मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मथुरा में साध्वी ऋतंभरा के षष्ठिपूर्ति महोत्सव में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने साध्वी ऋतंभरा को वात्सल्य और ममता की प्रतिमूर्ति बताते हुए शुभकामना दी तथा उनके सुदीर्घ जीवन की कामना की। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर उपस्थित संत महात्माओं को भी नमन कर उनका आशीर्वाद लिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि साध्वी ऋतंभरा का व्यक्तित्व अद्भुत और कृतित्व अकल्पनीय है। उनकी वात्सल्य शक्ति से न जाने कितनी बच्चियों को प्रेरणा और नया जीवन मिला। उनसे सदैव वात्सल्य और ममता का सानिध्य प्राप्त होता हे। मुख्यमंत्री ने कहा कि साध्वी ऋतंभरा के स्नेह और आशीर्वाद से उन्हें व्यक्तिगत रूप से हमेशा लोगों की सेवा करने की शक्ति मिलती है। वे स्वयं उनसे सबसे पहले तब प्रभावित हुए थे जब उनके मुखारबिंदु से श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के समय प्रखर उद्बोधन सुना था। उनके ओजस्वी उद्बोधन ने लाखों लोगों को हृदय की गहराइयों तक प्रभावित किया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी 22 जनवरी को करोड़ों देशवासियों का रामलला को उनकी जन्मस्थली पर विराजमान करने का संकल्प पूर्ण होने जा रहा है। आज रामलला उस समय अपने जन्मस्थान में विराजमान हो रहे हैं, जब भारत दुनिया की पांचवी अर्थव्यवस्था बन चुका है, सनातन संस्कृति का परचम चारों ओर लहरा रहा है, चाँद पर भारत का चंद्रयान उतर चुका है, सूर्य के चारों ओर आदित्य एल वन चक्कर लगा रहा है, पूरा विश्व, भारत की बात कर रहा है, सनातन का भगवा ध्वज चारों ओर फिर से लहरा रहा है, हम दुनिया को कोरोना की मुफ्त वैक्सीन प्रदान करने में सक्षम हो चुके हैं, हम सफलतम जी-20 सम्मेलन की अध्यक्षता करने में सफल हुए हैं और जब हमारे देश के नेतृत्व का लोहा सारे विश्व के नेता मान रहे हैं, यही नहीं प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में देश पहली बार गुलामी की मानसिकता से बाहर आने में सफल हुआ है। आज काशी में बाबा विश्वनाथ मंदिर के भव्य कॉरिडोर का बनना, उज्जैन में महाकाललोक कॉरिडोर का बनना, केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम का सौंदर्यीकरण होना, केदारनाथ तथा हेमकुन्ट साहिब के लिये रोपवे का निर्माण इस बात का स्पष्ट संकेत है कि आज हमारे मंदिरों का ही नहीं बल्कि हमारी संस्कृति का भी संरक्षण और संवर्धन हो रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि रामभक्तों पर गोली चलाने वाले न तो राम मंदिर बना पाते, न धारा 370 हटा पाते और न ही तीन तलाक हटा पाते। यह प्रधानमंत्री मोदी की ही क्षमता है जो बिना झुके, थके, व डिगे अपने कर्तव्यपथ पर आगे बढ़ते ही रहे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की प्रेरणा से ही वे भी बिना थके, बिना डिगे उत्तराखण्ड की जनता की सेवा कर रहे हैं। उत्तराखंड में विगत ढाई वर्षों में अनेक ऐसे महत्वपूर्ण और कठोर निर्णय हमने लिए हैं, जो विगत 23 वर्षों में संभव नहीं हो पाये थे। हमने एक ओर जहां उत्तराखंड में देश का सबसे कठोर नकल विरोधी कानून लागू किया, वहीं धर्मांतरण रोकने के लिए भी कानून बनाया, प्रदेश में पहली बार लैंड जिहाद के खिलाफ कार्रवाई कर पांच हजार हेक्टेयर सरकारी भूमि को अतिक्रमण से मुक्त किया गया है। भ्रष्टाचारियों के खिलाफ भी पहली बार कार्रवाई करने से हम पीछे नहीं हटे,यही नहीं अब हम देवभूमि में समान नागरिक आचार संहिता को भी लागू करने की तैयारी कर रहे हैं, शीघ्र ही इसे विधानसभा में प्रस्तुत किया जायेगा। उत्तराखण्ड देवभूमि है, हमारी देवभूमि का मूल स्वरूप बना रहे इस दिशा में प्रभावी कदम उठाये गये हैं।
