माफी मांगकर फंसे हरदा, सोशल मीडिया यूजर्स का हरीश पर वार

उत्तराखंड राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में ग्राम पंचायत विकास अधिकारी (वीपीडीओ)े में पूर्व अध्यक्ष आरबीएस रावत की संलिप्तता के मामले में पूर्व सीएम हरीश रावत ने अपनी गलती स्वीकारी है। उन्होंने कहा कि वह रावत को नहीं पहचान पाए। उन्होंने इसके लिए खुद को दोषी बताते हुए सोशल मीडिया में माफी मांगी है। सोशल मीडिया पर माफी मांगने की पोस्ट वायरल होने के बाद हरदा तमाम यूर्जस के निशाने पर भी हैं। कुछ फैसले की सराहना कर रहे हैं तो कुछ लोग कई तरह के सवाल खड़े रहे हैं।

हरदा की पोस्ट पर अशोक मेहरा लिखते हैं कभी तारीफ़ करते हो कभी आलोचना.. चिट भी मेरी पट भी मेरी…अब ऐसी बेवकूफ़ बनाने वाली राजनीति को जनता समझ गयी है।

सुदंर लाल नौटियाल खिलते हैं रावत जी जनता ने आपको भी बहुत मौका दिया लेकिन तब आपने कुछ भी नेक या पुण्य कार्य नही किया उल्टा आपके समय के भ्रष्टाचार के मामले अभी ओपन हो रहे है आपने भी भ्रष्टाचारियों को पूरी सय दे रखी थी। जिसका जीता जागता उदाहरण आज भी देहरादून के बललूपुर चौक पर स्थित फ्लाई ओवर और बल्ली वाला फ्लाई ओवर जो कैसे बने हैं।वह जनता को चिढाते हुए मौजूद हैं।

प्रताप प्रकाश पंवार लिखते हैं दाल में कुछ तो काला है, आर.बी. एस रावत की गिरफ्तारी के बाद के संकेत कुछ और ही इशारा कर रहे है। ये डर बेवजह नहीं है, कुछ तो बात है।

वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश डिमरी लिखते हैं कि हरदा एक बात की शक शंका मन में है कि आरबीएस रावत जिन्हें आपने आयोग का अध्यक्ष बनाया था उसके द्वारा की गई भर्तियों में घपले घोटाले को लेकर आपके ही कार्यकाल में एक विजिलेंस जांच हो गयी थी। जिसमें संभवतया आरबीएस रावत के सारे कच्चे चिठ्ठे दर्ज हुए होंगे, लेकिन आपने उस जाँच को कभी सर्वाजनिक करने की बात नहीं की आपने भर्ती घोटालों पर तमाम हो हल्ले के बाद भी कभी उस विजिलेंस रिपोर्ट का जिक्र नहीं किया, क्यों….? अब बात आपके उस बयान की कि कोई अफसर बाद में अकर्मण्य हो जाये इसकी भविष्यवाणी नहीं कि जा सकती तो हरदा जिस दूसरे अफसर को आपने आयोग का अध्यक्ष बनाया उस पर तो इस देश के माननीय सर्वाेच्च न्यायालय की स्पष्ट टिप्पणी है जिसे आपने नजरअंदाज किया। यहाँ तक कि उस उसके इस्तीफे के बाद आपका सबसे आश्चर्यजनक बयान आया कि उसकी प्रतिष्ठा की रक्षा नहीं हो पायी। भविष्य तो छोड़िए भूतकाल और वर्तमान को देख कर भी आप उसके अध्यक्षीय काल में छले गये युवाओं के बजाय उसकी प्रतिष्ठा की चिंता में मायूस हुए जा रहे थे। आज जब सूबे के नौजवानों के साथ भर्तियों के नाम पर हुआ अन्याय स्प्ष्ट दिख रहा है, दोषी अंदर किये जा रहे हैं तो आप सोशल मीडिया पर माफी मांग रहे हैं….? हुजूर आपका ये अंदाज भी आपको मुबारक लेकिन हमें अंदाजा है कि माफी मांगने और तारीफ करने के पीछे आपका असल मकसद क्या है…?

