मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का गुरुवार को सर्वे चौक स्थित आई.आर.डी.टी. सभागार में प्रदेश में समान नागरिक संहिता विधेयक विधान सभा से पारित होने पर गर्मजोशी से स्वागत के साथ सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। स्वर्णिम देवभूमि परिषद द्वारा आयोजित नागरिक अभिनंदन कार्यक्रम में बडी संख्या में बुद्धिजीवियों, जनप्रतिनिधियों एवं अन्य गणमान्य लोगों द्वारा प्रतिभाग किया गया। प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू किये जाने के लिये मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयासों की सभी ने प्रशंसा की। मुख्यमंत्री ने राज्य विधान सभा में नागरिक संहिता विधेयक पास होने के पीछे उत्तराखण्ड की जनता की शक्ति बताते हुये कहा कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में यह कानून मील का पत्थर साबित होगा। मुख्यमंत्री ने इसके लिये प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्र सरकार तथा प्रदेश की देवतुल्य जनता का भी आभार व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं कि हमारे देश का नेतृत्व आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सक्षम हाथों में है, जिनके लिए देश सर्वप्रथम है, जो इस देश को ही अपना परिवार समझते हैं और अपने परिवारजनों का सुख-दुःख ही उनका सुख-दुःख है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने समान नागरिक संहिता पर देवभूमि की सवा करोड़ जनता से किये गए अपने वादे को निभाया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम जनता के हैं और जनता हमारी है, यह कानून जनता के लिये है, जनता की भलाई, समता और समानता के लिये बनाया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश की जनता से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के ’’एक भारत और श्रेष्ठ भारत’’ मन्त्र को साकार करने के लिए उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लाने का वादा किया था। प्रदेश की देवतुल्य जनता ने हमें इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपना आशीर्वाद देकर पुनः सरकार बनाने का मौका दिया। सरकार गठन के तुरंत बाद, जनता जर्नादन के आदेश को सिर माथे पर रखते हुए हमने अपनी पहली कैबिनेट की बैठक में ही समान नागरिक संहिता बनाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन का निर्णय लिया और 27 मई 2022 को उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में पांच सदस्यीय समिति गठित की। इस समिति के सदस्यों में सिक्किम उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश प्रमोद कोहली, समाजसेवी मनु गौड, उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह एवं दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो० सुरेखा डंगवाल को सम्मिलित किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के सीमांत गांव माणा, जिसे हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश का प्रथम गांव घोषित किया है, वहां से प्रारंभ हुई जनसंवाद यात्रा के दौरान 43 जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित किये जाने पर समिति को विभिन्न माध्यमों से लगभग 2.33 लाख सुझाव प्राप्त हुए। प्रदेश के लगभग 10 प्रतिशत परिवारों द्वारा किसी कानून के निर्माण के लिए अपने सुझाव देने का देश में यह पहला अतुलनीय उदाहरण है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राप्त सुझावों का अध्ययन कर समिति ने उनका रिकॉर्ड समय में विश्लेषण कर अपनी विस्तृत रिपोर्ट 2 फरवरी 2024 को सरकार को सौंपी। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस प्रकार से इस देवभूमि से निकलने वाली मां गंगा अपने किनारे बसे सभी प्राणियों को बिना भेदभाव के अभिसिंचित करती है उसी प्रकार राज्य विधान सभा से पारित समान नागरिक संहिता के रूप में निकलने वाली समान अधिकारों की संहिता रूपी ये गंगा हमारे सभी नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को सुनिश्चित करेगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सभी नागरिकों के लिए समान कानून की बात संविधान स्वयं करता है, क्योंकि हमारा संविधान एक पंथनिरपेक्ष संविधान है। यह एक आदर्श धारणा है, जो हमारे समाज की विषमताओं को दूर करके, हमारे सामाजिक ढांचे को और अधिक मजबूत बनाती है। उन्होंने कहा कि माँ गंगा-यमुना का यह प्रदेश, भगवान बद्री विशाल, बाबा केदार, आदि कैलाश, ऋषि-मुनियों-तपस्वियों, वीर बलिदानियों की इस पावन धरती ने एक आदर्श स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 में उल्लिखित होने के बावजूद अब तक इसे दबाये रखा गया। 1985 के शाह बानो केस के साथ इसी देवभूमि की बेटी सायरा बानो ने दशकों तक न्याय के लिये संघर्ष किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि समान नागरिक संहिता, विवाह, भरण-पोषण, गोद लेने, उत्तराधिकार, विवाह विच्छेद जैसे मामलों में भेदभाव न करते हुए सभी को बराबरी का अधिकार देगा और जो प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार भी है। समान नागरिक संहिता समाज के विभिन्न वर्गों, विशेष रूप से माताओं-बहनों और बेटियों के साथ होने वाले भेदभाव को समाप्त करने में सहायक होगा। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचारों को रोका जाए। हमारी माताओं-बहन-बेटियों के साथ होने वाले भेदभाव को समाप्त किया जाए। हमारी आधी आबादी को सच्चे अर्थों में बराबरी का दर्जा देकर हमारी मातृशक्ति को संपूर्ण न्याय दिया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश विकसित भारत का सपना देखने के साथ भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। उनके नेतृत्व में यह देश तीन तलाक और धारा-370 जैसी ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने के पथ पर अग्रसर है। उनके नेतृत्व में सैंकड़ों वर्षों के बाद अयोध्या में रामलला अपने जन्मस्थान पर विराजमान हुए हैं, और मातृशक्ति को सशक्त करने के लिए विधायिका में 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस संहिता में पुरुष व महिलाओं को बराबरी का दर्जा देते हुए विवाह विच्छेद से संबंधित मामलों में विवाह विच्छेद लेने के समान कारण और समान अधिकार दिए गए हैं। समान नागरिक संहिता में महिला के दोबारा विवाह करने से संबंधित किसी भी प्रकार की रूढ़िवादी शर्तों को प्रतिबंधित किया गया है। उन्होंने कहा कि हमारे इस कदम से उन कुप्रथाओं का अंत होगा जिनसे महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंचाई जाती थी।
मुख्यमंत्री ने समान नागरिक संहिता में लिव इन संबंधों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करते हुए कहा कि एक वयस्क पुरुष जो 21 वर्ष या अधिक का हो और वयस्क महिला जो 18 वर्ष या उससे अधिक की हो, वे तभी लिव इन रिलेशनशिप में रह सकेंगे, जब वो पहले से विवाहित या किसी अन्य के साथ लिव इन रिलेशनशिप में न हों और कानूनन प्रतिबंधित संबंधों की श्रेणी में न आते हों। लिव-इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को लिव-इन में रहने हेतु केवल पंजीकरण कराना होगा जिससे भविष्य में हो सकने वाले किसी भी प्रकार के विवाद या अपराध को रोका जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण देकर उनसे किए गए वादे को निभाया है। उन्होंने कहा कि इन सभी निर्णयों से यह स्पष्ट है कि हमने इस दशक में महिला सशक्तिकरण की दिशा में अभूतपूर्व प्रगति की है। वही दशक जिसका हमारी माताएं-बहनें, बरसो से इंतजार कर रही थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने प्रदेश हित में यू.सी.सी. के साथ कठोर नकल विरोधी कानून बनाया है। अब भारत की संसद ने भी इस पर अपनी मुहर लगा दी है। प्रदेश में अवैध अतिक्रमण के विरूद्ध सख्ती से कार्यवाही कर 05 हजार है. सरकारी भूमि को अतिक्रमण से मुक्त किया गया है। देवभूमि के स्वरूप को बनाये रखने के लिये, धर्मांतरण को रोकने के लिये भी कानून बनाया गया है। भ्रष्टाचार पर प्रभावी नियंत्रण के लिये 1064 एप पर शिकायत की व्यवस्था की गई है। प्रदेश में भ्रष्टाचार किसी भी रूप में बरदास्त नहीं किया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें कई देशों में जाने का अवसर मिला। वे जहां भी गये वहां लागों का देवभूमि उत्तराखण्ड के प्रति लगाव उन्हें देखने को मिला, जो इस महान देवभूमि की महिमा का ही परिणाम है।
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महिलाओं को बराबरी का अधिकारी दिलायेगा यूसीसी
देश के पहले समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के बिल में किसी धर्म विशेष का जिक्र तो नहीं, लेकिन कई नियमों के बदलाव में रूढ़ि, परंपरा और प्रथा को खत्म करने का आधार बनाया गया है। इद्दत, हलाला को भी प्रत्यक्ष तौर पर कहीं नहीं लिखा गया। हालांकि, एक विवाह के बाद दूसरे विवाह को पूरी तरह से अवैध करार दिया गया है।
इद्दत-हलाला को इस तरह परिभाषित किया
यूसीसी बिल में महिला के दोबारा विवाह करने (चाहे वह तलाक लिए हुए उसी पुराने व्यक्ति से विवाह करना हो या किसी दूसरे व्यक्ति से) को लेकर शर्तों को प्रतिबंधित किया गया है। संहिता में माना गया कि इससे पति की मृत्यु पर होने वाली इद्दत और निकाह टूटने के बाद दोबारा उसी व्यक्ति से निकाल से पहले हलाला यानी अन्य व्यक्ति से निकाह व तलाक का खात्मा होगा। यूसीसी में हलाला का प्रकरण सामने आने पर तीन साल की सजा और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
शाहबानो प्रकरण भी बना यूसीसी का आधार
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लाने के लिए इंदौर की शाहबानो के मामले को भी आधार बनाया गया। इसमें बताया गया कि कैसे 62 वर्ष की उम्र में शाहबानो को उनके पति ने तलाक दे दिया था। उनके पांच बच्चे थे। वह न्यायालय गईं तो उन्हें 25 रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता देने का निर्णय हुआ। इससे असंतुष्ट शाहबानो मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय गईं, जिसने गुजारा भत्ता बढ़ाकर 179.20 रुपये प्रतिमाह कर दिया, मगर पति ने भत्ता देने से इन्कार कर दिया। अप्रैल 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने शाहबानो के पक्ष में फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर मुहर लगा दी।
बहु विवाह प्रतिबंधित किया गया
यूसीसी बिल में बहु विवाह को पूर्ण प्रतिबंधित कर दिया गया है। हर विवाह और तलाक का पंजीकरण ग्राम, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, महानगर पालिका के स्तर पर ही कराया जाना संभव होगा। इसके लिए पोर्टल भी एक माध्यम होगा। बिल में स्पष्ट किया गया है कि एक विवाह होने के बाद दूसरा विवाह पूर्ण प्रतिबंधित किया गया है।
विवाह की आयु
सभी धर्मों के लिए विवाह की आयु समान की गई है। पुरुष के लिए कम से कम 21 वर्ष और स्त्री के लिए न्यूनतम 18 वर्ष। मुस्लिम पर्सनल लॉ में विवाह की आयु बालिग होने या 15 वर्ष निर्धारित की गई है, लेकिन अब प्रदेश में सबके लिए आयु की एक ही सीमा होगी। हालांकि, ये स्पष्ट किया गया कि इससे किसी धर्म, मजहब, पंथ, संप्रदाय और मत के अपने-अपने रीति रिवाजों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। निकाह, आनंद कारज, अग्नि के समक्ष फेरे और होली मेट्रिमोनि रीति रिवाज अपनी मान्यताओं के अनुसार ही होंगे। हालांकि, इसमें ये भी स्पष्ट कर दिया है कि अनुसूचित जनजातियां यूसीसी के दायरे से बाहर रहेंगी।
सीएम ने पेश किया यूसीसी, सत्ता पक्ष ने की हौसला अफजाई
विधानसभा सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड समान नागरिक संहिता विधेयक सदन में पेश किया। इस दौरान मुख्यमंत्री आत्मविश्वास और उत्साह से लबरेज नजर आए। विधेयक पटल पर रखने के बाद पूरे दिन सदन में डटे रहे। सदन की कार्यवाही स्थगित होने तक सीएम धामी यूसीसी पर चर्चा में शामिल रहे।
बुधवार को यूसीसी बिल सदन में पारित होना तय है। हालांकि विधेयक पर चर्चा जारी है। सदन में पारित होने के बाद उत्तराखंड यूसीसी को लागू करने में देश का पहला होगा। सांविधानिक जरूरत पड़ी तो इस कानून को लागू करने से पहले अनुमोदन के लिए राष्ट्रपति के भेजा जा सकता है।
11 बजे मुख्यमंत्री स्वयं यूसीसी के ड्राफ्ट की प्रति लेकर विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेने पहुंचे। माथे पर तिलक, सफेद कुर्ता पैजामा, नारंगी रंग का वास्कट और गले में मफलर पहने धामी आत्मविश्वास से लबरेज दिखे। उनके के चेहरे पर संतुष्टि का भाव भी था। 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने प्रदेश की जनता यूसीसी लागू करने का वादा किया था। इस वादे को पूरा करने के लिए सदन में सीएम उत्साहित नजर आए। साथ ही पूरे दिन सदन में डटे रहे। आमतौर पर व्यस्तता के चलते मुख्यमंत्री सदन में कम समय के लिए आते हैं। लेकिन यूसीसी पर चर्चा के लिए सीएम देर शाम तक सदन में रहे।
सवालः समान नागरिक संहिता से आदिवासियों को बाहर क्यों रखा गया?
जवाब : भारत के संविधान के अनुच्छेद 366 के खंड 25, सहपठित अनुच्छेद 342 के अंतर्गत तथा अनूसूचि छह के अंतर्गत अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों को विशेष संरक्षण प्रदान किया गया है। ड्राफ्ट समिति ने माना कि प्रदेश में निवास कर रही जनजातियों में महिलाओं की स्थिति प्रदेश में अन्य वर्गों की तुलना में कहीं अधिक बेहतर है।
सवाल : समान नागरिक संहिता किन पर लागू होगी?
जवाबः राज्य के मूल निवासी व स्थायी निवासियों पर। राज्य सरकार या उसके किसी उपक्रम के स्थायी कर्मचारी, केंद्र या उसके किसी उपक्रम के राज्य में तैनात स्थायी कर्मचारी, राज्य में कम से कम एक वर्ष से निवास कर रहे व्यक्ति, राज्य या केंद्र की योजनाओं के लाभार्थी, जिसने राज्य निवासी होने का लाभ लिया हो।
सवाल : विवाह की आयु में कोई परिवर्तन क्यों नहीं किया गया?
जवाब : मुस्लिम वर्ग के अतिरिक्त सभी वर्गों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु लड़कियों के लिए 18 वर्ष, लड़कों के लिए 21 वर्ष निर्धारित है। मुस्लिम वर्ग के लिए न्यूनतम आयु उसका मासिक धर्म प्रारंभ होने से मानी जाती है। अब सबके लिए यह आयु समान होगी।
सवाल : यूसीसी में आनंद मैरिज एक्ट के लिए क्या कहा गया है?
जवाब : किसी भी वर्ग में विवाह के अनुष्ठानों पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया गया। सप्तपदि, आशीर्वाद, निकाह, पवित्र बंधन, आनंद कारज, आर्य समाज विवाह, विशेष विवाह अधिनियम को इसमें संरक्षित किया गया।
सवाल : अनिवार्य विवाह पंजीकरण अधिनियम प्रदेश में पहले से लागू है तो अब इसे समान नागरिक संहिता में लाने की जरूरत क्यों?
