कोरोना वायरस से पीड़ित की झूठी वीडियो वायरल करने पर एक गिरफ्तार

कोतवाली ़ऋषिकेश पुलिस ने सोशल मीडिया पर एक फर्जी वीडियों को ऋषिकेश के नटराज चौक की बताकर वायरल करने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने युवक पर संबंधित धाराओं में मुकदमा भी दर्ज किया है।

कोतवाल रितेश शाह ने बताया कि शनिवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया गया। यह वीडियो उत्तर प्रदेश के एक मॉक ड्रिल का था। मगर, इस वीडियों को ऋषिकेश निवासी मनोज कुमार पुत्र स्व. सुरेश चंद शर्मा निवासी मकान नंबर 36 तनीषा टावर नेहरू ग्राम इंदिरा नगर हार्ड वाली गली ऋषिकेश ने यह बताकर वायरल किया कि यह नटराज चौक का है और यह युवक ऋषिकेश का है। इस मामले में युवक पर मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया है।

वीडियो की सत्यता की कर लें पड़ताल, नहीं तो ग्रुप एडमिन पर होगा मुकदमा
ऋषिकेश की जनता से पुलिस की अपील है कि कृपया किसी भी वीडियो को जानने से पहले उसकी सच्चाई जांच लें। आपके द्वारा सोशल मीडिया पर डाली जाने वाली वीडियो यदि गलत पाई जाएगी, तो ग्रुप एडमिन व उक्त व्यक्ति के विरुद्ध तत्काल मुकदमा पंजीकृत कर कार्रवाई की जाएगी।

स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश में 337 आईसोलेशन बेड की व्यवस्था की

उत्तराखंड में कोरोना वायरस फस्र्ट स्टेज में है। सरकार कोशिश कर रही है कि वायरस को तीसरे व चैथे स्टेज तक पहुंचने से रोका जाए। इसके लिए सरकार हरसंभव कदम उठा रही है। स्वास्थ्य विभाग ने वायरस से बचने के लिए लोगों को सामाजिक दूरी बनाने की सलाह दी है। चीन सहित अन्य प्रभावित देशों से आए 712 लोगों को निगरानी में रखा गया है।
स्वास्थ्य निदेशालय में अपर सचिव एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के मिशन निदेशक और स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अमिता उप्रेती ने प्रेसवार्ता कर कोरोना वायरस को रोकने के लिए की गई व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वायरस फैलने के चार स्टेज है। इसमें पहला प्रभावित देशों की यात्रा कर लौटे व्यक्ति में संक्रमण, दूसरा संक्रमित व्यक्ति से स्थानीय स्तर पर एक से दूसरे में फैलना, तीसरा कम्युनिटी में फैलना और चैथा एपिडेमिक (महामारी) की स्थिति है। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि उत्तराखंड में अभी वायरस का संक्रमण फर्स्ट स्टेज में है।
प्रदेश में अब तक वायरस की जांच के लिए 78 सैंपल लिए भेजे गए। जिसमें 28 सैंपल निगेटिव और एक मामला पॉजिटिव पाया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने सतर्क किया कि कोई भी व्यक्ति आईसोलेशन वार्ड में न जाएं। इससे वायरस फैलने का खतरा हो सकता है। इस मौके पर नोडल अधिकारी डॉ. पंकज सिंह, जनसंपर्क अधिकारी जेसी पांडेय भी मौजूद रहे।
वायरस को रोकने के लिए सरकार ने स्वास्थ्य विभाग को 60 करोड़ की राशि जारी कर दी है। इस धनराशि से दवाइयां, उपकरण के साथ ही प्रदेश भर में आईसोलेशन वार्डों की व्यवस्था की जाएगी। वहीं, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने भी मास्क, दवाइयों व अन्य चिकित्सा सुविधा के लिए बजट खुला रखा है।
स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. उप्रेती ने कहा कि वायरस को लेकर सोशल मीडिया पर भ्रांति न फैलाएं। प्रदेश में एक पॉजिटिव केस के अलावा कोई भी दूसरा मामला सामने नहीं आया है। विभाग की ओर से पूरी सतर्कता बरती जा रही है।
कोरोना वायरस से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश में 337 आईसोलेशन बेड की व्यवस्था की है। दून और गांधी अस्पताल में आईसीयू बेड की संख्या बढ़ाई जा रही है। प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी वेंटीलेटर और आईसीयू बेड बढ़ाए जाएंगे।

वायरल वीडियो के पीछे की कहानी, क्या इसमें सच्चाई है!

