शिक्षा विभाग में शीघ्र मिलेंगे 955 कार्मिकः धन सिंह

समग्र शिक्षा के अंतर्गत बीआरपी-सीआरपी के रिक्त 955 पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। उक्त पदों की पात्रता रखने वाले अभ्यर्थी कौशल विकास एवं सेवायोजन विभाग के रोजगार प्रयाग पोर्टल पर 29 जून से ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। आवेदन के लिये दो सप्ताह का समय निर्धारित किया गया है। इसके उपरांत चयन प्रक्रिया पूर्ण कर प्रदेश के सभी सीआरपी-बीआरपी केन्द्रों पर चयनित अभ्यर्थियों की तैनाती आउटसोर्स के माध्यम से कर दी जायेगी। इस संबंध में विभागीय अधिकारियों के साथ ही आउटसोर्स एजेंसी को शीघ्र भर्ती प्रक्रिया सम्पन्न करने के निर्देश दे दिये गये हैं।

विद्यालयी शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने बताया कि सूबे में शैक्षिक गतिविधियों में सुधार लाने के दृष्टिगत समग्र शिक्षा के अंतर्गत लम्बे समय रिक्त बीआरपी-सीआरपी के 955 पदों पर भर्ती प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी गई है। जिस हेतु पात्र अभ्यर्थी सेवायोजन विभाग के अंतर्गत रोजगार प्रयाग पोर्टल पर शनिवार 01रू00 बजे के उपरांत ऑनलाइन आवेदन भर सकेंगे। अभ्यर्थी आवेदन संबंधित समस्त जानकारियां एवं सहायता के लिये संबंधित पोर्टल के दूरभाष संख्या 0135-2653665 तथा आउटसोर्स एजेंसी के दूरभाष नम्बर 0135-4145780 पर सम्पर्क कर सकते हैं। इस भर्ती प्रक्रिया में वही अभ्यर्थी अवेदन कर पायेंगे जो राज्य के किसी भी रोजगार कार्यालय में पंजीकृत होंगे। इसके अलावा 10 प्रतिशत पद सेवानिवृत्त शिक्षकों के लिये आरक्षित किये गये हैं।

विभागीय मंत्री ने बताया कि ब्लॉक संदर्भ व्यक्ति (बीआरपी) हिन्दी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणति एवं सामाजिक विज्ञान के कुल 255 पदों हेतु न्यूनतम अर्हता स्नातक एवं स्नातकोत्तर में 55 फीसदी अंकों के साथ उपाधि ग्रहण की हो। इसके अलावा संकुल संदर्भ व्यक्ति (सीआरपी) के लिये 55 प्रतिशत अंकों के साथ किसी भी विषय में स्नातकोत्तर की उपाधि होनी जरूरी है। इसके अतिरिक्त बीआरीपी व सीआरपी पदों के लिये बीएड की उपाधि के साथ-साथ सीटीईटी अथवा यूटीईटी प्रमाण पत्र होना अनिवार्य है। साथ ही कम्प्यूटर में कार्य करने की दक्षता भी जरूरी है। जबकि सेवानिवृत्त शिक्षकों के लिये बीएड अथवा एलटी अर्हता होनी अनिवार्य है। बीआरपी-सीआरपी पदों के लिये आयु सीमा न्यूनतम 21 वर्ष व अधिकतम 42 वर्ष निर्धारित की गई है जबकि सेवानिवृत्त शिक्षकों के लिये अधिकतम आयु सीमा 65 वर्ष तय की गई है, सेवानिवृत्त शिक्षकों के पास चिकित्सा प्रमाण पत्रा होना भी जरूरी है।

उत्तराखंडः 3600 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती का रास्ता हुआ साफ


उत्तराखंड के सरकारी प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। राज्य सरकार ने प्राथमिक शिक्षकों की सेवा नियमावली में संशोधन करते हुए शिक्षकों की भर्ती के लिये बीएड की बाध्यता समाप्त कर दी है। इसके स्थान पर दो वर्षीय डीएलएड कोर्स को मंजूरी प्रदान कर दी है। राज्य सरकार के इस फैसले से लगभग 3600 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ हो गया है। शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने विभागीय अधिकारियों को बेसिक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शीघ्र शुरू करने के निर्देश दे दिए हैं।

शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के वर्ष 2018 में जारी उस अधिसूचना को निरस्त कर दिया था जिसमें प्राथमिक शिक्षकों के लिए बीएड डिग्री की अनिवार्यता लागू की गई थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुपालन में राज्य कैबिनेट ने हाल ही में राजकीय प्रारम्भिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली, 2012 में संशोधन को अपनी स्वीकृति प्रदान की थी। जिसके क्रम में शासन ने उत्तराखंड राजकीय प्रारम्भिक शिक्षा (अध्यापक) (संशोधन) सेवा नियमावली, 2024 को जारी कर दी है।

