भर्ती घोटाले मे पूर्व सीएम हरीश रावत के बयान पर पलटवार करते हुए भाजपा ने उन्हे आधा सच बोलने मे माहिर बताया। उन्होंने सीएम पर की गयी टिप्पणी को आपत्तिजनक करार देते हुए कहा कि धामी आज विकास के पर्याय हो गए है और पार्टी तथा जनता को उन पर फक्र है, लेकिन आरोप लगाने वालों को आत्म अवलोकन करने की जरूरत है कि वह दोनो स्थानों मे कहां खड़े है।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि प्रदेश मे सुचिता भ्रष्टाचार की बात करने वाले पूर्व सीएम हरीश रावत के कार्यकाल मे भी या तो पूर्व मे हुए भृष्टाचार को परंपरा मान कर आगे बढ़ाया गया और कुछ नई शुरुआत की गयी। उनके कार्यकाल मे विधान सभा मे निकटस्थ रहे तत्कालीन विधान सभा अध्यक्ष के द्वारा की गयी नाते रिश्तेदारों की नियुक्ति पर भी वह आधा सच बोल पाए। उन्होंने यह कहकर पल्ला छुड़ा लिया कि उन्होंने तब तत्कालीन विस अध्यक्ष को इसके नतीजो को लेकर चेताया था, लेकिन फिर भृष्टाचार को समर्थन देते नजर आये। उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल मे दर्जनों घपले सामने आये और वह भूल गए कि उन्होंने अपनी सरकार की गलतियों को स्वीकार करते हुए माफी भी मांगी थी।
भट्ट ने कहा कि रावत भ्रष्टाचार को लेकर भाजपा पर टिप्पणी कर रहे है, लेकिन धामी सरकार उन घपले घोटालों पर कार्यवाही कर रही है जो कि दबा दिये गए थे। कांग्रेस के कार्यकाल मे हुए ऐसे घपलों की लंबी फेरहिस्त है। उन्होंने पूछा कि पटवारी घोटाले में उन्होंने क्या कार्यवाही की। दरोगा भर्ती घोटाला, उद्यान, छात्रवृति, एन एच, 2016 की बीडीओ भर्ती और अन्य घोटालों में भी वह मौन क्यों रहे। अगर, कुछ मामलों मे दिखावे के लिए कुछ किया भी गया तो वह भी भाजपा के द्वारा विरोध प्रदर्शन और जन दबाव मे की गयी। जबकि धामी सरकार ने बिना काल खंड को देखते हैं नैतिक साहस दिखाया। हैरानी की बात है कि तब न नैतिक साहस था और न ही विपक्ष के विरोध प्रदर्शन का असर और सरकार पूरी तरह से भ्रष्टाचार मे लिप्त रही।
भ्रष्टाचार के दलदल मे डूबी कांग्रेस अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर ही आपत्तिजनक टिप्पणी कर रहे है। जबकि पूर्व मे हरीश रावत खुद धामी की शान मे कशीदे भी गढ़ते रहे। हरीश रावत अपने कार्यकाल मे हुए तमाम स्टिंग के बाद कंफ्यूज हो गए है और कभी भी पूरा सच नही बोल पाए। कभी राजनीति से विरक्ति, कभी विकास न कर पाने का मलाल और कभी अपने सहयोगियों से उपेक्षा की पीड़ा सुनाकर समय व्यतीत कर रहे है। राज्य यशस्वी मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व मे पार्टी के विकास के एजेंडे पर लगातार आगे बढ़ रहे हैं और वह धाकड़ धामी की उपमा के साथ पूरी तरह न्याय कर रहे है। जनता और पार्टी को उन पर फक्र है, लेकिन उनके मामले मे यह बात कहीं से भी फिट नही बैठती है जो उन पर लगातार दुर्भावनावश टिप्पणी कर रहे है।
