मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भराड़ीसैण निवासी हिमांशु नेगी के घर पर जाकर उनके परिवारजनों से भेंट कर कहा कि हिमांशु की खोजबीन जारी है। भराड़ीसैण निवासी हिमांशु नेगी 31 जुलाई से गौरीकुण्ड-केदारनाथ मार्ग से लापता चल रहे हैं। 31 जुलाई को हुई अतिवृष्टि के बाद से वे लापता हैं।
मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग से फोन पर वार्ता करते हुए निर्देश दिए कि सर्च अभियान में और तेजी लाई जाय। उन्होंने हिमांशु नेगी के परिवारजनों को भरोसा दिलाया कि हिमांशु की खोजबीन के लिए पूरे प्रयास किये जायेंगे। जिला प्रशासन, एसडीआरएफ और अन्य बचाव दल सर्च अभियान में लगे हुए हैं।
मुख्यमंत्री ने हिमांशु नेगी के पिताजी नरेन्द्र सिंह, उनके दादाजी, माताजी और पत्नी से मुलाक़ात कर कहा कि धैर्य बना कर रखें, राज्य सरकार द्वारा प्रभावित परिवार को हर संभव सहयोग दिया जायेगा।
इस अवसर पर विधायक भूपाल राम टम्टा और जिलाधिकारी चमोली हिमांशु खुराना मौजूद रहे।
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कुछ ही समय में मिल सकती है सफलता, मजदूरों की आज होगी दिवाली
एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम सुरंग के भीतर पहुंच गई है। थोड़ी ही देर में खुशखबरी मिल सकती है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के भी जल्द टनल पर पहुंचने की सूचना है।
वहीं, कल रात ऑगर ड्रिलिंग मशीन के आगे सरिया बाधा बन गई थी। कुछ देर बाद काम शुरू हुआ, लेकिन फिर पत्थर बीच में आ गया। दसवां और अंतिम पाइप डालने का काम जारी है। मिली जानकारी के मुताबिक दो से चार घंटे में ड्रिलिंग पूरी हो सकती है। अब तक 54 मीटर ड्रिलिंग हो चुकी है। 5 से 6 मीटर ड्रिलिंग ही बाकी है।
कुछ ही देर में चिनूक हेलिकॉप्टर भी चिन्यालीसौड हवाई अड्डे पर लैंड करेगा। मजदूरों को एयरलिफ्ट करने की जरूरत पड़ने पर चिनूक हेलिकॉप्ट मदद के लिए तैयार रहेगा।
पहले सुरंग में 900 मिमी पाइप को ऑगर मशीन के माध्यम से भेजा था, जो 22 मीटर जाने के बाद अटक गया था। इस पाइप में 800 मिमी का पाइप भेजने का फार्मूला काम आ गया। एक तो 22 मीटर तक 800 मिमी पाइप पर मलबे का दबाव नहीं था। दूसरे मलबे के 25 से 45 मीटर हिस्से में जहां दबाव था, उसे बुधवार शाम को पार कर लिया गया।
ऑगर मशीन के आगे कुछ सरिया आ जाने से काम रुका जिन्हें कटर से काटकर मशीन फिर आगे बढ़ गई। रेस्क्यू बचाव अभियान से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक, रात ऑगर मशीन के सामने जो सरियों की बाधा आई थी उसे एनडीआरएफ की टीम की मदद से गुरुवार सुबह करीब 3 बजे हटा दिया गया था। जल्द मजदूरों के बाहर आने की संभावना है।
पीएमओ के पूर्व सलाहकार भाष्कर खुल्बे ने बताया कि जल्द अच्छी खबर मिलेगी। दोपहर तीन बजे मलबा आने से कुछ देर अभियान बाधित जरूर हुआ लेकिन कुछ देर बात फिर शुरू हो गया। जो रात तक जारी रहा। वहीं, रात करीब दस बजे ड्रिल मशीन के सामने सरिया आने से काम फिर रुक गया था, जो सरिया काटने के बाद फिर शुरू हो गया था। विशेषज्ञों का कहना था कि पाइप को आरपार करने के बाद उसमें ऑगर मशीन की ड्रिल बर्मा हटाने में करीब तीन घंटे का समय लगता है।
भागीरथी-2 चोटी पर ध्वज ग्रहण करने पर एनडीआरएफ के जवानों को मिली बधाई