नियमावली में संशोधन से बेसिक शिक्षकों के लिए आवश्यक शैक्षिक योग्यता बीएड डिग्री की बाध्यता खत्म कर दी गई है। अब राज्य में केवल डीएलएड डिग्रीधारक ही पहली से पांचवीं कक्षा तक के बेसिक शिक्षक के पद के लिये पात्र होंगे। विभागीय मंत्री ने बताया कि प्रदेश में बेसिक शिक्षकों की नई नियमावली लागू होने से लगभग 3600 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ हो गया है। भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के लिये विभागीय अधिकारियों को निर्देशित कर दिया गया है। इसके लिये निर्वाचन आयोग से भर्ती की अनुमति लेते हुये शीघ्र उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को रिक्त पदों के सापेक्ष अधियाचन भेजने के निर्देश दिये गए हैं।

शिक्षा विभाग ने 50 हजार छात्राओं को दी साइकिल की सौगात

विद्यालयी शिक्षा विभाग के अंतर्गत शासकीय एवं अशासकीय विद्यालयों में अध्ययनरत कक्षा नौ की करीब 50 हजार छात्राओं को मुफ्त साइकिल दी जायेगी। जिसके लिये शिक्षा निदेशालय ने ‘बालिका शिक्षा प्रोत्साहन योजना’ के तहत सभी 13 जिलों को 14 करोड से अधिक़ की धनराशि जारी कर दी है। इस योजना के तहत प्रत्येक छात्रा के खाते में डीबीटी के माध्यम से साइकिल क्रय हेतु रूपये 2850 दिये जायेंगे।

बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के दृष्टिगत राज्य सरकार ने बालिका शिक्षा प्रोत्साहन योजना शुरू की है, जिसके तहत प्रदेशभर के शासकीय एवं अशासकीय विद्यालयों में कक्षा नौ में प्रवेश लेने वाली सभी छात्राओं को मुफ्त साइकिल योजना का लाभ दिया जा रहा है। जिसके अंतर्गत प्रत्येक छात्रा के खाते में साइकिल क्रय हेतु रूपये 2850 की धनराशि संबंधित जनपद के मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय से डीबीटी के माध्यम से जमा कराई जायेगी। इस योजना की खास बात यह है कि मैदानी क्षेत्रों के विद्यालयों में अध्ययनरत कक्षा नौ की सभी छात्राओं को अनिवार्य रूप से साइकिल क्रय करनी होगी जबकि पर्वतीय क्षेत्रों की बालिकाओं को मुफ्त साइकिल क्रय करने अथवा किसी अधिकृत बैंक व डाकघार में चार वर्षीय एफडी जमा करने का विकल्प दिया गया है। जिस योजना का लाभ प्रदेश की करीब 50 हजार छात्राओं को मिलेगा जिस हेतु शिक्षा विभाग ने 14 करोड़ से अधिक की धनराशि जारी कर दी है। जिसमें जनपद अल्मोड़ा में 3492 बालिकाओं हेतु एक करोड़, बागेश्वर में 1595 हेतु 45 लाख, चमोली 2533 हेतु 72 लाख, चम्पावत 1677 के लिये 47 लाख, देहरादून 5615 हेतु 1 करोड़ 60 लाख, पौड़ी 3284 हेतु 94 लाख, हरिद्वार 7075 बालिकाओं हेतु 2 करोड़, नैनीताल 5021हेतु एक करोड़ 43 लाख, पिथौरागढ़ 2635 के लिये 75 लाख, रूद्रप्रयाग 1736 बालिकाओं के लिये 50 लाख, टिहरी 3780 हेतु एक करोड़ आठ लाख, उत्तरकाशी 2258 छात्राओं हेतु 64 लाख तथा ऊधमसिंह नगर 8429 छात्राओं के लिये 2 करोड़ 40 लाख की धनराशि आवंटित की गई है।

योजना के सफल क्रियान्वयन के लिये संबंधित जनपद के मुख्य शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक, वित्त अधिकारी एवं जनपद के वरिष्ठतम प्रधानाचार्य की चार सदस्यीय समिति गठित की गई है, जो रैण्डम रूप से ब्लॉक स्तर पर 20 प्रतिशत लाभार्थियों का भौतिक सत्यापन करेगी इसके अलावा समिति को मैदानी जनपदों में साइकिल क्रय व पर्वतीय जनपदों में एफडी का भौतिक सत्यापन कर निर्धारित प्रारूप पर रिपोर्ट निदेशालय को भेजनी होगी।

