सीएम ने 61 व्यक्तियों को वितरित की ऑनलाइन वृद्धावस्था पेंशन

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में सितंबर-2024 से अक्टूबर-2024 के मध्य प्रदेश में 60 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले कुल 61 व्यक्तियों को ऑनलाइन माध्यम से वृद्धावस्था पेंशन का वितरण किया। मुख्यमंत्री के निर्देश पर राज्य में पहली बार 60 वर्ष की आयु पूर्ण करते ही राज्य के व्यक्तियों को वृद्धावस्था पेंशन स्वीकृत किए जाने की कार्यवाही प्रारम्भ की गई है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों पर समाज कल्याण विभाग के पेंशन पोर्टल पर अब 59 वर्ष 6 माह की आयु पूर्ण करने के पश्चात भी वृद्धावस्था पेंशन हेतु आवेदन प्राप्त किए जा सकेंगे। आवेदक का फॉर्म स्वीकृति पश्चात जिस माह आवेदक 60 वर्ष की आयु पूर्ण करेंगे, उस माह के अंत से उनकी वृद्धावस्था पेंशन प्रारंभ कर दी जाएगी। इससे बुजुर्गों को समय से वृद्धावस्था पेंशन का लाभ मिल सकेगा।

मुख्यमंत्र ने कहा कि वृद्धावस्था पेंशन स्वीकृत किए जाने की व्यवस्था का सलीकरण किये जाने से अब हमारे वृद्धजनों को समय से वृद्धावस्था पेंशन का लाभ मिल सकेगा। उन्होंने कहा राज्य सरकार ने वृद्धावस्था पेंशन को 1200 से बढ़ाकर 1500 किया है। अब पति पत्नी दोनों वृद्ध दंपति को पेंशन का लाभ दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारा उदेश्य समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक विकास और सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना है, जिसके लिए लगातार प्रयास हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी वृद्धजन उनके अभिभावक के समान है, जिनकी सेवा में वे हमेशा तत्पर रहेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबा केदारनाथ की भूमि से 21वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखंड का दशक बताया था। जिसपर राज्य सरकार निरंतर कार्य कर रही है। उत्तराखंड विकास के पथ पर निरंतर आगे बढ़ रहा है। हर क्षेत्र में राज्य सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहा है। नीति आयोग द्वारा जारी सतत विकास के लक्ष्यों की सूची में उत्तराखंड प्रथम स्थान में आया। राज्य में बेरोजगारी दर घटी है। ईज ऑफ लिविंग में भी राज्य ने बेहतर प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा बीते 3 सालों में लगभग 19000 युवाओं को सरकारी विभागों में नियुक्ति प्रदान की गई है। राज्य में रिक्त पड़े सभी पदों को तेजी से भरे जाने के प्रयास निरन्तर जारी है।

इस अवसर पर सचिव समाज कल्याण नीरज खैरवाल ने बताया कि दिनांक 25-सितंबर-2024 से 15 अक्टूबर-2024 के मध्य विभाग द्वारा जनपदों में 60 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले व्यक्तियों के चिन्हीकरण हेतु राज्य के समस्त जनपदों में वृहद अभियान संचालित किया गया। विभाग द्वारा ऐसे 12 हजार व्यक्तियों को अभियान के दौरान चिन्हित किया गया। अभियान के अंतर्गत ऐसे व्यक्तियों का डाटा एकत्रित किया गया जो दिनांक 01-अक्टूबर-2024 को 60 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके हैं एवं वृद्धावस्था पेंशन हेतु पात्र हैं। इसके अतिरिक्त ऐसे व्यक्तियों का डाटा भी एकत्रित किया गया जो 59 वर्ष 6 माह की आयु पूर्ण कर चुके हैं और वृद्धावस्था पेंशन हेतु पात्रता रखते हैं।

इस अवसर पर अपर सचिव गौरव कुमार, निदेशक एवं आयुक्त दिव्यांगजन प्रकाश चंद्र सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

