दर्शकों की कसौटियों पर खरी उतरी फिल्म मेरू गौ

दर्शकों से खचाखच भरे तीर्थ नगरी के रामा पैलेस थियेटर में गढवाली फिल्म मेरु गौं के पहले शो का शुभारम्भ भारत माता मंदिर के महंत निरंजनी अखाड़ा हरिद्वार के महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद जी महाराज एवं अंतरराष्ट्रीय गढ़वाल महासभा के अध्यक्ष डॉ राजे नेगी, समाजसेवी हर्षमणि व्यास और समाजसेवी कमल सिंह राणा ने संयुक्त रूप से किया।
शुक्रवार को गढ़वाली फीचर फिल्म मेरू गौ ऋषिकेश के रामा पैलेस सिनेमाहाल में भी रीलिज हो गई। फिल्म दर्शकों की कसौटियों पर खरा उतरने में पूरी तरह से कामयाब रही। अधिकांश सिने प्रेमी जब फिल्म देखकर थियेटर से बाहर निकले तो उनकी आखें नम थी। इससे पहले शुक्रवार को फिल्म के उद्वाटन अवसर पर मुख्य अतिथि महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद महाराज व विशिष्ट अतिथि डा राजे नेगी ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी भाषा और संस्कृति पर गर्व होना चाहिए। पलायन और पहाड़ के दर्द को जिस वास्तविकता के साथ फिल्म में दर्शाया गया है वह अद्वभुद है। उत्तराखंड की फीचर फिल्मों को बड़ावा देने में यह फिल्म निश्चित ही मील का पत्थर साबित होगी। उल्लेखनीय है कि मेरु गौं देहरादून में पांचवे हफ्ते में प्रवेश कर चुकी है और पिछले 25 वर्षों में ये रिकॉर्ड बनाने वाली एकमात्र गढवाली फ़िल्म है। फ़िल्म को बुद्धिजीवी एवं आम नागरिक सभी पसंद कर रहे है। मेरु गौं से उत्तराखंडी सिनेमा के नए दौर का आगमन हुआ है।फ़िल्म में जबरदस्त हास्य के साथ भावनाओं का ज्वार भी है। साथ ही कर्णप्रिय संगीत व अर्थपूर्ण संवादों ने दर्शकों को भाव विभोर किया है। मुख्य अभिनेता राकेश गौड़ ने अपने कंधों पर पूरी फिल्म को उठाए रखा है। मदन डुकलान, गोकुल पँवार, गीता उनियाल व रमेश ठंगरियाल के भवपूर्ण अभिनय ने फ़िल्म को जीवंत बनाने में अहम भूमिका निभाई है। फिल्म में रमेश रावत, गिरीश पहाड़ी, गीता गुसांई नेगी व निशा भंडारी की जबरदस्त कॉमेडी ने विशेष प्रभाव छोड़ा है। सुमन गौड़ बहुत ही स्वाभाविक दिखी हैं। तीन बाल कलाकारों का काम भी अद्भुत है। फ़िल्म में पहाड़ों के गांवों का स्वर्णिम युग जब गांव जिंदा थे से लेकर आज मरते हुए गांवों की दुर्दशा का प्रभावी चित्रण है। साथ ही आश्चर्यजनक रूप से पलायन व परिसीमन के मुद्दों पर जबरदस्त बहस है। फ़िल्म का लेखन व निर्देशन सुप्रसिध्द उत्तराखंडी फ़िल्म निर्देशक अनुज जोशी का है व निर्माता राकेश गौड़ हैं। गीत नरेंद्र सिंह नेगी व जितेंद्र पंवार ने गए हैं। संगीत संजय कुमोला का व सिनेमेटोग्राफी राजेश रतूड़ी की है। अन्य कलाकारों में गम्भीर जायडा, सुशीला रावत, खुशहाल सिंह बिष्ट, गिरधारी रावत, डॉक्टर सतीश कालेश्वरी व अजय बिष्ट आदि शामिल हैं। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पूज्यनीय माता हीरा बेन के आकस्मिक निधन पर शोक भी व्यक्त किया गया। मौके पर समाजसेवी उत्तम सिंह असवाल, फ़िल्म के अभिनेता मदन डुकलान, विकास उनियाल, अभिनेत्री गीता उनियाल, सिनेमेंटोग्राफर राजेश रतूड़ी, शिवेंद्र रावत व धर्मेंद्र चौहान ,कमल सिंह राणा, कुसुम जोशी, सतेंद्र चौहान, अरुण बडोनी, डॉ गौरव भल्ला, डीपी रतूड़ी मौजूद रहे।

रामा पैलेज से एक जुलाई से दिखाई जायेगी गढ़वाली फिल्म खैरी का दिन

आंचलिक फिल्मों के जरिए हमारी संस्कृति को पहचान मिलती है, इनसे हमारी संस्कृति को और करीब से जानने का अवसर मिलता है। यह बात एआईसीसी के सदस्य जयेंद्र रमेाला ने कही।

बता दें कि एक जुलाई से रामा पैलेस ऋषिकेश में प्रदर्शित होने वाली गढ़वाली फ़िल्म’ ’खैंरी का दिन’ के पहले शो शुभारम्भ कांग्रेस नेता जयेन्द्र रमोला करेंगे।

कांग्रेस नेता जयेन्द्र रमोला ने बताया कि पूरे हिन्दुस्तान में हर प्रदेश में अपनी बोली व अपनी भाषा से पहचान है परन्तु उत्तराखण्ड में आज भी हमें अपनी बोली को भाषा का दर्जा दिलाने के लिये संघर्ष करना पड़ रहा है क्योंकि हम लोग स्वयं अपनी गढ़वाली बोली में बात करने में हिचक महसूस करते हैं परन्तु उत्तराखण्ड के स्थानीय कलाकार आज फ़िल्मों के माध्यम से अपनी भाषा व संस्कृति को बचाने का कार्य कर रहे हैं और हमें इनको प्रोत्साहित करना चाहिये।