केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से आज दिल्ली में मुलाकात कर कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत ने उन्हें ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे प्रोजेक्ट के अंतर्गत श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र में परियोजना प्रभावितों को सर्किल रेट बढ़ाकर मुआवजा देने की मांग की। उन्होंने रेलवे मंत्री से लारा कोर्ट के निर्णयों को लागू करने एवं प्रभावित परिवारों के सभी भाईयों को मुआवजा देने व श्रीनगर में अंशिक क्षतिग्रस्त मकानों को भी मुआवजा देने की मांग की। इसके साथ ही केन्द्रीय मंत्री से प्रदेश की ग्राम पंचायतों को भारत नेट प्रोजेक्ट से जोड़ने का भी आग्रह किया। जिस पर केन्द्र रेलवे मंत्री ने सकारात्मक रूख अपनाते हुये कार्यवाही करने का आश्वासन दिया। इससे पहले कैबिनेट मंत्री डॉ0 रावत ने नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से शिष्टाचार मुलाकात की।
रावत ने केन्द्रीय रेलवे मंत्री से ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना पर विस्तृत चर्चा कर परियोजना प्रभावितों की समस्याओं से उन्हें अवगत कराया। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री से श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र में सर्किल रेट की दर बढ़ाकर नये सर्किल रेट पर परियोजना प्रभावितों को मुआवजा देने की मांग की। रावत ने बताया कि रेलवे परियोजना से प्रभावित लोग उचित मुआवजे से वंचित हैं। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री के समक्ष लारा कोर्ट के फैसलों के तहत प्रभावितों को मुआवजा देने की मांग भी रखी। इस दौरान रावत ने केन्द्रीय रेलवे मंत्री के समक्ष प्रभावित परिवार के एक ही व्यक्ति को मुआवजा देने का मुद्दा रखा, उन्होंने बताया कि इस व्यवस्था से परिवार के अन्य भाईयों को मुआवजा नहीं मिल पा रहा है, जिस पर रावत ने केन्द्रीय मंत्री से प्रभावित परिवार के सभी भाईयों को मुआवजा आवंटित करने की मांग की। श्रीनगर, स्वीत एवं अन्य जगहों पर आंशिक एवं पूर्ण क्षतिग्रस्त मकानों का मुआवजा दिये जाने की मांग भी केन्द्रीय मंत्री के समक्ष रखी साथ ही
उन्होंने केन्द्रीय मंत्री को उत्तराखंड प्रवास पर आने के लिये आमंत्रित किया। प्रदेश की पंचायतों को हाई स्पीड इंटरनेट से जोड़ने के लिये डॉ. रावत ने केन्द्रीय मंत्री से उत्तराखंड में भी भारत नेट प्रोजेक्ट शुरू करने की बात कही। रावत ने बताया कि केन्द्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सकारात्मक रूख अपनाते हुये रेलवे परियोजना से प्रभावितों की समस्याओं को दूर करने एवं उचित मुआवजा देने के लिये शीघ्र कार्यवाही करने का भरोसा दिया। इससे पहले कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत ने नव निर्वाचित उपराष्ट्रपति से शिष्टाचार मुलाकात की। इस अवसर उन्होंने उपराष्ट्रपति को राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लागू करने की जानकारी दी और प्राथमिक स्तर पर बालवाटिका संचालित करने सहित भविष्य की योजनाओं से अवगत कराया।