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भागीरथी-2 चोटी का पर्वतारोहण कर लौटे एन.डी.आर.एफ के जवानों का स्वागत किया। मुख्यमंत्री ने पर्वतारोही दल का ध्वज ग्रहण कर इस अभियान का विधिवत समापन किया।
मुख्यमंत्री ने एनडीआरएफ के सभी जवानों को इस कठिन अभियान को सफलतापूर्वक पूर्ण करने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस तरह के अभियान करने से आने वाली चुनौतियों का सामना करने में आसानी होती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे पर्वतीय क्षेत्रों में जब भी रेस्क्यू ऑपरेशन की बात आती है तो सबसे पहले हमारी एस.डी.आर.एफ के साथ एन.डी.आर.एफ को याद किया जाता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से संवेदनशील राज्य है। राज्य में एन.डी.आर.एफ ने समय-समय पर आई प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सराहनीय कार्य किया है। देश के अलावा अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भी विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं में एन.डी.आर.एफ द्वारा तेजी से राहत एवं बचाव के कार्य किये जाते हैं, हमारे इन जवानों की कार्यकुशलता सराहनीय है।
महानिदेशक एन.डी.आर.एफ अतुल करवल ने कहा कि एनडीआरएफ के प्रथम पर्वतारोहण अभियान-2023 में अभियान दल द्वारा भागीरथी-2 का 30 मई 2023 को सफल आरोहण किया। उप महानिरीक्षक एनडीआरएफ गम्भीर सिंह चौहान के नेतृत्व में दल के 38 पर्वतारोही शामिल थे। उन्होंने कहा कि हल्द्वानी में एन.डी.आर.एफ की एक बटालियन स्थापित की जा रही है।
इस अवसर पर विधायक मुन्ना सिंह चौहान, पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार, आईजी एस.डी.आर.एफ रिद्धिम अग्रवाल एवं एनडीआरएफ के पर्वतारोहण दल के जवान उपस्थित थे।
राज्य सरकार की ओर से प्रभावितों को हर संभव मदद दी जायेगी-सीएम
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को सिमडी, पौड़ी में हुई बस दुर्घटना स्थल का जायजा लिया। इस अवसर पर उनके साथ पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक भी मौजूद थे। 4 अक्टूबर 2022 की देर सायं को सिमड़ी में हुई वाहन दुर्घटना एवं राहत-बचाव कार्यों की मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन से पूरी जानकारी ली।
मुख्यमंत्री ने रेस्क्यू कर रहे एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, फायर ब्रिगेड, स्थानीय पुलिस, राजस्व पुलिस और इस कार्य में लगे विभिन्न विभागीय कार्मिकों को तेजी से रेस्क्यू कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने स्थानीय प्रशासन को घायलों का त्वरित और समुचित उपचार करने के निर्देश दिए। प्रभावित परिवारों से मुलाकात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि घायलों को उचित उपचार दिया जा रहा है। राज्य सरकार की ओर से प्रभावितों को हर संभव मदद दी जायेगी।
मुख्यमंत्री कल देर सांय से ही अधिकारियों से घटना की पूरी जानकारी ले रहे थे। उन्होंने राज्य आपदा कंट्रोल रूम पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया एवं अधिकारियों को हालात पर लगातार नजर बनाए रखने एवं शासन स्तर से हर संभव सहायता उपलब्ध कराये जाने के निर्देश दिये थे।
इस अवसर पर विधायक लैंसडाउन दिलीप रावत, गढ़वाल आयुक्त सुशील कुमार, डीआईजी करण सिंह नगन्याल, जिलाधिकारी विजय कुमार जोगदण्डे, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक यशवंत सिंह चौहान उपस्थित रहे।
