हैरतअंगेजः विस चुनाव में नोटा बटन दबाने वाले 47 हजार मतदाता

देहरादून। उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में 46 हजार 837 मतदाताओं ने नोटा विकल्प को चुना। यानी कुल मतदान करने वालों में से 0.87 प्रतिशत मतदाताओं को कोई भी दल या नेता इस लायक नहीं लगा कि वे उसे वोट देते। इससे नोटा ने कई प्रत्याशियों की जीत की उम्मीदें खत्म कर दीं, तो कईयों को जीत की दहलीज पर पहुंचा दिया। जैसे अल्मोड़ा में हार-जीत का अंतर 141 वोटों का रहा। जबकि, यहां 398 लोगों ने नोटा का बटन दबाया है। इसी प्रकार कई और सीटों पर भी नोटा ने हार-जीत का खेल बिगाड़ा है। आपको बता दें कि मतदाताओं को चुनाव आयोग ने कोई भी प्रत्याशी पसंद न होने पर नन ऑफ द अबव (नोटा) का विकल्प दिया हुआ है।

काऊ की सबसे बड़ी, तिवारी की सबसे छोटी जीत
विधानसभा चुनाव में भाजपा के रायपुर प्रत्याशी उमेश शर्मा काऊ की सबसे बड़ी 30052 वोटों के अंतर से जीत हुई। जबकि, अल्मोड़ा में कांग्रेस के प्रत्याशी की सबसे कम 141 वोटों से जीत हुई।

2017 के मुकाबले इस बार सदन में ये नए चेहरे
पुरोला से भाजपा के दुर्गेश्वर लाल, यमुनोत्री से निर्दलीय संजय डोभाल, गंगोत्री से भाजपा के सुरेश चौहान, थराली से भाजपा के भूपाल राम टम्टा, कर्णप्रयाग से भाजपा के अनिल नौटियाल, केदारनाथ से भाजपा की शैला रानी रावत, प्रतापनगर से कांग्रेस के विक्रम सिंह नेगी, टिहरी से भाजपा के किशोर उपाध्याय, देहरादून कैंट से भाजपा की सविता कपूर, डोईवाला से भाजपा के बृजभूषण गैरोला, ज्वालापुर से कांग्रेस के रवि बहादुर, झबरेड़ा से कांग्रेस के विरेंद्र कुमार, खानपुर से निर्दलीय उमेश कुमार, मंगलौर से बसपा के सरवत करीम अंसारी, लक्सर से बसपा के मोहम्मद शहजाद पहली बार सदन पहुंचेंगे।

वहीं, हरिद्वार ग्रामीण से कांग्रेस की अनुपमा रावत, यमकेश्वर से भाजपा की रेनू बिष्ट, पौड़ी से भाजपा के राजकुमार पोरी, पिथौरागढ़ से कांग्रेस के मयूख मेहर, गंगोलीहाट से भाजपा के फकीर राम टम्टा, कपकोट से भाजपा के सुरेश गढ़िया, द्वाराहाट से कांग्रेस के मदन सिंह बिष्ट, रानीखेत से भाजपा के प्रमोद नैनवाल, अल्मोड़ा से कांग्रेस के मनोज तिवारी, जागेश्वर से भाजपा के मोहन सिंह, लोहाघाट से कांग्रेस के कुशल सिंह अधिकारी, लालकुआं से भाजपा के डॉ. मोहन बिष्ट, नैनीताल से भाजपा की सरिता आर्य, हल्द्वानी से कांग्रेस के सुमित हृदयेश, काशीपुर से भाजपा के त्रिलोक सिंह चीमा, रुद्रपुर से भाजपा के शिव अरोड़ा, किच्छा से कांग्रेस के तिलकराज बेहड़, नानकमत्ता से कांग्रेस के गोपाल राणा और खटीमा से कांग्रेस के भुवन कापड़ी पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष नए चेहरे होंगे।

