मुख्य सचिव डॉ. एस. एस. संधु ने सचिवालय स्थित अपने सभागार में विद्युत विभाग की समीक्षा की। बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने विद्युत विभाग को भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप योजनाएं तैयार किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आज जो भी कार्य किए जा रहे हैं, उन्हें अगले 10, 15 साल बाद की आवश्यकता के अनुरूप तैयार किया जाए।
मुख्य सचिव ने भावी योजनाओं की डीपीआर टाइमलाइन के साथ तैयार किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में भविष्य की मांग को देखते हुए सभी प्रोजेक्ट्स टाइमलाइन के साथ पूरे किए जाएं। साथ ही, विद्युत उत्पादन के अन्य स्रोतों के क्षेत्र में देश विदेश की बेस्ट प्रैक्टिसेज का अध्ययन कर उत्तराखण्ड में भी अपनाए जाने की संभावनाओं को तलाशा जाए।
मुख्य सचिव ने पिटकुल को आने वाले 10, 15 सालों की आवश्यकता के अनुरूप सब स्टेशन और लाइन अलाइनमेंट आदि की प्लानिंग तैयार किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक लाइंस के माध्यम से प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों में भारत नेट और ब्रॉडबैंड लाइंस कनेक्टिविटी उपलब्ध कराए जाने की संभावनाओं पर विचार किया जाना चाहिए।
मुख्य सचिव ने मांग की दृष्टि से प्रदेश के पीक सीजन के अनुरूप विद्युत उत्पादन बढ़ाए जाने हेतु अन्य विकल्पों पर भी ध्यान देने की बात कही। कहा कि कैनाल बेस्ड सोलर प्रोजेक्ट्स, हाइड्रो काइनेटिक टर्बाइन की दिशा में भी कार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि पुराने छोटे हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स का नवीनीकरण, आधुनिकीकरण और उन्नयन का कार्य शुरू किया जाए।
इस अवसर पर सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम, निदेशक उरेडा रंजना राजगुरु एवं ऊर्जा निगमों के प्रबन्ध निदेशक सहित अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित रहे।
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लाइन लॉस को कम करने के लिये तय की जाय जिम्मेदारी-सीएम
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को सचिवालय में उर्जा एवं वैकल्पिक उर्जा विभाग की समीक्षा की। उन्होंने उर्जा निगमों में कार्यों की गुणवत्ता एवं सुधारों के प्रति ध्यान देने के साथ ही योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी लाये जाने के लिये सामुहिक जिम्मेदारी के साथ कार्य करने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि कार्यों की धीमी प्रगति के लिये अधिकारियों की जिम्मेदारी भी निर्धारित कर की परफारमेंस इंडिकेशन से इसे जोड़ा जाय।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि उर्जा निगमों के कार्यकलापों में तेजी लाये जाने तथा गुणात्मक सुधार के लिये टेक्निकल परफारमेंस आदि में व्यवस्था बनायी जाय। उन्होंने उर्जा निगमों के स्तर पर संचालित परियोजनाओं एवं योजनाओं में टेक्निकल परफारमेंस आडिट की व्यवस्था सुनिश्चित किये जाने, संचालित विद्युत परियोजनाओं का पर्यवेक्षण के साथ एसओपी तैयार किये जाने, पुरानी विद्युत परियोजनाओं का अनुरक्षण एवं मरम्मत पर हुए व्यय तथा इससे उपलब्ध विद्युत क्षमता विकास का विवरण तैयार किये जाने के भी निर्देश दिये हैं।
