मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को आई.आर.डी.टी. सभागार, सर्वे चौक देहरादून में आयोजित 10वीं एवं 12वीं परीक्षा में उत्तीर्ण मेधावी छात्र-छात्राओं के ‘सम्मान समारोह’ कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार की ओर से 94 मेधावी छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी मेधावियों को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें गर्व का अनुभव हो रहा है, आज वे प्रदेश के उन सर्वश्रेष्ठ बच्चों से मिल रहे हैं, जिन्होंने अपनी प्रतिभा के बल पर यह दिखाया है कि शिखर पर जाने के लिए एक स्पष्ट उद्देश्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जीवन में कठिन परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता है। शिक्षा से जीवन की सभी चुनौतियों का सामना किया जा सकता है। शिक्षा में भक्ति जैसी सारगर्भिता होनी चाहिए। उन्होंने मेधावी विद्यार्थियों से कहा कि यह जीवन की प्रारंभिक सीढ़ी है। जीवन की प्रत्येक सीढ़ी पर आपको चुनौतियां मिलेंगी, जिन पर आपको विवेक और बुद्धि के बल पर पार पाना होगा। न तो मेहनत का कोई विकल्प होता है और न ही शॉर्ट कट कभी हमें स्थायी सफलता की ओर ले जाता है। इसलिए हमें विकल्प रहित संकल्प लेकर लगातार मेहनत करनी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रश्न पत्र के माध्यम से ही जीवन में हमेशा परीक्षा नहीं आती। कई बार ऐसी चुनौतियां आती हैं, जिनका समाधान अपनी पूरी मेधा लगाकर ही पाया जा सकता है। कार्य करने का अवसर जिस भी क्षेत्र में मिले उस क्षेत्र में लीडर की भूमिका में कार्य करें, उस कार्य के प्रति अपना सर्वश्रेष्ठ दें। चुनौतियों का धैर्यपूर्वक सामना करते हुए अपने पुरुषार्थ के बल पर मंजिल प्राप्त करना ही वास्तविक सफलता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी देश का सामाजिक एवं आर्थिक विकास उस देश में विद्यार्थियों को मिलने वाली शिक्षा की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। वर्ष 2020 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नए युग की नई चुनौतियों से निपटने के लिए नई शिक्षा नीति को हमारे सम्मुख रखा गया। नई शिक्षा नीति से जहां एक ओर स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा को नए आयाम प्राप्त होंगे वहीं इससे सभी वर्ग के लोगों को समानता के आधार पर शिक्षा प्राप्त करने के अवसर भी मिलेंगे। स्कूली स्तर पर कौशल विकास से युवा कार्य कुशल बनेंगे। नई शिक्षा नीति के माध्यम से बच्चों को रोजगार परक शिक्षा के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करने में भी सहायता मिलेगी। इससे शोध एवं अनुसंधान को भी बढ़ावा मिलेगा तथा विद्यार्थियों में वैज्ञानिक सोच विकसित होगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड देश का प्रथम राज्य है जिसने स्कूली शिक्षा में नई शिक्षा नीति को लागू किया है।
शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार के लिए राज्य में तेजी से प्रयास किये जा रहे हैं। देश की रैंकिंग में हमारे 5 विश्वविद्यालयों के नाम हैं। इस बार एनडीए एवं सीडीएस की परीक्षा में राज्य से सर्वाधिक बच्चे चयनित हुए। राज्य में पहली बार मेधावियों को सम्मान देने का कार्य मुख्यमंत्री द्वारा किया गया है। राज्य सरकार छात्रों के बेहतर भविष्य के लिए समर्पित सरकार है। सरकार द्वारा मेधावी बच्चों के लिए चार छात्रवृत्ति योजनाएं चलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि स्कूलों की प्रवक्ता व एलटी शिक्षकों की वैकल्पिक व्यवस्था के लिए प्रधानाचार्यों को नामित किया गया है। प्रदेश में अंक सुधार परीक्षा आयोजित की जा रही है।
