देहरादून में कल एक ज्वैलरी शोरूम में हुई लूट की वारदात को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज पुलिस महानिदेशक और एसएसपी देहरादून को तलब कर स्थिति की समीक्षा की और मामले के शीघ्र खुलासे के निर्देश दिये हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वारदात में जिन भी लोगों का हाथ है उन्हें जल्द से जल्द पकड़ा जाए। उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था में किसी भी तरह की कोताही बर्दाश्त नहीं कि जाएगी। हमारा प्रदेश एक शांति प्रिय प्रदेश है और क़ानून व्यवस्था की स्थिति को यहाँ किसी भी दशा में बिगड़ने नहीं दिया जाएगा। उन्होने यह भी कहा कि इस बात की भी तह तक जाना चाहिए कि घटना कैसे घटित हुई? कहां कमी रह गई तथा इसके लिए कौन ज़िम्मेदार है? भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो यह भी सुनिश्चित किया जाये।
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महिला अधिवक्ता ने आईडीपीएल चौकी सस्पेंड करने की मांग की
महिला एडवोकेट भावना जोशी ने मीडिया के सामने नौ अगस्त की रात की आपबीती सुनाई। कहा कि एक फिल्म की शूटिंग कर रहे फिल्म निर्देशक पूरी टीम के साथ एक होटल में ठहरे हुए थे। होटल मालिक के साथ उनका विवाद हुआ। वकील होने के नाते उन्होंने उनसे संपर्क किया। उन्होंने फिल्म निर्देश को पुलिस से शिकायत करने की सलाह दी। उन्होंने ऐसा किया तो पुलिस होटल से उन्हें ही उठा ले आई और उनके साथ चौकी में दुर्व्यहार किया। इस पर देर रात वो चौकी पहुंची और पुलिस को परिचय देते हुए न्याय करने की मांग की।
उन्होंने आरोप लगाया कि रात में पुलिस कर्मी बगैर वर्दी के चौकी में थे और शराब पीए हुए थे। इन हरकतों पर सवाल उठाना पुलिस के चौकी प्रभारी और पुलिस कर्मियों को नागवार गुजरा। पुलिस ने उनके साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया। एडवोकेट भावना जोशी ने कहा कि पुलिस की हरकतों का वीडियो बनाने पर फिल्म निर्देशक और उनके पति के साथ दो पुलिस कर्मियों ने मारपीट की और मेडिकल कराने के नाम पर एक जीप में ले गए। उन्होंने इसका विरोध किया तो उनके साथ भी हैंडलिंग की गई। उन्होंने पुलिस कर्मियों को बताया कि वो गर्भवती हैं बावजूद पुलिस का रवैया नहीं बदला। बाद में उनका भी ये कहकर मेडिकल कराया गया कि वो नशे में हैं। मेडिकल में स्पष्ट हो गया कि पुलिस झूठ बोल रही थी। कहा पुलिस को कुछ नहीं मिला तो सरकारी कार्य में बाधा डालने में चालान किया गया।
एडवोकेट भावना ने बताया उन्हें उम्मीद नहीं थी कि देवभूमि उत्तराखंड में पुलिस का ऐसा रवैया हो सकता है। उन्होंने कहा कि पुलिस प्रमुख से शिकायत के बाद चौकी प्रभारी लाइन हाजिर हुए हैं। ये कोई सजा नहीं है। उन्होंने कहा कि पूरी पुलिस चौकी को पहले सस्पेंड और जांच के बाद बर्खास्त किया जाना चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर पुलिस एक महिला के साथ ऐसा दुर्व्यवहार कैसे कर सकती है। अपनी कमियों को छिपाने के लिए पुलिस इस मामले को दूसरा रंग देने का प्रयास कर रही है।
उन्होंने बेहद भावुक होकर कहा कि उन्हें कतई उम्मीद नहीं थी कि उनके राज्य की पुलिस की कार्य प्रणाली ऐसी है। इस दौरान उन्होंने पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगाए। इस मौके पर अनिल रतूड़ी, सुशील रणाकोटी आदि मौजूद थे।