उत्तराखंडः ईवीएम छेड़छाड़ के डर से कांग्रेस कार्यकर्ताओं को मिला सचेत रहने का आदेश

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों के लिए सभी को 10 मार्च का इंतजार है। लेकिन राजनीतिक दलों ने अभी से गुणा भाग लगाना शुरू कर दिया है। इस बीच कांग्रेस को ईवीएम से छेड़छाड़ का डर सता रहा है। इसलिए गणेश गोदियाल औऱ हरीश रावत ने कार्यकर्ताओं को सचेत रहने को कहा है।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने फेसबुक पर सभी कार्यकर्ताओं के लिए लिखा है कि सभी जिला अध्यक्ष औऱ कार्यकर्ता अपने अपने क्षेत्र में ईवीएम की निगरानी करें। गोदियाल ने पार्टी के सभी जिलाध्यक्षों और उम्मीदवारों से अपील करते हुए कहा कि परिणाम वाले दिन यानी दस मार्च तक स्ट्रांगरूम व मतगणना स्थलों की निगरानी करें। गोदियाल की पोस्ट के कई मायने समझे जा रहे हैं। पार्टी के जिलाध्यक्ष और कांग्रेस उम्मीदवारों की बैचेनी भी इससे बढ़ चुकी है। पदाधिकारी स्ट्रांग रूम की सुरक्षा को लेकर अपने स्तर से निगरानी बढ़ाने की तैयारी करने लगे हैं।

हरीश रावत की कल से ताबड़तोड़ प्रचार अभियान की शुरुआत

विधानसभा चुनाव 2022 में लालकुआं में अपना किला कुछ मजबूत करने के बाद पूर्व सीएम हरीश रावत एक बार फिर चुनाव अभियान समिति के मुखिया की भूमिका में आ गए। प्रदेश के नेताओं के अपनी अपनी सीटों पर सिमट जाने के कारण कांग्रेस का प्रचार अभियान धीमा पड़ रहा था। रविवार से रावत पार्टी के उम्मीदवारों के प्रचार में सक्रिय रूप से जुट़ने जा रहे हैँ। कल रावत कुमाऊं मंडल में एक के बाद एक चार विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार करेंगे।
रावत के मीडिया कोर्डिनेटर जसबीर सिंह रावत के अनुसार सुबह 9.50 बजे रावत देहरादून से हेलीकॉप्टर से रानीखेत रवाना होंगे। रानीखेत में पार्टी प्रत्याशी करन माहरा के समर्थन में सिरमौली में सभा करेंगे। फिर दोपहर 12.30 बजे से द्वाराहाट के चौखुटिया में कांग्रेस उम्मीदवार मदन बिष्ट के समर्थन में पदयात्रा करेंगे। दोपहर दो बजे सोमेश्वर में राजेंद्र बाराकोटी के समर्थन में जनसभा में रावत भाग लेंगे। इसके बाद तीन बजे अल्मोड़ा के बाड़ेछीना में पार्टी उम्मीदवार मनोज तिवारी के समर्थन में जनसभा करेंगे। दूसरी तरफ, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल भी अपनी अपनी सीटों से बाहर दूसरे क्षेत्रों में प्रचार को निकलेंगे। प्रीतम और गोदियाल भी कार्यक्रम तैयार कर रहे हैं।