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राज्य सरकार भाषा संस्थान की स्वायत्तता को बरकरार रखते हुए इसके विकास के लिए करेगी हर संभव कार्य-मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को सर्वे चौक स्थित आई.आर.डी.टी. सभागार में आयोजित उत्तराखण्ड भाषा संस्थान द्वारा आयोजित साहित्य गौरव सम्मान समारोह तथा लोक भाषा सम्मेलन में 9 साहित्यकारों को उत्तराखण्ड गौरव सम्मान से सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि सम्मानित हुये साहित्यकार अपनी साहित्यिक कृतियों से हमारी लोक भाषा का मान सम्मान बढ़ाते रहेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी वर्षों में भाषा संस्थान अपनी साहित्यिक एवं भाषाई गतिविधियों को व्यापक स्तर प्रदान करेगा।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री द्वारा जिन साहित्यकारों को प्रतिष्ठित उत्तराखण्ड साहित्य गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया उनमें संतोष कुमार निवारी को चन्द्रकुंवर बर्त्वाल पुरस्कार, अमृता पाण्डे को शैलेश मटियानी पुरस्कार, प्रकाश चन्द्र तिवारी को डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल पुरस्कार, दामोदर जोशी ‘देवांशु’ को भैरव दत्त धूलिया पुरस्कार, राजेन्द्र सिंह बोरा उर्फ त्रिभुवन गिरी को गुमानी पंत पुरस्कार, नरेन्द्र कठैत को भजन सिंह ‘सिंह’ पुरस्कार, महावीर रवांल्टा को गोविन्द चातक पुरस्कार, गुरूदीप को सरदार पूर्ण सिंह पुरस्कार एवं राजेश आनन्द ‘असीर’ को प्रो. उन्नवान चिश्ती पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सभी सम्मानित साहित्यकारों को अंगवस्त्र, प्रशस्ति पत्र एवं 1 लाख की सम्मान राशि प्रदान की गई।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि ऐसे आयोजनों से प्रदेश में स्थानीय भाषाओं के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों में बोली जाने वाली बोलियों व उनमें रचे जा रहे साहित्य को भी प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने कहा कि देश के अनेक साहित्यकारों ने हिन्दी को विश्व पटल पर स्थापित करने में महान योगदान दिया है। हिंदी एक उदार, ग्रहणशील और सहिष्णु भाषा तो है ही, ये भारत की राष्ट्रीय चेतना की संवाहिका भी है। यह हमारी परंपराओं और हमारी विरासत का बोध कराने वाला एक सतत अनुष्ठान है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हिन्दी का विकास किसी अन्य भाषा या बोली की कीमत पर नहीं हो रहा है बल्कि आज भारत की सारी भाषाएं एक साथ आगे बढ़ रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बच्चों को शुरूआती शिक्षा मातृभाषा में देने का प्राविधान किया गया है। इससे यह उम्मीद जगती हैं कि उत्तराखण्ड जैसे पर्वतीय प्रदेश में हिन्दी के साथ-साथ गढ़वाली, कुमाउनी, जौनसारी आदि बोलियों का भी विकास होगा। हमारे यहां गढ़वाली, कुमाउनी और जौनसारी बोलियां बोली जाती है परन्तु हमारे प्रदेश का हिन्दी के साथ गहरा लगाव है। उन्होंने इसे सुखद संयोग बताया कि साहित्य गौरव सम्मान पाने वाले साहित्यकारों में वे साहित्यकार भी शामिल हैं जो अनेक विशिष्ट बोलियों में रचना कर्म कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जो समाज अपनी भाषा और बोलियों का सम्मान नहीं करता वह अपनी प्रतिष्ठा गवां देता है। अपनी भाषा व बोलियों को बचाने और उन्हें बढ़ाने के कार्य में आम लोगों की व्यापक सहभागिता की जरूरत है। इस महत्वपूर्ण कार्य को हम सभी को अपने घर के भीतर से आरम्भ करना होगा। विशेष रूप से बच्चों के साथ संवाद करते समय अपनी मातृभाषा और आम बोलियों का प्रयोग किया जाना चाहिए। वे स्वयं अपने बच्चों को अपनी भाषा व बोली सिखाने का प्रयास कर रहे है। इसमें सभी को सामूहिक रूप से प्रयास करना होगा। हमारी वैचारिक निष्ठा हिन्दी के प्रति रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में इस दिशा में प्रभावी प्रयास किये जा रहे है। आज आधिकारिक मंचों से लेकर शिक्षा तक में हिंदी को अभूतपूर्व स्थान दिया जा रहा है। मेडिकल और इंजिनयरिंग जैसे विषयों की पढ़ाई अब हिंदी में होना कोई स्वप्न नहीं है जबकि कुछ वर्ष पूर्व तक ये महज एक कल्पना थी। हिंदी के गौरव को बनाए रखना हम सभी का दायित्व है विश्वास व्यक्त किया कि हमारी युवा पीढ़ी हिंदी को एक नवीन स्तर देने का कार्य करेगी। हिंदी के विकास के लिए जब हम सभी मिलकर कार्य करेंगे, तभी हिन्दी को अपेक्षित सम्मान प्राप्त होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से लोक भाषाओं पर विद्वान साहित्यकारों के मध्य विचार-विमर्श किया जाएगा। जिससे हिंदी व अन्य लोक भाषाओं का संरक्षण, विकास और उत्थान हो सके। यहां प्राप्त साहित्यकारों के महत्वपूर्ण सुझावों को संस्थान अपनी भविष्य की कार्ययोजना में अवश्य सम्मिलित करेगा। अपनी स्थापना के बाद से उत्तराखण्ड भाषा संस्थान ने कई महत्वपूर्ण कार्य किये हैं। अब सरकार ने हिन्दी अकादमी, पंजाबी अकादमी, उर्दू अकादमी और लोक भाषा बोली अकादमी को एक छत के नीचे लाते हुए उत्तराखण्ड भाषा संस्थान को पुर्नगठित किया है। हमारी सरकार भाषा संस्थान की स्वायत्तता को बरकरार रखते हुए इसके विकास के लिए हर संभव कार्य करेगी। उन्होंने साहित्यकारों, भाषाविदों, शोधार्थियों से अनुरोध किया कि वे भाषा संस्थान के साथ मिलकर भाषाई विकास के लिए कार्य करें और इस संस्थान को देश के प्रतिष्ठित संस्थान के तौर पर विकसित करने के लिए मिलकर प्रयास करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड शैक्षिक व सांस्कृतिक रूप से प्रबुद्ध लोगों की भूमि है इसी के अनुरूप हमारे भाषा संस्थान की पहचान भी पूरे देश में होनी चाहिए। इसके लिये सामूहिक सहयोग एवं प्रयासों की भी उन्होंने जरूरत बताई है। उन्होंने कहा कि हमने उत्तराखण्ड को देश के अग्रणी राज्यों में सम्मिलित करने के लिये विकल्प रहित संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे है। सभी संचालित विकास योजनाओं का लाभ समय पर सभी को मिले इसका भी हमारा संकल्प है।
मुख्यमंत्री ने अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा के पूर्व कुलपति प्रो. गिरीश्वर मिश्र द्वारा उत्तराखण्ड में समान नागरिक संहिता कानून बनाये जाने की दिशा में राज्य सरकार के सकारात्मक प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड सम्पूर्ण देश को शुद्ध जल, हवा व पर्यावरण प्रदान करने वाला प्रदेश है। यह ऋषियों मुनियों, तपस्वियों, महान साहित्यकारों व प्रबुद्धजनों की भूमि रही है। ऋषियों मुनियों द्वारा मंत्रो व ऋचाओं के जो शब्द यहां रचे गये वे कभी समाप्त नहीं होते। उन्ही की ऊर्जा का प्रतिफल है कि हमने इस दिशा में पहल की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि समान नागरिक संहिता के लिये हमने 12 फरवरी, 2022 को जनता से वादा किया था कि हम समान नागरिक संहिता लायेंगे। उत्तराखण्ड देवभूमि है, गंगा-यमुना का प्रदेश है, वनों पर्वतों से आच्छादित है। दो-दो अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगा है। धर्म, अध्यात्म एवं संस्कृति का केन्द्र है। राज्य में कोई भी किसी पंथ, समुदाय, धर्म, जाति का हो सबके लिये एक समान कानून हो, इसके प्रयास किये गये है। उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं में विद्धान लोग थे उन्होंने इसमें इसका प्राविधान किया है। उत्तराखण्ड की जनता ने किसी राजनैतिक दल को लगातार दूसरी बार सरकार बनाने का अवसर प्रदान कर, इस पर 2022 में अपनी मुहर लगाई। समान नागरिक संहिता लागू करने के लिये गठित समिति द्वारा डेढ़ साल में 02 लाख से भी ज्यादा लोगों के सुझाव, विचार लिये। सभी संगठनों, संस्थाओं, स्टेट होल्डरों से वार्ताकर इसका ड्राफ्ट लगभग तैयार किया जा रहा है। हमें जैसे ही यह ड्राफ्ट मिलेगा उसे देवभूमि में लागू करने का कार्य करेंगे। देश में एक विधान एक निशान एक प्रधान के साथ एक कानून की दिशा में हम आगे बढेंगे। इस दिशा में देश के अन्य राज्य भी आगे आयेंगे।