उत्तराखंड की फिजा बिगाड़ने का आरोप, कार्रवाई की मांग
अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार से मुलाकात कर बेरोजगारों के आंदोलन को फंडिंग करने वाले व पत्थर बरसाने वाले पत्थरबाजों को चिन्हित कर इनके खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई को लेकर ज्ञापन सौंपा।
नेगी ने कहा कि लगभग दो माह पहले एसएसपी/डीआईजी, देहरादून दिलीप सिंह कुंवर ने दावा किया था कि बेरोजगार आंदोलन को कुछ कोचिंग सेंटर्स व राजनीतिक दलों के कुछ नेताओं द्वारा किसी खास मकसद से फंडिंग की गई, लेकिन कई दिन बीतने के बाद भी पुलिस मामले का पर्दाफाश नहीं कर पाई, जोकि अपने आप में एक सवालिया निशान खड़ा करता है। उन्होंने कहा कि उक्त फंडिंग मामले का पर्दाफाश होना देशहित में बहुत जरूरी है। अगर इसी प्रकार फंडिंग के माध्यम से आंदोलन हुए तो उत्तराखंड जैसे प्रदेश को जे एंड के जैसा प्रदेश बनने में देर नहीं लगेगी। अगर आंदोलन में कोई फंडिंग नहीं हुई है तो डीआईजी का बयान निश्चित तौर पर दुर्भाग्यपूर्ण है।
नेगी ने कहा कि फंडिंग के माध्यम से आंदोलन करने को उकसाने वाले व पत्थरबाजों के आकाओं/साजिशकर्ताओं पर भी रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) के तहत कार्रवाई होनी चाहिए। पुलिस प्रशासन की नाकामी के चलते बेरोजगारों पर लाठीचार्ज की नौबत आई, जिसकी मोर्चा घोर निंदा करता है एवं पुलिस-प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की मांग सरकार से करता है।
मोर्चा पहले भी राज्य गठन से लेकर आज तक हुई तमाम भर्तियों की सीबीआई जांच की मांग कर चुका है। हैरान करने वाली बात यह है कि डीआईजी का कहना है कि असामाजिक तत्वों द्वारा पत्थरबाजी की गई, तो फिर बेरोजगारों पर क्यों मुकदमे दर्ज किए गए। प्रतिनिधिमंडल में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, दिलबाग सिंह व सुशील भारद्वाज मौजूद रहे।
मोर्चा ने जम्मू और कश्मीर बनने से बचाने को आखिर क्यों दिया ज्ञापन
जन संघर्ष मोर्चा कार्यकर्ताओं ने मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी नेतृत्व में तहसील घेराव/प्रदर्शन कर बेरोजगारों के आंदोलन को फंडिंग करने वाले व पत्थर बरसाने वाले पत्थरबाजों को चिन्हित कर इनके खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई को लेकर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन उप जिलाधिकारी, विकासनगर को सौंपा। कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए नेगी ने कहा कि लगभग 20-25 दिन पहले एसएसपी/डीआईजी, देहरादून दिलीप सिंह कुंवर ने दावा किया था कि बेरोजगार आंदोलन को कुछ कोचिंग सेंटस व राजनीतिक दलों के कुछ नेताओं द्वारा किसी खास मकसद से फंडिंग की गई, लेकिन कई दिन बीतने के बाद भी पुलिस मामले का पर्दाफाश नहीं कर पाई, जोकि अपने आप में एक सवालिया निशान खड़ा करता है। उन्होंने कहा कि उक्त फंडिंग मामले का पर्दाफाश होना देशहित में बहुत जरूरी है। अगर इसी प्रकार फंडिंग के माध्यम से आंदोलन हुए तो उत्तराखंड जैसे प्रदेश को जे एंड के जैसा प्रदेश बनने में देर नहीं लगेगी। अगर आंदोलन में कोई फंडिंग नहीं हुई है तो डीआईजी का बयान निश्चित तौर पर दुर्भाग्यपूर्ण है।