बेरोजगार मतदाता किस पर करेगा भरोसा

प्रदेश में 8 लाख 42 हजार बेरोजगार पंजीकृत हैं। जबकि पूरे राज्य में कुल 82 लाख वोटर हैं। इनमें से करीब 25 फीसदी मतदाता बुजुर्ग हैं। यदि इन वोटरों को हटा दिया जाए तो राज्य में बेरोजगार वोटरों का आंकड़ा इससे भी ऊपर निकल जाता है। सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की रिपोर्ट भी राज्य में बेरोजगारी और रोजगार के कम मौके होने की तस्दीक कर रही है। प्रदेश में नौ फीसदी नौकरी योग्य ग्रेजुएट युवा बेरोजगार घूम रहे हैं।
शहरी इलाकों में 4.3 फीसदी जबकि ग्रामीण इलाकों में 4.0 फीसदी बेरोगारी की दर है। उत्तराखंड में रोजगार एवं श्रम भागीदारी दर देश में सबसे कम है। सीएमआईई के अनुसार दिसंबर तक उत्तराखंड में रोजगार दर 30.43 फीसदी थी। यह राष्ट्रीय औसत 37.42 फीसदी से काफी कम है और देश में सबसे नीचे है।
इसके बाद गोवा 31.99, उत्तर प्रदेश 32.79 एवं पंजाब 36.86 का स्थान आता है। पर सरकार और मंत्री बेरोजगारी के लिए केवल कोरोना का कारण बताते रहे हैं। हालांकि कोरोना से पहले भी रोजगार की तलाश में पलायन सतत चलता रहा। इस कारण उत्तराखंड के सैकड़ों गांव वीरान हो चुके हैं।
हर बार किए जाते हैं वादेरू केंद्र और राज्य के हर चुनाव में मतदाताओं से रोजगार बढ़ाने के वादे किए जाते हैं। लेकिन चुनाव बीत जाने के बाद यह वादे कोरी घोषणाएं साबित होती हैं। इस बार भी बड़े-बड़े राजनीतिक दल और प्रत्याशी युवाओं को लुभाने के लिए नई-नई योजनाएं लाने का वादा कर रहे हैं। कोई नई नौकरियां लाने की बात कह रहा है तो कोई स्वरोजगार के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराने का वादा कर रहा है। देखना है कि चुनाव संपन्न होने के बाद युवाओं से किए जा रहे वायदों पर कितना काम होता है।
प्रदेश में 25 से 45 साल के लोगों में बेरोजगारी की दर सबसे अधिक है। इसमें युवा पुरुष व महिलाएं दोनों ही शामिल हैं। जबकि यही वर्ग प्रदेश का सबसे बड़ा मतदाता भी है। साफ है सरकार और राजनीतिक दलों का फोकस मुख्य समस्या पर नहीं है। प्रदेश में महिलाओं की बेरोजगारी दर 7.6 फीसदी है। कुमाऊं विवि में समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. डीएस बिष्ट के अनुसार युवाओं को योग्यता अनुसार काम न मिले तो उसका सीधा असर समाज पर पड़ता है। रोजगार के नए मौके तलाशने के लिए सरकार को ज्यादा ठोस कदम उठाने होंगे।

रजनी रावत ने चुनाव से पूर्व भाजपा की सदस्यता लीं

कांग्रेस सरकार में पूर्व में दर्जाधारी रही रजनी रावत ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में भाजपा की सदस्यता ली।
रजनी रावत पूर्ववर्ती हरीश रावत सरकार में महिला एवं बाल विकास विभाग की उपाध्यक्ष रही है। इतना ही नहीं रजनी रावत ने धर्मपुर से भाजपा विधायक विनोद चमोली के खिलाफ भी देहरादून नगर निगम में मेयर प्रत्याशी के रूप में निर्दलीय चुनाव लड़ा है।
पूर्व दर्जा धारी रजनी रावत को पार्टी की सदस्यता दिलाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि रजनी रावत पार्टी के सिद्धांतों और विचारों से प्रभावित होकर हमारे साथ आई हैं। उनके साथ सैकड़ों कार्यकर्ताओं का भी स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हे विश्वास है, पार्टी को रजनी रावत के जनाधार का चुनावों में लाभ मिलेगा। विशेषकर देहरादून जनपद में जहां वह पूर्व में भी महापौर के चुनावों में शानदार जनमत अर्जित कर चुकी है।
वहीं भाजपा में शामिल होने पर खुशी जताते हुए रजनी रावत ने कहा कि वह मोदी और धामी के राष्ट्रवादी विचारों और विकास के विज़न से प्रभावित होकर आई हैं। उनके सभी समर्थक अब पूरे प्रदेश भर में भाजपा को जिताने के लिए जी जान से जुटेंगे। इस मौके पर भाजपा नेता विश्वास डाबर, बलजीत सिंह सोनी आदि भी उपस्थित रहे।

