में मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया गया।
– 24 फरवरी 2020 से देवस्थानम बोर्ड के विरोध में तीर्थ पुरोहितों का धरना प्रदर्शन
– 21 जुलाई 2020 को हाईकोर्ट ने राज्य सभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी की ओर से दायर जनहित याचिका को खारिज करने फैसला सुनाया।
– 15 अगस्त 2021 को सीएम ने देवस्थानम बोर्ड पर गठित उच्च स्तरीय समिति का अध्यक्ष मनोहर कांत ध्यानी को बनाने की घोषणा की।
– 30 अक्तूबर 2021 को उच्च स्तरीय समिति में चारधामों से नौ सदस्य नामित किए।
– 25 अक्तूबर 2021 को उच्च स्तरीय समिति ने सरकार को अंतरिम रिपोर्ट सौंपी
– 27 नवंबर 2021 को तीर्थ पुरोहितों ने बोर्ड भंग करने के विरोध में देहरादून में आक्रोश रैली निकाली।
– 28 नवंबर 2021 को उच्च स्तरीय समिति ने मुख्यमंत्री को अंतिम रिपोर्ट सौंपी।
– 29 अक्तूबर 2021 को मंत्रिमंडलीय उप समिति ने रिपोर्ट का परीक्षण कर मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंपी।