मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज सचिवालय में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत करते हुए कहा कि हम किसी भी कीमत पर छात्रों का हित चाहते हैं। इसीलिए जिन भी परिक्षाओं में गड़बड़ियां पाई गई, राज्य सरकार ने उन्हें तत्काल रद्द करते हुए नई तिथि घोषित की। मुख्यमंत्री ने कहा कि अभ्यर्थियों को असुविधा न हो, इसके लिए उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों में परीक्षा के लिए आने पर निशुल्क व्यवस्था की गयी है और परीक्षा शुल्क को भी नहीं लिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नकल अध्यादेश को लेकर हमने कहा था कि इसे हम जरूर लेकर आएंगे। लेकिन किन्हीं कारणों से कैबिनेट होने में देरी हो गयी। कैबिनेट न होने के बावजूद हमने नकल विरोधी अध्यादेश को विचलन से महामहिम राज्यपाल को अग्रसारित कर दिया है। यह भी तय कर दिया है कि अब जितनी भी परीक्षाएं होंगी वो सभी इस अध्यादेश से आच्छादित होंगी। सबसे सख्त कानून जो हो सकता है, वो हमने बनाने का काम किया है। इस कानून के तहत आजीवन कारावास तक की सजा के अलावा दस करोड़ रूपए तक के जुर्माने के सख्त प्रावधान किए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम अपने छात्रों, बेटों-बेटियों से कहना चाहते हैं कि सभी परीक्षा पारदर्शी होंगी, किसी भी अफवाहों पर न जाएं, परीक्षा की तैयारी पर ध्यान दें, सभी परीक्षाएं निष्पक्ष और शुचिता के साथ होंगी।
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महिलाओं को नौकरी में क्षैतिज आरक्षण मिला, धामी सरकार ने निभाया वादा
उत्तराखंड सरकार की ओर से महिलाओं के आरक्षण विधेयक को आज यानी मंगलवार को राज्यपाल गुरमीत सिंह की मंजूरी मिल गई है। राजभवन की मंजूरी के साथ ही महिला अभ्यर्थियों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का कानूनी अधिकार भी मिल गया है।
जानकारी के लिए बता दें कि राज्य सरकार ने 30 नवंबर 2022 को विधानसभा में बिल को सर्वसम्मति पारित कराकर राजभवन भेजा था। वहीं, विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान सदन में पारित 14 बिलों, जिनमें अधिकतर संशोधित विधेयक थे, के साथ महिला आरक्षण बिल को भी राज्यपाल गुरमीत सिंह की मंजूरी मिलनी थी।
न्याय और विधि विशेषज्ञों से कराया परीक्षण
बता दें कि उत्तराखंड राजभवन से ज्यादातर विधेयकों को मंजूरी मिल गई, लेकिन महिला क्षैतिज आरक्षण बिल विचाराधीन रहा। राजभवन ने विधेयक को मंजूरी देने से पहले इसका न्याय और विधि विशेषज्ञों से परीक्षण कराया है। इस कारण विधेयक को मंजूरी मिलने में एक महीने का समय लग गया। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिछले दिनों महिला क्षैतिज आरक्षण कानून के जल्द लागू होने के संकेत दिए थे।
विधेयक पर एक नजर…
1. 18 जुलाई 2001 को अंतरिम सरकार ने 20 प्रतिशत आरक्षण का शासनादेश जारी किया।
2. 24 जुलाई 2006 को तत्कालीन तिवारी सरकार ने इसे 20 से बढ़ाकर 30 प्रतिशत किया।
3. 26 अगस्त 2022 को हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान आरक्षण के शासनादेश पर रोक लगाई।
4. 04 नवंबर 2022 को सरकार की एसएलपी पर सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी।
5. 29 नवंबर 2022 को सरकार ने विधानसभा के सदन में विधेयक पेश किया।
6. 30 नवंबर 2022 को सरकार ने विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कराकर राजभवन भेजा।
7. 10 जनवरी 2022 को राज्यपाल ने विधेयक को मंजूरी दे दी।
राजभवन तक अनशनकारियों के पहुंचने पर एसएसपी सख्त, 3 पर कार्रवाई
अनशनकारियों के राजभवन तक पहुंचने के मामले में ऋषिकेश कोतवाल पर गाज गिर गई। उन्हें लाइन हाजिर कर दिया गया है। देहरादून के एसएसपी ने ऋषिकेश के कोतवाल रवि सैनी समेत तीन पुलिस अधिकारियों को लाइन हाजिर किया है। इसमें कैंट थाने के इंस्पेक्टर राजेंद्र सिंह रावत और इसी थाने के सब इंस्पेक्टर जगत सिंह शामिल हैं। उक्त तीनों पर एक ही मामले को लेकर गाज गिरी है। ऋषिकेश के कोतवाल पर धरना स्थल की निगरानी में लापरवाही बतरने पर सख्त एक्शन लिया गया है। जबकि अन्य दो अधिकारियों पर अनशनकारियों के राजभवन की ओर बढ़ने की सूचना के बावजूद सुरक्षा संबंधित कदम न उठाने पर एक्शन हुआ है।