बागी उम्मीदवारों को भाजपा और कांग्रेस मना पाएंगी

विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही भाजपा और कांग्रेस में बगावत की स्थिति भी साफ हो गई है। भाजपा में फिलहाल 16 और कांग्रेस में 12 बागी अधिकृत प्रत्याशियों के लिए चुनौती बने हैं। अब पार्टी स्तर पर इन्हें मनाने की कोशिशें शुरू की जा रही हैं। पूर्व सीएम हरीश रावत की सीट लालकुआं से पूर्व में घोषित उम्मीदवार संध्या डालाकोटी भी बगावत पर उतर आई हैं। वहीं, भाजपा में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत की ओर से खाली की गई डोईवाला सीट पर तीन -तीन नेताओं ने अधिकृत प्रत्याशी के सामने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर नामांकन कर दिया है। कांग्रेस की तरफ से पूर्व मंत्री शूरवीर सिंह सजवाण और मातबर सिंह कंडारी भी बगावत का झंडा उठा चुके हैं।
वहीं, कांग्रेस प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने कहा, पार्टी के सभी बागी प्रत्याशियों को मना लिया जाएगा। इस दिशा में प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। समय रहते सभी बागी पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के समर्थन में अपना नाम वापस ले लेंगे।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक का कहना है कि भाजपा में सभी अनुशासित कार्यकर्ता हैं। समय रहते सभी ऐसे कार्यकर्ता अपने-अपने नामांकन पत्र अधिकृत प्रत्याशियों के समर्थन में नाम वापस ले लेंगे। पार्टी स्तर से भी ऐसे कार्यकर्ताओं से संपर्क किया जा रहा है । सभी मान भी जाएंगे, ऐसा उन्हें पूरा विश्वास है।

गढ़वाल मंडल
देहरादून- ऋषिकेश से पूर्व मंत्री शूरवीर सिंह सजवाण कांग्रेस और उषा रावत भाजपा, डोईवाला से जितेंद्र नेगी, सुभाष भट्ट और सौरभ थपलियाल (तीनों भाजपा), सहसपुर से आकिल अहमद, कांग्रेस, धर्मपुर से वीर सिंह पंवार, भाजपा, कैंट से दिनेश रावत, भाजपा, राजपुर से संजय कन्नौजिया, कांग्रेस, कैंट से चरणजीत कौशल, कांग्रेस और रायपुर में सूरत सिंह नेगी, कांग्रेस।
हरिद्वार – ज्वालापुर से एसपी सिंह, कांग्रेस, रानीपुर से इशांत तेजीयान, भाजपा और पिरान कलियर से जय भगवान सैनी भाजपा (2017 के प्रत्याशी)।
टिहरी – घनसाली से पूर्व विधायक भीम लाल आर्य, कांग्रेस और सोहन लाल खंडेवाल, दर्शनलाल (दोनों भाजपा), धनौल्टी से पूर्व विधायक महावीर रांगड़, भाजपा।
पौड़ी – कोटद्वार से धीरेंद्र चौहान, पूर्व जिलाध्यक्ष भाजपा।
उत्तरकाशी – यमुनोत्री से पूर्व राज्य मंत्री जगवीर सिंह भंडारी, भाजपा और संजय डोभाल, कांग्रेस (2017 के प्रत्याशी)।
चमोली – कर्णप्रयाग से टीका प्रसाद मैखुरी, भाजपा।
रुद्रप्रयाग – रुद्रप्रयाग पूर्व मंत्री मातबर सिंह कंडारी, कांग्रेस।

