प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) साकार कर रही है घर का सपना

प्रधानमंत्री आवास योजना सबके लिए आवास (शहरी) के तहत उत्तराखंड में अब तक 34 हजार से अधिक आवास बन चुके हैं। अब राज्य सरकार ने योजना के दूसरे चरण के लिए भी भारत सरकार के साथ अनुबंध कर लिया है, जिसमें लाभार्थियों को अधिक आर्थिक अनुदान प्राप्त हो सकेगा।

प्रधानमंत्री आवास योजना सबके लिए आवास (शहरी) अंतर्गत शहरी क्षेत्र में रहने वाले सभी आवास विहीन परिवारों को आवास उपलब्ध कराया जाता है। इस योजना में 3.00 लाख से लेकर 18.00 लाख रुपए तक वार्षिक आय वाले आवास विहीन परिवारों को चार घटकों के तहत आवास निर्माण के लिए सब्सिडी / अनुदान उपलब्ध कराया जाता है।

योजना के प्रथम चरण के तहत राज्य में कुल 64391 आवासों की स्वीकृति भारत सरकार हो चुकी है। जिसमें लाभार्थी आधारित निर्माण घटक के तहत कुल स्वीकृत 25976 आवासों में से अक्टूबर माह तक 12222 आवासों का निर्माण पूरा किया जा चुका है, शेष आवासों पर कार्य गतिमान है। इसमें भारत सरकार द्वारा कुल रु 1.50 लाख प्रति आवास की दर से (कुल रु० 263.71 करोड़ लगभग) अनुदान उपलब्ध कराया गया है, तथा राज्य सरकार द्वारा 50 हजार की अनुदान राशि प्रति आवास उपलब्ध करायी जाती है।

योजना के अन्य घटक, किफायती आवास के अंतर्गत भारत सरकार से 15960 आवासों की मंजूरी मिल चुकी है, जिसमें से 11384 आवासों का आवंटन करते हुए, 1894 का निर्माण पूरा किया जा चुका है। इस श्रेणी में भारत सरकार द्वारा 1.50 लाख रुपए प्रति आवास की दर से कुल 161.96 करोड़ रुपए का अनुदान उपलब्ध कराया गया है। इस श्रेणी में राज्य सरकार द्वारा भी प्रति आवास 2.00 लाख रुपए की अनुदान राशि उपलब्ध करायी जाती है। इस तरह लाभार्थी अंशदान प्रति आवास 3.50 लाख रुपए ही पड़ता है। योजना के अन्य घटक ऋण आधारित निर्माण में भारत सरकार से मंजूर सभी 19919 आवासों का निर्माण पूरा हो चुका है, इस श्रेणी में बैंक के माध्यम से ब्याज सब्सिडी भी उपलब्ध करायी जा चुकी है।

अब मिलेगी अधिक सहायता
सचिव शहरी विकास नितेश झा ने बताया कि अब भारत सरकार ने इसी साल सितंबर में प्रधानमंत्री आवास योजना 2.0 की घोषणा की है। इसके लिए राज्य सरकार ने भारत सरकार से अनुबंध कर दिया है। इसके लिए भारत सरकार ने अब प्रति आवास केंद्रांश 1.50 लाख रुपए से बढ़ाकर रु० 2.25 लाख रुपए कर दी गई है। इस तरह अब योजना के तहत लाभार्थियों को अधिक सहायता प्राप्त होगी।

प्रधानमंत्री आवास योजना लाखों आवासहीन परिवारों को छत उपलब्ध करा रही है। उत्तराखंड में भी योजना के तहत हजारों लोगों के पक्के घर बन चुके हैं। इसमें केंद्र के साथ ही राज्य सरकार भी सहायता उपलब्ध करा रही है।

– पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री

पीएम आवास में स्वीकृत आवासों के सापेक्ष पूर्ण और आवंटन में लाया जाए सुधारः सीएस

मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु ने सचिवालय में सम्बन्धित अधिकारियों के साथ प्रगति पोर्टल के अन्तर्गत नेशनल ब्रॉडबैंड मिशन, पीएम स्वनिधि और प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) की प्रगति की समीक्षा की।

मुख्य सचिव ने नेशनल ब्रॉडबैंड मिशन के अन्तर्गत टावर लगाने एवं ओएफसी आदि के लिए राइट ऑफ वे आवेदनों के सम्यक् निस्तारण हेतु सभी जिलाधिकारियों तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए स्थानीय निकायों को अपने बायलॉज में परिवर्तन करने की आवश्यकता है तो शीघ्रातिशीघ्र किया जाए। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को पेंडेंसी के निस्तारण के लिए उचित प्रणाली विकसित किए जाने के निर्देश दिए। साथ ही प्रतिदिन समीक्षा की जाए और इसके लिए वर्कशॉप भी आयोजित की जाएं। कहा कि समस्याओं का अध्ययन कर प्रक्रिया का सरलीकरण किया जाए, ताकि एप्लीकेशन के रिजेक्शन को कम किया जा सके।

