त्रिवेन्द्र सरकार प्रदेश में सरकारी महाविद्यालयों की तस्वीर बदलने जा रही है। उच्च शिक्षा को और बेहतर बनाने के लिए सरकार कोई कसर नही छोड़ना चाहती है। इसी के तहत भवनों से वंचित सरकारी कॉलेजों की नए भवनों की मुराद पूरी होने जा रही है, वहीं पुराने भवनों को मरम्मत और नए निर्माण कार्यों के लिए सरकार ने खजाना खोल दिया है। तकरीबन एक दर्जन सरकारी कॉलेजों पर राज्य सरकार ने धन वर्षा की है। 11 कॉलेजों को भवन निर्माण कार्यों के लिए 15.59 करोड़ से ज्यादा धनराशि दी गई है। वहीं ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित गैरसैंण के डिग्री कॉलेज का खेल मैदान दुरुस्त करने के लिए सरकार ने 76 लाख रुपये जार किये है।
उत्तराखंड में भवनविहीन सरकारी डिग्री कॉलेजों को भवन निर्माण के लिए धनराशि देने को सरकार पहले ही अपनी प्राथमिकता बता चुकी है। चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 के अंतिम महीने में सरकार ने करीब दर्जनभर डिग्री कॉलेजों को तोहफा दिया है। इनमें पाबौ डिग्री कॉलेज को 1.18 करोड़, नागनाथ पोखरी को 1.98 करोड़, रामनगर को 96 लाख, बेतालघाट को 90 लाख, पिथौरागढ़ को एक करोड़, नंदासैंण को 1.19 करोड़, गणाई गंगोली को एक करोड़, कोटद्वार कॉलेज को 2.03 करोड़, बेरीनाग को एक करोड़, भिकियासैंण को 87.46 लाख और कपकोट को 47.32 लाख की धनराशि दी गई है। उच्च शिक्षा प्रमुख सचिव आनंद बर्धन ने आदेश जारी कर उच्च शिक्षा निदेशक के लिए धनराशि अवमुक्त की है।
जिन कॉलेजों को पहली किस्त के रूप में धनराशि दी गई है, उन्हें इसका इस्तेमाल चार महीनों के भीतर करना होगा। शेष कॉलेजों को 31 मार्च, 2020 तक उक्त राशि का सदुपयोग करने की हिदायत सरकार ने दी है। हालांकि चालू महीने में अब काफी कम वक्त बचा है। ऐसे में अभी तक इन कॉलेजों से संबंधित कार्यदायी संस्थाओं तक धनराशि पहुंचने में अभी वक्त लग सकता है। इस महीने के भीतर इस धनराशि का उपयोग मुमकिन नहीं है। शासन ने एक हफ्ते के भीतर उक्त धनराशि निर्माण इकाई को जारी करने के निर्देश दिए हैं।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने पहले ही कहा था कि उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार धन की कोई कमी नही आने देगी। उन्होंने पर्वतीय सरकार काॅलेजों को दुरस्त करने और पलायन रोकने के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई है।
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उत्तराखंड में जश्न का माहौल, मुख्यमंत्री के कार्यो की हो रही प्रशंसा
गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने के बाद मुख्यमंत्री ने एक ओर मास्टर स्ट्रोक से विपक्ष को धराशायी कर दिया। सरकार ने सत्र को आगे बढ़ाते हुए भराड़ीसैंण में 26 मार्च को बजट पास करवाने का निर्णय लिया है।
कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में सात मार्च तक सदन को जारी रखने का फैसला लिया गया, लेकिन इस दौरान बजट पर सामान्य चर्चा सात मार्च को ही होगी। बजट पास कराने के लिए इसी सत्र में सदन 25 से 27 मार्च तक भराड़ीसैंण में ही चलेगा। 25 मार्च को विभागों के बजट पर चर्चा होगी। विपक्ष के कटौती प्रस्ताव इसी दिन स्वीकार किए जाएंगे। 26 मार्च को विभागों के बजट पर चर्चा होने के बाद उन्हें स्वीकृत किया जाएगा।
इससे पहले कार्यमंत्रणा समिति ने सात मार्च तक बजट पारित करने का फैसला किया था। इस पर विपक्ष ने खासा हो हल्ला मचाया था और बजट सत्र बढ़ाने की मांग की थी। इसके बाद इस पर भी विचार हुआ कि होली के बाद दो दिन का सत्र देहरादून में आयोजित कर लिया जाए। लेकिन इसमें तकनीकी अड़चन रही। सरकार बजट पास कराए बिना सत्र को समाप्त नहीं कर सकती थी। देहरादून में बजट पास कराने का मतलब होता कि सरकार को भराड़ीसैंण का सत्र समाप्त करना पड़ता और देहरादून में अलग से सत्र आयोजित करना पड़ता। कार्य संचालन नियमावली में स्थान और समय दोनों को लेकर सत्र की घोषणा की व्यवस्था है।
भराड़ीसैंण में जश्न का माहौल
मौसम की आंखमिचैली के बीच सरकार पर ग्रीष्मकालीन राजधानी का जश्न हावी रहा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल समेत भाजपा विधायकों ने जमकर गुलाल खेला। ढोल व दमाऊ की थाप पर जमकर नाच किया। इस दौरान स्थानीय लोग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। वहीं, गैरसैंण के आसपास की महिलाओं ने झोड़ा चांचरी नृत्य से अपनी खुशी का इजहार किया। तो विधायकों ने स्थानीय लोगों के साथ ढोल की थाप पर पांव थिरकाए। इन सब से दूर रहे विपक्ष ने सदन में प्रश्न काल नहीं चलने दिया और सरकार को नियमों व परंपराओं में बांधे रखने की कोशिश की।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बुधवार देर शाम ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा की थी, जिसका असर पूरे उत्तराखंड में देखने को मिल रहा है। आंदोलनकारियों की गैर मौजूदगी में जगह-जगह चेकिंग से भी लोगों को रियायत मिली। भराड़ीसैंण के विधानमंडल भवन के सामने ढोल दमाऊ की थाप के बीच जश्न का माहौल बन गया। गैरसैंण के आसपास गांव गवाड़ तल्ला, सिलंगी, सिमटी समेत अन्य गांवों से आई महिलाएं जश्न में शामिल हुई।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत यहां पहुंचे तो जोश और उत्साह बढ़ गया। महिलाओं ने मुख्यमंत्री व भाजपा विधायकों का स्वागत किया। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत का भी इसी तरह स्वागत हुआ। उत्साह का आलम ये रहा कि नेता फूल मालाओं से लदे सदन में पहुंच गए।
इसके उलट विपक्ष खामोश, जश्न से दूर रहते हुए बैकफुट पर दिखाई दिया।
सत्ता पक्ष के सदस्यों ने मेजें थपथपा कर किया सम्मान
सत्र शुरू होने के कुछ देर बाद नेता सदन त्रिवेंद्र सिंह रावत सदन में पहुंचे तो सत्ता पक्ष के विधायकों ने मेजें थपथपा कर उनका सम्मान किया। सामान्य रूप से नेता सदन के पहुंचने को सत्ता पक्ष के विधायक खामोशी से स्वीकार करते रहे हैं। मुख्यमंत्री भी कुछ समय तक ही सदन में रहे।