जवाब : वह अधिनियम समान नागरिक संहिता आने के बाद समाप्त हो जाएगा।
सवाल : अगर कोई विवाह का रजिस्ट्रेशन नहीं कराएगा तो क्या वह निरस्त होगा?
जवाब : ऐसा विवाह निरस्त नहीं माना जाएगा बल्कि उस पर यूसीसी के प्रावधानों के तहत दंडात्मक कार्रवाई होगी।
सवाल : तलाक के लिए समान नागरिक संहिता में क्या तरीके होंगे?
जवाब : बिना न्यायिक प्रक्रिया अपनाए कोई भी विवाह विच्छेद नहीं होगा। ऐसा करने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
सवाल : समान नागरिक संहिता में पुत्र, पुत्री के बीच संपत्ति का बंटवार क्या समान होगा?
जवाब : हां
सवाल : यूसीसी में मृतक की संपत्तियों का विभाजन कैसे होगा?
जवाबः संपत्ति शब्द को हटाकर संपदा शब्द का प्रयोग यूसीसी में किया गया है। इसमें मृतक की सभी प्रकार की संपत्तियां जैसे चल, अचल, स्वयं अर्जित, पैतृक या जन्गम या संयुक्त, मूर्त या अमूर्त या ऐसी किसी भी संपत्ति में कोई भी हिस्सा, हित या अधिकारी को सम्मिलित किया गया है। यूसीसी लागू होने के बाद पैतृक संपत्ति अब व्यक्ति की स्वयं अर्जित संपत्ति ही मानी जाएगी। और उसका विभाजन उसके उत्तराधिकारियों के बीच स्वयं अर्जित संपत्ति के अनुसार ही किया जाएगा।
सवाल : कोई व्यक्ति अपनी कितनी संपदा की वसीयत कर सकता है?
जवाबः कोई भी व्यक्ति अपनी पूरी संपदा की वसीयत कर सकता है। यूसीसी लागू होने से पहले मुस्लिम, ईसाई एवं पारसी समुदायों के लिए वसीयत के पृथक नियम थे, जो अब सबके लिए समान होंगे।
यूसीसी ड्राफ्ट को मिली मंजूरी, अब विधानसभा में होगा पेश
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) कानून लागू करने के लिए धामी मंत्रिमंडल ने यूसीसी ड्राफ्ट को हरी झंडी दे दी है। 6 फरवरी को प्रदेश सरकार विधानसभा पटल पर यूसीसी बिल पेश करेगी।
रविवार शाम को सीएम आवास में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल बैठक हुई। जिसमें सुप्रीमकोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई समिति की ओर से तैयार यूसीसी ड्राफ्ट का प्रस्तुतिकरण दिया गया। चार खंडों में 740 पेज के यूसीसी रिपोर्ट पर चर्चा के बाद मंत्रिमंडल ने सर्वसम्मति से मुहर लगा दी। साथ ही यूसीसी विधेयक तैयार कर विधानसभा के पटल पर रखने को मंजूरी दे दी।
यूसीसी ड्राफ्ट में बहु विवाह रोकने, लिव इन की घोषणा, बेटियों को उत्तराधिकार में बराबरी का अधिकार देने, विवाह का रजिस्ट्रेशन करने, एक पति-एक पत्नी का नियम समान रूप से लागू करने जैसे तमाम प्रावधान हैं। बैठक में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, प्रेमचंद अग्रवाल, डॉ.धन सिंह रावत, गणेश जोशी, रेखा आर्या के अलावा मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन भी मौजूद थे।
कई दशक बाद धरातल पर उतरेगा यूसीसी
– 1962 में जनसंघ ने हिंदू मैरिज एक्ट और हिंदू उत्तराधिकार विधेयक वापस लेने की बात कही। इसके बाद जनसंघ ने 1967 के उत्तराधिकार और गोद लेने के लिए एक समान कानून की वकालत की। 1971 में भी वादा दोहराया। हालांकि 1977 और 1980 में इस मुद्दे पर कोई बात नहीं हुई।
– 1980 में भाजपा का गठन हुआ। भाजपा के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी बने। पार्टी ने 1984 में पहली बार चुनाव लड़ा, जिसमें केवल दो सीटें मिली।
– 1989 में 9वां लोकसभा चुनाव हुआ, जिसमें भाजपा ने राम मंदिर, यूनिफॉर्म सिविल कोड को अपने चुनावी घोषणा-पत्र में शामिल किया। पार्टी की सीटों की संख्या बढ़कर 85 पहुंची।
– 1991 में देश में 10वां मध्यावधि चुनाव हुआ। इस बार भाजपा को और लाभ हुआ। उसकी सीटों की संख्या बढ़कर 100 के पार हो गई। इन लोकसभा चुनावों में भाजपा ने यूनिफॉर्म सिविल कोड, राम मंदिर, धारा 370 के मुद्दों को जमकर उठाया। ये सभी मुद्दे बीजेपी के चुनावी घोषणापत्र में शामिल थे, मगर संख्या बल के कारण ये पूरे नहीं हो पाए थे।
– इसके बाद 1996 में भाजपा ने 13 दिन के लिए सरकार बनाई। 1998 में पार्टी ने 13 महीने सरकार चलाई। 1999 में बीजेपी ने अपने सहयोगियों के साथ बहुमत से सरकार बनाई। तब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने।
– वर्ष 2014 में पहली बार भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई और केंद्र में मोदी सरकार आई। मोदी सरकार ने पूरे जोर-शोर से अपने चुनावी वादों पर काम करना शुरू किया। अब केंद्र की सरकार समान नागरिक संहिता को लागू करने की दिशा में काम कर रही है। इसी कड़ी में यूसीसी को लागू कर उत्तराखंड, देश का पहला राज्य बनने की ओर अग्रसर है।
