मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने लोक निर्माण, सिंचाई, पशुपालन, स्कूली शिक्षा, कौशल तथा तकनीकी शिक्षा विभाग को 24 घण्टे की डेडलाइन देते हुए अवशेष 383.11 करोड़ रूपये के प्रोजेक्ट तत्काल नाबार्ड को भेजने के सख्त निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही मुख्य सचिव ने 31 जुलाई की समय सीमा निर्धारित करते हुए सभी विभागों को वित्त विभाग को डीपीआर भेजने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने विभागों को भविष्य में नाबार्ड की समयसीमा के अनुसार ही अपने प्रोजेक्ट के बजट बनाकर समयबद्धता से भेजने की सख्त हिदायत दी है। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने विभागों को अपने प्रोजेक्ट के प्रस्ताव, आहरण, प्रोजेक्ट कम्पलीशन सर्टिफिकेट (पीसीसी), प्रोजेक्ट कम्पलीशन रिपोर्ट (पीसीआर) को ऑनलाइन जमा करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने विभागों को प्रोजेक्ट पूरे होने पर एक सप्ताह के भीतर प्रोजेक्ट कम्पलीशन सर्टिफिकेट तथा छः माह के भीतर प्रोजेक्ट कम्पलीशन रिपोर्ट (पीसीआर) जमा करवाने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही राधा रतूड़ी ने विभागों को शहरी अवसंरचना विकास निधि (यूआईडीएफ) के तहत पार्किंग, मलिन बस्तियों के पुनर्विकास एवं शहरी वनीकरण के प्रोजेक्ट को शीर्ष प्राथमिकता पर नाबार्ड को भेजने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य सचिव रतूड़ी ने विभागों को सख्त हिदायत दी है कि नाबार्ड को सिर्फ उच्च गुणवत्ता वाले तथा योग्य प्रोजेक्ट ही प्रस्तावित किए जाने चाहिए। प्रोजेक्ट्स की प्राथमिकता भी विभागों द्वारा ही तय की जानी चाहिए तथा विभागों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि फण्डिंग की डुप्लीकेसी ना हो। उन्होंने अपेक्षाकृत छोटे प्रोजेक्ट को नाबार्ड में प्रस्तावित ना करने का सुझाव दिया है। मुख्य सचिव ने विभागों को दिए गए लक्ष्य के 50 प्रतिशत प्रोजेक्ट 30 जून, 60 प्रतिशत प्रोजेक्ट 31 जुलाई तथा 100 प्रतिशत प्रोजेक्ट 15 अगस्त तक वित्त विभाग को भेजने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने वित्त विभाग को भी प्रतिपूर्ति हेतु बिल नाबार्ड में जमा कराने हेतु प्रत्येक चार माह का टारगेट दिया है। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सभी विभागों को कड़ाई से स्पष्ट किया है कि प्रतिपूर्ति लेने में असफल होने वाले विभागों को इस सम्बन्ध में भविष्य में कार्यशैली में सुधार करना होगा। मुख्य सचिव ने सिंचाई विभाग को जल स्रोतों एवं नदियों के पुनर्जीवीकरण के प्रोजेक्ट नाबार्ड हेतु प्रस्तावित करने के निर्देश दिए।
बुधवार को सचिवालय में नाबार्ड की उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक की अध्यक्षता के दौरान मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि राज्य के ग्रामीण विकास में नाबार्ड द्वारा प्राप्त होने वाली वित्तीय सहायता का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
बैठक में जानकारी दी गई कि वित्त विभाग द्वारा कुल 360.47 करोड़ रूपये के प्रोजेक्ट प्राप्त किए गए हैं जिनमें सिंचाई विभाग से 77.40 करोड़ के 10 प्रोजेक्ट, लोक निर्माण विभाग से 193.11 करोड़ के 89 प्रोजेक्ट, तकनीकी शिक्षा से 66.96 करोड़ के 4 प्रोजेक्ट, पशुपालन से 9.52 करोड़ का 1 प्रोजेक्ट, ग्रामीण निर्माण विभाग से 13.4811 करोड़ के 5 प्रोजेक्ट हैं। वर्ष 2023-24 में राज्य को नाबार्ड द्वारा कुल अनुमोदित 904.4 करोड़ के सापेक्ष भुगतान 954.9 करोड़ रहा है। वर्ष 2024-25 के लिए आरआईडीएफ के तहत 1200 करोड़ का अनुमोदित लक्ष्य तथा 969 करोड़ रूपये का प्रतिपूर्ति लक्ष्य रखा गया है।
