प्रोक्योरमेंट की अनुमति मिलने पर मोटा अनाज उत्पादन करने वाले किसानों को मिलेगा बड़ा लाभ

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भारत सरकार द्वारा मोटे अनाज (मण्डुआ) के प्रोक्योरमेंट की अनुमति दिये जाने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं भारत सरकार का आभार व्यक्त किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा मोटे अनाज (मण्डुआ) के 0.096 लाख मीट्रिक टन की प्रोक्योरमेंट की अनुमति मिलने से राज्य में मिलेट (मोटा अनाज) उत्पादन करने वाले किसानों को बडा लाभ मिलेगा। मण्डुवा, पौष्टिकता से भरपूर होता है। किसानों से खरीद कर मिड डे मील और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से बच्चों और लोगों को उपलब्ध कराया जा सकेगा। इससे राज्य के किसानों की आय में बढोतरी तो होगी ही साथ ही स्कूलो के बच्चों और ज़रूरतमंदों को पोष्टिक आहार भी मिलेगा।

गौरतलब है कि राज्य सरकार ने इसी महीने भारत सरकार के सार्वजनिक वितरण मंत्रालय को फसल वर्ष 2022-23 के मोटे अनाज के प्रोक्योरमेंट के लिए प्लान प्रेषित किया गया था। भारत सरकार ने उत्तराखण्ड के प्रोक्योरमेंट प्लान को स्वीकार करते हुए मोटे अनाज के 0.096 लाख मीट्रिक टन के प्रोक्योरमेंट की अनुमति दी है। यह प्रोक्योरमेंट भली भांति हो, इसके लिए खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग, मंडी परिषद, सहकारी समितियों, महिला एवं बाल विकास विभाग और शिक्षा विभाग को आपसी समन्वय से काम करने के निर्देश दिये गये हैं। इसमें जिलाधिकारियों की विशेष भूमिका रहेगी। मण्डुवा के प्रोक्योरमेंट की यह अनुमति फसल वर्ष 2022-23 के लिए दी गई है। मण्डुवा का न्यूनतम समर्थन मूल्य 3574 रुपये प्रति कुंतल निर्धारित है। यह राज्य सरकार द्वारा पर्वतीय क्षेत्रों के कृषकों की आमदनी बढ़ाने हेतु अभिनव प्रयास सिद्ध होगा। प्रथम चरण में राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में पायलेट योजना के अन्तर्गत जनपद अल्मोड़ा एवं पौड़ी के कृषकों से निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मण्डुवा खरीद योजना लागू की जायेगी। क्रय किये गये मण्डुवा को प्रथम चरण में राज्य के मैदानी जनपद ऊधमसिंहनगर, हरिद्वार एवं देहरादून तथा नैनीताल जनपद के मैदानी क्षेत्रों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अन्तर्गत वितरित किया जायेगा।

इस योजना से उक्त जनपदों के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के लगभग 8 लाख परिवार लाभान्वित होगें जिनको प्रतिमाह / प्रतिकार्ड 01 कि०ग्रा० मण्डुवा निःशुल्क वितरित किया जायेगा। राज्य के पर्वतीय जनपदों में मण्डुवा का क्रय सहकारिता विभाग द्वारा जनपद अल्मोड़ा में संचालित 20 क्रय केन्द्रों एवं जनपद पौड़ी में 11 क्रय केन्द्रों पर क्रय कर खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा इसका वितरण पात्र लाभार्थियों को सुनिश्चित किया जायेगा। प्रथम चरण में 9600 मी०टन मण्डुवा क्रय किये जाने की कार्ययोजना को क्रियान्वित किया जा रहा है। इस योजना के क्रियान्वयन में सरकार पर लगभग 45.00 करोड़ व्ययभार आयेगा।