चारधाम यात्रा-श्रद्धालुओं की सुरक्षा को केन्द्र सरकार गंभीर
चारधाम यात्रा पर तीर्थयात्रियों की मौत के बाद केंद्र सरकार ने मदद के लिए एनडीआरएफ की टीम भेजी है। इसके अलावा आईटीबीपी के जवानों को भी पैदल यात्रा मार्गों पर मदद के लिए तैनात किया गया है। पैदल यात्रा करते समय अचानक तबीयत बिगड़ने पर एनडीआरएफ और आईटीबीपी के जवान तीर्थयात्रियों की मदद कर उन्हें तत्काल नजदीकी मेडिकल कैंप तक पहुंचाएंगे।
प्रदेश में तीन मई को गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा शुरू हुई है। शुरूआत में ही केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम जाने वाले तीर्थ यात्रियों की मौत पर पीएमओ ने संज्ञान लेकर राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी थी। साथ ही चारधाम यात्रा में तीर्थयात्रियों की मदद के लिए केंद्र ने एनडीआरएफ की टीम भेजी है। खास तौर पर केदारनाथ धाम के पैदल मार्ग पर एनडीआरएफ टीम तैनात की गई है। इसके अलावा आईटीबीपी के जवानों को यात्रियों की मदद के लिए तैनात किया गया है। केदारनाथ धाम के पैदल मार्ग पर यदि किसी यात्री की अचानक तबीयत खराब होती है तो एनडीआरएफ और आईटीबीपी के जवान तत्काल मदद कर उन्हें मेडिकल कैंप तक पहुंचाएंगे, ताकि समय पर इलाज मिल सके।
मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु ने बताया कि चारधाम यात्रा करने वाले यात्रियों की मदद के लिए केंद्र की ओर से एनडीआरएफ की टीमें भेजी गई हैं। इसके साथ ही आईटीबीपी के जवानों को तैनात किया गया। एसडीआरएफ की टीमें पहले ही चारधामों में तैनात हैं। एनडीआरएफ और आईटीबीपी को एक सीमित समय के लिए तैनात किया है। जरूरत पड़ने पर समय को बढ़ाया जाएगा।
क्षमता के अनुसार भेजे जा रहे यात्री
कोविड महामारी के कारण दो साल बाद चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। चारधामों में कपाट खुलने के दिन क्षमता से दोगुने यात्री पहुंचे थे। जिससे धामों में यात्रियों को अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ा। मुख्य सचिव ने कहा कि चारधामों की वहन क्षमता के अनुसार यात्रियों का पंजीकरण कर दर्शन के लिए भेजा जा रहा है। पिछले तीन दिनों से धामों में स्थित पूरी तरह से नियंत्रण में है। उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग व चमोली जिले के जिलाधिकारियों से प्रतिदिन व्यवस्थाओं की समीक्षा की जा रही है।
उत्तराखंड में आपदा में मृतकों के आश्रितों को प्रधानमंत्री ने दी 2-2 लाख की आर्थिक मदद
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने जोशीमठ के रैणी क्षेत्र में ग्लेशियर टूटने से उत्पन्न हुई भीषण आपदा के तुरन्त बाद आपदा स्थल का निरीक्षण कर स्थिति का जायजा लिया। घटना स्थल से लौटने के बाद पत्रकारों से वार्ता करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि जोशीमठ क्षेत्र में ग्लेशियर फटने की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन एवं एसडीआरएफ की टीम राहत एवं बचाव कार्यों के लिए घटना स्थल पर पहुंची। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि वे गढ़वाल कमिश्नर रविनाथ रमन एवं डीआईजी गढ़वाल नीरू गर्ग के साथ प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचे। उन्होंने जिलाधिकारी चमोली से पूरी जानकारी ली। मुख्य सचिव ओम प्रकाश एवं सचिव आपदा प्रबंधन एस.