कुमांऊ मंडल
यूएसनगर – रुद्रपुर से विधायक राजकुमार ठुकराल, भाजपा, किच्छा से हरीश पनेरू, कांग्रेस और किच्छा से ही अजय तिवारी, भाजपा।
अल्मोड़ा – रानीखेत से दीपक करगेती, भाजपा।
बागेश्वर – बागेश्वर से भैरवनाथ, कांग्रेस।
नैनीताल – लालकुआं से संध्या डालाकोटी, कांग्रेस से पवन चौहान और कुंदन सिंह मेहता (दोनों भाजपा), रामनगर से संजय नेगी, कांग्रेस, भीमताल से लाखन सिंह नेगी और मनोज साह (दोनों भाजपा) और कालाढूंगी से गजराज सिंह बिष्ट, भाजपा।

धाकड धामी की टीम युवा जोश और अनुभव से है लबरेज

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव-2022 के लिए भाजपा ने अपने 59 रणबांकुरो का ऐलान कर दिया है। विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के महारथियों का ऐलान होती इस बात पर भी राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं शुरू हो गई हैं कि आखिर प्रत्याशी चयन में किस नेता की चली है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भाजपा के प्रत्याशियों के चयन पर सीएम पुष्कर सिंह धामी की युवा छाप दिख रही है। सीएम पुष्कर सिंह धामी युवा नेतृत्व के प्रतीक के रूप में खुद खटीमा से चुनाव मैंदान में हैं। वहीं सीएम पुष्कर सिंह धामी के करीबी रहे सुरेश गढ़िया, दुर्गेश्वर लाल समेत 15 युवाओं को भाजपा ने मैदान में उतारा है।
भाजपा शुरू से धामी को युवा नेतृत्व के रूप में पेश करती आ रही है। धामी को धाकड़ बल्लेबाज की उपमा दे चुके भाजपा हाईकमान ने उम्मीदवार तय करने में धामी को युवा चेहरे चुनने की पूरी छूट दी। सूत्रों के अनुसार पार्टी द्वारा कराए गए सर्वें में कई टिकट काटने की सिफारिश की गई थी। भाजपा ने बुजुर्गाे के टिकट काटने में भले ही देर नहीं लगाई, लेकिन युवाओं पर कैंची चलाने में हिचकी है।
कपकोट में गढिया पहली बार चुनाव मैदान में उतर रहे है। जबकि भाजपा ने युवा दुर्गेश लाल पर विश्वास जताते हुए उसे पार्टी से टिकट दिया है। 2017 में वे निर्दलीय चुनाव लड़े थे। इसके बाद कुछ समय पहले ही कांग्रेस ने अपनी पार्टी में ज्वाइन कराया था। कांग्रेस से टिकट न मिलता देख वे गुरुवार को ही भाजपा में शामिल हुए और टिकट ले गए। द्वाराहाट से उम्मीदवार बनाए गए अनिल शाही ने भी चौंकाया है। शाही को भी भाजपा ने युवा चेहरे के रूप में आगे बढ़ाया है। भाजपा के युवा उम्मीदवारों में अगला नाम देवप्रयाग से विनोद कंडारी और सितारगंज सौरभ बहुगुणा का नाम है। वर्ष 2017 की जंग में कामयाब रहे कंडारी और बहुगुणा पर भाजपा ने दोबारा विश्वास जताया है। इस कड़ी आगे वर्तमान विधायक भेल रानीपुर से आदेश चौहान, रुड़की से प्रदीप बत्रा, श्रीनगर से धन सिंह रावत, लैंसडौन से दिलीप रावत, भीमताल राम सिंह कैड़ा भी धामी की यूथ टीम का हिस्सा है।