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राजपाल खरोला ने स्थानीय ट्रांसपोर्टरों को रोजगार देने की मांग की
कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राजपाल खरोला ने आज ऋषिकेश विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत रेलवे विकास निगम कार्यालय के समीप हिल ट्रक ट्रांसपोर्ट महासंघ ऋषिकेश (गढ़वाल क्षेत्र) के बैनर तले 21 अक्टूबर से चल रहे धरने को अपना समर्थन दिया।
इस अवसर पर खरोला ने कहा कि कर्णप्रयाग-ऋषिकेश रेलवे प्रोजेक्ट के तहत जो भी कंपनिया अंडरटेकिंग कार्यरत है उन्होंने कुछ दिनों तक तो लोकल ट्रांसपोर्टर को तो कार्य दिया परन्तु जैसे डीजल के भाव बढे तो स्थानीय ट्रांसपोर्टरो ने कम्पनी से भाड़े बढाने की बात करी तो कंपनियों ने सारा काम बाहर की कंपनियों को दे दिया जिससे लोकल ट्रांसपोर्टर का सारा काम ही खत्म हो गया।
खरोला ने कहा कि सरकार ने बाहरी और लोकल भारी वाहनों के लिए भी अलग अलग मानक बना रखे है जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। वाहन स्वामी गत 9 दिन से धरने में बैठे है परतु रेलवे विकास निगम के अधिकारी इस विषय पर संज्ञान नहीं ले रहे है और ना ही उनका कोई आला अधिकारी एवं जिम्मेदार लोग अभी तक वार्तालाप करने पहुंचे।
खरोला ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा उतराखंड में चल रहे विभिन्न योजनाओं से लोकल के व्यवसायी और बेरोजगार बहुत खुश थे कि उन्हें काम मिलेगा परन्तु इसके विपरीत सभी बाहर की कम्पनियों का काम दे दिया गया और कंपनिया बाहरी राज्यों के लोगो को ही काम पर रख रही है जो राज्य के हित के लिए बिल्कुल भी नहीं है।
खरोला ने कहा कि सरकार को इसके प्रति गंभीर होने की जरूरत है और कर्णप्रयाग-ऋषिकेश रेलवे प्रोजेक्ट और अन्य प्रोजेक्ट में 8 प्रतिशत रोजगार स्थानीय वाहन स्वामियों को और स्थानीय ट्रांसपोर्टरों को देने का नियम बाहरी कंपनियों के लिए बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर जल्द ही रेलवे विकास निगम इस विषय पर कोई समाधान नहीं निकालता तो कांग्रेस उग्र आन्दोलन के लिए बाध्य होगी।
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना के पहले स्टेशन पर स्पेशल ट्रेन का ट्रायल
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना के योग नगरी रेलवे स्टेशन पर सीसीआरएस स्पेशल ट्रेन का ट्रायल किया गया। ट्रायल का निरीक्षण करने पहुंचे रेल सुरक्षा आयुक्त ने ट्रेन का ट्रायल सफल रहा या नहीं, इस पर कुछ नहीं बोला। वहीं डीआरएम मुरादाबाद मंडल का कहना है कि ट्रायल सफल रहा, लेकिन इसकी फाइनल रिपोर्ट रेल सुरक्षा आयुक्त देंगे। वहीं, सूत्रों के अनुसार स्टेशन में रेल लाइन के समीप कुछ खामियां पाई गई हैं।
गौरतलब है कि पिछले काफी लंबे समय से योग नगरी ऋषिकेश रेलवे स्टेशन में ट्रेन के ट्रायल के लिए रेलवे विकास निगम वीरभद्र रेल लाइन और स्टेशन का कार्य जोरों से किया जा रहा था। इसके बाद मंगलवार को यहां स्टेशन मेें रेल सुरक्षा आयुक्त शैलेश कुमार पाठक के नेतृत्व में सीसीआरएस स्पेशल ट्रेन के संचालन का ट्रायल किया गया।
