अजय टम्टा के लिए सीएम ने रानीखेत में की जनसभा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केएमओयू स्टेशन पार्किंग, रानीखेत में अल्मोड़ा लोकसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी अजय टम्टा के पक्ष में आयोजित जनसभा में किया प्रतिभाग।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बड़ी संख्या में मौजूद महिलाओं, बुजुर्गों, युवाओं का अभिनंदन करते हुए कहा कि रानीखेत क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी अजय टम्टा जी को आपका भरपूर समर्थन मिले। अजय टम्टा को मिले जनता के मतों और समर्थन से मोदी जी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। अजय टम्टा जी, मुलाकात के दौरान हमेशा विकास और क्षेत्र की बात करते हैं। उन्होंने कहा कि 19 अप्रैल तक अपने जोश और जुनून को जारी रखते हुए अजय टम्टा जी को भारी मतों से विजयी बनाएं। प्रधानमंत्री जी ने जो 10 वर्षाे तक देश की सेवा में पल पल लगाया है, उन्होने अपने जीवन को भारत मां की सेवा में समर्पित किया है, देश वासियों की सेवा में अपना जीवन समर्पित किया है, उसका प्रतिफल हमने अपने वोट से उन्हें देना है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश के अंदर विकास की नई ऊंचाइयों को छूने का काम किया है। सरकार की योजनाएं समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्तियों के लिए है। आज सीमांत क्षेत्र का विकास हो रहा है। मोदी सरकार का कालखंड गरीबों, महिलाओं, युवाओं के कल्याण को समर्पित रहा है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में अंतोदय के सिद्धांत पर विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही है, जिसमें प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना, उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, समेत अनेक योजनाएं संचालित हैं। ’यह मोदी जी की गारंटी है जो योजना वो शुरू करते हैं, उसका लाभ गरीब को मिलता है। जिसके फल स्वरूप बीते 10 सालों में 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं।’

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा रानीखेत सैनिकों का केंद्र है। कुमाऊं रेजिमेंट का यहां सेंटर है। हमारा उत्तराखंड देवभूमि के साथ वीरभूमि है। हर परिवार से कोई ना कोई सेना में है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कश्मीर से धारा 370 को खत्म किया गया है। हाल ही में सीएए कानून लागू हुआ है। वर्षाे के बाद भगवान राम के भव्य मंदिर का निर्माण हुआ है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने उत्तराखण्ड के अंदर कई ऐतिहासिक कठिन निर्णय लिए गये हैं। पूर्व में किए वादे अनुसार राज्य में समान नागरिक संहिता विधेयक पारित किया है। नकल माफियाओं को जेल भेजकर पारदर्शिता के साथ परीक्षाएं करवाई जा रही हैं। जिसके लिए नकल विरोधी कानून लागू किया गया है। इसके साथ ही राज्य में दंगारोधी कानून, धर्मांतरण विरोधी कानून लागू किया गया है। सरकारी ज़मीन से अतिक्रमण हटाया जा रहा है। साथ ही महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया जा रहा है।

’मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरे हर कार्यक्रम में 70ः महिलाएं होती है। मेरी माताएं बहनें मुझे अपना आशीर्वाद देने आती हैं।’ डबल इंजन की सरकार निरंतर नई कीर्तिमान हासिल कर रही है। ’यह सब जनता के वोट की ताकत है कि उत्तराखंड देश का अग्रणी राज्य बनने जा रहा है।’
राज्य में अनेक इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के कार्य जारी है। ’अल्मोड़ा लोकसभा में 1 लाख 20 हज़ार घरों में शौचालय निर्माण किया गया है। हल्द्वानी से चंपावत, मुनस्यारी पिथौरागढ़ के लिए हवाई सेवा शुरू की है।’
कुछ दिनों पूर्व 18 हजार करोड़ की योजनाओं का लोकार्पण शिलान्यास किया था जिसमें से रानीखेत क्षेत्र की भी कई योजनाएं शामिल हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ’कांग्रेस पार्टी ने देश में 60 वर्ष से अधिक वर्ष तक शासन किया है। उन्होंने देश और उत्तराखंड में महज़ भ्रष्टाचार को बढ़ाया है। उन्होंने अपनी हार की ज़िम्मेदारी भी ईवीएम पर डाल दी। इस बार भी हार के बाद ईवीएम के बारे में कहेंगे। इस बार कांग्रेस को चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशी तक नहीं मिल रहे थे।’ उन्होंने कहा कि रानीखेत एवं अल्मोड़ा क्षेत्र की जनता के आशीर्वाद से अजय टम्टा जी और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी जीतने वाले हैं। उन्होंने इस वर्ष आगामी लोकसभा चुनाव में नया रिकॉर्ड बनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक मतों से विजय बनाकर अजय टम्टा जी को लोकसभा भेजना है।

इस अवसर पर भाजपा जिलाध्यक्ष लीला बिष्ट, विधायक डॉ. प्रमोद नैनवाल, शिव सिंह बिष्ट, कुंदन लटवाल एवं अन्य लोग मौजूद रहे।

हरियाणा पर टिकी सबकी नजर, महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार

