ऋषिकेश।
मंगलवार को आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं ने श्रद्धालुओं को बताया कि इंद्रियों को वश में रखने से ईश्वर भक्ति में मन लगता है। जिस प्रकार से संसार का अंधकार का कोई अस्तित्व नही होता है। उसी प्रकार मन की चंचलता से नुकसान उठाना पड़ता है, क्योकि चंचलता मनुष्य की बुद्धि पर अधिकार जमा लेती है। पुरुषार्थ के लिये जब तक मन में राग द्वेष है तब तक भगवान की कृपा नही हो सकती है। उन्होंने भागवत कथा के श्रवण से मन और इंद्रीय वश में होने की बात कही।
कथा व्यास ने स्त्रियों के सम्मान को जरुरी बताया। कहाकि जिस समाज और घर में स्त्री का सम्मान नही होता है। वहां लक्ष्मी की कृपा नही हो सकती है। उन्होंने गुरुओं का आदर करने व अपने जीवन में गुरु अवश्य बनाने की सीख दी। मौके पर टीकाराम पुर्वाल, लाखीराम पुर्वाल, जवाहर पुर्वाल, रामकृष्ण पुर्वाल, रामचन्द्र पुर्वाल, राजेश पुर्वाल, धनीराम जोशी, खुशीराम जोशी, नारायण दत्त, विजय, चेतराम, बसंत, पूर्णानंद, जीवानंद, महावीर, दौलतराम, रामचन्द्र भटट, शियाराम नौटियाल, चेतराम आदि उपस्थित रहे।