मुख्यमंत्री ोंने कहा कि स्वामी दयानन्द सरस्वती ने हिंदी की महानता से प्रभावित होकर कहा था कि हिंदी के द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है। एक भाषा के लिए लोकप्रियता और स्वीकारिता का इस से बड़ा मापक क्या होगा कि, भारत जैसे विशाल देश में अनेकों क्षेत्रीय भाषाएं और बोलियां होने के बावजूद हिन्दी किसी सदानीरा नदी की भांति स्वछंदता से प्रवाहित होती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की विभिन्न भाषाओं के साथ सामंजस्य बिठा लेने की जितनी प्रबल शक्ति हिंदी में है उतनी किसी दूसरी भाषा में नहीं है। आज विश्व, हिंदी के सामर्थ को, इसके महात्म्य को पहचान रहा है और दुनिया के 100 से अधिक देशों में हिन्दी की स्वरलहरियां गूंज रही हैं। वर्ष 1977 में संयुक्त राष्ट्र संघ के अधिवेशन में जब भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने हिंदी में भाषण दिया था तो वो हम सभी के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था।
मुख्यमंत्री ने अटल की कविता ‘गूंजी हिन्दी विश्व में, स्वप्न हुआ साकार, राष्ट्र संघ के मंच से, हिन्दी का जयकार का उल्लेख कर कहा कि अटल जी हिंदी के बड़े उपासक थे और उन्होंने आजीवन इस भाषा की सेवा करने, इसको समृद्ध बनाने का प्रयास किया। आज हमें गर्व है कि उस महान हुतात्मा के दिखाए मार्ग पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में आगे बढ़ कर, हिंदी का वैश्विक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। वर्तमान में हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी विश्व भर में हिन्दी का माथा ऊँचा कर रहे हैं। भारत रत्न आदरणीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के बाद प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ही दूसरे ऐसे नेता हैं जो वैश्विक संस्थाओं को हिन्दी में सम्बोधित करते हैं।
संविधान की आठवीं सूची में राज्य की समृद्ध भाषा बोलियों को स्थान मिले इसके भी किये जायेंगे प्रयास-भाषा मंत्री
इस अवसर पर भाषा विभाग के मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि साहित्य सृजन, समृद्ध लोक संस्कृति उत्तराखण्ड की परम्परा है। इस धरती ने साहित्यकारों को साहित्य सृजन की प्रेरणा देने का कार्य किया है। यहां का शांत एवं आध्यात्मिक वातावरण साहित्य एवं शिक्षा के लिये अनुकूल रहा है। राज्य में लोक भाषाओं को बढावा देने के लिये स्कूलों में इसे अनिवार्य किया गया है। उन्होंने कहा कि बढ़ते शहरीकरण के इस दौर में लोगों को अपनी मातृभाषा के प्रति लगाव कुछ कम हुआ है। इसमें इस लगाव को बढावा देने के प्रयास करने होंगे। यह हम सभी के सामूहिक प्रयासों से ही संभव हो सकेगा। उन्होंने कहा कि संविधान की आठवीं सूची में राज्य की समृद्ध भाषा बोलियों को स्थान मिले इसके भी प्रयास किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड भाषा संस्थान नये प्रयोग एवं सुधारात्मक प्रयासों से विभिन्न भाषाओं के साहित्यकारों को आगे बढ़ाने का प्रयास करेगा। उन्होंने कहा कि अपनी भाषा बोली व संस्कृति को जिन्दा रखना बडी बात है।
उत्तराखण्ड साहित्य गौरव सम्मान भाषा एवं साहित्य सृजन को बढ़ावा देने की दिशा में है बड़ी पहल-प्रो. गिरीश्वर मिश्र
अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा के पूर्व कुलपति प्रो. गिरीश्वर मिश्र ने कहा कि भाषा के कारण ही हमारा अस्तित्व है। भाषा का हमारे जीवन में दखल रहता है।जीवन का स्पंदन है भाषा। उन्होंने कहा कि आज के दौर में भाषा के प्रति जो गम्भीरता हमारे व्यवहार में होनी चाहिए, उसमें कमी आ रही है। हमें इस दिशा में सोचना होगा। उन्होंने उत्तराखण्ड साहित्य गौरव सम्मान की पहल की सराहना करते हुये इसे भाषा एवं साहित्य सृजन को बढ़ावा देने की दिशा में बडी पहल बताया। उन्होंने कहा कि हमारे मनीषियों ने किसी भी शुभ कार्य में मंगलाचरण की परम्परा को प्रमुखता दी है, इस प्रकार सबके मंगल की कामना हमारी परम्परा है। भाषा जोड़ने का कार्य तो करती ही है, अनेकता में एकता के भाव को भी इससे बढ़ावा मिलता है। भाषा मन, विचार और कर्म को एक साथ चलाने का भी माध्यम है। प्रो. मिश्र ने उत्तराखण्ड में समान नागरिक संहिता कानून बनाए जाने के लिये मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयासों की सराहना करते हुये इसे सबको साथ लेकर चलने की पहल बताया।