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अंकिता भंडारी हत्याकांड केस में एक प्रतिशत भी ढिलाई नही होगी-धामी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में शिरकत की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि समान नागरिक संहिता हमारे राज्य की जरूरत थी। इसे लेकर हमने चुनाव से पहले ही जनता से वायदा किया था और सरकार में आते ही कमेटी का गठन कर दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में धर्मांतरण पर अब हमने कड़ा कानून बनाया है। इसके अंतर्गत 10 साल तक की कैद का प्रावधान किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड से हर नए कार्य की शुरुआत होती है और जो हमारे यहां शुरू होता है वो पूरे देश में जाता है। धर्मांतरण पर कानून समय की आवश्यकता थी।
समान नागरिक संहिता को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह किसी के खिलाफ नहीं है। 12 फरवरी 2022 को हमने इसे लेकर संकल्प जताया था और सरकार बनने पर कमेटी बनाई। उन्होंने कहा कि हमारे बाद तमाम राज्य इस पर आगे आ रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में चुनाव से 6 माह पहले ही मुझे मुख्यमंत्री का दायित्व मिला था। पार्टी ने मुझ जैसे सामान्य व्यक्ति को यह जिम्मा दिया। प्रधानमंत्री ने भरोसा जताया। इसी का नतीजा रहा कि हम उत्तराखण्ड में यह मिथक तोड़ने में कामयाब रहे कि वहां हर 5 साल में सरकार बदलती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अंकिता भंडारी हत्याकांड जघन्य और घिनौना कृत्य था। इसको लेकर हमने तत्काल कार्रवाई की। सारे आरोपी तत्काल गिरफ्तार किए गए। महिला पुलिस अधिकारी के नेतृत्व में एक एसआईटी का गठन किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले में एक प्रतिशत भी ढिलाई नहीं करने वाले हैं और दोषियों को कठोर से कठोर सजा दिलाएंगे और कठोरतम कार्रवाई के लिए हमारी सरकार संकल्पबद्ध है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में वर्ष 2014 व 15 से भर्ती घोटाले चल रहे थे। हमेशा जांच की बात होती थी लेकिन जांच नहीं होती थी। हमने इसमें प्रारंभिक जांच कराई। आज अभी तक 55 लोग जेल जा चुके हैं और अंतिम व्यक्ति जब तक जेल नहीं जाएगा तब तक कार्रवाई जारी रहेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि भविष्य में कोई ऐसा सोच भी नहीं पाए हम कार्रवाई की ऐसी लकीर खींचना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बार हमारी चारधाम यात्रा बहुत बड़ी चुनौती थी। इस बार लगभग 46 लाख से अधिक श्रद्धालु यात्रा पर आए। हम चारधाम में तेजी से सुविधाओं का विकास कर रहे हैं। वर्ष 2013 की आपदा में केदारनाथ में काफी नुकसान हो गया था। लेकिन प्रधानमंत्री के कुशल मार्गदर्शन में चल रहे कार्यों के चलते अब सब बदल गया है। बद्रीनाथ जी में भी मास्टर प्लान पर काम चल रहा है। दिसंबर 2023 तक दोनों काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले समय में लोग दो घंटे में दिल्ली से देहरादून आ सकेंगे। अभी एलिवेटेड रोड पर तेजी से काम चल रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधामनंत्री के कहे अनुसार 21 वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखण्ड का होगा। इस पर हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनरल बिपिन रावत जी मेरे लिए एक अभिभावक की तरह थे। उत्तराखण्ड को लेकर उनके बहुत सारे सपने थे, जिन्हें हम पूरा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के हाथों केदारनाथ एवं हेमकुंड के लिए रोपवे का शिलान्यास हो गया है। आने वाले दिनों में यह दोनों यात्रा श्रद्धालुओं के लिए आसान हो जाएंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2025 तक उत्तराखण्ड को देश के अग्रिम राज्य में शामिल करने के लिए संकल्पबद्ध हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अग्निपथ योजना को लेकर युवाओं में उत्साह है।