-उत्तराखंड में 2022 में भाजपा ने यूसीसी के मुद्दे को सर्वाेपरि रखते हुए वादा किया था कि सरकार बनते ही इस पर काम किया जाएगा। धामी सरकार ने यूसीसी के लिए कमेटी का गठन किया। जिसने डेढ़ साल में यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार किया। अब विधानसभा का विशेष सत्र पांच फरवरी से शुरू होने जा रहा है, जिसमें पास होने के बाद यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा।
ये हैं ड्राफ्ट के संभावित प्रावधान
1- लड़कियों की विवाह की आयु बढ़ाई जाएगी, जिससे वे विवाह से पहले ग्रेजुएट हो सकें।
2- विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। बगैर रजिस्ट्रेशन किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा। ग्राम स्तर पर भी शादी के रजिस्ट्रेशन की सुविधा होगी।
3- पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा। फिलहाल पर्सनल लॉ के तहत पति और पत्नी के पास तलाक के अलग-अलग ग्राउंड हैं।
4- पॉलीगैमी या बहुविवाह पर रोक लगेगी।
5- उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर का हिस्सा मिलेगा। अभी तक पर्सनल लॉ के मुताबिक लड़के का शेयर लड़की से अधिक है।
6- नौकरीशुदा बेटे की मृत्यु पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी होगी। अगर पत्नी पुर्नविवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले कंपेंशेसन में माता-पिता का भी हिस्सा होगा।
7- मेंटेनेंस- अगर पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण का दायित्व पति पर होगा।
8- एडॉप्शन- सभी को मिलेगा गोद लेने का अधिकार। मुस्लिम महिलाओं को भी मिलेगा गोद लेने का अधिकार, गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी।
9- हलाला और इद्दत पर रोक होगी।
10- लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन आवश्यक होगा। ये एक सेल्फ डिक्लेरेशन की तरह होगा जिसका एक वैधानिक फॉर्मैट लग सकती है।
11- गार्जियनशिप- बच्चे के अनाथ होने की स्थिति में गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान किया जाएगा।
12- पति-पत्नी के झगड़े की स्थिति में बच्चों की कस्टडी उनके ग्रैंड पैरेंट्स को दी जा सकती है।
13- जनसंख्या नियंत्रण को अभी सम्मिलित नहीं किया गया है।
यूसीसी पर बने गीत का मुख्यमंत्री धामी ने किया विमोचन
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास में समान नागरिक संहिता पर बने गीत ‘‘आ रहा है यू.सी.सी.’’ का विमोचन किया। इस गीत को भूपेन्द्र बसेड़ा द्वारा लिखा और स्वर प्रदान किया गया है तथा राकेश भट्ट द्वारा संगीतबद्ध किया गया है। गीत पर बने वीडियो में मुख्य भूमिका ओम तरोनी एवं ललित जोशी द्वारा निभायी गयी है। इस गीत के माध्यम से यू.सी.सी के लाभ एवं आम जनमानस पर पड़ने वाले प्रभावों को दर्शाया गया है। इस गीत को हिन्दी में तैयार किया गया है।
मुख्यमंत्री ने जनता को जागरूक करने तथा यूसीसी के प्रचार-प्रसार के दृष्टिगत गीत से जुड़ी समस्त टीम को बधाई दी। इस अवसर पर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी भी मौजूद थी।
विशेषज्ञ समिति ने मुख्यमंत्री को सौंपा समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की सभी विधिक प्रक्रिया जल्द ही पूरी करने के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा। इससे पूर्व पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति ने यूसीसी का ड्राफ्ट मुख्यमंत्री धामी को सौंपा।
सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में समिति के सभी सदस्य शुक्रवार पूर्वाह्न मुख्य सेवक सदन पहुंचे और यूसीसी का ड्राफ्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपा। सीएम धामी ने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने का वायदा किया था। उत्तराखंड की देवतुल्य जनता ने लगातार दूसरी बार सेवा का मौका दिया तो पहली कैबिनेट बैठक में अपने वायदे के अनुसार विशेषज्ञ समिति गठित करने का फैसला किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज वह शुभ घड़ी भी आ गई, जिसका सबको बेसब्री से इंतजार था। भगवान सूर्यदेव के उत्तरायण में आते ही देवताओं के दिन शुरू हो गए हैं। प्रधानमंत्री जी के के नेतृत्व में अयोध्या में भगवान श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद देश का नया बजट भी आ गया, नए काम भी शुरू हो गए हैं। यूसीसी का काम भी आगे बढ़ गया है। सीएम धामी ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का धन्यवाद प्रकट कर कहा कि उनके मार्गदर्शन में उत्तराखंड लगातार आगे बढ़ रहा है। उन्होंने देवतुल्य जनता को नमन कर कहा कि अब सभी विधिक प्रक्रिया पूरी करने के यूसीसी को राज्य में लागू किया जाएगा।