मनुष्य और जीवों में शब्द का ही अंतर है। मनुष्य अकेली प्रजाति है जो कल्पना कर सकती है-अनिल रतूड़ी
साहित्यकार एवं पूर्व पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी ने इस अवसर पर भाषा साहित्य एवं संस्कृति के ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक पहलुओं पर विचार व्यक्त करते हुये कहा कि शब्द को ब्रह्म तथा ओम् शब्द को सृष्टि के अन्धकार दूर करने वाला बताया गया है। शब्द से ही साहित्य और भाषा का विकास हुआ है। मनुष्य और जीवों में शब्द का ही अंतर है। मनुष्य अकेली प्रजाति है जो कल्पना कर सकती है। उन्होंने कहा कि कुमाऊँ एवं गढवाल राजवंशो द्वारा अपने शासनकाल में कुमाऊं एवं गढवाली को अपनी राजभाषा बनाया गया था। इसके कई प्रमाण मिलते हैं। उन्होंने अपनी भाषा, बोली और संस्कृति को बढावा देने के प्रयासों की भी जरूरत बतायी। इससे राज्य निर्माण की अवधारणा साकार होने के साथ ही सांस्कृतिक मूल्यों के बेहतर संरक्षण में भी मदद मिलेगी।
उत्तराखण्ड भाषा संस्थान की निदेशक स्वाति एस. भदौरिया ने कहा कि उत्तराखंड भाषा संस्थान राज्य सरकार का एक ऐसा प्रयास है जिसके माध्यम से उत्तराखंड में भाषाओं के संरक्षण, उनके विस्तार और प्रोत्साहन संबंधी कार्यों को संपादित किया जा रहा है। अपने स्थापना के बाद से भाषा संस्थान ने विभिन्न शोध परियोजनाओं, भाषा एवं साहित्यिक संगोष्ठियों तथा सम्मान कार्यक्रमों के माध्यम से साहित्यकारों और जनसामान्य तक पहुंचने का प्रयास किया है।
उत्तराखंड राज्य अनेक भाषाओं, उपभाषाओं और बोलियों का प्रयोग करने वाला ऐसा क्षेत्र है जहां विपुल मात्रा में साहित्य रचा गया है और वर्तमान में भी रखा जा रहा है। उपर्युक्त के दृष्टिगत भाषा संस्थान सरकार की नीतियों के अनुरूप विभिन्न भाषाओं, उपभाषाओं और बोलियों के साहित्य को प्रोत्साहित करने के लिए सतत रूप से प्रयासरत है। इस अवसर पर विधायक खजान दास ने भी अपने विचार रखे।
कार्यक्रम में विधायक मोहन सिंह बिष्ट, प्रमोद नैनवाल, सचिव भाषा विनोद प्रसाद रतूड़ी सहित बडी संख्या में साहित्यकार एवं गणमान्य लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार गणेश खुगशाल गणी ने किया।
मुख्यमंत्री ने किया भाजपा के बुजुर्ग कार्यकर्ताओं को सम्मानित
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमें अपने बुजुर्ग कार्यकर्ताओं से राष्ट्र सेवा एवं राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा मिलती है। हमारे इन महान कार्यकताओं के अथक परिश्रम के बल पर आज भारत ही नही विश्व का बडा संगठन खड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि यह हमारे वरिष्ठ लोगों के प्रताप का फल है कि आज उन जैसा सामान्य कार्यकर्ता उत्तराखण्ड़ के मुख्य सेवक के रूप में कार्य कर रहा है।
सर्वे चौक स्थित आई.आर.डी.टी. सभागार में भाजपा द्वारा आयोजित विचार यात्रा संगोष्ठी में सांसद नरेश बंसल, भाजपा अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट, विधायक खजान दास आदि ने भी सम्बोधित कर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को युवा मुख्यमंत्री के रूप में उनके द्वारा राज्य हित में लिये जा रहे निर्णयों की जमकर सराहना की। उन्होंने मुख्यमंत्री के कार्यों को अन्य राज्यों के लिये भी प्रेरणादायी बताया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर 101 बुजुर्ग कार्यकर्ताओं को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया तथा उनका आर्शीवाद लिया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने स्व. डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी व स्व. पं.