सोशल मीडिया में मुख्यमंत्री का एक वीडियो बहुत तेजी से वायरल हुआ। इस वीडियो में मुख्यमंत्री यह कहते दिख रहे हैं कि पीपल का पेड़ प्राणवायु छोड़ता है। ऐसे ही पशुओं में गाय एकमात्र ऐसा पशु है जो ऑक्सीजन छोड़ता है। यह भी कहा जाता है कि यदि किसी को सांस की तकलीफ है तो गाय की मालिश करने से यह तकलीफ दूर हो जाती है। वीडियों में कहा गया कि टीबी जैसी बीमारी भी गाय के संपर्क में आने से दूर हो जाती है। गाय के गोबर और गौमूत्र में काफी ताकत है। शरीर के विभिन्न हिस्सों जैसे स्किन, हार्ट व किडनी आदि के लिए ये काफी फायदेमंद हैं।
सोशल मीडिया में इस वीडियो के वायरल होने के बाद इस पर तरह-तरह की टिप्पणियां की जा रही हैं। वहीं, मुख्यमंत्री कार्यालय का कहना है कि वीडियो को एडिटिंग करके वायरल किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय चैनल पर प्रसारित हो रहे एक कार्यक्रम को देखकर और पर्वतीय क्षेत्रों में चलने वाली मान्यताओं के आधार पर कहा था, जिस पर विवाद जैसी कोई बात नही है।

चलिए हम मुख्यमंत्री के की बातों की पड़ताल करते है कि क्या ऐसा होता है या नही…

पीपल का पेड़ प्राणवायु छोड़ता है …
पीपल का पेड़ शुष्क वातावरण में पनपता है और इसके लिए उसकी देह में पर्याप्त तैयारियां हैं. पेड़-पौधों की सतह पर स्टोमेटा नामक नन्हे छिद्र होते हैं जिनसे गैसों और जल-वाष्प का लेन-देन होता है. सूखे गर्म माहौल में पेड़ का पानी न निचुड़ जाए, इसलिए पीपल दिन में अपेक्षाकृत अपने स्टोमेटा बन्द करके रखता है। इससे दिन में पानी की कमी से वह लड़ पाता है। बिल्कुल. लेकिन इसका नुकसान यह है कि फिर दिन में प्रकाश-संश्लेषण के लिए कार्बन डाई ऑक्साइड उसकी पत्तियों में कैसे प्रवेश करे? स्टोमेटा तो बन्द हैं. तो फिर प्रकाश-संश्लेषण कैसे हो? ग्लूकोज कैसे बने? तो पीपल व उसके जैसे कई पेड़-पौधे रात को अपने स्टोमेटा खोलते हैं और हवा से कार्बन-डायऑक्साइड बटोरते हैं. उससे मैलेट नामक एक रसायन बनाकर रख लेते हैं. ताकि फिर आगे दिन में जब सूरज चमके और प्रकाश मिले, तो प्रकाश-संश्लेषण में सीधे वायुमण्डलीय कार्बन डाई ऑक्साइड की जगह इस मैलेट का प्रयोग कर सकें। यानी पीपल का पेड़ रात को भी कार्बन डाई ऑक्साइड-शोषक है। इस लिए इसे अधिक आक्सीजन देने वाला पेड़ कहा जाता है।


इस लिंक को पढ़िए …http://dahd.nic.in/related-links/chapter-v-part-2
इस लिंक को पढ़िए …https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4566776/

गाय एकमात्र ऐसा पशु है जो ऑक्सीजन छोड़ता है और गाय से जुड़े अन्य तथ्य…
वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि गाय में जितनी सकारात्मक ऊर्जा होती है उतनी किसी अन्य प्राणी में नहीं। गाय की पीठ पर रीढ़ की हड्डी में स्थित सूर्यकेतु स्नायु हानिकारक विकिरण को रोककर वातावरण को स्वच्छ बनाते हैं। यह पर्यावरण के लिए लाभदायक है। इसी लिए वैज्ञानिक कहते हैं कि गाय एकमात्र ऐसा प्राणी है, जो ऑक्सीजन ग्रहण करता है और ऑक्सीजन ही छोड़ता है, जबकि मनुष्य सहित सभी प्राणी ऑक्सीजन लेते और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं। पेड़-पौधे इसका ठीक उल्टा करते हैं।

हमारे देश में धार्मिक मान्यताओं का विशेष महत्व हैं। जिसकी समय-समय पर वैज्ञानिकों और डाॅक्टरों ने भी पड़ताल की है। इस लिए शायद मुख्यमंत्री ने पीपल और गाय के मुद्दें पर सकारात्मक टिप्पणी की। मुख्यमंत्री कार्यालय की मानें तो मुख्यमंत्री की सकारात्मक टिप्पणी का कुछ लोगों ने जानबूझकर मजाक बनाने का कार्य किया है। उनका कहना है कि एक तरफ तो मीडिया उत्तराखंड को देवभूमि कहता है लेकिन जब हिन्दु संस्कृति और सभ्यता की बात की जाती है तो उसका मजाक बनाना शुरु कर दिया जाता है। बरहाल हमारी पड़ताल में मुख्यमंत्री ने वैज्ञानिक और धार्मिक मान्यताओं की ओर से मिले संकेतों पर ही बात कही है। अब आप लोगों को निर्धारण करना है कि धर्म और वैज्ञानिक सोच में किस तरह तालमेल बिठाया जाएं।