खुशखबरीः संविदा शिक्षकों को मिलेगें 35 हजार रुपये

उत्तराखंड में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के गरीबी रेखा से नीचे और ऊपर सभी 23 लाख 80 हजार राशनकार्ड धारकों को बड़ी राहत मिली है। त्रिवेंद्र सिंह रावत मंत्रिमंडल ने इन सभी उपभोक्ताओं को प्रति कार्ड दो किलो दाल रियायती मूल्य पर देने का निर्णय लिया। राशन की दुकानों से हर परिवार को एक-एक किलो अलग-अलग दाल मिलेगी। वहीं सरकारी डिग्री कॉलेजों में कार्यरत गेस्ट फैकल्टी अथवा संविदा शिक्षकों को अलग-अलग मानदेय की व्यवस्था खत्म कर समान मानदेय देने के फैसले को मंजूरी दी गई। संविदा पर कार्यरत सांध्यकालीन और प्रातःकालीन सभी शिक्षकों को 35 हजार रुपये मानदेय मिलेगा। एक अन्य फैसले में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की पुत्री के पुत्र या पुत्री को भी सरकारी नौकरी में आरक्षण देने पर सहमति दी गई।
सचिवालय में बुधवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में करीब 12 बिंदुओं पर फैसले लिए गए। अन्य दो बिंदुओं को स्थगित कर दिया गया। सरकार के प्रवक्ता और काबीना मंत्री मदन कौशिक ने मंत्रिमंडल के फैसलों को ब्रीफ किया। उन्होंने बताया कि राज्य में मुख्यमंत्री दालपोषित योजना लागू करने का निर्णय लिया गया है। इस योजना में सभी राशनकार्ड उपभोक्ताओं को चना, मसूर व तुअर में से एक-एक किलो दो दालें मुहैया कराई जाएगी। इसके लिए केंद्र की ओर से दी जाने वाली 15 रुपये की सब्सिडी राज्य के उपभोक्ताओं को मिलेगी। इससे उपभोक्ताओं को प्रति किलो 40 से 42 रुपये की दर से दाल उपलब्ध होगी।
केंद्र सरकार नेफेड के माध्यम से राज्य को दालें मुहैया कराएगी। राज्य में 9000 से अधिक राशन की दुकानें हैं। इन दुकानों के माध्यम से सस्ती दालें वितरित की जाएंगी। इस योजना के तहत राज्य को 4600 कुंतल दाल की दरकार होगी। इस योजना से राज्य सरकार पर कोई भी वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा।
उन्होंने बताया कि सरकारी डिग्री कॉलेजों में कार्यरत 357 गेस्ट फैकल्टी को समान मासिक मानदेय 35 हजार रुपये देने का निर्णय किया गया है। वर्तमान में इन कॉलेजों में 59 सांध्यकालीन गेस्ट फैकल्टी को 15 हजार रुपये मासिक, 263 प्रातःकालीन गेस्ट फैकल्टी को 25 हजार रुपये और गढ़वाल विश्वविद्यालय के केंद्रीय विश्वविद्यालय बनने के बाद वहां से सरकारी कॉलेजों में भेजी गई 35 गेस्ट फैकल्टी को 35 हजार रुपये मानदेय मिल रहा है। मंत्रिमंडल के फैसले से 322 गेस्ट फैकल्टी के मानदेय में इजाफा भी हो गया है। उक्त फैकल्टी को प्रतिमाह 40 पीरियड अनिवार्य रूप से पढ़ाने होंगे। यह टाइम टेबल बनाने की जिम्मेदारी कॉलेज की होगी।

कैबिनेट के प्रमुख फैसले
-मुख्यमंत्री दाल पोषित योजना को मंजूरी, 23 लाख 80 हजार राशन कार्डधारकों को सस्ती दरों पर मिलेगी दो किलो दाल
-सरकारी डिग्री कॉलेजों में कार्यरत सांध्यकालीन, प्रातःकालीन गेस्ट फैकल्टी को अब एक समान 35 हजार रुपये मानदेय
-स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की पुत्रियों के पुत्र-पुत्री को भी मिलेगा सरकारी नौकरी में आरक्षण
-आरक्षण व्यवस्था रोस्टर के पुनर्निर्धारण को काबीना मंत्री यशपाल आर्य की अध्यक्षता में कैबिनेट सब कमेटी गठित