वहीं यूकेएसएसएससी भर्ती घोटाले में एसटीएफ की जांच जारी है। कई बड़े नाम एसटीएफ की रडार पर हैं। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, इस मामले में 30 से ज्यादा लोगों को सरकारी गवाह बनाया गया है ताकि केस को और मजबूत बनाया जा सके। इनमें कुछ अभ्यर्थी और अधिकारी शामिल हैं। सभी अभ्यर्थियों ने कन्याल, आरबीएस रावत और आरएमएस के अधिकारियों के नाम लिए हैं। इनमें से कई छात्रों और अधिकारियों को सरकारी गवाह भी बनाया जा चुका है। सूत्र के मुताबिक तमाम वीआईपी लोग और अधिकारियों को इन तीनों के खेल के बारे में पता था। यह भी जानकारी थी कि किस तरह से पैसा इन लोगों के पास आता है और नकल के सिंडीकेट के ये किस तरह से संपर्क में रहते हैं। सूत्रों के मुताबिक, इनमें एक मंडी समिति का पूर्व अध्यक्ष भी शामिल है। इससे जब एसटीएफ ने पूछताछ की तो सारा राज उगल दिया। एसटीएफ ने एक पूर्व अधिकारी को सरकारी गवाह बना लिया है। इससे पूछताछ के आधार पर एसटीएफ के सामने एक पूर्व सीएम के ओएसडी का नाम भी सामने आया।

पूर्व मुख्यमंत्री के ओएसडी से साढ़े तीन घंटे पूछताछ
ग्राम पंचायत विकास अधिकारी (वीपीडीओ) भर्ती परीक्षा धांधली में एक पूर्व मुख्यमंत्री के ओएसडी पर भी एसटीएफ शिकंजा कस सकती है। सोमवार को एसटीएफ ने कुछ अभ्यर्थियों के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री के ओएसडी को पूछताछ के लिए बुलाया। बताया जा रहा है कि उनसे एसटीएफ ने करीब साढ़े तीन घंटे पूछताछ की। इसके बाद उनके बयान दर्ज किए गए। सूत्रों की मानें तो एसटीएफ उन्हें इस मामले में सरकारी गवाह बना सकती है। उन्होंने वीडीपीओ भर्ती में एक अभ्यर्थी की सिफारिश आरोपितों से की थी। बताया जा रहा है कि अभ्यर्थी लेकर आए एक पूर्व मंडी समिति के अध्यक्ष को एसटीएफ सरकारी गवाह बना चुकी है। वीपीडीओ भर्ती धांधली में एसटीएफ ने 2016 के तत्कालीन आयोग के अध्यक्ष आरबीएस रावत, सचिव एमएस कन्याल और परीक्षा नियंत्रक राजेंद्र पोखरिया को बीते शनिवार को गिरफ्तार किया था। इसके बाद एसटीएफ ने कई अभ्यर्थियों से पूछताछ की है। इनमें कुछ अधिकारी भी शामिल हैं। यह वह अधिकारी हैं जिन्होंने अपने संपर्क वाले अभ्यर्थियों की नौकरी के लिए इनसे सिफारिश की थी। तमाम अभ्यर्थियों से पूछताछ के बाद एक पूर्व सीएम के ओएसडी का नाम भी सामने आया। एसटीएफ ने सोमवार को उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया।

एसटीएफ ने सीएम के निर्देश मिलने पर की बड़ी कार्रवाई, मचा हड़कंप

राज्य में भर्ती परीक्षाओं में हुई धाँधलियों पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के जीरो टॉलरेंस के सिद्धांत का पालन करते हुए उत्तराखंड एसटीएफ ने बड़ी कार्रवाई की है।
यूकेएसएसएससी द्वारा 2016 में कराई गई वीपीडीओ भर्ती परीक्षा में धांधली की जाँच में आज आरबीएस रावत पूर्व चेयरमैन, सचिव मनोहर कन्याल, पूर्व परीक्षा नियंत्रक आरएस पोखरिया को गिरफ्तार कर लिया गया है।
यह भर्ती परीक्षा प्रकरण में अब तक की सबसे बड़ी कार्यवाही है। 2016 के मामले में लंबे समय से जाँच चल रही थी लेकिन मुख्यमंत्री के कड़े रुख़ के बाद जाँच एजेंसियों ने भी तेज़ी दिखाई। मुख्यमंत्री धामी पिछले कई अवसरों पर बार बार कह रहे हैं कि वो अपने युवा भाई बहनों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे, सरकारी नौकरियों की भर्ती में भ्रष्टाचार का जो दीमक लगा है उसे वे जड़ से मिटा देंगे।
इस क्रम में वीपीडीओ भर्ती में 6 वर्ष बाद विधिसम्मत कार्यवाही कर सीएम ने एक बड़ी लकीर खींच दी है।
मुख्यमंत्री धामी ने एसटीएफ की कार्रवाई की सराहना करते हुए कहा कि “ जाँच एजेंसिया अपना काम कर रही हैं। उत्तराखंड के युवा का हक़ मारने वाले किसी भी दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा। सरकार ये सुनिश्चित कर रही है कि भविष्य की सभी भर्ती परीक्षाएँ स्वच्छ और पारदर्शी हो। आज की कार्रवाई इस बात की मिसाल है कि भविष्य में कोई इन परीक्षाओं में गड़बड़ी करने की हिम्मत न कर सके “