इसके बाद ट्रायल की रिपोर्ट भी पेश की जानी थी। मगर रिपोर्ट पेश करने के बजाय मौके पर उपस्थित सभी आला अधिकारी चुप्पी साध गए। वहीं, संपर्क साधने पर डीआरएम मुरादाबाद तरुण प्रकाश ने बताया कि उनके अनुसार सीसीआरएस स्पेशल का ट्रायल सफल रहा है। वहीं, सूूत्रों के अनुसार प्लेटफार्म नंबर एक का टीनशेड काफी बाहर निकला हुआ है। समीप में रेल लाइन के ऊपर विद्युत लाइन होने से ट्रेन के संचालन के दौरान करंट का खतरा बना हुआ है।
मुख्यमंत्री ने की मांग, मिड-डे-मील में परम्परागत अनाज शामिल होने से मिलेगा स्वरोजगार
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शनिवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में प्रतिभाग किया। हिमालयी स्टेट रीजनल काउंसिल, केदारनाथ पुनर्निर्माण परियोजना, चारधाम महामार्ग परियोजना, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना व नमामि गंगे परियोजना के लिए मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा है कि उत्तराखण्ड को अपनी पर्यावरणीय सेवाओं के लिए प्रोत्साहन के रूप में वित्तीय सहायता मिलनी चाहिए। मिड-डे मील में मंडुवा, झंगौरा भी शामिल किए जाएं। उत्तराखण्ड के सीमांत क्षेत्रों में रोड़ कनेक्टिविटी के साथ एयर व रेल कनेक्टिविटी भी विकसित की जाएं।
उत्तराखण्ड को मिले ईको-सिस्टम सर्विसेज के बदले प्रोत्साहन राशि
बैठक में मुख्यमंत्री ने विभिन्न बिंदुओं पर विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि उत्तराखण्ड राज्य द्वारा अपने दो-तिहाई भू-भाग पर वनों का संरक्षण सुनिश्चित करके राष्ट्र को महत्वपूर्ण पर्यावरणीय सेवायें (ईको-सिस्टम सर्विसेज) प्रदान की जा रही है। इन पर्यावरणीय सेवाओं के लिए हमें अपने विकास के अवसरों का परित्याग करना पड़ रहा है। अतः भारत सरकार से अनुरोध है कि क्षतिपूर्ति अथवा प्रोत्साहन के तौर पर समुचित वित्तीय सहायता राज्य को उपलब्ध करायी जाये। राज्यों की परम्परागत फसलों को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि मिड-डे-मील में चावल एवं गेहूँ के अतिरिक्त राज्यों की परम्परागत फसलें जैसे मंडुवा, झिगौरा इत्यादि को शामिल करना चाहिए।
हिमालयी स्टेट रीजनल काउंसिल, केदारनाथ पुनर्निर्माण, चारधाम परियोजना, नमामि गंगे के लिए प्रधानमंत्री का आभार
हिमालयी राज्यों की विशिष्ट भू-भौगोलिक परिस्थितियों पर विचार करने तथा इनकी कठिनाइयों के सम्यक् समाधान के लिए नीति आयोग के अन्तर्गत हिमालयी स्टेट रीजनल काउंसिल का गठन किए जाने पर मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री जी आभार व्यक्त किया। केदारनाथ पुनर्निर्माण परियोजना, चारधाम महामार्ग परियोजना, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना के लिए भी उत्तराखण्ड की ओर से प्रधानमंत्री जी को विशेष रूप से धन्यवाद दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि ये सभी परियोजनायें राज्य के दीर्घकालिक विकास के लिए बहुत उपयोगी हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि नमामि गंगे योजना के माध्यम से गंगा व उसकी सहायक नदियों को प्रदूषण मुक्त करने की दिशा में प्रधानमंत्री ने अभूतपूर्व पहल की है। गंगोत्री से लक्ष्मण झूला-ऋषिकेश तक गंगा के जल की गुणवत्ता को क्लास वन में वर्गीकृत किया गया है, जो हमारे प्रयासों की सफलता को दर्शाता है।