भारी पुलिस बल की मौजूदगी में भर्ती घोटाले के आरोपी का रिजॉर्ट ध्वस्तीकरण की कार्यवाही शुरु
उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग भर्ती घोटाले के मास्टरमाइंड हाकम सिंह के सांकरी स्थित अवैध रिसोर्ट को आज आखिरकार ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू हो गई है। पहले बुलडोजर और फिर प्रशासन ने ग्रामीणों कि मदद से इस आलीशान रिसोर्ट को ध्वस्त करना शुरू कर दिया। देर शाम तक रिसोर्ट के काफी हिस्से को हटाने की कार्रवाई की जा चुकी है।
उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग की भर्तियों में गड़बड़ी को लेकर पिछले दिनों कुछ युवाओं ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की थी। युवाओं की शिकायतों को बेहद गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री ने इस मामले की जांच के आदेश दिए। डीजीपी अशोक कुमार के निर्देशों ओर अगले ही दिन इस मामले में देहरादून के रायपुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। जांच के दौरान एक के बाद एक बड़े खुलासे होते चले गए। सबसे बड़ा नाम उत्तरकाशी के नेता हाकम सिंह को लेकर हुआ। सीएम ने कार्रवाई से गुरेज नहीं किया और इसी का नतीजा रहा कि हाकम सिंह को जेल की सलाखों के पीछे भेजने में देर नहीं लगाई गई। इस मामले में एसटीएफ अब तक 40 से ज्यादा गिरफ्तारियां कर चुकी है। जबकि हाकम सिंह की संपत्तियों की जब जांच हुई तो उसकी अकूत दौलत और तमाम रिसोर्ट आदि के बारे में पता चला।
ऐसा ही एक रिसोर्ट हाकम का मोरी सांकरी में भी होना प्रकाश में आया। सुदूरवर्ती क्षेत्र में होने के बावजूद यहां आलीशान रिसोर्ट काली कमाई से बनाया गया। प्रशासन की जांच में हालांकि इसके सरकारी भूमि पर बने होने की पुष्टि हुई।
राजस्व विभाग व गोविंद वन्य जीव विहार द्वारा संयुक्त रूप से अतिक्रमण को लेकर नाप-जोख की गई थी। नाप जोख में वन विभाग की मुनारे क्षतिग्रस्त पाए गए। संयुक्त टीम द्वारा वन एवं राजस्व की अतिक्रमण भूमि की नाप-जोख कर चिन्हित किया गया। वन विभाग द्वारा क्षतिग्रस्त मुनारों की पुनः मरम्मत का कार्य भी किया गया और वन भूमि के अतिक्रमण को लेकर चेतावनी बोर्ड भी लगाए गए। साथ ही अतिक्रमण की गई भूमि को सील किया गया था।
इसी क्रम में रिसोर्ट के अतिक्रमण के ध्वस्तीकरण का निर्णय लिया गया और आज इसी क्रम में ध्वस्तीकरण की कार्यवाही प्रारंभ की गई। आज तहसील मोरी के सांकरी में स्थित रिजॉर्ट के वन भूमि पर अतिक्रमण को लेकर वन विभाग,राजस्व व पुलिस प्रशासन टीम ने ध्वस्तीकरण की कार्यवाही शुरू की। पुलिस बल की मौजूदगी में अवैध अतिक्रमण में बने रिजॉर्ट का ध्वस्तीकरण का कार्य गतिमान है, वहीं ग्रामीणों द्वारा भी इस कार्य में प्रशासन को सहयोग किया जा रहा है।
यूकेएसएसएससी के अधिकारी सरकार के रडार पर, विजिलेंस जांच के आदेश