क्रमवार विवरण-
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा दिनांक 6 मार्च 2016 को ग्राम पंचायत विकास अधिकारी चयन परीक्षा करवाई गई।
उक्त परीक्षा 6 मार्च 2016 को समस्त 13 जनपदों के 236 परीक्षा केंद्रों में संचालित की गई थी
उक्त परीक्षा में कुल 87196 परीक्षार्थियों द्वारा प्रतियोगी परीक्षा में भाग लिया गया था
30 मार्च 2016 को परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया था
उक्त परीक्षा में धांधली के मद्देनजर विभिन्न शिकायतों के आधार पर उत्तराखंड शासन द्वारा तत्कालीन अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जांच समिति वर्ष 2017 में गठित की गई थी।
जांच समिति द्वारा प्रेषित आख्या के आधार पर सम्यक विचारोपरांत , एवं माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशों के क्रम में उक्त परीक्षा में अनियमितताओं की पुष्टि होने के कारण उक्त परीक्षा परिणाम को निरस्त किया गया
वर्ष 2019 में सचिव कार्मिक एवं सतर्कता अनुभाग के निर्देशानुसार उक्त परीक्षा में हुई अनियमितताओं के संबंध में  जांच सतर्कता अधिष्ठान सेक्टर देहरादून को प्राप्त हुई
वर्ष 2020 में सतर्कता अधिष्ठान सेक्टर देहरादून द्वारा खुली जांच में पुष्टि होने पर उक्त परीक्षा में हुई अनियमितताओं की पुष्टि होने पर  सतर्कता अधिष्ठान देहरादून में मुकदमा अपराध संख्या 01/20 धारा 420/468/467/120 B ipc व धारा 13 (1) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अभियोग शासन की अनुमति उपरांत पंजीकृत कराया गया
अभियोग पंजीकृत होने के बाद वर्ष 2020 से वर्ष 2022 तक उक्त प्रकरण की विवेचना सतर्कता अधिष्ठान देहरादून द्वारा की जा रही थी
वर्ष 2022 माह अगस्त में माननीय मुख्यमंत्री के निर्देश अनुसार उक्त प्रकरण की विवेचना एसटीएफ को स्थानांतरित हुई
एसटीएफ द्वारा विवेचना को आगे बढ़ाते हुए साक्ष्य संकलन की कार्रवाई की गई
पूर्व में जांच कमेटी द्वारा उक्त परीक्षा से संबंधित ओएमआर शीट को  FSL भेजा गया था एवं FSL से उक्त OMR शीट में छेड़छाड़ होने की पुष्टि हुई थी
विवेचना के दौरान यह भी पाया गया कि उक्त परीक्षा से संबंधित ओएमआर स्कैनिंग / फाइनल रिजल्ट बनाए जाने का कार्य तत्कालीन सचिव मनोहर सिंह कन्याल के घर पर हुआ था
विवेचना के दौरान अभी तक दो दर्जन से अधिक अभ्यर्थी चिन्हित किए गए हैं और उनके बयान एसटीएफ द्वारा दर्ज किए गए
विवेचना के दौरान कई अहम गवाहों के बयान न्यायालय में भी कराए जा चुके हैं जो केस की अहम साक्ष्य है
विवेचना के दौरान पूर्व में तीन अभियुक्त 1 मुकेश कुमार शर्मा 2 मुकेश कुमार 3 राजेश पाल को एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार किया जा चुका है
एसटीएफ द्वारा पर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर आज दिनांक 8 अक्टूबर 2022 को तत्कालीन अध्यक्ष  UKSSSC डॉ रघुवीर सिंह रावत पुत्र स्वर्गीय दुर्गा सिंह रावत निवासी 188/1 ऑफिसर सोसायटी वसंत विहार देहरादून
तत्कालीन सचिव UKSSSC मनोहर सिंह कन्याल पुत्र प्रताप सिंह कन्याल निवासी वन 169/2 वन  विहार शिमला बायपास देहरादून, वर्तमान पद- सँयुक्त सचिव लेखा सचिवालय देहरादून
तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक UKSSSC राजेंद्र सिंह पोखरिया पुत्र स्वर्गीय प्रेम सिंह पोखरिया निवासी 1/29 कृष्ण पुरम माजरी माफी आईआईपी मोहकमपुर देहरादून को पर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर गिरफ्तार किया गया है और माननीय न्यायालय में पेश किया जा रहा है।