टीवी पर अयोध्या से लाइव प्रसारण देख सीएम ने मंदिर निर्माण में संघर्षों को किया याद

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को अयोध्या में श्रीराम मंदिर का भूमि पूजन एवं शिलान्यास किया। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन का टेलीविजन पर सीधा प्रसारण देखा।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अयोध्या में श्री राम मन्दिर का भूमि पूजन एवं शिलान्यास किया। कई वर्षों के संघर्ष के बाद आज यह स्वर्णिम अवसर आया है। देश और अयोध्या में सैकड़ों परिवार ऐसे हैं, जो काफी समय से अखण्ड रामायण का पाठ एवं रामधुन कर रहे हैं। अयोध्या में श्रीराम मन्दिर बने, हजारों लोगों ने इसके लिए बलिदान दिया। आज उन हजारों लोगों का संघर्ष स्वरूप ले रहा है। उन्होंने कहा कि 1989 में जब अयोध्या में श्रीराम मन्दिर के निर्माण के लिए आन्दोलन बहुत तीव्र हुआ था, सब लोग श्रीराम मन्दिर निर्माण के लिए जागरण करते थे।

उन्होंने कहा कि 1989 में जब श्रीराम मन्दिर के लिए आन्दोलन चल रहा था, तब लोगों से श्रीराम मन्दिर निर्माण के लिए सवा रूपये एकत्रित किये जाते थे, कि श्रीराम मन्दिर के निर्माण के लिए एक पत्थर आपके नाम का भी लग जायेगा। उत्तरकाशी के दूरस्थ गांव लिवाड़ी-खिताड़ी 18 किमी पैदल चलकर लोग श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए वहां से शिला लाये। श्रीराम मन्दिर के भूमि पूजन से ऐसे लोगों की आत्मा को शांति मिलेगी। वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रचारक मोरोपंतजी पिंगले, अशोक सिंघल, महन्त अवैध्यनाथ एवं कोठारी बंधुओं ने इस आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मुख्यमंत्री ने अपने स्मरण को साझा करते हुए कहा कि श्रीराम मन्दिर के निर्माण के लिए जब 1989 में आन्दोलन चल रहा था, तब वे मेरठ में थे। भेष बदलकर हमने इस आन्दोलन में भाग लिया था। हमारे साथ हजारों लोगों ने इस आन्दोलन में भाग लिया। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उनकी उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से वार्ता हुई। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र जल्द ही अयोध्या जाकर भगवान श्रीराम के दर्शन करेंगे। अयोध्या में जो श्रीराम मन्दिर बनेगा उसका स्वरूप भी देखकर आयेंगे।

उत्तराखंड अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को देगा गंगाजल

उत्तराखंड सचिवालय में कैबिनेट मंत्री और शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने मीडिया से मुखातिब होते हुए बताया कि इस साल कोविड-19 के चलते इस कांवड़ यात्रा नहीं होगी। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार ने यात्रा को स्थगित करने का यह फैसला सामूहिक तौर पर लिया है। इसे ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड सरकार ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात करने के बाद महत्वपूर्ण फैसला लिया है। शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि राज्य सरकार अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को गंगा जल भेंट करेगी। जिसके बाद इन राज्यों की सरकारें भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए हरिद्वार से गंगा जल ले जाने सकेंगी। केवल हरिद्वार तक ही अनुमति होगी।

मदन कौशिक ने कुंभ 2021 के बारे में बताते हुए कहा कि पहले शाही स्नान से पहले स्थाई निर्माण कार्य पूरे कर दिए जांएगे। इसके लिए बजट की कोई कमी नहीं है।