राज्य में नाबार्ड के तहत ग्रामीण अवसंरचना विकास निधि (आरआईडीएफ) से 2.05 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिचाई सुविधाओं का सृजन एवं पुनर्द्धार किया गया है। लगभग 14,766 किमी ग्रामीण सड़कों के नेटवर्क का निर्माण एवं सुधार किया गया है। 27307 मीटर ब्रिज का निर्माण हो चुका है। 23.77 लाख ग्रामीण आबादी को पेयजल सुविधा मिल चुकी है। 241 स्कूल एवं आईटीआई का निर्माण एवं पुनर्द्धार हो चुका है।
बैठक में अपर मुख्य सचिव आनंद वर्धन, सचिव दिलीप जावलकर, सीजीएम नाबार्ड सहित वित्त, लोक निर्माण, सिंचाई विभाग के अधिकारी मौजूद रहे।
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ग्राम्य विकास विभाग की योजनाओं की समीक्षा
ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी द्वारा शुक्रवार को सिविल सर्विसेज इंस्टिट्यूट, राजपुर रोड, देहरादून में सचिव ग्राम्य विकास राधिका झा एवं सभी जनपदों के मुख्य विकास अधिकारियों के साथ ग्राम्य विकास विभाग की समीक्षा की। बैठक में वर्चुवल माध्यम से समस्त जनपदों के जनपद स्तरीय अधिकारी एवं 95 विकास खण्डों के खण्ड विकास अधिकारियों द्वारा भी प्रतिभाग किया गया। विभागान्तर्गत केंद्र पोषित योजनाएं राज्य पोषित एवं वाहय सहायतित परियोजना संचालित हैं, जिनकी प्रगति के संबंध में जनपदवार/योजनावार विस्तृत चर्चा की गयी।
ग्राम्य विकास मंत्री ने मुख्य विकास अधिकारियों को ग्राम्य विकास से संबंधित सभी संचालित योजनाओं को गुणवत्ता के साथ सफल क्रियान्वयन के निर्देश दिये। उन्होंने समस्त जरूरतमंद ग्रामीणों तक योजनाओं का लाभ पहुचाने के भी निर्देश दिये ।
बैठक में सचिव राधिका झा ने बताया कि विभाग के अन्तर्गत श्रम रोजगार तथा कौशल विकास, आजीविका संवर्धन, ग्रामीण अवस्थापना, ग्रामीण मार्ग संयोजकता, सीमांत क्षेत्र विकास एवं पलायन रोकथाम योजना संचालित हैं, जिसमें श्रम रोजगार तथा कौशल विकास को बढ़ावा दिये जाने हेतु महात्मा गांधी नरेगा एवं दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना के अन्तर्गत कार्य किया जा रहा है। स्वरोजगार के दृष्टिगत आजीविका संवर्धन में दीनदयाल अन्त्योदय योजना (राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन), ग्रामीण उद्यम वेग वृद्धि परियोजना, महात्मा गांधी नरेगा एवं ग्रामीण व्यवसाय इन्क्यूबेटर के अन्तर्गत कार्य किया जा रहा है। ग्रामीण अवस्थापना में प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण, महात्मा गांधी नरेगा एवं दीनदयाल अन्त्योदय योजना (राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन) के अन्तर्गत कार्य किया जा रहा है। ग्रामीण मार्ग संयोजकता में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में फेस प्रथम एवं द्वितीय की समस्त योजनाओं को माह मार्च 2024 तक पूर्ण किये जाने के निर्देश दिये गये हैं।
उन्होंने मुख्य विकास अधिकारियों को पीएमजीएसवाई के कार्यों की जिलाधिकारी एवं स्वयं के स्तर पर समीक्षा करने के निर्देश दिये। मनरेगा के अन्तर्गत सोशल ऑडिट नियमानुसार/प्रक्रियानुसार किये जाने तथा धरातल में योजनाओं के क्रियान्वयन में आ रही समस्याओं के निराकरण पर जोर दिया गया। सीमांत क्षेत्रों के विकास हेतु सीमान्त क्षेत्र विकास कार्यक्रम, वाईब्रेट विलेज प्रोग्राम एवं मुख्यमंत्री सीमान्त क्षेत्र विकास कार्यक्रम जैसी महत्वकांक्षी योजनाओं के अन्तर्गत किये जा रहे कार्यों के सतत अनुश्रवण के भी निर्देश दिये।