दीनदयाल उपाध्याय का स्मरण करते हुए कहा कि उन्होंने ‘राष्ट्रवाद’ और ‘अंत्योदय’ को परम कर्तव्य मानने का विचार हमें दिया। उन्होंने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी कश्मीर को भारत से अलग मानने के भी घोर खिलाफ थे और उन्होंने पहले दिन से ही धारा-370 का विरोध किया था। जम्मू कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाने हेतु उन्होंने नारा भी बुलंद किया और कहा कि “एक देश में दो निशान, दो प्रधान दो विधान नहीं चलेंगे”। आज उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर से धारा-370 को समाप्त करने का महान कार्य किया है। जनसंघ के माध्यम से ही देश को स्व. पंडित दीन दयाल उपाध्याय के रूप में एक महान विचारक और प्रखर राष्ट्रवादी नेता भी प्राप्त हुए। उनके द्वारा दिया गया ‘अंत्योदय’ और ‘एकात्म मानववाद’ का सिद्धांत आज भी मानवीय विकास का सबसे उपयुक्त विचार है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत रत्न स्व.अटल बिहारी वाजपेयी ने जब पार्टी के प्रथम अधिवेशन में – ‘अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा और कमल खिलेगा’ कहा तो उसी क्षण यह तय हो गया था कि यही दल भविष्य में एक नए भारतष् का निर्माण सुनिश्चित करेगा। आज अटल जी के ये शब्द पूर्ण रूप से सत्य साबित हुए हैं और देश के एक बड़े भाग पर जन-संतुष्टि रुपी कमल खिल रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम भारत के इकलौते ऐसे राजनीतिक दल हैं जो हर स्तर पर लोकतांत्रिक मूल्यों पर विश्वास रखता है। ये जनसंघ या भारतीय जनता पार्टी में ही संभव है कि एक सामान्य सा कार्यकर्ता भी राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद को प्राप्त कर पाता है और एक गरीब परिवार से आने वाला सामान्य कार्यकर्ता प्रधान सेवक या मुख्य सेवक बन सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में पहली बार भाजपा ने वोट बैंक की राजनीति को टक्कर देने का साहस किया और इसके नुकसान देश को समझाने में सफलता प्राप्त की। वोट बैंक की राजनीति को दरकिनार करते हुए हमारी सरकारों द्वारा किए गए विकास कार्यों के कारण ही आज हमें प्रत्येक क्षेत्र में जनता का भरपूर आशीर्वाद मिल रहा है। आज दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों, किसानों, नौजवानों के साथ ही जिस तरह महिलाएं हमारे पक्ष में मजबूती से खड़ी हुई हैं, वो अपने आप में एक नए युग के प्रारंभ होने का प्रत्यक्ष प्रमाण है। हमारे लिए राजनीति और राष्ट्रनीति साथ-साथ चलते हैं। हम राजनीति से राष्ट्रनीति को अलग करके चलने वाले लोग नहीं हैं। देश में अब वो दिन दूर नहीं जब केवल राष्ट्रभक्ति ही राजनीति की प्रथम आवश्यकता होगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आज भारत की सांस्कृतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक एवं ऐतिहासिक पद्धतियों का समूचे विश्व में मान बढ़ रहा है। यह हमारा सौभाग्य है कि आज हम सभी प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व में देश में किए जा रहे महान कार्यों के साक्षी हैं। चाहे वो कश्मीर से धारा 370 हटाना हो, अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो, तीन तलाक की समस्या का समाधान हो या फिर उत्तर पूर्व के प्रदेशों को देश की मुख्यधारा से जोड़ने का महान कार्य हो, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई ऐतिहासिक कार्य किए हैं। आज हम सभी एक नए भारत, समृद्ध भारत और शक्तिशाली भारत के अपने सपने को पूरा होते हुए देख पा रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में आज जिस प्रकार भारत प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहा है और एक मजबूत अर्थव्यवस्था, नॉलेज बेस्ड इकॉनोमी, समृद्ध लोकतंत्र, वैश्विक मंच पर शांतिदूत तथा मानवता के प्रयासों में अग्रदूत के रूप में स्थापित