इन्वेस्टर्स समिट के बाद उत्तराखण्ड में अभी तक 14545 करोड़ का निवेश हो चुका है
उत्तराखण्ड राज्य सरकार द्वारा अक्टूबर 2018 में प्रथम बार निवेशक सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें निवेशकों को आकर्षित करने हेतु कई नीतियों प्रख्यापित की गई हैं। अब तक कुल 600 एम.ओ.यू., जिनकी लागत रूपये एक लाख चैबीस हजार करोड़ है, हस्ताक्षरित किये जा चुके हैं। अब तक कुल 109 एम.ओ.यू. के सापेक्ष रू0 चैदह हजार पांच सौ पैंतालिस करोड़ का निवेश हो चुका है।
सौंग बांध से देहरादून को 30 वर्ष तक होगी अबाध जलापूर्ति
राज्य सरकार द्वारा वर्षा जल संवर्द्धन के लिए विभिन्न जनपदों में जलाशयों का निर्माण किया जा रहा है। जनपद देहरादून में आगामी 30 वर्षों से भी अधिक समय तक निर्बाध जलापूर्ति सुनिश्चित किये जाने के लिए सौंग बाँध पेयजल परियोजना पर कार्य किया जा रहा है। राज्य सरकार के द्वारा वर्ष 2022 तक 5000 समस्याग्रस्त प्राकृतिक जल स्त्रोत को पुनर्जीवित एवं सवंर्दि्धत करने का कार्य किया जायेगा। राज्य के विभिन्न विभागों द्वारा वर्ष 2018-19 में वर्षा जल संचय हेतु कुल 19.22 लाख संरचनायें निर्मित की गयी, जिसमें 11,730 लाख लीटर जल संचय की क्षमता विकसित हुयी है। राज्य सरकार द्वारा बिल्डिंग बाईलॉज में रेन वाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य किया गया है। कुपोषण की समस्या दूर करने के लिए महिलाओं के द्वारा संचालित स्वयं सहायता समूहों के सहयोग से स्थानीय उपज मंडुवा, चैलाई, झिंगौरा इत्यादि से विनिर्मित पोषक आहार ’’ऊर्जा’’ को जनपदों में ही तैयार करके, अतिकुपोषित बच्चों को पूरक आहार उपलब्ध कराया जा रहा है।
राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना से होगा कृषि में आमूलचूल परिवर्तन
कृषि सैक्टर के आमूलचूल परिवर्तन हेतु संरचनात्मक सुधारों व कृषकों की आमदनी दोगुनी करने के उद्देश्य से एक महत्वाकांक्षी परियोजना ’राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना’ का शुभारम्भ प्रधानमंत्री के कर कमलों से रूद्रपुर में किया गया। रू0 3340 करोड़ की इस परियोजना से बेमौसमी सब्जी उत्पादन, फल उत्पादन, फल उत्पादन, सगन्ध पौधों की खेती, भैंस पालन, भेंड एवं बकरी पालन तथा शीत जल मात्स्यकी आदि क्षेत्रों को विशेष रूप से बढ़ावा मिलेगा।
रूरल ग्रोथ सेंटर से होगी ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत
राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देने हेतु ’’रूरल ग्रोथ सेन्टर्स’’ पर कार्य किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत प्रत्येक न्याय पंचायत क्षेत्र में, उस क्षेत्र की मुख्य आर्थिकी के अनुरूप नियोजित आर्थिक विकास किया जायेगा। कृषि के क्षेत्र में कई अभिनव प्रयोग जैसे ट्राउट फार्मिंग, हैम्प कल्टिवेशन एवं प्रोडक्शन, एकीकृत फार्मिंग मॉडल, फार्म मशीनरी बैंक एंव कस्टम हायरिंग सेन्टर्स इत्यादि के माध्यम से कृषि क्षेत्र को बढ़ावा दिया जा रहा है। परम्परागत कृषि विकास योजना के अन्तर्गत प्रथम चरण में 3900 जैविक क्लस्टर स्वीकृत किये गये हैं। समस्त पर्वतीय विकास खण्डों को अगले पाँच वर्षों में आर्गेनिक विकास खण्डों में परिवर्तित किया जायेगा।
