देहरादून।
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इंजीनियरों से डीपीआर आदि बनाने में योजनाओं की लागत खर्च में कमी करने की अपेक्षा की है। राज्य के संसाधनों को कैसे बेहत्तर उपयोग किया जा सकता है, इस पर भी इंजीनियरों को ध्यान देना चाहिए। उन्होंने डिप्लोमा इंजीनियरों की विभिन्न मांगों के संबंध में संघ के पदाधिकारियों से सोमवार को मुख्य सचिव से वार्ता करने को कहा। स्थानीय रेंजर कालेज में उत्तराखण्ड डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ के नवें महाधिवेशन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि राज्य के विकास में इंजीनियरों की बड़ी भूमिका है, उन्हें अपनी ताकत एवं क्षमताओं को पहचाना होगा। हमारा प्रयास है कि हमारी आंतरिक संस्थाओं की ताकत बढ़े इसीलिये राज्य में अवस्थापना विकास निगम का ओर मजबूत किया जा रहा है। पुल रोपवे के लिये अलग अलग कारपोरेशन बनाये जा रहे है। समय के साथ हमे अपनी तकनीकि दक्षता को विकसित कर विभागीय स्तर पर कार्य संचालन करने के प्रयास करने होंगे। हमारा यह भी प्रयास है कि आउट सोर्सिंग के बजाय संस्थागत रूप से कार्मिकों की नियमित नियुक्ति की व्यवस्था हो, इसके लिये नियुक्ति के लिये अधीनस्त चयन सेवा आयोग, तकनीकि शिक्षा परिषद, माध्यमिक स्नातक शिक्षा बोर्ड, चिकित्सा शिक्षा चयन बोर्ड का गठन किया गया है। विभिन्न विभागों की नीतिया बना दी गई है।
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि स्थानान्तरण की भी पालिसी बननी चाहिए ताकि कार्मिकों को यह सुनिश्चित हो सके कि उन्हें कब कहा कितने साल तक सेवा करनी है। उन्होंने कहा कि कार्मिकों की वेतन विसंगति के प्रकरणों को सातवें वेतन आयोग की संस्तुति लागू होने के बाद भी किया जायेगा। केन्द्रीय सहायता में बदलाव के कारण हमें अपने संसाधनों को बढ़ाने पर ध्यान देना है इसमें सभी का सहयोग अपेक्षित है। आय के संसाधन बढ़ाने से ही समस्याओं का समाधान हो सकेगा। सभी राज्य अपने रिर्सास पर टैक्स लगा रहे है। हमें भी अपनी जल सम्पदा व राज्य में प्रवेश कर की और ध्यान देना होगा। उन्होंने राज्य की समस्याओं के समाधान के लिये चिन्तन करने पर भी बल दिया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री रावत ने स्मारिका का भी विमोचन यिका। इस अवसर पर पी.सी.जोशी, पीसी उनियाल, यूएस मेहर, हरीश नौटियाल सहित बड़ी संख्या में प्रदेशभर के डिप्लोमा इंजीनियर उपस्थित थे।