देहरादून/हल्द्वानी।
पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने 18 अक्टूबर को हल्द्वानी में अपना जन्मदिन मनाने की घोषणा क्या कर दी, इसके भी राजनीतिक निहितार्थ निकाले जाने लगे। कांग्रेसी खेमे में बेचैनी तो समाजवादी पार्टी में भी सुगबुगाहट है। कयास लगाए जा रहे हैं कि तिवारी हल्द्वानी को अपने पुत्र रोहित शेखर के राजनीतिक कॅरियर का लांचिंग पैड बनाने की योजना बना चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी वर्तमान में भले ही कांग्रेस की सक्रिय राजनीति में नहीं हैं, लेकिन उनकी पहचान खांटी कांग्रेसी की है। हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी की सरकार के साथ तिवारी की नजदीकियों की चर्चा भी रही।
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने अपनी दोस्ती निभाते हुए पूर्व सीएम तिवारी के पुत्र रोहित शेखर को दर्जा मंत्री का ओहदा भी दिया। अब पूर्व सीएम तिवारी के लिए रोहित को नेता बनाने की जिम्मेदारी भी है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि तिवारी भी जानते हैं कि उत्तर प्रदेश के मुकाबले उत्तराखंड से शेखर के लिए राह निकालना अपेक्षाकृत अधिक अनुकूल होगा। खासतौर पर नैनीताल जिले में, जहां आज भी तिवारी की अच्छी-खासी पैठ है। अपने मूल जनपद नैनीताल पर तिवारी की निगाह अरसा पहले से ही है।
गत वर्ष भी तिवारी ने अपना जन्मदिन हल्द्वानी में ही मनाया था, जिसमें अलग-अलग समय पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत उन्हें जन्मदिन की शुभकामना देने आए थे। बेशक तिवारी ने अपने जन्मदिन आयोजन को नितांत व्यक्तिगत आयोजन बताया था और उसके राजनीतिक निहितार्थ न निकालने के संकेत दिए थे लेकिन तभी से राजनीतिक हलकों में चर्चा गरम हो गई थी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तिवारी अगर कोई राजनीतिक कदम उठाते हैं तो सियासी समीकरणों पर इसका सीधा असर पड़ेगा।