मृदा कार्ड व डीबीटी से खाद इन्पुट सब्सिडी में 140 करोड़ की बचत
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में मृदा कार्ड में दी गयी संस्तुतियों एवं डी.बी.टी. योजना संचालन के उपरान्त उर्वरक खपत में अनुमानतः 20 प्रतिशत तक इनपुट लागत में गिरावट आयी है और खाद की इनपुट सब्सिडी में 140 करोड़ रूपए की बचत हुई है। राज्य सरकार द्वारा, कृषि, औद्यानिकी व उनकी सह-गतिविधियों के लिए 30 वर्ष तक लीज पर भूमि दिये जाने की व्यवस्था की गयी है। साथ ही समस्त कृषि ऋण एवं कृषि गतिविधियों के लिए कृषकों को एक लाख रूपए तक का ऋण बिना ब्याज के उपलब्ध कराया जा रहा है।
एपीएमसी एक्ट व आवश्यक वस्तु अधिनियम में परिवर्तन पर विचार हो
उत्तराखण्ड राज्य में कृषि व बागवानी को प्रोत्साहित करने के लिए उत्तराखण्ड मण्डी अधिनियम में माडल एक्ट के सापेक्ष निजी मण्डी, संविदा कृषि, कृषक-उपभोक्ता बाजार की व्यवस्था, मण्डी अधिनियम में की गयी है। कृषि उत्पाद विपणन समिति अधिनियम तथा आवश्यक वस्तु अधिनियम-1955 के सम्बन्ध में कृषि क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए एपीएमसी एक्ट तथा आवश्यक वस्तु अधिनियम के विभिन्न प्राविधानों में मूलभूत परिवर्तन किए जाने पर बल दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि नीति आयोग द्वारा विचारोपरान्त एक चर्चा पत्र तैयार कर राज्यों के साथ विचार-विमर्श करना श्रेयस्कर रहेगा।
सीमावर्ती क्षेत्रों में रोड़, रेल व एयर कनेक्टिविटी को विकसित करने पर बल
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य की अन्तर्राष्ट्रीय सीमायें चीन तथा नेपाल से लगी है। सीमावर्ती एवं दूरस्थ ग्रामीण अंचलों से पलायन राज्य सरकार के समक्ष गम्भीर चुनौती है एवं इस हेतु अवस्थापना सुविधायें जैसे कि सड़क, पानी, बिजली एवं विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार सृजन के लिए निवेश करने की आवश्यकता है। इन सीमान्त क्षेत्रों में रोड़ कनेक्टिविटी के साथ रेल व एयर कनेक्टिविटी को भी विकसित करना होगा।
देश की सबसे लंबी सुरंग कहलायेगी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाईन
ऋषिकेश एशिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क भारतीय रेलवे के खाते में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के साथ ही एक उपलब्धि और जुड़ जाएगी। प्रस्तावित ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन पर देश में अब तक की सबसे लंबी सुरंग बनने जा रही है। जिसकी लंबाई 15 किलोमीटर होगी। अभी तक भारतीय रेलवे जम्मू-कश्मीर में ही सबसे लंबी रेल सुरंग बना पाया है, जो सवा ग्यारह किलोमीटर लंबी है।