ए.मुरूगेशन ने आपदा प्रबन्धन केन्द्र सचिवालय में मौजूद रहकर लगातार स्थिति पर नजर रखी तथा आवश्यक दिशा निर्देश भी जिलाधिकारियों को दिये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस आपदा से रैणी के समीप स्थित ऋषिगंगा जलविद्युत परियोजना को भारी नुकसान के साथ ही तपोवन स्थित एनटीपीसी की विद्युत परियोजना का भी कुछ नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि इस आपदा में प्रारम्भिक अनुमान के अनुसार लगभग 125 लोग लापता है। रैणी क्षेत्र के 5 लोगो की भी इसमें अपनी जान गवानी पडी है। अब तक सात लोगों के शव बरामद किये जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि मृतको के आश्रितों को तात्कालिक रूप में 4-4 लाख की आर्थिक सहायता मंजूर की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा पहला उदेद्श्य जान माल की सुरक्षा का है। ऋषिगंगा व एनटीपीसी द्वारा उन्हे हुए नुकसान का आकलन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस क्षेत्र में एक बड़ा तथा 4 छोटे पुलों को नुकसान पहुंचा है। इससे प्रभावित लगभग 11 गांवों को आवश्यक सहायता आदि उपलब्ध कराने के लिये आर्मी हेलीपैड एवं एसडीआरएफ के जवानों के साथ ही आर्मी एवं राज्य सरकार के हेलीकाप्टरों की व्यवस्था के साथ ही आवश्यक चिकित्सा सुविधा के लिये डाक्टरो की भी व्यवस्था की गई है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि रैणी के निकट नीति घाटी को जोडने वाले जिन सड़कों एवं पुलों को हुए नुकसान से जिन गांवों का सड़क से सम्पर्क टूट गया है उनमें गहर, भंग्यूल, रैणी पल्ली, पैंग, लाता, सुराईथोटा, तोलमा, फगरासु आदि गांव शामिल है, तथा पुलों में रैणी मे जुगजू का झूला पुल, जुवाग्वाड-सतधार झूलापुल, भग्यूल-तपोवन झूलापुल तथा पैंग मुरण्डा पुल बह गया है। रैणी मे शिवजी व जुगजू मे मां भगवती मंदिर भी आपदा मे बह गए है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि अब स्थिति नियंत्रण में है, खतरे वाली बात नहीं है। विद्युत परियोजना की सुरंग में मलबा अंदर तक जमा है और सुरंग तक पहुंचना अत्यंत कठिन था। मशीन का सुरंग में जाना मुश्किल था, इसलिए आईटीबीपी के जवान रोप के सहारे वहां पहुंचे। सुरंग में 35-40 फीट गाद जमा है। 250 मीटर लंबी इस सुरंग में अपने हौसले के जरिये जवान 150 मीटर तक पहुंच चुके हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि एनडीआरएपफ की टीम दिल्ली से आई है और कल और जवान आएंगे। आर्मी, पैरामिलिट्री फोर्स और हमारे डाॅक्टर आपदा स्थल पर तैनात किए गए हैं। ऐरियल सर्वे कर उन्होंने स्वयं स्थिति का जायजा लिया। किसी भी प्रकार की जरूरत पड़ने पर वहां आर्मी, वायुसेना और राज्य के हेलीकाॅप्टर तैनात कर दिए हैं। हमारी मेडिकल टीम हर परिस्थिति के लिए तैयार है और 90 जवानों को भी वहां पहुंचा दिया गया है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जब खबर लगी तो उन्होंने उनसे फोन पर बात कर चिंता व्यक्त की और कहा कि मदद की जरूरत पड़ने पर वे मदद के लिए तैयार हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने मृतक आश्रितो को 02-02 लाख रूपये की आर्थिक सहायता प्रदान करने की घोषणा भी की है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के साथ ही गृहमंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार, सीडीएस जनरल विपिन रावत आदि ने भी हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया। आचार्य बालकृष्ण ने सहयोग का आश्वासन देते हुए कहा कि वे अनाथ बच्चों को गोद लेने के लिए तैयार हैं और हर स्थिति में सरकार के साथ हैं। शान्तिकुंज एवं विवेकानन्द अस्पताल पीपलकोटी ने भी सहयोग का आश्वासन दिया है।