मुख्यमंत्री ने उपस्थित जन समूह से अनुरोध किया कि यहां से हम अपने संतों का आशीर्वाद पाकर भगवान श्री राम को स्वयं में धारण करने की यात्रा पर आगे बढ़ें, राम को स्वयं में धारण करने के लिए प्रेम से बढ़कर कोई दूसरा मार्ग नहीं है। राम चरित मानस में कहा भी गया है ‘रामहि केवल प्रेम पियारा’ उन्होंने कहा कि यह तभी संभव होगा जब हम श्री राम और श्री कृष्ण को मानने के साथ साथ उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग का अनुसरण भी करेंगे।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में संत महात्मा एवं गणमान्य लोग उपस्थित थे।
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लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी सहित सभी आरोपियों को बाबरी विध्वंस मामले में क्लीनचीट
आखिरकार 28 साल के लंबे इंतजार के बाद बाबरी विध्वंस केस में सीबीआई की विशेष अदालत ने अपना फैसला सुनाया। छह दिसंबर, 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाए जाने के आपराधिक मामले में सभी आरोपितों को दोषमुक्त कर दिया गया है। सीबीआई न्यायधीश सुरेंद्र कुमार यादव ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत सभी आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है। फैसला सुनाते वक्त सीबीआई की विशेष अदालत के जज ने कहा कि बाबरी विध्वंस की घटना कोई पूर्व नियोजित नहीं थी। मस्जिद को ढाए जाने की घटना आकस्मिक थी।
विशेष सीबीआई न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार यादव ने कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना में साजिश के प्रबल साक्ष्य नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि वीडियो कैसेट के सीन भी स्पष्ट नहीं, कैसेट्स को सील नहीं किया गया और फोटोज की निगेटिव नहीं पेश की गई।
कोर्ट ने यह भी कहा कि 12 बजे विवादित ढांचा के पीछे से पथराव शुरू हुआ। अशोक सिंघल ढांचे को सुरक्षित रखना चाहते थे, क्योंकि ढांचे में मूर्तियां थीं। कारसेवकों के दोनों हाथ व्यस्त रखने के लिए जल और फूल लाने को कहा गया था। बता दें कि किसी ने कोर्टरूम में किसी ने जय श्री राम के नारे भी लगाए।
फैसला कानून और हाईकोर्ट के खिलाफ
वहीं, मुस्लिम पक्ष ने कहा कि यह फैसला कानून और हाईकोर्ट दोनों के खिलाफ है। जफरयाब जीलानी ने कहा कि विध्वंस मामले में जो मुस्लिम पक्ष के लोग रहे हैं उनकी तरफ से हाईकोर्ट में अपील की जाएगी। उन्होंने कहा कि एलआईयू की रिपोर्ट में पहले से थी 6 दिसम्बर 1992 को अनहोनी की आशंका, लेकिन उसकी जांच नहीं की गई।
यह आरोपी हुए बरी
लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, डॉ. राम विलास वेदांती, चंपत राय, महंत धर्मदास, सतीश प्रधान, पवन कुमार पांडेय, लल्लू सिंह, प्रकाश वर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष दुबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, ब्रज भूषण सिंह, कमलेश्वर त्रिपाठी, रामचंद्र, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमरनाथ गोयल, जयभान सिंह पवैया, स्वामी साक्षी महाराज, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, आरएन श्रीवास्तव, आचार्य धर्मेंद्र देव, सुधीर कुमार कक्कड़ व धर्मेंद्र सिंह गुर्जर। यह सभी आरोपी वर्तमान में जीवित है। अब वह आरोपी जो इस दुनिया में नहीं है। इसमें अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विष्णु हरि डालमिया, विजयाराजे सिंधिया, मोरेश्वर सावें, महंत अवैद्यनाथ, महामंडलेश्वर जगदीश मुनि महाराज, बैकुंठ लाल शर्मा, परमहंस रामचंद्र दास, डॉ. सतीश नागर, बालासाहेब ठाकरे, डीबी राय (तत्कालीन एसएसपी), रमेश प्रताप सिंह, महात्यागी हरगोविंद सिंह, लक्ष्मी नारायण दास, राम नारायण दास और विनोद कुमार बंसल शामिल है।