कांग्रेस ने किशोर को अनुशासन हीनता के चलते सभी पदों से मुक्त किया

आज बुधवार को कांग्रेस ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को चुनाव संबंधित समितियों समेत सभी पदों से हटा दिया है। इस संबंध में प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने आदेश जारी कर दिया है। किशोर उपाध्‍याय पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने और भाजपा के नेताओं से मुलाकात कर कांग्रेस की सरकार के खिलाफ मुहिम को कमजोर करने का आरोप लगाया गया है।

रात के अंधेरे में भाजपा नेताओं से मिले
उत्‍तराखंड विधानसभा चुनाव के मौके पर प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के रात के अंधेरे में भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री और चुनाव प्रभारी से मुलाकात ने राजनीति को गर्मा दिया है। इससे कांग्रेस भी असहज नजर आ रही थी। वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने ऐसी किसी संभावना से इन्कार किया। उन्होंने कहा कि किशोर भाजपा जैसी सांप्रदायिक पार्टी में जाएंगे, ऐसा नहीं लगता।

कांग्रेस छोड़ने की चर्चाएं तेज
बता दें कि प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने चार जनवरी की रात भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन अजेय कुमार से उनके फ्लैट में मुलाकात की थी। इस दौरान वहां केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के चुनाव प्रभारी प्रल्हाद जोशी भी मौजूद थे। इस मुलाकात के बाद किशोर उपाध्याय के भाजपा में जाने की चर्चाएं तेज हो गईं थीं। दरअसल, बीते दिनों किशोर उपाध्‍याय भाजपा राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख व राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी से भी मिले थे। उनके भाजपा नेताओं से मुलाकात के बाद कांग्रेस छोड़ने की चर्चाएं तेज हो गए थी।

कांग्रेस चुनाव घोषणापत्र समिति की हुई वर्चुअल बैठक
कांग्रेस चुनाव घोषणापत्र समिति की वर्चुअल बैठक हुई। बैठक में समिति अध्यक्ष नवप्रभात व संयोजक सूर्यकांत धस्माना समेत सदस्यों ने शिरकत की। यह तय किया गया कि चुनाव घोषणापत्र में उपनल कर्मचारियों की मांगों को भी जगह दी जाएगी।

केंद्र और राज्य सरकार ने खींचा विकास का मजबूत खाका-धामी

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने कहा कि वह भाजपा की जीत के प्रति आश्वस्त हैं। उन्होंने कहा कि 2014 से लेकर अब तक केंद्र की मोदी सरकार ने करीब एक लाख करोड़ से अधिक की योजनाएं उत्तराखंड के लिए स्वीकृत की हैं। उनमें से कई पूरी हो चुकी हैं। कई पर काम चल रहा है। प्रधानमंत्री ने जहां देहरादून और हल्द्वानी में बारी-बारी से उत्तराखंड को 18 हजार करोड़, 17.5 हजार करोड़ की सौगात दी। उन्होंने कहा कि सड़कों का नेटवर्क हो या दिल्ली से देहरादून के बीच की दूरी, केंद्र और राज्य की सरकार ने मिलकर विकास का मजबूत खाका खींचा है।

सरकार ने 500 से अधिक फैसले लिए
सीएम धामी ने कहा कि कुछ लोग भले ही जनता को टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन को लेकर बरगलाने की कोशिश कर रहे हों लेकिन उनकी सरकार ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है। देहरादून के एयरपोर्ट की क्षमता बढ़ाने के साथ प्रदेश में नए हवाई मार्ग चिन्हित कर उड़ान शुरू की गईं। कई अन्य जगहों पर शुरुआत होने जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने 500 से अधिक फैसले लिए। इन फैसलों का वित्तीय प्रबंधन करते हुए आदेश जारी किए। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी चुनाव आयोग की सभी गाइडलाइंस का पालन करेगी। 2025 में रजत जयंती वर्ष तक निश्चित तौर पर वह उत्तराखंड को देश का सर्वश्रेष्ठ प्रदेश बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत योजना हो या गरीब कल्याण योजना, भाजपा की सरकार ने अंतिम छोर तक इनका लाभ पहुंचाने पर फोकस किया है। आने वाला दशक उत्तराखंड का होगा। अटल जी ने उत्तराखंड बनाया था और मोदी के नेतृत्व में उसे संवारेंगे।