’यह थी पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति’
सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में गठित समिति में सिक्किम हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रमोद कोहली, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल और सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़ शामिल है।
’माणा गांव में हुई पहली बैठक’
सीएम धामी ने कहा कि विशेषज्ञ समिति ने चमोली जिले में भारत-चीन सीमा पर स्थित देश के पहले गांव माणा से अपना काम शुरू किया। समिति ने गांव में बैठक कर यहां निवास कर रहे जनजाति समूह के लोगों से संवाद किया।
’दो लाख 33 हजार लोगों से किया संवाद’
मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि विशेषज्ञ समिति ने यूसीसी पर आम जनता की राय जानने के लिए 45 स्थानों पर जनसंवाद और 72 बैठकें की। ऑनलाइन सुझावों के लिए वेब पोर्टल भी लांच किया गया। समिति ने दो लाख 33 हजार लोगों से संवाद कर उनके विचार जाने। देश में यह पहला मौका है जबकि यूसीसी के सम्बंध में इतनी बड़ी संख्या यानि 10 फीसदी लोगों ने अपनी राय दी है।
’विशेषज्ञ समिति का दिल से धन्यवाद’
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि विशेषज्ञ समिति ने सर्वप्रथम दो उपसमितियों का गठन किया। इनमें एक समिति जनसंवाद और दूसरी प्रारूप तय करने के लिए बनाई गई। समिति की सराहना करते हुए सीएम धामी ने कहा कि ष्मैं दिल से विशेषज्ञ समिति का धन्यवाद प्रकट करता हूंष्। उन्होंने कहा कि समिति के सभी विद्वान सदस्यों ने प्रदेश भर के विभिन्न स्थानों पर जाकर ददेवतुल्य जनता की राय जानी। प्रवासी उत्तराखण्डियों से भी समिति ने यूसीसी पर चर्चा की। सभी सुझावों का संज्ञान लेने के बाद समिति ने बड़े परिश्रम से ड्राफ्ट को अंतिम रूप दिया है।
उत्तराखंड में जल्द लागू होगा यूसीसी, सीएम ने दी जानकारी
देहरादून। प्रदेश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने की घड़ी अब करीब आ गई है। यूसीसी को लेकर गठित विशेषज्ञ समिति आगामी दो फरवरी को यूसीसी का ड्राफ्ट प्रदेश सरकार को सौंप देगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया के एक्स प्लेटफॉर्म पर ट्वीट के माध्यम से यह जानकारी दी है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि यूसीसी ड्राफ्ट मिलने के बाद सरकार विधानसभा में विधेयक लाकर जल्द प्रदेश में यूसीसी को लागू करेगी।
बता दें कि दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद सीएम धामी ने अपने वायदे के अनुसार 23 मार्च 2022 को हुई पहली कैबिनेट बैठक में राज्य में नागरिक संहिता कानून (यूसीसी) लागू करने का फैसला किया। यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए 27 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजना देसाई की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति गठित कर दी गई।
’यह है पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति’
सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजना देसाई की अध्यक्षता में गठित समिति में दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रमोद कोहली, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल और सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़ शामिल हैं।
’क्या है समान नागरिक संहिता’
समान नागरिक संहिता (यूसीसी) में देश में निवास कर रहे सभी धर्म और समुदाय के लोगों के लिए समान कानून की वकालत की गई है। अभी हर धर्म और जाति का अलग कानून है, इसके हिसाब से ही शादी, तलाक जैसे व्यक्तिगत मामलों में निर्णय होते हैं। यूसीसी लागू होने के बाद हर धर्म और जाति के नागरिकों के लिए विवाह पंजीकरण, तलाक, बच्चा गोद लेना और सम्पत्ति के बंटवारे जैसे मामलों में समान कानून लागू होगा।
यूसीसी को लेकर सीएम का बड़ा बयान, इसी वर्ष होगा लागू
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आई.एस.बी.टी. के समीप स्थित होटल में आयोजित बढ़ता अत्तराखण्ड उभरता उत्तराखण्ड कार्यक्रम में राज्य के विकास से संबंधित विभिन्न विषयों पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में एक पार्टी की सरकार दुबारा न चुनने का मिथक टूटा है यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व एवं देवतुल्य जनता का हमारे लिये आशीर्वाद है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिये 2022 के चुनाव में जनता से वादा किया था। सरकार के गठन के बाद हमने पहला निर्णय इस संबंध में कमेटी गठन का किया। कमेटी ने 2.33 लाख लोगों से सुझाव लेने तथा तमाम संगठनों, संस्थाओं के साथ राज्य की तमाम जनजातियों के भी सुझाव कमेटी ने लिये है। देश के अन्दर समान नागरिक कानून होना चाहिए। यह जनता की मांग रही है इसकी शुरूआत उत्तराखण्ड से होगी। संवैधानिक व्यवस्थाओं के तहत हम इसी साल राज्य में समान नागरिक संहिता कानून लागू करेंगे।
