उपलब्धिः उत्तराखंड के लाल का नासा में हुआ चयन

उत्तराखंड के लिए बड़ी गौरव की बात है, दरअसल यहां कुमाऊं मंडल के यूएस नगर जिला के सितारंगज स्थित कुंवरपुर सिसैया गांव के डा. गुरजीत सिंह का नासा में चयन हुआ है। उनकी इस उपलब्धि पर क्षेत्र में हर्ष का माहौल है। अमेरिका के लिए उनकी पत्नी और बेटे को भी वीजा दिया गया है। उनका जेपीएल पोस्टडाक्टोरल स्कॉलर से नासा में चयन हुआ है। उन्हें 71590 डॉलर का पैकेज मिला है।

बता दें कि गुरजीत सिंह ने वर्ष 2003 में जीआईसी सितारगंज से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। यहां के बाद उन्होंने गोविन्द बल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय से एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री ली। आईआईटी खड़कपुर से एमटेक की डिग्री के बाद उन्होंने पीएचडी आईआईटी भुवनेश्वर से की। डॉ. गुरजीत के पिता सुरजीत सिंह पेशे से किसान हैं, जबकि माता गुरमीत कौर एक गृहणी हैं। डॉ. गुरजीत की इस उपलब्धि पर उन्हें बधाई संदेश देने वालों की भीड़ लग रही है।

विक्रम लैंडर का पता चला, संपर्क साधने की कोशिशों में जुटा इसरो

इसरो (ISRO) को चांद पर विक्रम लैंडर की स्थिति का पता चल गया है। ऑर्बिटर ने थर्मल इमेज कैमरा से उसकी तस्वीर ली है। हालांकि, उससे अभी कोई संचार स्थापित नहीं हो पाया है। ये भी खबर है कि विक्रम लैंडर लैंडिंग वाली तय जगह से 500 मीटर दूर पड़ा है। चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में लगे ऑप्टिकल हाई रिजोल्यूशन कैमरा (OHRC) ने विक्रम लैंडर की तस्वीर ली है।
अब इसरो वैज्ञानिक ऑर्बिटर के जरिए विक्रम लैंडर को संदेश भेजने की कोशिश कर रहे हैं ताकि, उसका कम्युनिकेशन सिस्टम ऑन किया जा सके। इसरो के सूत्रों ने बताया कि बेंगलुरु स्थित इसरो सेंटर से लगातार विक्रम लैंडर और ऑर्बिटर को संदेश भेजा जा रहा है ताकि कम्युनिकेशन शुरू किया जा सके।
इसरो प्रमुख के सिवन ने बताया कि हमें विक्रम लैंडर के बारे में पता चला है, वह चांद की सतह पर देखा गया है. ऑर्बिटर ने लैंडर की एक थर्मल पिक्चर ली है। लेकिन अभी तक कोई संचार स्थापित नहीं हो पाया है। हम संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। भविष्य में विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर कितना काम करेंगे, इसका तो डेटा एनालिसिस के बाद ही पता चलेगा। इसरो वैज्ञानिक अभी यह पता कर रहे हैं कि चांद की सतह से 2.1 किमी ऊंचाई पर विक्रम अपने तय मार्ग से क्यों भटका। इसकी एक वजह ये भी हो सकती है कि विक्रम लैंडर के साइड में लगे छोटे-छोटे 4 स्टीयरिंग इंजनों में से किसी एक ने काम न किया हो। इसकी वजह से विक्रम लैंडर अपने तय मार्ग से डेविएट हो गया. यहीं से सारी समस्या शुरू हुई, इसलिए वैज्ञानिक इसी प्वांइट की स्टडी कर रहे हैं। इसके अलावा चांद के चारों तरफ चक्कर लगा रहे ऑर्बिटर में लगे ऑप्टिकल हाई रिजोल्यूशन कैमरा (OHRC) से विक्रम लैंडर की तस्वीर ली जाएगी। यह कैमरा चांद की सतह पर 0.3 मीटर यानी 1.08 फीट तक की ऊंचाई वाली किसी भी चीज की स्पष्ट तस्वीर ले सकता है।