सतर्कता विभाग ने उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पूर्व सचिव संतोष बडोनी, पूर्व परीक्षा नियंत्रक नारायण सिंह डांगी, आयोग के तीन अनुभाग अधिकारियों और आरएमएस कंपनी के मालिक सहित कुल छह के खिलाफ विजिलेंस जांच के आदेश जारी किए हैं। विजिलेंस इनके खिलाफ जल्द मुकदमा दर्ज कर सकती है।
आयोग की एक के बाद एक कई परीक्षाओं पर सवाल उठने के बाद, सरकार ने एसटीएफ से इस मामले में आयोग के अधिकारियों की भूमिका पर रिपोर्ट मांगी थी। जिसमें सामने आया कि परीक्षा आयोजित करवाने वाली कंपनी आरएमएस टैक्नोसॉल्यूशन का अनुबंध, अक्तूबर 2019 में ही समाप्त हो गया था। इसके बावजूद कंपनी से ना सिर्फ काम लिया गया बल्कि भुगतान भी किया गया। एसटीएफ ने इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका भी स्पष्ट की थी। अब शनिवार को इसी रिपोर्ट के आधार पर सीएम से अनुमोदन लेने के बाद सतर्कता विभाग ने आयोग के तत्कालीन सचिव, परीक्षा नियंत्रक सहित छह के खिलाफ विजिलेंस जांच के आदेश जारी कर दिए हैं।
आयोग के तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक नारायण सिंह डांगी के साथ ही संतोष बडोनी को भी बतौर परीक्षा नियंत्रक इसके लिए जिम्मेदार माना गया है। डांगी इसी साल जनवरी में रिटायर हो गए थे, इसके बाद परीक्षा नियंत्रक की भूमिका भी बडोनी के पास थी। इसके साथ ही आयोग में गोपन विभाग के अनुभाग अधिकारी बृजलाल बहुगुणा, दीपा जोशी, कैलाश नैनवाल भी जांच के दायरे में आए हैं। कंपनी को किए गए भुगतान की फाइल में इन सभी के हस्ताक्षर हैं। इसके साथ ही आरएमएस टैक्नोसॉल्यूशन के मालिक राजेश चौहान की भी विजिलेंस जांच होगी। इसमें से संतोष बडोनी को आयोग से हटाने के बाद सरकार निलंबित भी कर चुकी है। जबकि पीसीएस अधिकारी डांगी अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। बहुगुणा और दीपा जोशी की नियुक्ति मूल रूप से दूसरे विभागों में है, दो साल पहले ही उनका कैडर मर्जर किया गया।
भर्ती घपले में गिरफ्तार आरोपियों की कमाई अवैध संपत्तियों की जब्ती की कार्रवाई जल्द हो सकती है। एसटीएफ की टीमें सरगना सैयद सादिक मूसा समेत जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह रावत, लखनऊ की निजी कंपनी के मालिक राजेश चौहान, धामपुर के माफिया केंद्रपाल, रामनगर के चंदन मनराल समेत तमाम आरोपियों की अवैध संपत्तियों का ब्योरा जुटा रही है।
वन दरोगा भर्ती की ऑनलाइन परीक्षा में नकल माफिया के गठजोड़ का पर्दाफाश करने में एसटीएफ को समय लग रहा है। सूत्रों के मुताबिक, ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि एसटीएफ दिल्ली की भर्ती एजेंसी, परीक्षा सेंटरों और निरीक्षकों की सीडीआर का इंतजार कर रही है, जिससे पूरी सच्चाई सामने आने की उम्मीद है।
एसटीएफ की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी के साथ आयोग का अनुबंध अक्तूबर 2019 में समाप्त हो गया था। इसके बावजूद कंपनी से दो दर्जन परीक्षाएं आयोजित करवाई गईं। जिसके लिए 22 करोड़ रुपये का भुगतान अलग-अलग चरणों में किया गया। इन सभी के खिलाफ भ्रष्टाचार और आय से अधिक सम्पत्ति की जांच के आदेश दिए गए हैं। नियमानुसार सरकारी कार्मिकों के खिलाफ जांच के लिए कार्मिक विभाग से अनुमति ली जाती है, अब अनुमति मिलने के बाद विजिलेंस मुकदमा दर्ज करते हुए, जांच शुरू करेगी।