उन्होंने कहा कि पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी दोनों पहाड के काम आये इस पर कार्य किया जा रहा है। टिहरी डैम बांध, पानी व बिजली देने का कार्य कर रहे है। युवाओं को स्वरोजगार की विभिन्न योजनाओं से जोडा जा रहा है। राज्य के युवा देश व प्रदेश में अपनी प्रतिभा का परिचय दे रहे है। अब प्रदेश में रिवर्स पलायन की ओर युवा लौट रहे है। कोरोना के बाद हमारे लोग अपने क्षेत्रों में स्वरोजगार पर ध्यान दे रहे है। राज्य का पलायन आयोग भी इस दिशा में कार्य कर रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियां राज्य के विकास में बाधा न बने इसे ध्यान रखते हुए पहाड और मैदानी क्षेत्र की परिस्थितियों के अनुसार नीतियां बनाई जा रही है। राज्य ने हाल ही में राज्य के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने के लिए 27 क्षेत्रीय नीतियां बनाई गई हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा प्रदेश हिमालय की गोद में बसा है, हम इसे सुरक्षित रखने का कार्य कर रहे है। जोशीमठ की आपदा के बाद प्रदेश के शहरों की धारण क्षमता का आकलन कर इकोलॉजी और इकोनॉमी का समन्वय बनाकर योजना बनायी जा रही है। आपदा के प्रभावों को कम करना हमारा उद्देश्य है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा राज्य 71 प्रतिशत वन भू-भाग वाला है। वन क्षेत्र के साथ अन्य सरकारी भूमि पर हुए अतिक्रमण को हटाने का कार्य किया जा रहा है। 3 हजार हैक्टेयर वन भूमि पर से अतिक्रमण हटाये गये है। जो भी निर्माण अतिक्रमण की जद में आये है वे तोडे जा रहे है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में सब आपसी भाई चारे से रहते है। राज्य में धर्मांतरण घुन की तरह लगा था। धोखे और लालच देकर मनगढ़ंत बातों से धर्मांतरण का कार्य हो रहा था। इसे रोकना देवभूमि का मूल स्वरूप बनाये रखने के लिये जरूरी है। देव भूमि के प्रति देश विदेश के लोगों की श्रद्धा रही है। गंगा, यमुना धर्म आध्यात्म की इस भूमि का स्वरूप बना रहना देश हित में है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड शान्त प्रदेश है, कानून व्यवस्था अच्छी है। बिना पहचान और वेरिफिकेशन से लोग यहां आकर अवैध रूप से बस रहे है। इससे हो रहे डेमोग्राफिक चेंज को देखना भी जरूरी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में कानून व्यवस्था अपने हाथ में लेने की अनुमति किसी को नहीं दी जायेगी। अतिक्रमण हटाने में किसी प्राकर का पक्षपात नही हो रहा है। कोई भी किसी मजहब, जाति, धर्म, पंथ का हो सबके साथ समान व्यवहार किया जाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने राज्य की जरूरतों के हित में कानून बनाये है। युवाओं के बेहतर भविष्य के लिये नकल विरोधी कानून लागू किया गया है। पहले इसकी जांच नहीं हो पाती थी। अब हमने इसकी गहराई से जांच कर 80 लोगों को जेल की सलाखों के पीछे भेजा गया है। देश का सख्त कानून बनाकर कड़ी सजा का प्राविधान किया है। नया माहौल बनाकर नकल रोकने का परिणाम हुआ कि अब युवा कई प्रतियोगिता परीक्षाओं में सफल हुए है। इससे अभिभावकों को भी संतोष हुआ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चारधाम यात्रा पर आने वाले लोग यहां से अच्छा अनुभव लेकर जा रहे है। उन्हें बेहतर सुविधाएं मिले इसका ध्यान रखा गया है। अब तक 38 लाख यात्री तथा कांवड यात्रा में 4.15 करोड श्रद्धालु आये । ऋषिकेश हरिद्वार कॉरिडोर की डीपीआर तैयार की जा रही है। विकास नगर के समीप यमुना नदी किनारे स्थित पौराणिक स्थल हरिपुर का पुनरुद्धार कर वहां भी यमुना की आरती की व्यवस्था की जायेगी। अपने समृद्ध इतिहास में उल्लिखित नगरों के विकास पर हमारा ध्यान है। हमें राज्य में आने वाले करोडो पर्यटकों, श्रद्धालुओं की भी व्यवस्था करनी होती है। इसके लिये राज्य के संसाधनों को बढावा देने के लिये भी हम प्रयासरत है।