राज्य में बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिये सरकार ने शासकीय व अशासकीय विद्यालायों में अध्ययनरत कक्षा नौ की छात्रों को मुफ्त साइकिल देने का निर्णय लिया है। जिसका लाभ प्रदेशभर की 50 हजार छात्राओं को मिलेगा। जिस हेतु विभाग द्वारा 14 करोड़ से अधिक की धनराशि जनपदों को आवंटित कर दी गई है।
– ’डॉ. धन सिंह रावत, विद्यालयी शिक्षा मंत्री, उत्तराखंड सरकार।’

शिक्षा मंत्री बोले, 30 जून तक अनिवार्य रूप से डीपीआर जमा करें समस्त बीईओ

राज्य सरकार ने शिक्षा व्यवस्था में गुणात्मक सुधार, भौतिक संसाधनों में वृद्धि, शिक्षकों की उपलब्धता एवं छात्र संख्या में वृद्धि के दृष्टिगत प्रदेशभर में कलस्टर स्कूलों के गठन का निर्णय लिया है। प्रत्येक विकासखंड में न्यूनतम दो कलस्टर विद्यालय स्थापित किये जायेंगे। जिसकी प्रक्रिया पूर्ण करने की जिम्मेदारी खंड शिक्षा अधिकारियों को सौंपी गई है। सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को चयनित कलस्टर स्कूलों, पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त विद्यालयों के नये भवनों हेतु कार्यदाय संस्थाओं के माध्यम से शीघ्र डीपीआर तैयार कराने के निर्देश दिये गये हैं।

विद्यालयी शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने आज देहरादून स्थित एक निजी होटल में शिक्षा अधिकारियों की बैठक ली, जिसमें शासन एवं निदेशालय के उच्चधिकारियों के साथ ही प्रदेशभर के खंड शिक्षा अधिकारियों एवं उप खंड शिक्षा अधिकारियों ने प्रतिभाग किया। विभागीय मंत्री डा. रावत ने करीब तीन घंटे तक चली मैराथन बैठक में चयनित कलस्टर विद्यालयों की संख्या, पीएम-श्री स्कूलों की प्रगति, परिषदीय परीक्षा में छात्र-छात्राओं का प्रदर्शन, विद्यालय में तैनात शिक्षकों एवं छात्रों की संख्या, मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता, निःशुल्क पाठ्य पुस्तकों का वितरण, लम्बे समय से लापता एवं बीमार शिक्षकों एवं शिक्षणेत्तर कार्मिकों की स्वैच्छिक एवं अनिवार्य सेवानिवृत्ति की प्रगति आदि बिन्दुओं पर विकासखंडवार समीक्षा की। उन्होंने खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिये कि चयनित कलस्टर स्कूलों में से वर्तमान वित्तीय वर्ष में प्रत्येक ब्लॉक में न्यूनतम दो-दो कलस्टर विद्यालयों का गठन करना अनिवार्य है। इसके लिये अधिकारी स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं अभिभावकों के साथ पांच से दस किलोमीटर के दायरे में आने वाले स्कूलों के समायोजन की सहमति बनाते हुये सभी बिन्दुओं पर विचार-विमर्श करें। इसके उपरांत अंतिम रूप से चयनित कलस्टर विद्यालयों तथा पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त विद्यालयों के नये भवन निर्माण की कार्यदायी संस्था से डीपीआर बनवाकर शीघ्र मुख्य शिक्षा अधिकारी को सौंपे ताकि समय पर सभी स्कूल भवनों एवं कलस्टर विद्यालयों की डीपीआर स्वीकृति हेतु शासन को उपलब्ध हो सके। शिक्षा मंत्री डा. रावत ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि सभी विद्यालयों में नशा मुक्ति एवं तम्बाकू निषेध अभियान चलाने के साथ ही छात्रों को नैतिक शिक्षा एवं शिक्षकों को आचरण सेवा नियमावली का पालन कराना भी सुनिश्चित करना होगा। इसके लिये उन्होंने सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को अपने-अपने विकासखंड में विशेष अभियान चलाकर समय-समय पर समीक्षा करने को भी कहा। डा. रावत ने कहा कि जो शिक्षक एवं कर्मचारी लम्बे समय से गायब हैं अथवा लम्बे समय से बीमारी के कारण स्कूलों में अनुपस्थित हैं उनके विरूद्ध नियमानुसार अनिवार्य एवं स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की कार्यवाही भी करें। समीक्षा बैठक में कलस्टर स्कूलों के गठन को लेकर शिक्षा निदेशालय की ओर उप निदेशक डॉ. चेतन नौटियाल के द्वारा प्रस्तुतिकरण भी दिया गया। इस अवसर पर विभगीय मंत्री ने राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तराखंड द्वारा तैयार आनन्दम्-पाठ्यचर्चा विशेषांक ‘आनंद-पथ’ पत्रिका के द्वितीय संस्करण का विमोचन भी किया। विभागीय सचिव रविनाथ रमन, अपर सचिव योगेन्द्र यादव व महानिदेशक वंशीधर तिवारी ने भी अधिकारियों को विद्यालयों के स्थापना एवं शिक्षा की गुणवत्ता सहित विभिन्न बिन्दुओं पर दिशा-निर्देश दिये।