मुख्यमंत्री ने इस भीषण आपदा से उत्पन्न स्थिति के सम्बन्ध में अफवाह फैलने से बचाने में योगदान देने के लिए मीडिया को भी धन्यवाद दिया। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हर जरूरत की पूर्ति करने की पूरी व्यवस्था हमारे पास है। हमारे पास रेस्क्यू टीम, मेडिकल, हेलीकाॅप्टर, एक्सपर्ट पर्याप्त मात्रा में है। सरकार का पूरा ध्यान जिनका जीवन बचा सकते हैं, उनकी ओर है। उन्होंने बताया कि रूद्रप्रयाग के करीब पानी स्वच्छ है। उन्होंने कहा कि आपदा की सूचना मिलते ही श्रीनगर जल विद्युत परियोजना के बांध से पानी खाली कर दिया गया था। साथ ही गंगा व अलकनंदा के किनारे तुरंत हाई अलर्ट जारी कर दिया गया था।
इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने सचिवालय स्थित आपदा प्रबन्धन केन्द्र का भी निरीक्षण किया तथा शासन के उच्चाधिकारियों के साथ आपदा से उत्पन्न स्थिति पर विचार विमर्श किया। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि आपदा प्रभावित क्षेत्र मंे राहत एवं बचाव कार्यो की निरन्तर निगरानी की जाय। उन्होंने कहा कि इसके लिये वांछित धनराशि की अविलम्ब व्यवस्था सुनिश्यित की जाय। बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव अमित नेगी, एस.ए मुरूगेशन, आयुक्त गढ़वाल रविनाथ रमन, डीआइजी रिद्धिम अग्रवाल, महानिदेशक सूचना डाॅ. मेहरबान सिंह बिष्ट आदि उपस्थित थे।
जोशीमठ के रैणी क्षेत्र में आई इस भीषण आपदा में बचाव व राहत कार्यो के सम्बन्ध में आईटीबीपी के कमांडेंट शेंदिल कुमार ने बताया कि आईटीबी के 250 जवान रेस्क्यू स्थल पर पहुंच कर रेस्क्यू आॅपरेशन कर रहे हैं। जिसमें मेडिकल आॅफिसर सहित आठ आॅफिसर भी शामिल है। एनटीपीसी पाॅवर हाऊस के आस पास के ईलाके में कार्य कर रहे हैं। 10 से 15 लोग टनल में कहीं फंसे हैं, अभी अनुमान है कि ये लोग जिंदा है। इनको निकालने के प्रयास किये जा रहे हैं। गौचर में आईटीबीपी की आठवीं बटालियन की दो टीमें जिसमें 90 जवान हैं, घटना स्थल के लिए निकल चुके हैं। इसके अलावा गौचर एवं देहरादून में एक-एक कम्पनी आदेश की प्रतीक्षा कर रही है। उत्तरकाशी में मातली एवं महिडाण्डा में भी एक-एक कम्पनी इस टास्क के लिए तैयार है। इसके अलावा स्पेशलिस्ट माउंटयरिंग एवं स्कीइंग इंस्ट्टीयूट औली की दो टीमे तपोवन एरिया में पहुंच चुकी है।
सेना के कर्नल एस. शंकर ने बताया कि जोशीमठ से सेना के 40 जवानों का एक दल तपोवन पहुंच गया है। एक दल जोशीमठ में है। दो सैन्य दल औली से जोशीमठ के लिए रिलीफ आॅपरेशन के लिए आ चुके हैं। रूद्रप्रयाग में दो सैन्य दल तैयार रखे गये है। एक इंजिनियरिंग टास्क फोर्स जोशीमठ से तपोवन पहुंच गया है। 02 मेडिकल आॅफिसर एवं दो एम्बुलेंस तपोवन पहुंच चुके हैं। आर्मी का हैलीपैड सिविल एडमिनिस्ट्रेशन के लिए चालू है। कम्यूनिकेशन के लिए सिविल लाईन चालू है। बरेली से दो हैलीकाॅप्टर भी जोशीमठ पहुंच गये हैं।
डंपर से टकराई कैफियत एक्सप्रेस, पांच दिन में यूपी की दूसरी घटना
