मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय में भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के प्रतिनिधिमण्डल ने भेंट की। उन्होंने किसानों की आय बढ़ाने के लिए राज्य में किये जा रहे कारगर प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सराहना की। किसान प्रतिनिधिमण्डल के सदस्यों ने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य सरकार किसानों के कल्याण के लिए सराहनीय कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में प्राकृतिक कृषि के क्षेत्र में अनेक संभावनाएं हैं, इसे राज्य में बढ़ावा मिलना चाहिए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में किसानों की आय में तेजी से वृद्धि हो रही है। विज्ञान आधारित कृषि पर अधिक बल दिया जा रहा है। प्राकृतिक एवं जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। राज्य में भी प्राकृतिक खेती को तेजी से बढ़ावा दिया जा रहा है। कृषि एवं उद्यान को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं।
इस अवसर पर भारतीय किसान यूनियन के प्रतिनिधिमण्डल से राजेन्द्र सिंह मलिक, अशोक बालियान, सलवेन्द्र सिंह कलसी, धर्मेन्द्र मलिक एवं अन्य प्रतिनिधि उपस्थित थे।
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कृषि उत्पादन को बढ़ाने का प्रयास करना जरुरीः त्रिवेन्द्र रावत
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सर्वे चैक स्थित आईआरटीडी आडिटोरियम में राज्य स्तरीय शून्य लागत (जीरो बजट) प्राकृतिक कृषि से संबधित एक दिवसीय कार्यशाला का दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारम्भ किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत में आजीविका का सबसे मुख्य साधन कृषि है। हमारी लगभग 64 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर आधारित है। 2022 तक किसानों की आय दुगुनी करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प को पूरा करने के लिए कृषि कार्यों में उत्पादन लागत कम करने व प्रोडक्शन में वृद्धि पर विशेष ध्यान देना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्पादन बढ़ाने तथा उसकी लागत कम करने के लिए प्राकृतिक कृषि से संबंधित पालेकर कृषि माॅडल उपयोगी साबित हो सकता है। विशेषकर उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में प्राकृतिक कृषि काफी कारगर साबित हो सकती है। प्राकृतिक खेती में जैव अवशेषों, कम्पोस्ट व प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग किया जाता है, जो पर्वतीय क्षेत्र में आसानी से उपलब्ध होते हैं। प्राकृतिक खेती से कृषकों पर व्यय भार भी नहीं पड़ेगा व उत्तम गुणवत्ता के उत्पादों में भी इजाफा होगा। प्राकृतिक खेती कृषि, बागवानी व सब्जी उत्पादन के लिए उपयोगी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि खेती में रासायनिक उत्पादों का प्रयोग कम से कम हो इसके लिए राज्य में प्रभावी प्रयास हुए हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती पर कौशल विकास व कृषि विभाग के माध्यम से प्रशिक्षण भी दिया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पालेकर कृषि माॅडल हिमांचल प्रदेश में भी सफल हुआ है। उत्तराखण्ड में इस माॅडल पर विस्तृत अध्ययन कराया जायेगा। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में इसके लिए एक कमेटी भी बनाई जायेगी।
पद्मश्री सुभाष पालेकर ने कहा कि परम्परागत खेती व रासायनिक खेती के बजाय प्राकृतिक खेती पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। प्राकृतिक खेती में लागत ना के बराबर है जबकि यह मृदा की उर्वरा शक्ति को बनाये रखने व शुद्ध पौष्टिक आहार का एक उत्तम जरिया है। उन्होंने कहा कि उद्योग व रासायनिक कृषि वैश्विक तापमान वृद्धि के प्रमुख कारक हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती को एक मिशन के रूप में लिया जा रहा है। इसके लिए किसी भी प्रकार के अतिरिक्त बजट की आवश्यकता नहीं है। यह कृषि राज्य में उपलब्ध संसाधनों से आगे बढ़ाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि हिमांचल में प्राकृतिक कृषि पर कार्य किया जा रहा है। जिसके अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। उत्तराखण्ड व हिमांचल की भौगोलिक व आर्थिक स्थिति में काफी समानता है। देश की कृषि व्यवस्था सुदृढ़ होगी तो आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी।
इस अवसर पर विधायक खजानदास, रेशम बोर्ड के अध्यक्ष अजीत चैधरी, बीज बचाओ आन्दोलन के प्रणेता विजय जड़धारी, सचिव कृषि डी सेंथिल पांडियन, डाॅ. देवेन्द्र भसीन, वृजेन्द्र पाल सिंह व विभिन्न विश्वविद्यालयों के कृषि विशेषज्ञ उपस्थित थे।