बैठक में सचिव विद्यालयी शिक्षा रविनाथ रमन, अपर सचिव योगेन्द्र यादव, महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा वंशीधर तिवारी, निदेशक माध्यमिक शिक्षा सीमा जौनसारी, निदेशक प्राथमिक शिक्षा वंदना गर्ब्याल, अपर निदेशक रामकृष्ण उनियाल, महावीर सिंह बिष्ट, डॉ. मुकुल सती, जे.एल शर्मा, रघुनाथ लाल आर्य, डा.एस.बी. जोशी, जगमोहन सोनी, चेतन प्रसाद नौटियाल सहित अन्य विभागीय अधिकारी एवं प्रदेशभर से आये खंड शिक्षा अधिकारी उपस्थित रहे।

उत्तराखंडः शिक्षा विभाग में प्लास्टिक बैन, पानी की बोतल भी साथ लाएंगे अधिकारी व कर्मचारी

देहरादून। मुख्य सचिव द्वारा 14 मार्च को बैठक में दिये गये निर्देशों के क्रम में विद्यालयी शिक्षा विभाग के समस्त कार्यालयों व विद्यालयों को प्लास्टिक मुक्त किया जाना है। इसको लेकर महानिदेशक, विद्यालयी शिक्षा की ओर से कार्यालयों-विद्यालयों में प्लास्टिक से सम्बन्धित किसी भी वस्तु (यथा प्लास्टिक की बोतल, गिलास, प्लेट, थाली आदि) का प्रयोग पूर्णतः प्रतिबन्धित किए जाने के निर्देश दिए गए। उन्होंने कहा कि विभागीय बैठकों, सेमिनारों-कार्यशालाओं में भी प्लास्टिक के निर्मित सामग्री पूर्ण प्रतिबन्धित रहेगी। पीने के लिए वाटर डिस्पेंसर की व्यवस्था की जायेगी तथा सभी अधिकारी-कार्मिक अपनी-अपनी मेटल की बोतल का प्रयोग करेंगे। साथ ही छात्र छात्राओं को भी प्लास्टिक से होने वाले दुष्परिणामों से अवगत कराते हुये पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाए जाने को कहा।

बंशीधर तिवारी ने कहा कि प्लास्टिक बैग के स्थान पर जूट-कपड़ा इत्यादि से बने कैरीबैग का प्रयोग करने के लिए सबको प्रोत्साहित किया जाए। साथ ही विभाग के प्रत्येक कार्यालय -विद्यालय में प्लास्टिमुक्त कार्यालय का बोर्ड लगाया जायेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे तथा विद्यालयी शिक्षा विभाग के प्रत्येक अधिकारी-कार्मिक शिक्षकों द्वारा इसका अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा। साथ ही भविष्य में कार्यालयों-विद्यालयों के निरीक्षणों में भी इसका संज्ञान लिया जाएगा।

बोर्ड परीक्षाओं के लिए शिखा विभाग ने जारी किए आदेश, 10वीं के परीक्षार्थियों के लिए खुला विकल्प

उत्तराखंड शिक्षा विभाग ने 10वीं की बोर्ड परीक्षाओं को रद्द किए जाने और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को स्थगित किए जाने का शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम के द्वारा आदेश जारी कर दिया है । आदेश के मुताबिक 4 मई से शुरू होने वाली 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को स्थगित किए जाने की बात कही गई है।

जबकि 1 जून 2021 को परिस्थितियों का पुनः मूल्यांकन और आंकलन करने के बाद उत्तराखंड बोर्ड की 12वीं की परीक्षाओं की तिथियों की घोषणा किए जाने की बात कही गई है।

वहीं, दसवीं की बोर्ड परीक्षाओं को रद्द किए जाने की बात आदेश में कही गई है, लेकिन आंतरिक मूल्यांकन से जो छात्र परिणाम से संतुष्ट नहीं होंगे उन छात्रों को बोर्ड बहुविकल्पीय प्रश्न को लेकर परीक्षाएं कराएगा।