मुख्य सचिव ने पीएम स्वनिधि योजना के अन्तर्गत राज्य के 25 हजार स्ट्रीट वेंडर्स को ऋण उपलब्ध कराने के लक्ष्य को निर्धारित समय सीमा में हासिल करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पेपर वर्क पूरा करने हेतु में एक या दो बार कैंप लगाए जाएं। ई – केवाईसी के लिए सीएससी आदि को भी कैंप में शामिल किया जाए ताकि सभी काम एक साथ हो सकें। मुख्य सचिव ने पीएम स्वनिधि में पर्वतीय जनपदों की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि मैदानी जनपदों को तेजी लाने की आवश्यकता है। उन्होंने एसएलबीसी को बैंकों को भी इस सम्बन्ध में अवगत कराए जाने हेतु निर्देशित किया, ताकि बैंक भी एप्लीकेशंस को सरसरी तौर पर निरस्त न करें और ऋण स्वीकृति देने में तेजी लाएं।

मुख्य सचिव ने प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) में भी स्वीकृत आवासों के सापेक्ष पूर्ण और आबंटित की स्थिति में तेजी से सुधार लाने के निर्देश दिए। कहा कि क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना, लाभार्थी के नेतृत्व में व्यक्तिगत घर निर्माण गरीब बेघर लोगों के लिए बहुत ही लाभकारी है। बीएलसी के अन्तर्गत केंद्र सरकार द्वारा तीसरी/अंतिम किश्त प्रोजेक्ट पूर्ण होने के बाद दी जाती है, जिस कारण कई बार लाभार्थी का आवास धन की कमी के कारण पूरा नहीं हो पता या उसमें देरी होती है। इसके लिए एक नया मैकेनिज्म तैयार किया जाए ताकि लाभार्थी को बाकी का पैसा राज्य सरकार की और से मिल जाए और प्रोजेक्ट पूर्ण होने पर यह केंद्र से राज्य सरकार को रिफंड हो जाए।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द वर्द्धन,सचिव शैलेश बगोली, निदेशक आईटीडीए अमित सिन्हा सहित सम्बन्धित विभागों के उच्चाधिकारी भी उपस्थित थे।

प्राधिकरण की बैठक में अग्रवाल ने कार्यप्रणाली में बदलाव के दिये निर्देश

वित्त, शहरी विकास व संसदीय कार्य मंत्री प्रेम चन्द अग्रवाल द्वारा विधानसभा स्थित कार्यालय कक्ष में हरिद्वार-रूड़की विकास प्राधिकरण के कार्याे की समीक्षा करते हुए कहा कि जनता की समस्याओं को सर्वाेच्च प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाय। उन्होने कहा कि जनता की परेशानी को दूर करने के लिए सुनियोजित विकास किया जाय। पारर्दिर्शता पर बल दिया जाय और राजस्व आय में वृद्धि की जाय।
बैठक में अग्रवाल ने विकास प्राधिकरण की गतिविधिओं की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा समय पर नक्शा पास किया जाय। आवासीय और व्यवसायिक श्रेणी में निर्धारित अवधि के भीतर नक्शा पास किया जाय। उन्होंने कहा कि विकास प्राधिकरण को जनता की सुविधा के लिए बनाया गया है, इसके लिए कार्य प्रणाली में बदलाव की सोच को विकसित किया जाये।
बैठक में प्रधानमंत्री आवास योजना के सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि योजना की निगरानी निरन्तर की जाय और गुणवत्ता में किसी प्रकार की कमी न होने दिया जाय। उन्होंने सिडकुल हरिद्वार के समीप बनने वाले प्रधानमंत्री आवास योजना को मार्च 2023 तक पूर्ण करने के निर्देश दिये। इस योजना के तहत कुल 528 आवास निर्मित्त किये जाने है।
बैठक में विभिन्न आवास योजना शिवलोक कालोनी, हरिलोक कालोनी, श्यामलोक, इन्द्रलोक कालोनी के अन्तर्गत बनाये गये ऐसे आवास जो अभी तक विक्रय नही हो सके है, शीघ्र ही विक्रय सम्बन्धित कार्य पूर्ण करने के निर्देश दिये गये। बैठक में अवगत कराया गया कुछ भवन 1999 से बने है परन्तु इनकी बिक्री नही हो सकी है। इस पर मंत्री ने कहा कि यह विभाग की लापरवाही को दर्शाता है। बैठक में कहा गया कि कार्मिको के सापेक्ष जो रिक्तिया शेष है उसके लिए अधियाचन भेजा जाय।
बैठक में हरिद्वार रूड़की विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष विनय शंकर पाण्डेय, सचिव उत्तम सिंह चौहान सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।