मुख्यमंत्री ने चंद्रयान 3 के लैंड़िग स्थल को प्रधानमंत्री ने शिवशक्ति स्थाल घोषित करने पर उनका आभार जताया। यह भारत की विज्ञान एवं तकनीकि दक्षता का प्रतीक है। चंद्रयान 2 के समय जो कमी रह गयी थी उनके सफल नेतृत्व में चंद्रयान 3 के रूप में बडी सफलता देश को मिली है। अब चंदा मामा दूर के नहीं हमारे घर के हो गये है। उन्होंने कहा कि हमारे लोग मुजफ्फरनगर काण्ड, खटीमा और मसूरी गोलीकांड को नहीं भूल सकते है। इसके लिये दोषी लोगों के व्यवहार से राज्य की जनता कभी भूल नहीं सकती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की जनता केन्द्र एवं राज्य सरकार के कार्यों पर 2014 व 2019 के चुनावों की भांति 2024 के चुनावों में भी राज्य की जनता का आशीर्वाद हमें मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का उत्तराखण्ड से कर्म और मर्म का संबंध है।
उत्तराखण्ड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बनेगा-धामी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिये हमने प्रदेश की जनता से वादा किया था। इसके लिये प्रदेश की देवतुल्य जनता ने हमें मैनडेट दिया है। जन अपेक्षाओं के अनुरूप हमने इस दिशा में कदम उठाये हैं। इसमें समुदाय विशेष की कोई हानि नहीं है। उत्तराखण्ड देवभूमि है राज्य का मूल स्वरूप न बिगडे यह देखना हमारी जिम्मेदारी है। मंगलवार को समाचार एजेन्सी ए.एन.आई. को दिये गये साक्षात्कार में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य में कोई भी किसी पंथ, समुदाय, धर्म, जाति का हो सबके लिये एक समान कानून हो, इसके प्रयास किये गये है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शीघ्र ही उत्तराखण्ड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बनेगा। समान नागरिक सहिंता सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास के मूलमंत्र की दिशा में बढ़ाया गया महत्वपूर्ण कदम है। आमजन का दृष्टिकोण भी इस विषय पर सकारात्मक है। समान नागरिक संहिता लागू करने के लिये गठित समिति द्वारा डेढ़ साल में 2 लाख से भी ज्यादा लोगों के सुझाव, विचार लिये। हमारा ड्राफ्ट अन्य राज्यों को भी पसंद आएगा। रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में गठित ड्राफ्ट कमेटी प्रदेश में हर वर्ग, हर समुदाय, हर जाति के प्रमुख हितधारकों से वार्ता कर ड्राफ्ट तैयार कर चुकी है। ड्राफ्ट मिलते ही इसे विधानसभा में प्रस्तुत कर लागू कर दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड देवभूमि है। दो-दो अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगा है। धर्म, अध्यात्म एवं संस्कृति का केन्द्र है। राज्य हित में उत्तराखण्ड में धर्मांतरण को लेकर सख्त कानून बनाया गया है। प्रदेश में अब धर्मांतरण कराने वालों के विरूद्ध इस कानून के तहत कार्यवाही की जा सकेगी। राज्य में जबरन धर्म परिवर्तन संज्ञेय एवं गैर जमानती होगा। इसमें 2 से 7 साल तक जेल और 25 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
धामी सरकार अपने चुनावी वायदे के करीब, समान नागरिक संहिता की रूपरेखा तैयार
उत्तराखंड सरकार द्वारा लाए जा रहे समान नागरिक संहिता की रूपरेखा तैयार हो चुकी है। इस मसौदे के तहत लड़कियों के लिए शादी की उम्र को बढ़ाकर 18 से 21 साल करने की शिफारिश रखी गई है। इसके अलावा राज्य में शादी के पंजीकरण को अनिवार्य करने का प्रावधान रखा गया है। वहीं लिव-इन रिलेशन में रहने वाले कपल बिना परिवार को इसकी जानकारी दिए ऐसा नहीं कर पाएंगे। उत्तराखंड के लिए मसौदा तैयार करने वाली सेवानिवृत न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई का कहना है कि ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है और जल्द ही इसे राज्य सरकार को सौंप दिया जाएगा।
उत्तराखंड समान नागरिक संहिता के मसौदे के तहत हलाला जैसी कुरीतियों को समाप्त कर दिया गया है। आमतौर पर मुस्लिम धर्म में शादी टूटने की स्थिति में इन प्रथाओं को अमल में लाया जाता है। राज्य में सभी धर्म के लोगों के लिए केवल कानून के माध्यम से तलाक लेना अनिवार्य होगा। बताया गया कि देश में अब केवल एक ही शादी की इजाजत होगी। चाहे पुरुष या महिला किसी भी धर्म के क्यों ना हो, उन्हें बिना तलाक लिए एक वक्त में दो पत्नी या पति रखने की इजाजत नहीं होगी।
उत्तराखंड के यूनिफॉर्म सिविल कोड कानून के मसौदे के तहत तलाक लेने की स्थिति में महिलाओं और पुरुषों को बराबरी का अधिकार दिया जाएगा। धर्म, जाति, पंथ के आधार पर भेदभाव किए बना महिलाओं और पुरुष के लिए तलाक लेते वक्त दिए गए तर्कों में समानता होगी। इतना ही नहीं, इस कानून के तहत उत्तरखंड में जनसंख्या नियंत्रण की भी योजना है। बताया गया कि नए समौदे में प्रत्येक कपल के लिए बच्चों की संख्या भी तय की गई है। यह कितनी होगी इसकी जानकारी अभी नहीं दी गई है।