यूपी में पांच दिन पूर्व हुए रेल हादसे को अभी हफ्ता भर नहीं हुआ था कि एक और रेल हादसा होने की खबर आई है। यह हादसा कानपुर और इटावा के बीच औरैया जिले में हुआ। आजमगढ़ से दिल्ली आ रही 12225 (अप) कैफियत एक्सप्रेस औरैया के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई। फाटक पर देर रात ट्रेन एक डंपर से टकरा गई। उत्तरी-मध्य रेलवे के प्रवक्ता के मुताबिक दुर्घटना की वजह से ट्रेन के इंजन सहित 10 डिब्बे पटरी से उतर गए। घटना में 21 लोगों के घायल होने की खबर है। जिनमें से दो यात्री बुरी तरह से घायल हुए हैं। राहत और बचाव कार्य पूरा हो चुका है। इससे पूर्व शनिवार को मुजफ्फरनगर के खतौली में रेल हादसा हुआ था जिसमें 23 लोगों की मौत हो गई थी. दुर्घटना में घायल 14 लोगों को औरैया सिविल अस्पताल में भर्ती कराया है। सूचना मिलते ही दिल्ली से मेडिकल रिलीफ ट्रेन भी मौके के लिए रवाना कर दी गई थी। घटना की सूचना मिलते ही रेलवे के बड़े अधिकारी घटना स्थल पर पहुंच गए थे।
घायलों की मदद के लिए औरैया, इटावा और कन्नौज से एंबुलेंस और पुलिस बल मंगा लिए गए हैं। राहत कार्य के लिए लखनऊ से एनडीआरएफ की एक टीम भी रवाना हो चुकी है। उधर आजमगढ़ में रेल दुर्घटना की सूचना मिलते ही हड़कंप मच गया। ट्रेन में सफर कर रहे यात्रियों के परिजन अपनों की सलामती की खबर पता करने स्टेशन पहुंचने लगे हैं।
जानकारी के मुताबिक यह ट्रेन हादसा रात करीब 2 बजकर 40 मिनट पर हुआ। बताया जा रहा है कि ट्रेन एक डंपर से टकरा गई। अछल्दा और पाता रेलवे स्टेशन के बीच रेलवे क्रॉसिंग पर रेल फाटक पार कर रहे एक डंपर से ट्रेन का इंजन टकरा गया। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि ट्रेन के कई डिब्बे पटरी से उतर गए। बताया जा रहा है कि डंपर चला रहे ड्राइवर को नींद आ जाने के चलते यह भीषण दुर्घटना घटी। दुर्घटना के वक्त डंपर में रेत भरी हुई थी।
एनडीआरएफ ने टापू में फंसे 25 लोगों की जान बचाई
जल प्रलय से उफनाई गंगा का पानी गंगा के तटीय इलाकों में घुसा
एनडीआरएफ की अगुवाई में ऋषिकेश के दो इलाकों में आपदा (जल प्रलय) को लेकर मॉक ड्रिल
ऋषिकेश। पहाड़ में मूसलाधार बारिश से गंगा उफना गई। गंगा का पानी तटीय इलाकों में घुस गया। जान बचाने लोग सुरक्षित स्थानों पर चले गये। 25 लोग पानी के बहाव के कारण गंगा के एक टापू में फंस गये। मौके पर एनडीआरएफ की टीम ने रेसक्यू अभियान चलाकर सभी को सुरक्षित स्थानों में पहुंचाया। गुरूवार को एनडीआरएफ ने एक दर्जन विभागों के साथ मिलकर ऋषिनगरी में मॉकड्रिल की।
गुरुवार को जैसे ही तटीय इलाकों में जल प्रलय से उफनाई गंगा का पानी लोगों के घरों में घुसा। तो लोगों को समझने में देर नही लगी। केदारनाथ आपदा की यादें उनके जेहन में ताजा हो गयी। जो जिस हाल में रहा वह अपनी जान बचाकर भागने लगा। टिहरी बांध से अतिरिक्त पानी छोड़ने पर गंगा के पानी ने तो जैसे तबाही ही मचा दी। पानी के बहाव में 25 लोग बह गये। मौके पर एनडीआरएफ की टीम ने रेसक्यू अभियान चलाकर न सिर्फ लोगों की जान बचाई, बल्कि घायलों का उपचार भी किया। टीम ने गंभीर घायलों को अस्पताल भी पहुंचाया। आईडीपीएल के कम्युनिटी सेंटर में आपदा प्रभावितों के रहने व खाने की व्यवस्था भी की। एनडीआरएफ के जवानों ने मुनादी कर अन्य लोगों को भी गंगा के पानी बढ़ने की सूचना दी। उन्होंने गंगा के तटीय इलाकों को फौरन खाली करने के निर्देश दिये।