मैं उम्र में छोटा लेकिन सबका आशीर्वाद
मुख्यमंत्री धामी ने कहा सरकार ने पूरी पारदर्शिता के साथ काम किया है। रोजगार के सवाल पर सीएम धामी ने कहा कि हम हर विभाग के आंकड़े सबके सामने रखेंगे। हमने 24 हजार पदों पर भर्ती की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है। पुलिस में कई साल बाद भर्ती निकाली है। हमारे यहां कोई द्वेष नहीं है। मैं उम्र में छोटा जरूर हूं लेकिन मुझे सबका आशीर्वाद मिला हुआ है।

कांग्रेस के कारनामों और हमारी सरकार के कामों के बीच मुकाबला
कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि इस बार कांग्रेस के कारनामों और हमारी सरकार के कामों के बीच मुकाबला होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस और करप्शन एक-दूसरे के पूरक हैं। करप्शन की जननी कांग्रेस है। लोकतंत्र के महापर्व में कांग्रेस के कारनामों और भाजपा के कार्यों के बीच मुकाबला होगा। उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और करप्शन एक-दूसरे के पूरक हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि कांग्रेस और करप्शन एक दूसरे के पूरक हैं। उनके काले और खूनी पंजे को जनता जरूर सबक सिखाएगी। उन्होंने किया है, करती है, करेगी सिर्फ भाजपा का नारा देते हुए कहा कि कांग्रेस की हालत 900 चूहे खाकर बिल्ली हज को जाने वाली है। एक किताब पढ़ी थी फाउंटेन हेड, उत्तराखंड में करप्शन की फाउंटेन हेड यानी करप्शन की जननी कांग्रेस है। उन्होंने कहा कि जिनके घर शीशे के होते हैं, वह दूसरों पर पत्थर नहीं उछाला करते। उनकी सरकार में खनन का भ्रष्टाचार सबको याद है। जनरल बिपिन रावत पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले आज सैनिक हितों की बात करते हैं।

हाईकोर्ट के विधानसभा चुनाव को लेकर कई सवाल, अगली सुनवाई 12 जनवरी को

हाईकोर्ट नैनीताल ने विधानसभा चुनाव स्थगित किए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई की। कोर्ट ने भारत निर्वाचन आयोग से पूछा है क्या उत्तराखंड में वर्चुअल रैलियां संभव हैं? क्या ऑनलाइन मतदान कराया जा सकता है? 12 जनवरी तक शपथपत्र के साथ बताएं। अगली सुनवाई 12 जनवरी को होगी।
बुधवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ में चुनाव स्थगित किये जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्रीय निर्वाचन आयोग की ओर से कोर्ट को बताया गया कि वर्चुअल रैलियां खराब कनेक्टिविटी के कारण संभव नहीं हैं। मतदान को लेकर भी यही स्थिति है। आयोग ने यह भी बताया कि मुख्य सचिव के साथ चुनाव की तैयारी को लेकर बैठक हो चुकी है। कोर्ट ने आयोग से वर्चुअल रैली व ऑनलाइन वोटिंग को लेकर जवाब मांगा है।
अधिवक्ता शिव भट्ट ने पहले से विचाराधीन सच्चिदानंद डबराल व अन्य से संबंधित जनहित याचिका में कोर्ट के आदेशों के विपरीत विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा कोविड नियमों के विपरीत की जा रही रैलियों की तस्वीरें संलग्न कर प्रार्थना पत्र कोर्ट में पेश किया है। जिसमें कहा है कि सियासी रैलियों में कोरोना संक्रमण फैलने की पूरी संभावना है। राजनीतिक दलों की ओर से कोविड के नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है।