वृद्धावस्था पेंशन में चयन प्रक्रिया गलत होने से साढ़े दस लाख की वित्तीय हानि

भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने समाज कल्याण विभाग की करोड़ों रूपए की वित्तीय गड़बड़ी का खुलासा किया है। कैग के अनुसार विभाग ने वृद्धावस्था पेंशन योजना की चयन प्रक्रिया में कई गलतियां की है। इससे साढ़े 10 लाख रूपए की वित्तीय हानि हुई है।

कैग ने राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एनएसएपी) के डेटा बेस की जांच में पाया कि 1,17,454 लाभार्थियों में से केवल 49,924 के मामलों में ही बीपीएल पहचान संख्या अंकित थी। शेष 67,530 लाभार्थियों ने बीपीएल पहचान संख्या नहीं दी। इनमें से 8,134 लाभार्थियों के अभिलेखों की जांच में 76 प्रतिशत यानी 6184 ऐसे लोगों को भी पेंशन बांट दी गई, जो बीपीएल की श्रेणी में नहीं थे। इससे विभाग को 7.25 करोड़ की चपत लगी। 614 प्रकरणों में विभाग ने 17 लाख रुपये अधिक भुगतान किया, जबिक 85 लाभार्थियों को डबल पेंशन देकर 21 लाख रुपये की वित्तीय हानि की।

लाभार्थियों के गलत आकलन से विभाग पर 87.89 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ा। वर्ष 2015-16 से 2017-18 के दौरान सरकार ने 7,65,599 लाभार्थियों के लिए 235.08 करोड़ की मांग की। इसके सापेक्ष उसे 180.48 करोड़ रुपये मिले। लेकिन विभाग ने 6,46,687 लाभार्थियों को 268.37 करोड़ वितरित किए। इसके चलते राज्य सरकार पर 87.89 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ा। ऐसा 33.29 करोड़ रुपये केंद्र से कम मांग के कारण हुआ।

विभाग में पेंशन भुगतान के लिए 12.36 करोड़ रुपये की धनराशि दी गई थी। ये धनराशि न तो बांटी गई न सरकार को समर्पित की गई। इसमें राज्यांश 11.08 करोड़ रुपये और केंद्राश 1.28 रुपये था। कैग को विभाग ने जवाब नहीं दिया कि पांच जिला कोषागारों में यह धनराशि क्यों पड़ी रही।

कैग ने पाया कि वर्ष 2017-18 में चमोली, रुद्रप्रयाग, देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, अल्मोड़ा, बागेश्वर, चंपावत और यूएस नगर में 34,551 लाभार्थियों को धन की कमी के चलते 15.25 करोड़ रुपये की बकाया पेंशन का भुगतान नहीं किया गया। वर्ष 2016 में 6,703 बुजुर्गों की पेंशन रोक दी गई। आधार कार्ड की अवधि बढ़ाए जाने के बावजूद बकाया पेंशन 7.79 करोड़ का भुगतान नहीं किया गया।

ये कमियां भी आईं सामने
1. पेंशन मामलों के अनुश्रवण व मूल्यांकन के लिए राज्य और जिलास्तर पर समितियां नहीं बनाई गई। राज्य स्तरीय समिति मुख्य अधिकारी की अध्यक्षता में गठित होनी है, जबकि जिला पंचायत अध्यक्ष की अध्यक्षता में जिलास्तरीय समिति का गठन होना था। लेकिन लेखा अवधि में ये दोनों समितियां नहीं बनीं।
2. कैग ने पाया कि विकास खंड, जनपद, नगर पालिका स्तर पर शिकायत निवारण प्रणाली का गठन नहीं किया गया। जबकि एनएसएपी के इसे लेकर दिशा-निर्देश हैं।
3. एनएसएपी की गाइडलाइन के हिसाब से विभाग में सोशल ऑडिट की भी व्यवस्था नहीं थी। कैग ने भौतिक सत्यापन की भी कमी पकड़ी।