जनसंघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने ढैंचा बीज घोटाले को लेकर मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने उत्तराखंड के अधिकारियों के द्वारा मुख्यमंत्री को क्लीनचिट देने पर सवाल उठाये है। नेगी ने सवाल किया कि जब हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन है तो इस प्रकार कैसे क्लीनचिट दी जा सकती है। बताया कि त्रिपाठी जांच आयोग के अनुसार, ढैंचा बीज घोटाले में तत्कालीन मंत्री त्रिवेंद्र रावत के खिलाफ तीन बिंदुओं पर कार्रवाई की सिफारिश की गई है।
आपको बता दें कि त्रिपाठी जांच आयोग की सिफारिशों के आधार पर भाजपा सरकार ने एक और कमेटी बनाई। कमेटी ने शासन के बड़े अधिकारियों को क्लीनचिट देते हुए छोटे कर्मचारियों पर कर्मचारियों पर कार्रवाई की संस्तुति की है। रघुनाथ सिंह नेगी के अनुसार, त्रिपाठी जांच आयोग ने तीन बिंदुओं पर तत्कालीन मंत्री त्रिवेंद्र रावत के खिलाफ कार्यवाही की सिफारिश की। जिसमें पहला बिंदु, इस बीज घोटाले में शामिल कृषि अधिकारियों का निलंबन और फिर उस आदेश को मनमाने तरीके से पलट देना। दूसरा बिंदु, कृषि सचिव की भूमिका की जांच विजिलेंस से कराए जाने को लेकर स्वीकृति न देना। तीसरा बिंदु, बीज मांग को लेकर अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए अनुमोदन करना।
इन तीनों बिंदुओं को आयोग ने कार्य नियमावली 1975 का उल्लंघन माना है और आयोग ने तत्कालीन मंत्री रावत के खिलाफ सिफारिश की। रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि ढैंचा बीज मिलीभगत कर टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से 3839 रुपये कुंतल की दर से खरीदा गया, जबकि वही बीज कृषि उत्पादन मंडी समिति, हरिद्वार और खुले बाजार में उस वक्त 1538रुपये कुंतल की दर पर उपलब्ध था।
आरोप है कि ढैंचा बीज निधि सीड्स कारपोरेशन, नैनीताल से खरीदा गया, जबकि सरकारी एजेंसियों के पास पर्याप्त मात्रा में बीज उपलब्ध था। बीज खरीद की रवानगी निधि सीड्स द्वारा ट्रकों से दर्शायी गई, जबकि अधिकांश ट्रकों की एंट्री व्यापार कर चौकियों में दर्ज ही नही है। अब इस आरोप के बाद राज्य की सियासत में राजनीति तेज हो जायेगी। भाजपा सरकार में सीधे मुख्यमंत्री पर हमला होने से अब संगठन स्तर पर भी सुगबुआहट तेज होने की उम्मीद जताई जा रही है। गौरतलब है कि नेगी पूर्व की भाजपा निशंक सरकार में जीएमवीएन के उपाध्यक्ष रह चुके है। भाजपा कोटे से राज्य मंत्री रह चुके नेगी के सीएम पर हमला बोलने से भाजपा के अंदर पक रही खिचड़ी बाहर आने की चर्चा की जा रही है।