मुख्यमंत्री के खिलाफ अभ्रद टिप्पणी करने पर हवालात की सैर

अगर आप सोशल मीडिया में आपत्तिजनक टिप्पणी कर रहे है तो सवधान हो जाइए। सोशल मीडिया पर अभद्र टिप्पणी करना आप को भारी पड़ सकता है। अमूमन सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणी से लोग सोचते है कुछ नही होगा। लेकिन सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणी जेल भी भिजवा सकती है। दरअसल सोशल मीडिया पर लोग अपनी बात रखने की बजाय आपत्तिजनक पोस्ट डालने लग गए है। जिसका असर समाज में तो पड़ ही रहा है लेकिन जिसके खिलाफ टिप्पणी की जा रही है उसकी भी मानहानि होती है।
ऐसा ही कुछ उत्तरकाशी जिले में हुआ जहां एक युवक को मुख्यमंत्री पर आपत्तिजनक टिप्पणी करना भारी पड़ गया। सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री पर की गई टिप्पणी के मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर युवक को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।
थाना पुरोला प्रभारी रितुराज ने बताया कि पुरोला भाजपा नगर मंडल कार्यकारिणी अध्यक्ष पवन नौटियाल ने थाने में युवक के खिलाफ तहरीर दी। तहरीर के माध्यम से उन्होंने अवगत कराया कि डेरिका निवासी राजपाल सिंह (34) पुत्र दलवीर सिंह ने फेसबुक में मुख्यमंत्री के क्रियाकलापों को लेकर अभद्र टिप्पणी की। कहा कि एक बार आरोपित को समझाकर छोड़ दिया गया था, लेकिन अपने कृत्य से बाज न आने के चलते शनिवार देर शाम उसने फिर अभद्र टिप्पणी, लाइव वीडियो प्रसारित किया, जिसके चलते पुलिस ने युवक को हिरासत में लेकर उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया है। युवक से पूछताछ की जा रही है।

अनिल बलूनी के सहारे कौन चला रहा परिर्वतन की अफवाह!

सोशल मीडिया में अर्से से चल रही राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा पर राज्यसभा सदस्य और भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी ने विराम लगा दिया है। उन्होंने ऐसी अफवाहों को पूरी तरह निराधार बताया और कहा कि राज्य में प्रचंड बहुमत की स्थिर सरकार है। डबल इंजन का संकल्प उत्तराखंड के कायाकल्प के लिए कार्यरत है। फेसबुक पर अपनी पोस्ट में बलूनी ने लिखा-’’मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में सरकार राज्य की भावना के अनुरूप विकास के पथ पर आगे बढ़ रही है। मेरी कामना है कि राज्य का नेतृत्व विकास के नए आयाम छुए।’’

उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य चुने जाने के बाद से अनिल बलूनी राज्य से जुड़े अहम सवालों को लेकर केंद्र में सक्रिय हैं। फिर चाहे वह कोटद्वार और उत्तरकाशी के अस्पतालों में आइसीयू की बात हो अथवा आइटीबीपी के अस्पतालों में आमजन को भी उपचार की सुविधा, काठगोदाम- देहरादून के बीच रेल सेवा, एनसीटीई एक्ट में संशोधन, मसूरी पेयजल योजना अथवा दूसरे कार्य, उन्होंने राज्य हित में कई अहम कार्य केंद्र के स्तर से अब तक करवाए हैं। इन्हें काफी सराहा भी गया।

इसके साथ ही उन्हें लेकर सोशल मीडिया में चर्चा भी शुरू हुई। इन चर्चाओं पर बलूनी ने फेसबुक पर पोस्ट कर ब्रेक लगाया है। उन्होंने लिखा कि कुछ महीनों से वह निरंतर देख रहे हैं कि सोशल मीडिया उत्तराखंड के राजनैतिक परिदृश्य पर अनेक चर्चाएं हो रही हैं। विशेषकर राज्य के नेतृत्व को लेकर कई पोस्ट हैं, जो कि पूर्णतरू निराधार हैं। बलूनी ने लिखा-मैं राज्यसभा सदस्य के नाते राज्य के विषयों पर निरंतर सक्रिय हूं। साथ ही पार्टी के मीडिया प्रमुख के नाते अपने दायित्व का निर्वह्न कर रहा हूं।