राज्यपाल ने अनिल चंद्र पुनेठा और विवेक शर्मा को शपथ दिलाई
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने बुधवार को राजभवन में अनिल चंद्र पुनेठा को राज्य मुख्य सूचना आयुक्त तथा विवेक शर्मा को राज्य सूचना आयुक्त के पद की शपथ दिलवाई।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने अनिल चंद्र पुनेठा को राज्य मुख्य सूचना आयुक्त तथा विवेक शर्मा को राज्य सूचना आयुक्त बनने पर बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित भारतीय प्रशासनिक एवं पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारीगण एवं अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।
सैनिक आश्रितों के छात्रवृत्तियों और प्रोत्साहन राशि में वृद्धि करने का निर्णय
उत्तराखण्ड सैनिकों के कल्याण के लिए कार्य करें पुनर्वास संस्था: राज्यपाल
देहरादून।
उत्तराखण्ड के राज्यपाल डा. कृष्ण कांत पाल की अध्यक्षता में उत्तराखण्ड सैनिक पुनर्वास संस्था की महत्वपूर्ण बैठक सम्पन्न हुई, जिसमें संस्था के कार्यकलापों की गहन समीक्षा की गई तथा कई अहम निर्णय लिए गए।
पूर्व सैनिकों के कल्याण की दृष्टि से 1945 में स्थापित इस संस्था के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए संस्था को लीज पर उपलब्ध कराई गई 482.785 एकड कृषि भूमि तथा 940.143 एकड़ वन भूमि के अधिकाधिक व्यावसायिक लाभ की सारी सम्भावनाएं खोजने औैर उनका क्रियान्वयन सुनिश्चित करने की दृष्टि से राज्यपाल द्वारा अपर मुख्य सचिव कृषि डा. रणबीर सिंह की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है जो 2 माह के अन्तर्गत अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
तीन वर्ष बाद आहूत इस बैठक में राज्यपाल ने कहा कि पुनर्वास संस्था के आय के स्रोत में वृद्धि के लिए उद्यमिता कौशल के साथ इस बेशकीमती व उपजाऊ भूमि का दोहन करना होगा। इससे संस्था के वित्तीय घाटे को लाभ में परिवर्तित किया जाना आसान होगा। उन्होंने ‘कमर्शियल कैश क्रौप’ (नकदी फसलें) लगाने पर विशेष बल देते हुए कहा कि इस सम्बंध में पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय की विशेषज्ञता का लाभ लिया जाना सर्वाधिक उपयुक्त होगा।
राज्यपाल ने जखोली रूद्रप्रयाग में निर्माणाधीन सैनिक स्कूल केे लिए संस्था की निधि से निर्गत रू0 5 करोड़ की धनराशि की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार से कराने के लिए आवश्यक कार्यवाही के निर्देश भी दिए। इसके साथ ही संस्था को प्राप्त कृषि और वन भूमि के लीज नवीनीकरण/विस्तार पर भी यथाशीघ्र कार्यवाही किए जाने की अपेक्षा भी की गई।
उन्होंने यह भी कहा कि सैनिक विधवाओं द्वारा निर्मित उत्पादों के विक्रय की व्यवस्था सुनिश्चित होनी जरूरी है। इसके लिए सभी राजकीय प्रदर्शनियों/मेलांे में एक्स सर्विस मैन के लिए एक निःशुल्क काउंटर उपलब्ध कराने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। राज्यपाल द्वारा, संस्था की निधि का उपयोग केवल पूर्व सैनिकों के परिवार तथा सैनिक विधवाओं के कल्याणार्थ एवं पुनर्वास योजनाओं पर ही किए जाने के निर्देश दिए गए। आज की बैठक में विभिन्न छात्रवृत्तियों और प्रोत्साहन राशि में वृद्धि किए जाने का भी निर्णय लिया गया।
इस समीक्षा बैठक में 05 अप्रैल, 2013 की बैठक में उठाये गये बिन्दुओं के अनुपालन, लीज पर दी गई कृषि हेतु भूमि को गैर कृषि उपयोग के प्रबन्धन की स्थिति सहित संस्था के विगत वर्षोें के आय-व्यय, 2016-17 के प्रस्तावित बजट पर चर्चा और अनुमोदन की औपचारिकताओं के साथ ही पूंजीगत लाभ, गत वर्षों में लिए गए नीतिगत निर्णयों आदि विषयों पर विचार-विमर्श के दौरान राज्यपाल ने कहा कि संस्था की बैठक नियमित रूप से आहूत की जानी चाहिए।
आज की इस बैठक में मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, अपर मुख्य सचिव एस.रामास्वामी, अपर मुख्य सचिव (कृषि) डा. रणबीर सिंह, सचिव सैनिक कल्याण आनन्द वर्द्धन, सचिव राज्यपाल अरूण ढौंडियाल, सब एरिया जीओसी मेजर जनरल एस सब्बरवाल तथा निदेशक सैनिक पुनर्वास ब्रिगेडियर केबीचंद सहित संस्था के अनेक अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।