नेगी ने कहा कि फंडिंग के माध्यम से आंदोलन करने को उकसाने वाले व पत्थरबाजों के आकाओं/साजिशकर्ताओं पर भी रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) के तहत कार्रवाई होनी चाहिए। मोर्चा महासचिव आकाश पंवार व दिलबाग सिंह ने कहा कि पुलिस प्रशासन की नाकामी के चलते बेरोजगारों पर लाठीचार्ज की नौबत आई, जिसकी मोर्चा घोर निंदा करता है एवं पुलिस-प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की मांग सरकार से करता है।
घेराव/प्रदर्शन में विजय राम शर्मा, विनय कांत नौटियाल, हाजी असद, सलीम (मुजीब-उर-रहमान), बृजलाल टम्टा, के.सी. चंदेल, भजन सिंह नेगी, जयकृत नेगी, जयदेव नेगी, इदरीश, प्रवीण शर्मा पिन्नी, अमित जैन, रहबर अली, किशन पासवान, भगत सिंह नेगी, विक्रम पाल, मुकेश पसबोला, रूपचंद, शहजाद, राजेंद्र पंवार, नरेंद्र तोमर, आशीष सिंह, दीपांशु अग्रवाल, दिनेश राणा, इंतजार अली, अमित कुमार, गोविंद सिंह नेगी, सलीम मिर्जा, गुरविंदर सिंह, सुशील भारद्वाज, मनोज राय, संजय पटेल, कुंवर सिंह नेगी, संगीता चौधरी, प्रदीप सिंह, नीरज ठाकुर, प्रमोद शर्मा, देव सिंह चौधरी, चौधरी मामराज, प्रवीण कुमार, मो. आसिफ, जयपाल सिंह, फकीर चंद पाठक, विनोद रावत, सुरजीत सिंह, मदन सिंह, संध्या गुलेरिया आदि मौजूद रहे।
राजभवन तक अनशनकारियों के पहुंचने पर एसएसपी सख्त, 3 पर कार्रवाई
अनशनकारियों के राजभवन तक पहुंचने के मामले में ऋषिकेश कोतवाल पर गाज गिर गई। उन्हें लाइन हाजिर कर दिया गया है। देहरादून के एसएसपी ने ऋषिकेश के कोतवाल रवि सैनी समेत तीन पुलिस अधिकारियों को लाइन हाजिर किया है। इसमें कैंट थाने के इंस्पेक्टर राजेंद्र सिंह रावत और इसी थाने के सब इंस्पेक्टर जगत सिंह शामिल हैं। उक्त तीनों पर एक ही मामले को लेकर गाज गिरी है। ऋषिकेश के कोतवाल पर धरना स्थल की निगरानी में लापरवाही बतरने पर सख्त एक्शन लिया गया है। जबकि अन्य दो अधिकारियों पर अनशनकारियों के राजभवन की ओर बढ़ने की सूचना के बावजूद सुरक्षा संबंधित कदम न उठाने पर एक्शन हुआ है।
रायवाला थाने में पुलिसकर्मियों के खुला आइसोलेशन बैरिक
कोरोना संक्रमण से कोई भी अछूता नहीं है, ऐसे में कोरोना वारियर्स हमारे पुलिसकर्मियों को भी इससे संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में थाना रायवाला प्रभारी अमरजीत सिंह रावत ने थाना परिसर में ही आइसोलेशन बैरिक की स्थापना की है। इसका लाभ ऐसे पुलिस कर्मी व उनके परिजनों को मिलेगा, जो कोरोना संक्रमित हुए हो।
आज थाना रायवाला में बने इस आइसोलेशन बैरिक का एसएसपी देहरादून डा. वाईएस रावत ने पहुंचकर उद्धाटन किया। साथ ही बैरिक का निरीक्षण कर वहाँ लगाये गए उपकरणों व संक्रमित पुलिसकर्मियों के स्वास्थ्य की देखरेख हेतु नियुक्त की गई मेडिकल टीम के संबंध में जानकारियां हासिल की। इसके अलावा कोरोना संक्रमण के बनाए गए कोविड कंट्रोल रूम का निरीक्षण कर वहां की व्यवस्थाओं का जायजा लिया गया। उन्होंने इस मौके पर थानाध्यक्ष की प्रशंसा भी की।