प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा दिए गए दायित्वों का निष्ठा से निर्वह्न मेरी प्राथमिकता है। ऐसे में सोशल मीडिया में राज्य के नेतृत्व के विषय में अस्तित्वहीन और निराधार चर्चा हमारी ऊर्जा को व्यय करती है। नेतृत्व द्वारा दिए दायित्व को सभी कार्यकर्ता सफलतापूर्वक निभा रहे हैं। मेरी कामना है कि उत्तराखंड प्रगति करे, विकास के आयामों को छुए और जन आकांक्षाओं को पूर्ण करे।

फेसबुक पेज से जनता के बीच जायेगी उत्तराखंड सरकार

सोशल मीडिया में जनता के साथ बेहतर संवाद स्थापित करने के मकसद से आज फेसबुक के पॉलिसी प्रोग्राम मैनेजर (साउथ एशिया) नितिन सलूजा ने राज्य के सचिव और निदेशक स्तर के अधिकारियों केे साथ सोशल मीडिया पर जनता के साथ सीधा और प्रभावी संवाद स्थापित करने पर चर्चा की। सचिवालय में आयोजित कार्यशाला में सलूजा ने अधिकारियों को बताया कि कैसे सोशल मीडिया के जरिए जनता के साथ प्रभावी संवाद स्थापित करके उनकी समस्याओं को दूर किया जा सकता है।
सलूजा ने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की पहल पर उत्तराखण्ड, देश के उन चुनिंदा राज्यों में शामिल हो गया है, जिसका हर विभाग फेसबुक के माध्यम से जनता से जुड़ा हो। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देशों के अनुसार सभी प्रमुख विभागों के अधिकारी अपने अपने विभागों के फेसबुक पेज बनाएंगे और फेसबुक के माध्यम से जनता की समस्याओं को सुनेंगे। अधिकारी विभागों के फेसबुक पेज दिन प्रतिदिन विभागों की उपलब्धियों को अपडेट करेंगे।
कार्यशाला में बताया गया कि अधिकारियों को विभागों की उपलब्धियों और कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी फेसबुक पर अपडेट करनी होगी जिससे सोशल मीडिया के जरिए जनता को इनकी जानकारी मिल सके और जनता योजनाओं का लाभ ले सके। विभागों के फेसबुक पेज पर जनता की शिकायकतों को भी सुना जा सकता है और उनका त्वरित निस्तारण भी किया जा सकता है। विभागों को बेहतर क्रियान्वयन के लिए जनता अलग अलग विभागों के फेसबुक पेज पर सीधे अपने सुझाव दे सकती है, जिससे जनता के प्रति विभागों की जवाबदेही पहले से ज्यादा असरदार हो जाएगी। फेसबुक की पहुंच आज दुनिया के कोने कोने तक है इस वजह से फेसबुक पेज का इस्तेमाल करके विभागों की पहुंच हर घर तक, खासतौर से युवा वर्ग तक आसानी से हो सकती है।

सीएम के प्रयासों से गढ़वाली व कुमाऊंनी बोली को मिलेगा बढ़ावा

गढ़वाली व कुमाऊंनी बोली के प्रचार-प्रसार के लिए एक अनूठी पहल की गई है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा गढ़वाली व कुमाऊंनी बोली को संविधान की 8 वीं अनुसूची में शामिल किए जाने के प्रयास किए जा रहे है। उन्होंने कहा कि गढ़वाली व कुमाऊंनी बोली को दर्जा दिलाने की मांग पहले भी संसद में भी उठाई जा चुकी है और यह प्रयास जारी है।
उत्तराखंड की लोक भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए अब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र द्वारा सोशल मीडिया में भी गढ़वाली, कुमाऊंनी व उत्तराखंड की अन्य बोली भाषा में आम-जन से संवाद स्थापित किया जा रहा है। जिसकी शुरूआत आज मुख्यमंत्री ने अपने ट्वीटर अकाउंट में गढ़वाली व कुमाऊंनी बोली में ट्वीट कर की गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें सदैव अपनी संस्कृति, बोली भाषा से जुड़ाव रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज का युवा सोशल मीडिया में अधिक सक्रिय है। सोशल मीडिया में अपनी लोक भाषा गढ़वाली, कुमाऊंनी व उत्तराखंड की अन्य बोली भाषा में संवाद करने से युवा पीढ़ी के साथ-साथ भावी पीढ़ी को भी अपनी बोली व संस्कृति से जुड़ने का मौका मिलेगा। सीएम ने लोगों से अपेक्षा की है कि वे समय-समय पर सोशल मीडिया पर गढ़वाली, कुमाऊंनी व उत्तराखंड की अन्य बोली भाषा में भी उनसे संवाद स्थापित करेंगे।