मुख्यमंत्री ने शहरों के विस्तारीकरण के साथ पावर स्टेशनों की स्थापना के लिये भूमि की उपलब्धता आदि का मास्टर प्लान भी तैयार किये जाने, तथा प्रदेश के सामग्र इनर्जी प्लान के साथ लाइन लॉस को कम करने के लिये कारगर प्रयासों की भी जरूरत बतायी। उन्होंने इसके लिये अधिकारियों की जिम्मेदारी भी निर्धारित करने को कहा।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश में विद्युत बिलों में गडबडी की शिकायतों को दूर करने के लिये 15 सितम्बर से 30 सितम्बर तक शिविर लगाकर बिजली बिलों के सम्बन्ध में जनता की शिकायतों का निराकरण करने के भी निर्देश दिये हैं। उन्होंने विद्युत योजनाओं से सम्बंधित कार्यों की टेण्डर प्रक्रिया को पारदर्शी बनाये जाने पर भी ध्यान देने को कहा ताकि अधिक से अधिक प्रतिभागी इसमें भागीदारी कर सके। मुख्यमंत्री ने विद्युत स्टेशनों की स्थापना विद्युत लाइनों आदि से सम्बन्धित वन भूमि हस्तान्तरण के प्रकरणों के निस्तारण में तेजी लाये जाने के भी निर्देश दिये।
मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिये कि प्रदेश में उद्योगों को बिजली कटौती का सामना न करना पडे इसकी प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित की जाय। मुख्यमंत्री ने अण्डर ग्राउण्ड केबलिंग एवं स्मार्ट मीटर योजना के क्रियान्वयन में भी तेजी लाने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने केन्द्र सरकार के स्तर पर लम्बित योजनाओं का विवरण तैयार करने के साथ ही लखवाड व्यासी जमरानी आदि परियोजनाओं के क्रियान्वयन में भी तेजी लाये जाने के निर्देश दिये। इस सम्बन्ध में यदि आवश्यकता हुई तो केन्द्रीय उर्जा एवं सिंचाई मंत्रियों से भी मुख्यमंत्री द्वारा वार्ता की जायेगी।
सचिव उर्जा ने व्यापक प्रस्तुतीकरण के माध्यम से उर्जा के तीनों निगमों तथा उरेडा की कार्य प्रगति, संचालित परियोजनाओं एवं योजनाओं की स्थिति विद्युत उत्पादन खपत भावी योजनाओं तथा आय व्ययक से सम्बन्धित जानकारी दी गई।
इस अवसर पर मुख्य सचिव डॉ. एस.एस.सन्धु, अपर मुख्य सचिव आनन्द वर्धन, अपर सचिव इकबाल अहमद, प्रबन्ध निदेशक दीपक रावत के साथ ही उर्जा निगमों एवं उरेडा, विद्युत सुरक्षा से सम्बन्धित अधिकारी उपस्थित थे।
यूजेवीएनएल ने विद्युत उत्पादन में अपना रिकाॅर्ड तोड़ा
उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) ने वित्तीय वर्ष 2018-2019 में पिछले वर्ष के मुकाबले 288 मिलियन यूनिट अधिक बिजली का उत्पादन कर रिकॉर्ड कायम किया है। यूजेवीएनएल के एमडी संदीप सिंघल ने बताया कि वर्ष 2011-12 के बाद यह दूसरा अवसर है जब विद्युत गृहों में इतना उत्पादन हुआ है। बीते वित्तीय वर्ष में उत्पादन लक्ष्य 4800 मिलियन यूनिट के सापेक्ष 5075 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन किया गया। यह वार्षिक लक्ष्य का 105.7 प्रतिशत है। लघु जल विद्युत परियोजनाओं के उत्पादन भी शामिल कर लिया जाए तो इस वर्ष 5088.80 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन किया गया। निगम की स्थापना के बाद से अभी तक का यह सर्वाधिक उत्पादन भी है। इससे पूर्व निगम का किसी भी एक वर्ष का सर्वाधिक उत्पादन 5262 मिलियन यूनिट था।
रिकॉर्ड विद्युत उत्पादन की स्थिति न्यूनतम ई-फ्लो (एमईएफ) लागू होने के बाद की है। वर्ष 2011-12 में न्यूनतम ई-फ्लो के नियम का प्रविधान नहीं था। न्यूनतम ई-फ्लो के कारण निगम का उत्पादन 244 मिलियन यूनिट कम रहने का आकलन किया गया था। एमईएफ के तहत प्रत्येक बांध एवं बैराज से न्यूनतम ई-फ्लो छोड़ना अनिवार्य होता है। संदीप सिंघल (एमडी, यूजेवीएनएल) का कहना है कि जल विद्युत परियोजनाएं अपनी पूरी क्षमता से काम कर रही हैं। रिकॉर्ड उत्पादन भविष्य के लिए बेहतर संकेत है। आने वाले दिनों में मांग के अनुरूप आपूर्ति करने में निगम सक्षम हो जाएगा।