बता दें कि थाना रायवाला में स्थापित आइसोलेशन बैरिक में संक्रमित पुलिसकर्मियों व उनके परिजनों के लिए 08 बेड लगाते हुए उनमे पल्स ऑक्सीमीटर, ई0सी0जी0 मशीन व आवश्यक उपकरण लगाए गए हैं। आइसोलेशन बैरिक में संक्रमित पुलिसकर्मियों व उनके परिजनों की देख रेख व मेडिकल सहायता को स्थानीय डॉक्टर हिमांशु के नेतृत्व में मेडिकल टीम नियुक्त की गई है, जिनके द्वारा आइसोलेशन अवधि के दौरान संक्रमित पुलिसकर्मी व उनके परिजनों के स्वास्थ्य की नियमित रूप से निगरानी रखी जायेगी।
इस दौरान वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डा. वाईएस रावत ने थाना रायवाला की सीमा में स्थापित अंतर्जनपदीय बैरियर का निरीक्षण कर बाहर से आने वाले लोगों की चेकिंग व कोरोना एंटीजन टेस्ट की प्रक्रिया के संबंध में जानकारी प्राप्त की गई, साथ ही थानाध्यक्ष रायवाला को स्पष्ट निर्देश दिए कि किसी भी दशा में निर्धारित मानकों को पूर्ण न करने वाले अथवा बिना रैपिड एंटीजन टेस्ट के किसी व्यक्ति को जनपद की सीमा में प्रवेश न करने दिया जाए।
फाइनेंसर व भाजपा नेता के पिता के मर्डर केस में एसएसपी देहरादून ने किया खुलासा
आज वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून के कार्यालय पर राजकुमार गुप्ता मर्डर केस को लेकर प्रेस वार्ता की गई। एसएसपी डॉ योगेंद्र सिंह रावत ने आरोपियों की पहचान सुरेश चैधरी पुत्र स्वर्गीय मुंशी राम निवासी ग्राम गुरदासपुर थाना स्योहारा बिजनौर हाल निवासी सुमन विहार बापू ग्राम आईडीपीएल के रूप में कराई जबकि इसके दो अन्य साथी इंद्रपाल सिंह उर्फ पप्पू पुत्र जयपाल सिंह हाल निवासी छाबरा फार्म मनसा देवी श्यामपुर ऋषिकेश व राजकुमार पुत्र स्वर्गीय बाबूराम निवासी शक्तिनगर चक्कर रोड कोतवाली शहर जिला बिजनौर के रूप में कराई।
क्या था मामला
बीते 15 जनवरी को भाजपा नेता रूपेश गुप्ता ने अपने पिता फाइनेंसर राजकुमार गुप्ता की गुमशुदगी दर्ज कराई थी। पुलिस ने मामले में करीब 100 से अधिक नंबरों की कॉल डिटेल व 55 सीसीटीवी फुटेज खगाली। जिसमें मृतक के साथ जाते आरोपियों को देखा गया।
कैसे दिया घटना को अंजाम
15 जनवरी की रात को आरोपियों ने मृतक को स्मृति वन के जंगल में ले जाकर रस्सी से गला घोट कर हत्या कर दी। 16 जनवरी की सुबह 3रू30 बजे एक वाहन में रखकर श्यामपुर के कच्चे रास्ते से होते हुए मंडावर बिजनौर ले गए यहां सुनसान इलाका इनाम पुर रजवाड़े के किनारे पेट्रोल डालकर जला दिया। बिजनौर उत्तर प्रदेश की पुलिस को एक आध जला शव बरामद हुआ उस दौरान शव की शिनाख्त नहीं हो पाई इसके चलते 19 जनवरी को यूपी पुलिस ने मृतक का अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाज से कर दिया।
घटना में उपयुक्त सामानों का विवरण
एसएसपी योगेंद्र सिंह रावत ने बताया कि घटना में प्रयुक्त वाहन, गुमशुदा की स्कूटी, हत्या करने के बाद शव को जलाने के लिए पेट्रोल में प्रयोग की गई प्लास्टिक की बोतल तथा शव को छिपाने के लिए प्रयोग में लाई गई काली पन्नी बरामद की है।
राज्यमंत्री ने एसएसपी को पत्र लिखकर आईएएस अधिकारी के अपहरण की आशंका जताई