1. राज्य सरकार आगामी कुंभ मेले के सफल आयोजन हेतु प्रयासरत है। कुंभ का आयोजन निर्धारित समय अवधि में संपन्न हो इसके लिए सभी अखाड़ों की भी सहमति है।
2. कुंभ की व्यवस्थाओं के अंतर्गत किए जा रहे स्थाई प्रकृति के कार्यों को निर्धारित अवधि में पूर्ण करने के प्रयास किए जा रहे हैं। हरिद्वार को जोड़ने वाले प्रमुख मार्गों, पुलों आदि के निर्माण, पुनर्निर्माण के कार्य प्रगति पर है।
3. राज्य सरकार सभी 13 अखाड़ों को उनके स्तर पर श्रद्धालुओं के लिए की जाने वाली आवश्यक अवस्थापना सुविधाओं के विकास हेतु कुंभ मेला प्रयाग की भांति यथासंभव आर्थिक सहयोग दिए जाने पर विचार कर रही है। इससे अखाड़ों को जन सुविधाओं व मूलभूत सुविधाओं के विकास में सुविधा होगी। कार्यदायी संस्था का भी निर्धारण शीघ्र किया जायेगा
4. जिन अखाड़ों के पास अपनी भूमि उपलब्ध होगी, उन्हीं को अवस्थापना सुविधाओं के विकास हेतु धनराशि उपलब्ध करायी जायेगी। अखाड़ों के अधीन होने वाले कार्यों के लिये कार्यदायी संस्था का भी निर्धारण शीघ्र किया जायेगा।
5. श्रावण माह में हरिद्वार में आयोजित होने वाले कांवड़ मेले को कोविड-19 के दृष्टिगत स्थगित किया जा रहा है, इस संबंध में यूपी, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान व हिमाचल के मुख्यमंत्रियों से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की वार्ता हुई है। सभी ने वर्तमान संकट को ध्यान में रखते हुए इसके लिये सहमति जतायी है।
6. कांवड़ के दृष्टिगत पड़ोसी राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों, उप राज्यपालों एवं मंत्रिगणों के माध्यम से उनके प्रदेशों को गंगाजल उपलब्ध कराने का अभिनव प्रयास राज्य सरकार द्वारा किया जायेगा।
7. गंगाजल के लिये हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं को उनके समीप के प्रमुख मंदिरों में गंगा जल की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी। प्रदेश सरकार द्वारा पीतल के बड़े कलशों में हर की पैड़ी से गंगा जल भरकर संबंधित प्रदेशों को उपलब्ध कराया जायेगा।
8. कुंभ मेले के स्थायी प्रकृति के कार्यों की व्यापक समीक्षा के लिये मुख्यमंत्री द्वारा नगर विकास मंत्री, सचिव शहरी विकास एवं मेलाधिकारी की समिति गठित की है। समिति द्वारा कार्यों की नियमित समीक्षा की जायेगी। कुंभ के अंतर्गत किये जाने वाले अस्थायी निर्माण कार्यों के सम्बन्ध में भी शीघ्र निर्णय लिया जायेगा।
9. गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी छड़ी यात्रा का संचालन किया जायेगा। इसमें सीमित लोगों द्वारा प्रतिभाग किया जायेगा। यह यात्रा उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक एकता की प्रतीक है। परम्परानुसार जूना अखाड़े से पवित्र छड़ी यमुनोत्री, गंगोत्री होते हुए केदारनाथ और बदरीनाथ जाती है। बदरीनाथ से यह छड़ी कुमाऊं मंडल के विभिन्न तीर्थ स्थलों से होते हुए वापस जूना अखाड़ा हरिद्वार पहुंचेगी और माया देवी मंदिर में प्रतिष्ठित की जाती है।
10. हरिद्वार में चूंकि प्रति माह कोई न कोई आयोजन होता रहता है अतः अवस्थापना सुविधाओं के विकास से इसमें सुविधा होगी। हरिद्वार में आयोजित होने वाले विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों व आयोजनों में भले ही सीमित संख्या में श्रद्धालु आयें लेकिन आते जरूर हैं।

धनिष्ठा नक्षत्र में सुबह साढ़े चार बजे खुले बदरीनाथ धाम के कपाट

शुक्रवार सुबह विधि-विधान से पूजा अर्चना के बाद सुबह 4.30 बजे धनिष्ठा नक्षत्र में बदरीनाथ धाम के कपाट खोले गए। कपाटोद्घाटन मे मुख्य पुजारी रावल, धर्माधिकारी भूवन चन्द्र उनियाल, राजगुरु, हकहकूकधारियो सहित केवल 11 लोग ही शामिल हुए।

भगवान बदरी विशाल के गर्भ गृह के द्वार खुलते ही सबसे पहले बदरीनाथ के रावल ईश्वरी प्रसाद नम्बूदरी ने गर्भ गृह में सबसे पहले प्रवेश किया। शीतकाल में जिस ऊनी घृत कम्बल को भगवान ओढ़ाया गया था उसे रावल जी ने श्रद्धा पूर्वक निकाला। इसके बाद रावल ने पवित्र जलों से भगवान का स्नान करवाया और भव्य अभिषेक किया। इस दौराना सभा मंडप में धर्माधिकारी और अपर धर्माधिकारी वेद पाठी मंत्रोच्चार करते रहे।