आपसी तालमेल की कमी
गुरुवार को एनडीआरएफ की अगुवाई में ऋषिकेश के दो इलाकों में आपदा (जल प्रलय) को लेकर मॉक ड्रिल की गई। सुबह आठ बजे से संयुक्त राज्य बस अड्डे व हर्बल गार्डन ढालवाला पर दो यूनिट मॉक ड्रिल को लेकर मुस्तैद रही। अभियान चार घंटे लेट रहा। सुबह 12 बजे सूचना फ्लैश हुई कि गंगा के तटीय इलाकों में पानी बढ़ गया है। मौके पर एनडीआरएफ की टीम, स्थानीय प्रशासन के साथ अलग-अलग इलाकों के लिए रवाना हुई। लेकिन रेसक्यू अभियान में एनडीआरएफ के साथ स्थानीय प्रशासन का तालमेल देखने को नही मिला।
गंगा के टापू में फंसे 25 लोगों को बचाने में भी एनडीआरएफ के जवान ही भाग दौड़ करते नजर आये। स्थानीय प्रशासन के लोग एनडीआरएफ के साथ कहीं भी सहयोग करते नजर नही आये। पुलिस के जवान भी व्यवस्था बनाने में नाकाम रहे। मॉक ड्रिल में नगर के लगभग दर्जनभर विभागों के अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे। लेकिन रेस्क्यू अभियान में किसी ने भी राफ्ट तक पकड़ने की जहमत नही उठाई। टीएचडीसी में कंट्रोल रुम की स्थापना की गई थी। एनडीआरएफ की समीक्षा में भी समन्वय, तालमेल व सूचना आदान प्रदान की कमी को महसूस किया गया।
मेरे नंबर पर व्हाट्सअप नही
आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील माने जाने वाले विभाग आपदा प्रबंधन के अधिकारी यह कहें कि मेरे नंबर पर व्हाट्सअप नही है तो आप समझ सकते है कि आपदा प्रबंधन विभाग कितना संवेदनशील है। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी डॉ. दीप शिखा रावत के मोबाइल पर व्हाट्सअप ही नही है।
समय दर समय घटनाक्रम
सुबह 12 बजे रेसक्यू को एनडीआरएफ की टीम रवाना
सुबह 12.08 नाव घाट में टीम पहुंची
सुबह 12.20 एनडीआरएफ ने पहली बोट तैयार की
सुबह 12.20 एसडीआरएफ की टीम पहुंची
सुबह 12.18 कमांड पोस्ट का टेंट तैयार
सुबह 12.22 मेडिकल का टेंट तैयार, डॉक्टर ने मोर्चा संभाला
सुबह 12.22 एसडीआरएफ की पहली बोट तैयार
सुबह 12.26 एनडीआरएफ का दूर संचार विभाग ने काम करना शुरु किया
सुबह 12.28 दूसरी बोट तैयार, गंगा में उतारी
सुबह 12.35 तीसरी बोट तैयार, गंगा में उतारी
सुबह 12.36 एसडीआरएफ की दूसरी बोट तैयार
दोपहर 1.25 रेसक्यू टीम ने टापू से लोगों का निकालना शुरु किया
दोपहर 1.33 घायलों को अस्पताल पहुंचाया
एसडीआरएफ के पास सामान ही नही
आपदा में रेस्क्यू करने पहुंची एसडीआरएफ की टीम के पास सामान ही नही था। रेस्क्यू टीम में शामिल पुलिस के कुछ जवान बिना हेलमेट के ही बोट में सवार हो गये। रेस्क्यू अभियान में आपसी तालमेल व सामंजस्य की कमी देखने को मिली।
ये रहे मौजूद …
आपदा प्रबंधन उप सचिव संतोष बड़ोनी, अधिशासी निदेशक पीयूष रौतेला, एडीएम टिहरी जगदीश लाल, एसडीएम कुश्म चौहान, एसडीएम लक्ष्मीराज चौहान, एसडीएम गोपालराम, अधिशासी निदेशक टीएचडीसी एचएल अरोड़ा, एजीएम एएस वर्मा, अतुल कुमार सिंह, एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडेंट रोशन सिंह असवाल, इंस्पेक्टर जितेन्द्र सिंह, चंदन कुमार, सीओ चक्रधर अंथवाल, सीओ राजेन्द्र डोभाल, एफएसओ रोशनलाल शर्मा, नगर पालिकाध्यक्ष दीप शर्मा व शिवमूर्ति कंडवाल के अतिरिक्त एनसीसी, रेडक्रॉस, पीडब्ल्यूडी, सिंचाई विभाग, डीएमएमसी, यूपीसीएल, पेयजल निगम, आपूर्ति विभाग, नगर पालिका ऋषिकेश व मुनिकीरेती आदि विभागों के अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।