हुआ है उसी प्रकार उनकी अध्यक्षता में जी-20 समूह भी अपने महान उद्देश्यों और लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत‘ के स्वप्न को साकार करने हेतु उत्तराखंड की डबल इंजन की सरकार निरंतर कार्य कर रही है। राज्य सरकार के ‘सर्वश्रेष्ठ उत्तराखण्ड‘ निर्माण के अपने ‘विकल्प रहित संकल्प‘ से 21वी सदी के तीसरे दशक को उत्तराखंड का दशक बनाने के लिये प्रयासरत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने चुनावों से पहले समान नागरिक संहिता का वायदा किया था और जनता जनार्दन से हमें भरपूर आशीर्वाद भी मिला। समान नागरिक संहिता के लिये गठित समिति जनप्रतिनिधियों, विभिन्न संगठनों, संस्थाओं, आमजन आदि से सुझाव लेकर ड्राफ्ट तैयार कर रही है। हमें खुशी है कि समान नागरिक संहिता के लिये हमें देखकर दूसरे राज्य भी आगे आ रहे हैं। जैसे ही समिति अपना ड्राफ्ट बनाकर सौंपेगी हम उस पर कानून बनाकर आगे बढ़ाया प्रलोभन से धर्म परिवर्तन पर रोक लगाने के लिये हमारी सरकार ने सख्त धर्मांतरण कानून बनाया है। उन्होंने कहा कि नकल विरोधी कानून में 10 वर्ष की सजा तथा नकल माफिया की संपत्ति को जब्त करने का प्रावधान किया गया है, नकल में सम्मिलित कई लोगों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया गया है। छात्रों के व्यापक हित में उन पर दर्ज मुकदमों को राज्य सरकार द्वारा वापस लिया गया है ताकि उनका भविष्व खराब न हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने भी कुछ दिन पूर्व ही अपने कार्यकाल के एक वर्ष पूर्ण किए हैं। इस एक वर्ष के दौरान, हमने हर क्षण यह प्रयास किया है कि प्रदेश के सामने जो भी चुनौतियां हैं उन सभी का समाधान निकाला जाए और राज्य को विकास की राह पर आगे बढ़ाया जाए। यही कारण है कि जनता से हमें आज पूरा समर्थन मिल रहा है और इस एक वर्ष के दौरान हमने जनता के विश्वास को और भी अधिक सुदृढ़ किया है। उत्तराखंड को विकसित राज्य बनाने का जो विकल्प रहित संकल्प लेकर हम चल रहे हैं उसके बहुत से पड़ाव पार करने अभी बाकी हैं। इस एक वर्ष में हमने नए उत्तराखण्ड निर्माण के संकल्प को ध्यान में रखते हुए दिन – रात कार्य करने का प्रयास किया है। इस एक वर्ष के दौरान हमने जनता से किए अपने वादों को या तो पूरा किया है या फिर उन्हें पूरा करने कि दिशा में निर्णायक कदम बढ़ाए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चाहे अंत्योदय परिवारों को तीन गैस सिलेंडर देने हों, प्रदेश की महिलाओं के लिये क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था को लागू करना हो, नई शिक्षा नीति लागू करना हो, नई खेल नीति लागू करना हो, राज्य आंदोलनकारियों व उनके आश्रितों को सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत का क्षैतिज आरक्षण देना हो या फिर लैंड जेहाद जैसे मुद्दों पर खुलकर बात करना हो.. हमने इन सभी कठिन परंतु राज्य के लिए आवश्यक कार्यों को अपने छोटे से कार्यकाल में कर दिखाने का साहस किया है। हमारे लिए प्रदेश और प्रदेश के हित सर्वाेपरि हैं और जब तक हमारी सरकार है, हम किसी भी वर्ग का अहित नहीं होने देंगे।
इस अवसर पर जिन्हें सम्मानित किया गया उनमें सत्यवती घोष, दीपा शाह, देवप्रकाश, नरेंद्र मित्तल, विनोद भल्ला, हरिओम ओमी, सुशीला बलूनी, योगेन्द्र कोहली, प्रभाकर उनियाल, चमन लाल वाल्मीकि, रूप सिंह कठैत, विजय श्रेय, सूरज भाटिया, विनोद शर्मा, रविन्द्रनाथ कौशिक आदि प्रमुख रहे।
विजिलेंस का 2 करोड़ रूपये का रिवॉल्विंग फण्ड बनाया जायेगा-सीएम
