मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज श्रीनगर में केंद्रीयकृत प्रशिक्षण केंद्र सशस्त्र सीमा बल का दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग किया। इस दौरान नव प्रशिक्षुओं का दीक्षांत समारोह धूमधाम से मनाया गया। मख्यमंत्री ने सलामी के उपरांत पासिंग आउट परेड का निरीक्षण भी किया। आयोजित परेड में 278 प्रशिक्षण प्राप्त जवानों द्वारा मुख्य अतिथि के सम्मुख शपथ ग्रहण किया गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने संबोधन में कहा कि प्रशिक्षण प्राप्त जवान भारतीय सीमा सशस्त्र बल का हिस्सा बन चुके हैं। उन्होंने सभी प्रशिक्षुओं को बधाई देते हुए कहा कि तन, मन व धन से देश की रक्षा करें। सीमा पर रहने वाले देश के नागरिक भी सुरक्षाबलों के समान ही एक प्रहरी के रूप में अपना दायित्व निभाते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन शहीदों को नमन करता हूं जिन्होंने राष्ट्र की रक्षा करते हुए अपना सर्वाेच्य बलिदान दिया है। कहा कि सरहद पर खड़े जवानों के कारण ही हम अपने घरों में सुरक्षित हैं। भारतीय सीमा सुरक्षा बल हर विपत्ति में नागरिकों का साथ देता है। साथ ही उन्होंने कहा कि अर्ध सैनिक बलों का जो इतिहास रहा है उस को आगे बढ़ाने का काम यह प्रशिक्षित जवान करेंगे तथा क्षेत्र में जाकर भारत के मान सम्मान बनाने का काम करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे गर्व है कि एसएसबी जवान सीमा की सुरक्षा के साथ-साथ अनेकों दायित्वों का निर्वहन तत्परता से करते हैं। कहा कि एसएसबी जवानों द्वारा कोरोना काल तथा चुनाव के समय में शांतिपूर्ण तरीके से कार्य किया।
सशस्त्र सीमा बल के दीक्षांत समारोह में ओवरऑल बेस्ट प्रशिक्षु पुरस्कार सचिन सैनी तथा आंतरिक प्रशिक्षण का पुरस्कार शुभम तिवारी को दिया गया। देश रक्षा के लिए आज 278 जवान शामिल हुए। जिसमें बिहार से 94, उत्तर प्रदेश से 74, मध्यप्रदेश से 44, उत्तराखंड से 24, राजस्थान 21, जम्मू कश्मीर 20, दिल्ली से 01 जवानों ने 44 सप्ताह के प्रशिक्षण के बाद आज देश सेवा की शपथ ली।
इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, जिलाधिकारी डॉ. विजय कुमार जोगदण्डे, एसएसपी यशवंत सिंह चौहान, एसएसबी महानिरीक्षक रतन संजय, उप महानिरीक्षक सृष्टि राज गुप्ता सहित सैन्य अधिकारी व अन्य उपस्थित रहे।
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अवैध मार्गों पर एसएसबी ने जवान दिन-रात कर रहे निगरानी
नेपाल के रास्ते भारत में कोरोना संक्रमितों को भेजने की साजिश की खुफिया रिपोर्ट के बाद प्रशासन, पुलिस व एसएसबी अलर्ट हो गई है। सशस्त्र सीमा बल यानी एसएसबी ने भारत-नेपाल सीमा पर चैकसी बढ़ा दी है। दोनों देशों के मध्य आवाजाही के सात मार्ग वैध हैं, परंतु एक दर्जन से अधिक संदिग्ध रास्तों से अवैध आवाजाही का संभावना रहती है। ऐसे रास्तों पर एसएसबी के जवान दिन-रात निगरानी में लग गए हैं। पिथौरागढ़ के जिलाधिकारी वीके जोगदंडे के मुताबिक भारत-नेपाल सीमा 30 अप्रैल तक सील कर दी गई है।
उत्तराखंड के सीमांत जिले पिथौरागढ़ के कालापानी से लेकर पंचेश्वर तक भारत और नेपाल की लंबी सीमा है। इस सीमा के भीतर झूलाघाट, ड्यौड़ा, जौलजीवी, बलुवाकोट, धारचूला, ऐलागाड़ और उच्च हिमालय में गब्र्याग में भारत-नेपाल के बीच वैध मार्ग हैं। दोनों देशों के बीच आवाजाही के लिए झूला पुल बने हैं। मध्य अवैध तरीके से टायर ट्यूब से नदी पार की जाती है। झूलाघाट से पंचेश्वर के मध्य तो दस स्थानों पर नेपाल की तरफ से नावें चलती हैं। इनमें पांच स्थानों पर नेपाल सरकार ने मान्यता दे रखी है और पांच स्थल अवैध हैं। नेपाल सरकार ने जिन स्थानों पर मान्यता दी है, भारत उसमें भी सहमत नहीं रहा है। लॉकडाउन के बाद दोनों देशों के बीच नाव से आवाजाही बंद है।
नेपाल से भारत में प्रवेश करने के लिए केवल काली नदी पार करनी है। काली नदी का जलस्तर अधिक होने तथा इसका प्रवाह तेज होने से इसे तैर कर पार करना काफी कठिन है। हालांकि तल्लाबगड़ से लेकर पंचेश्वर तक कुछ स्थानों पर तैराकी में पारंगत लोग नदी को तैर कर पार कर लेते हैं। अवैध कार्यों के लिए टायर ट्यूब का सहारा लिया जाता है। यहां तक कि टायर ट्यूब के सहारे सामान भी पार किया जाता है। इसमें भारत और नेपाल दोनों देशों के लोग शामिल रहते हैं। ऐसे में किसी के भी नेपाल से भारत में प्रवेश करना सरल है। आमतौर पर अप्रैल में गर्मी बढने से ग्लेशियरों के पिघलने से नदी का जलस्तर बढ़ जाता था। इस वर्ष मौसम अधिक गर्म नहीं है। जिससे ग्लेशियरों के नहीं पिघलने से नदी का जलस्तर उस तेजी के साथ नहीं बढ़ा है। जिले में भारत-नेपाल सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी एसएसबी के पास है। सीमा पर एसएसबी की बीओपी चैकियां हैं। इसके अलावा सीमा पर झूलाघाट, अस्कोट, जौलजीवी, बलुवाकोट, धारचूला और पांगला थाने हैं। खुफिया सूचना के बाद एसएसबी और पुलिस सतर्क है। सीमा पर अभी सभी स्थानों पर सड़क नहीं है, जिसका फायदा उठाया जा सकता है।