राज्यमंत्री रेखा आर्य ने देहरादून एसएसपी अरूण मोहन जोशी को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने आईएएस अधिकारी वी षणमुगम के अपहरण होने की आशंका जताई हे। राज्यमंत्री ने पत्र में जिक्र किया है कि कई बार फोन करने के बाद भी संपर्क नहंी हो पा रहा है, मगर दो दिन बीत गए हैं उनका पता नहीं चल पा रहा है। उनकी जांच होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री के जीवन को लेकर उड़ाई अफवाह, मुकदमा दर्ज
सोशल मीडिया पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के जीवन लेेेेकर अफवाह उड़ा दी गई, जिससे हड़कंप मच गया। मामले को संज्ञान में लेते हुए एडीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार ने एसएसपी देहरादून को कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। वहीं, इस मामले को लेकर कैंट थाने में चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
सोशल का मीडिया का कुछ लोग गलत तरीके से इस्तेमाल कर रहा है। कभी किसी नेता की छवि धूमिल किए जाने की कोशिश सोशल मीडिया के जरिए की जा रही है। तो कभी अफवाहों के जरिए लोगों को गुमराह किया जा रहा है। इस बार तो हद ही हो गई। अज्ञात शख्स ने सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के जीवन को लेकर अफवाह फैला दी।
मामले पर महानिदेशक अपराध और कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने सख्त रुख दिखाते हुए एसएसपी अरुण मोहन जोशी को आरोपित के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगी। ऐसे लोगों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
मीटर चोरी होने पर विभागीय अधिकारियों के शब्द हम पर राजनीतिक दबाव, नहीं लगा सकते नया मीटर
ऋषिकेश में एक युवक की दुकान का बिजली मीटर दीपावली से चार दिन पूर्व अज्ञात लोगों ने चोरी कर लिया। युवक की लिखित शिकायत पर न ही पुलिस ने दिलचस्पी दिखाई और न ही बिजली विभाग के अधिकारियों ने नया मीटर लगाने की कवायद तेज की। हालत यह रहे दीपावली में सभी लोगों के घर रोशनी से चमके। मगर, उक्त युवक ने अंधेरे में ही दीपावली मनाई। अब दीपावली के तीन सप्ताह बाद भी बिजली विभाग के अधिकारी काम करने को राजी नहीं। वह अब यह दलील देकर पिंड छुड़ा रहे है कि उन पर राजनीतिक दबाव है। इसलिए वह मीटर नहीं लगा सकते है।
बीते 22 अक्तूूबर को ललित कुमार जाटव पुत्र स्व. भोपाल सिंह जाटव निवासी पुरानी जाटव बस्ती ऋषिकेश अपनी पुरानी चुुंगी स्थित डेंटिंग पेंटिंग की दुकान बंद करके घर चले गए। 23 अक्तूबर की सुबह दुकान पर काम करने वाले युवक ने उन्हें फोन पर सूचना दी कि दुकान से बिजली मीटर चोरी हो गया है।
इसकी शिकायत उन्होंने से की तो यहां एसडीओ राजीव कुमार ने कहा कि कोतवाली में जाकर लिखित शिकायत करो और उसकी एक प्रति उपलब्ध कराओ, इसके बाद मीटर लग जाएगा। कोतवाली पुलिस ने पहले जांच करने की बात कहकर तहरीर की रिसीविंग देने से इंकार कर दिया। इसके बाद ललित कुमार एसएसपी देहरादून अरुण मोहन जोशी के यहां से तहरीर की एक प्रति रिसीव करके ले आए। अब बिजली विभाग के एसडीओ राजीव कुमार मीटर लगाने से इंकार कर रहे हैं। हालत ये है कि मीटर न लगाने के लिए विभागीय अधिकारी आए दिन नये-नये दस्तावेज उपलब्ध कराने को कह रहे हैं। पीड़ित एसडीओ राजीव कुमार पर आरोप लगाते हुए बताया कि राजनीतिक दबाव के चलते वह मीटर नहीं लगा रहे है। ऐसी बात एसडीओ ने उन्हें कही है।