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को सर्वे चौक स्थित आई.आर.डी.टी सभागार में सुशासन, पारदर्शी एवं भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखण्ड के सबंध में आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि विजिलेंस का 2 करोड़ रूपये का रिवॉल्विंग फण्ड बनाया जायेगा। राज्य में विजिलेंस को सशक्त बनाया जायेगा, इसके ढ़ाचे एवं अन्य सुविधाओं को बढ़ाया जायेगा। विजिलेंस में सराहनीय कार्य करने वाले कार्मिकों को प्रोत्साहन राशि दी जायेगी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने 4 विसलब्लोवर को सम्मानित भी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने भ्रष्टाचार मुक्त देवभूमि का संकल्प लिया है। 2025 तक उत्तराखण्ड को भ्रष्टाचार मुक्त एवं नशामुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है। भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखण्ड के लिए सभी विभागों को विजिलेंस के साथ समन्वय से कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि राज्य में विजिलेंस को और मजबूत बनाना है। उन्होंने कहा कि जो ईमानदारी से कार्य कर रहे हैं, उन्हें किसी से डरने की जरूरत नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखण्ड के लिए 1064 एप लॉच होने के बाद से इस एप पर अभी तक 5 हजार से अधिक शिकायतें आ चुकी हैं। जो शिकायतें भ्रष्टाचार से संबंधित हैं, उन पर सतर्कता विभाग द्वारा लगातार कार्रवाई की जा रही, जो सराहनीय कार्य है। जो शिकायतें भ्रष्टाचार से संबंधित नहीं हैं, लेकिन 1064 पर प्राप्त हो रही हैं, उन्हें सीएम हेल्पलाईन से जोड़ा गया है, ताकि जन समस्याओं का तेजी से समाधान हो सके। इस दिशा में भी सतर्कता विभाग द्वारा सराहनीय कार्य किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जन समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए सरकार सरलीकरण, समाधान, निस्तारण एवं संतुष्टि के भाव से कार्य कर रही है।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, डीजीपी अशोक कुमार, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, विशेष प्रमुख सचिव अभिनव कुमार, निदेशक सतर्कता अमित सिन्हा, शासन एवं पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
सबके विकास से ही प्रदेश का समग्र विकास संभव-धामी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को सर्वे चौक स्थित आईआरडीटी सभागार में उत्तराखण्ड जन विकास समिति के ‘‘पहल 2021’’ अधिवेशन का शुभारम्भ किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड जन विकास समिति द्वारा राज्य में अनेक पहल की जा रही है, यह सराहनीय प्रयास है। समितियों एवं संस्थाओं के माध्यम से अनेक कार्य किये जा सकते हैं। समिति द्वारा समूह में कार्य करने वाले अनेक लोगों को अपने साथ जोड़ा है, यह एक अच्छा प्रयास है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा प्रदेश के समग्र विकास के लिए हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं। समाज के हर वर्ग को ध्यान में रखते हुए कार्य किये जा रहे हैं। अंतिम पंक्ति पर खड़े लोगों तक सरकार की योजनाओं को पहुंचाने के प्रयास किये जा रहे हैं। सबके विकास से ही प्रदेश का समग्र विकास संभव है। कोविड के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में अनेक लोगों को कार्य में परेशानी का सामना करना पड़ा। विभिन्न क्षत्रों में प्रभावित होने वाले लोगों को राज्य सरकार द्वारा राहत पैकेज दिये गये हैं। स्वास्थ्य, पर्यटन एवं परिवहन और स्वयं सहायता समूहों के लिए आर्थिक पैकेज दिये गये हैं। कोरोना काल में फ्रन्टलाईन वर्कर को भी प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तराखण्ड को 2025 तक हर क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाने का लक्ष्य दिया है। इस दिशा में राज्य सरकार तेजी से प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत को वैश्विक स्तर पर अलग पहचान मिली है। केन्द्र सरकार से उत्तराखण्ड को हर क्षेत्र में मदद मिल रही है। सड़क, रेल, हवाई कनेक्टिविटी तेजी से बढ़ी है।
इस अवसर पर उत्तराखण्ड जन विकास समिति के अध्यक्ष संजय उनियाल, दिग्विजय सिंह भण्डारी, जगदीश भट्ट, तारादत्त शर्मा, गिर्राज किशोर पांडेय एवं अन्य गणमान्य उपस्थित थे।