भारतीय रेलवे की बहुप्रतीक्षित ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना अपने आप में कई मायनों में अनूठी है। 125 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन पर कुल 16 सुरंगें और 16 पुल बनने हैं। बड़ी बात यह कि इस रेल लाइन पर देश में अब तक की सबसे लंबी सुरंग बनने जा रही है। जिसकी लंबाई 15.100 किलोमीटर होगी। देश में अब तक सबसे लंबी रेल सुरंग उत्तर रेलवे ने जम्मू-कश्मीर में वर्ष 2013 में तैयार की थी। जबकि, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन की बात करें तो यहां प्रस्तावित 16 सुरंगों में से पांच सुरंग नौ किलोमीटर से भी लंबी हैं। इसके अलावा छह सुरंगें छह से नौ किलोमीटर तक लंबाई की हैं। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना पर इसी वर्ष नंवबर-दिसंबर में काम शुरू होने की उम्मीद है।
छह किमी से लंबी सुरंग में बनेगी निकासी सुरंग
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन की एक और खासियत यह है कि इस पर रेल सिर्फ 20 किलोमीटर का सफर ही खुले आसमान के नीचे तय करेगी। बाकी रेल लाइन का 105 किलोमीटर हिस्सा सुरंगों से होकर गुजरेगा। इस रेल लाइन पर छह किलोमीटर व इससे अधिक लंबाई की प्रत्येक सुरंग पर एक निकासी सुरंग भी बनाई जाएगी। ऋषिकेश से कर्णप्रयाग के बीच प्रस्तावित 18 सुरंगों में से 11 सुरंगों की लंबाई छह किलोमीटर से अधिक है। इन सभी के साथ निकासी सुरंगें बनाई जानी हैं, जो आपात स्थिति में काम आएंगी।
रेल यात्रियों को महसूस नहीं होगी घुटन
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन पर जब यात्री 105 किलोमीटर का सफर 18 सुरंगों से तय करेंगे तो यहां उन्हें किसी भी तरह की घुटन महसूस नहीं होगी। रेल विकास निगम के परियोजना प्रबंधक ओमप्रकाश मालगुड़ी ने बताया कि इन सुरंगों में वेंटीलेशन की पर्याप्त व्यवस्था होगी। वेंटीलेशन सिस्टम पूरी तरह से आधुनिक व तकनीकी से लैस होगा। प्रत्येक सुरंग का डायमीटर आठ से दस फीट का होगा।
देश की सबसे लंबी पांच रेल सुरंग
टनल का नाम-जगह-लंबाई
पिर पंजल-जम्मू कश्मीर-11.215 किमी
करबड़े-महाराष्ट्र-6.506 किमी
नाथूवाड़ी-महाराष्ट्र-4.389 किमी
टाइक-महाराष्ट्र-4.077 किमी
बर्डेवाड़ी-महाराष्ट्र-4.000 किमी
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन पर प्रस्तावित सुरंग
ढालवाला से शिवपुरी-10.850 किमी
शिवपुरी से गूलर-6.470 किमी
गूलर से व्यासी-6.720 किमी
व्यासी से कौड़ियाला-2.200 किमी
कौड़ियाला से बागेश्वर-9.760 किमी
राजचौरा से पौड़ी नाला-220 मीटर
पौड़ी नाला से सौड़ (देवप्रयाग)-1.230 किमी
सौड़ से जनासू-15.100 किमी
लछमोली से मलेथा-2.800 किमी
मलेथा से नैथाणा (श्रीनगर)-4.120 किमी
श्रीनगर से परासू (धारी)-9.000 किमी
परासू से नरकोट-7.080 किमी
नरकोट से तिलनी-9.420 किमी
तिलनी से घोलतीर-6.460 किमी
घोलतीर से गोचर-7.160 किमी
रानो से सिवई-6.400 किमी
सुरंगों के लिए हो चुका भूगर्भीय सर्वेक्षण
रेल विकास निगम के परियोजना प्रबंधक ओम प्रकाश मालगुड़ी ने बताया कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन पर 18 सुरंगों के लिए भूगर्भीय सर्वेक्षण हो चुका है। सुरंग निर्माण के लिए टीबीएम (टनल बोङ्क्षरग मशीन) व एनएटीएम (न्यू आस्ट्रीयन टनलिंग मैथड) से काम किया जाएगा। जम्मू-कश्मीर में अब तक की सबसे बड़ी रेल सुरंग का निर्माण करने वाले इंजीनियर व विशेषज्ञों की भी मदद ली जा रही है।