बैठक में बताया गया कि पलायन रोकथाम हेतु ग्राम्य विकास विभाग द्वारा मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना के अन्तर्गत पलायन ग्रस्त गांवों में विकास किये जा रहे हैं, जिन्हें जनपद की आवश्यकतानुसार किये जाने के निर्देश दिये गये हैं। ग्राम्य विकास विभाग के अन्तर्गत गरीबी उन्मूलन एवं आजीविका के निरन्तर प्रयास किये जा रहे हैं। राज्य में उत्तराखण्ड राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अन्तर्गत गठित समूह के सदस्यों को सशक्तिकरण, आजीविका संवर्धन एवं स्वरोजगार उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से विभिन्न योजनाओं का संचालन कर समूहों की महिलाओं को सशक्त बनाये जाने का कार्य किया जा रहा है, जिसके तहत 40000 से अधिक सदस्यों को लखपति दीदी के रूप में तैयार किया गया है। इसमें मुख्य विकास अधिकारी विकास खण्ड स्तर पर खण्ड विकास अधिकारियों की अहम भूमिकायें हैं, जिसके लिये निरन्तर अनुश्रवण पर भी बल दिया जा रजा है। योजनाओं के अन्तर्गत जिन जनपदों द्वारा सराहनीय कार्य किया गया उन्हें प्रोत्साहित कर अन्य जनपदों को भी रणनीति के तहत कार्य के निर्देश दिये गये हैं, ताकि आगामी बैठक में समस्त जनपदों की प्रगति सराहनीय रहे।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अन्तर्गत रैंकिंग में प्रथम तीन जनपद टिहरी, बागेश्वर एवं पौड़ी हैं, जबकि जनपद उधमसिंह नगर, पिथौरागढ एवं हरिद्वार की रैंकिंग सबसे कम रही। मनरेगा के अन्तर्गत चम्पावत, पौडी एवं उधमसिंह नगर प्रथम तीन स्थान पर जबकि देहरादून, बागेश्वर एवं उत्तरकाशी अंतिम रहे। इसी प्रकार प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण में बागेश्वर चम्पावत प्रथम, रूद्रप्रयाग, उत्तरकाशी द्वितीय स्थान एवं देहरादून, नैनीताल एवं टिहरी तृतीय स्थान पर रहे, किन्तु जनपद अल्मोडा. उधमसिंह नगर एवं पौडी अंतिम स्थान में रहे। विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के अंतर्गत कार्यों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिये जाने तथा प्रत्येक योजना के अन्तर्गत सफलता एवं असफलता की कहानी तैयार कर प्रस्तुत करने एवं योजना आउटकम पर विशेष ध्यान दिये जाने के निर्देश दिये गये है साथ ही राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अन्तर्गत गठित स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से उत्पादित उत्पादों को आउटलेट के माध्यम से विपणन किया जा रहा है। बैठक में प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के अन्तर्गत समस्त आवासों को पूर्ण किये जाने के भी निर्देश दिये गये। इस अवसर पर समस्त जनपदों के मुख्य विकास अधिकारियों द्वारा जनपद में किये जा रहे कार्यों एवं बेस्ट प्रैक्टिसेज का प्रस्तुतीकरण प्रस्तुत किया गया।
बैठक में आनन्द स्वरूप, अपर सचिव/आयुक्त, ग्राम्य विकास, नितिका खण्डेवाल, अपर सचिव, ग्राम्य विकास, कर्मेन्द्र सिंह, सी.ई.ओ. पीएमजीएसवाई, नरेन्द्र कुमार जोशी, निदेशक, उसाटा, समस्त जनपदों के मुख्य विकास अधिकारी एवं अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।
ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए ग्राम सेवक की अवधारणा पर कार्य किये जाये-धामी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में शुक्रवार को ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की बैठक आयोजित की गई। मुख्यमंत्री ने कहा ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन को रोकने के उद्देश्य से बने इस आयोग को नाम पलायन निवारण आयोग रखा जाए। आयोग की सिफारिशों का बेहतर तरीके से क्रियान्वयन हो सके इसके लिए मुख्यमंत्री ने अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाने के निर्देश दिये जिसमें आयोग के सदस्य भी होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए एक ग्राम एक सेवक की अवधारणा पर कार्य किये जाएं। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के समग्र विकास के लिए राज्य सरकार अनेक जन कल्याणकारी योजनाओं पर कार्य कर रही है। राज्य के विकास से संबंधित नये विषयों को आगे बढ़ाया जा रहा है। 2025 में उत्तराखण्ड राज्य स्थापना की रजत जयंती मनायेगा। ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग तब तक किस-किस क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है, उन क्षेत्रों में कार्ययोजना के साथ ही कार्य एवं उपलब्धि धरातल पर दिखे, इस दिशा में विशेष ध्यान दिया जाए। किसी भी बैठक का आउटपुट आना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पलायन आयोग द्वारा अपनी रिपोर्ट के माध्यम से जो सुझाव दिये जा रहे हैं, उन सुझावों को अमल में लाने के लिए संबंधित विभागों द्वारा ठोस कार्ययोजनाएं बनाई जाए। जनकल्याणकारी योजनाओं का लोगों को अधिक से अधिक लाभ मिले, इसके लिए प्रक्रियाओं के सरलीकरण पर विशेष ध्यान दिया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन को रोकने के लिए गांवों पर केंद्रित योजनाओं पर विशेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के संसाधन बढ़ाने एवं अवस्थापना विकास से संबंधित केन्द्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं का आम जन को पूरा लाभ मिले। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में राज्य में सड़क, रेल कनेक्टिविटी के साथ अवस्थापना विकास के क्षेत्र में तेजी से कार्य हो रहे है। उन्होंने कहा कि राज्य में ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग को अपने उद्देश्यों और लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सीमित दायरा न हो। अधिकांश लोगों को आजीविका से कैसे जोड़ा जा सकता है, इस दिशा में विशेष ध्यान दिया जाए।
ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एस.एस. नेगी ने कहा कि ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग द्वारा राज्य सरकार को 18 रिपोर्ट प्रस्तुत की जा चुकी हैं। उन्होंने कहा कि काफी लोगों का रूझान रिवर्स माइग्रेशन की दिशा में बढ़ा है। इस अवसर पर ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग के सदस्यों ने भी राज्य के समग्र विकास के लिए किन क्षेत्रों में अधिक ध्यान देने की जरूरत है, अपने सुझाव दिये।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, आनन्द बर्द्धन, सचिव शैलेश बगोली, विशेष सचिव डॉ. पराग मुधुकर धकाते, अपर सचिव आनन्द स्वरूप, सदस्य ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग अनिल शाही, रंजना रावत, सुरेश सुयाल, दिनेश रावत एवं राम प्रकाश पैन्यूली उपस्थित रहे।