मंदिर परिसर को किया सैनिटाइज
कपाट खोलने से पहले बदरीनाथ सिंह द्वार, मंदिर परिसर, परिक्रमा स्थल, तप्त कुंड के साथ ही विभिन्न स्थानों को सैनिटाइज किया गया। योग ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर में कुबेर जी, उद्धव जी और गरुड़ जी की विशेष पूजाएं हुईं। हक-हकूकधारियों ने सामाजिक दूरी का पालन करते हुए भगवान श्री बदरीनाथ की पूजा अर्चना की और पुष्प अर्पित किए। 

ऋषिकेश पुष्प सेवा समिति ने सजाया बदरीनाथ मंदिर
बदरीनाथ धाम को 10 क्विंटल गेंदे के फूलों से सजाया गया है। पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश की ओर से मंदिर को सजाया गया। देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश की ओर से मंदिर को सजाया गया है।

अब कैलाश मानसरोवर यात्रा हुई सुगम, चीन सीमा तक बनी सड़क

अब कैलाश मानसरोवर की यात्रा एक सप्ताह में की जा सकेगी। चीन सीमा तक सड़क बनने से इस यात्रा में यात्रियों को दिक्कतों का सामना कम होगा। इससे पूर्व इस यात्रा को करने में 21 दिन का समय लगता था। यात्रियों को आधार शिविर धारचूला से लगभग 80 किलोमीटर की यात्रा पैदल ही तय करनी पड़ती थी।

मगर, अब सीमांत तक सड़क बनने से अब कैलाश यात्री दिल्ली से सीधे लिपुलेख पहुंच सकेंगे।  इस सड़क के बनने से अब तक कठिन मानी जाने वाली यात्रा सुगम हो जाएगी। इसके अलावा छोटा कैलाश की यात्रा भी सुगम होगी।

छोटा कैलाश के यात्री गुंजी, कुटी और जौलिंगकांग तक वाहन से पहुंच सकेंगे। इसके लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बीआरओ की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह अद्भुत और प्रशंसनीय है कि सीमा सड़क संगठन ने इस कठिन कार्य को पूरा किया।

घट्टाबगढ़-लिपुलेख सड़क के ऑनलाइन उद्घाटन के अवसर पर मौजूद रहे अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ के सांसद अजय टम्टा ने चीन सीमा के लिए मुनस्यारी से बन रही धापा-बोगड्यार-मिलम मार्ग का मामला भी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के समक्ष उठाया। इस पर उन्होंने कहा कि 2021 मार्च तक इस मार्ग का भी निर्माण पूर्ण हो जाएगा।

तीर्थ पुरोहितों के हकहकूकों के साथ नहीं होगी छेड़छाड़ः सीएम

चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड राज्य के धार्मिक स्थलों को बुनियादी सुविधाएं देगा। इससे किसी भी तीर्थ पुरोहित, हकहकूकधारी के अधिकारों के साथ छेड़छाड़ नहीं होगी। यह बात मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रेसवार्ता के दौरान कही।

उन्होंने कहा कि बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और इनके आसपास के मंदिरों का प्रबंधन चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के नियंत्रण में रहेगा। लेकिन, इनसे जुड़े पुजारी, न्यासी, तीर्थ, पुरोहितों, पंडों और हकहकूकधारियों को वर्तमान में प्रचलित देव दस्तूरात और अधिकार यथावत रहेंगे।

उन्होंने कहा कि कहा कि जब हम कोई भी सुधार करते हैं तो उसकी प्रतिक्रिया होती ही है। सीएम ने साफ अल्फाज में कहा कि तीर्थ पुरोहितों के हितों को पूरी तरह सुरक्षित रखा जायेगा। प्रदेश के चार धाम सहित अन्य धार्मिक स्थलों पर देश-विदेश से के श्रद्धालु आना चाहते हैं। उत्तराखंड को अच्छे आतिथ्य के रूप में जाना जाता है। देश-विदेश के श्रद्धालुओं को उत्तराखंड के धार्मिक स्थलों पर आने का मौका मिले और उन्हें अच्छी सुविधाएं उपलब्ध हों इसके लिए यह विधेयक लाया गया है। मालूम हो कि चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड विधेयक को राजभवन ने मंजूरी दे दी है।