लोकसभा चुनाव में जबर्दस्त जीत के बाद अब हरियाणा और महाराष्ट्र में जनता ने फिर भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर मुहर लगा दी है। गुरुवार को आए विधानसभा चुनाव के नतीजे भाजपा के लिए अनुमानों से कमतर रहे, लेकिन पार्टी दोनों राज्यों में सरकार बनाने जा रही है। हरियाणा में 90 में से 40 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी भाजपा को छह निर्दलीयों का समर्थन मिला है। महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना गठबंधन को 288 में से 161 सीटों पर जीत के साथ स्पष्ट बहुमत मिला है। भाजपा नेतृत्व ने भी दोनों राज्यों में अपने मुख्यमंत्रियों पर भरोसा जताया है। जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर और महाराष्ट्र में देवेंद्र फड़नवीस को फिर कमान सौंपने की पुष्टि की है। मनोहर लाल शुक्रवार को राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे।
हरियाणा में नतीजे काफी चैंकाने वाले रहे। यहां सबसे ज्यादा चैंकाया सालभर पहले अस्तित्व में आई जननायक जनता पार्टी (जजपा) ने। सालभर पहले ही पारिवारिक विवाद के बाद इनेलो से अलग होकर दुष्यंत चैटाला ने पार्टी गठित की थी। जजपा ने पहली ही बार में 10 सीटों पर जीत हासिल कर ली। नतीजों के बाद जजपा को किंगमेकर की भूमिका में देखा जा रहा था। हालांकि भाजपा को सात में से छह निर्दलीयों का समर्थन मिलने के बाद जजपा का चमत्कारिक प्रदर्शन भी उसे कुछ खास फायदा दिलाता नहीं दिख रहा है।
हरियाणा के नतीजे कांग्रेस के लिए भी अच्छे रहे। कांग्रेस 15 से 31 सीट पर पहुंच गई। चुनाव के ठीक पहले पार्टी में उभरी कलह और उठापटक के बावजूद ये नतीजे कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाने वाले हैं। सीटों के लिहाज से नतीजे भाजपा के लिए थोड़ा निराशाजनक रहे। पिछले साल 47 सीटें जीतने वाली भाजपा 40 सीटों पर आ गई। हरियाणा के नतीजों में भाजपा के लिए सोचने वाली बात यह है कि सात निर्दलीयों में से छह भाजपा से जुड़े रहे हैं। भाजपा के लिए बड़ा झटका यह भी है कि राज्य सरकार में कैबिनेट का हिस्सा रहे आठ मंत्री चुनाव हार गए हैं।
महाराष्ट्र के नतीजे बहुत ज्यादा उलटफेर वाले तो नहीं कहे जा सकते हैं, लेकिन उम्मीदों से दूर जरूर हैं। विश्लेषकों का मानना है कि देश में फैला आर्थिक सुस्ती का साया महाराष्ट्र में भाजपा के नतीजों पर दिखा है। 2014 में अकेले लड़कर 288 में 122 सीटें जीतने वाली भाजपा के खाते में इस बार नतीजों और रुझानों के आधार पर 105 सीटें आती दिख रही हैं। शिवसेना भी 63 से 56 पर आ गई है। सबसे ज्यादा फायदे में शरद पवार की राकांपा रही है। राकांपा का आंकड़ा इस बार 41 से 54 पर पहुंच गया है। सोनिया गांधी के हाथ में दोबारा कमान आने के बाद कांग्रेस भी बढ़त में दिखी। पार्टी को 2014 के 42 के मुकाबले 44 सीट मिली है।
नतीजों से सरकार गठन के गणित पर ज्यादा असर पड़ने की उम्मीद नहीं है। हालांकि उपमुख्यमंत्री शिवसेना को मिलेगा या नहीं, इस मुद्दे पर न तो देवेंद्र फड़नवीस ने मुंह खोला है, न ही उद्धव ठाकरे ने। फिलहाल उद्धव ठाकरे यह कहकर ताना मारने से नहीं चूके कि जिनके नेत्र बंद थे, उन्हें खोलकर जनता ने अंजन लगा दिया है। उम्मीद है कि अब पीछे की गई गलतियां दोहराई नहीं जाएंगी।

तो हरीश ने अपने चहेते को कमान देने के लिए इस्तीफे का दाव चला

लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए राष्ट्रीय महासचिव और असम प्रभारी के पदभार से इस्तीफा देकर हरीश रावत ने प्रदेश में कांग्रेस की सियासत को गर्मा दिया है। रावत के इस्तीफे के बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष प्रीतम सिंह समेत प्रदेश पदाधिकारियों पर भी इस्तीफे को लेकर दबाव बढ़ गया है।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद जिस तरह राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने पद छोड़ा है, उससे कांग्रेस की अंदरूनी सियासत में हलचल और असमंजस बढ़ गया है। अपने इस्तीफे के बाद राहुल गांधी पार्टी के अन्य पदाधिकारियों को भी निशाने पर ले चुके हैं। इस बीच राष्ट्रीय महासचिव और असम प्रभारी के पद से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी इस्तीफा दे दिया है। यह दीगर बात है कि इसकी जानकारी उन्होंने फेसबुक पोस्ट पर दी। हरीश रावत उत्तराखंड की सियासत से गहरे जुड़े रहे हैं। उत्तराखंड में भी कांग्रेस को लोकसभा की पांचों सीटों पर हार मिली। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत नैनीताल संसदीय सीट, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह टिहरी संसदीय सीट और राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा अल्मोड़ा संसदीय सीट से पार्टी प्रत्याशी थे।
इन तीनों दिग्गजों को भी हार का मुंह देखना पड़ा। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और असम के प्रभारी के तौर पर हरीश रावत ने इस्तीफा तो दिया ही, साथ ही लोकसभा चुनाव में हार के लिए पार्टी की संगठनात्मक कमजोरी के लिए भी पदाधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया। असम में पार्टी का प्रदर्शन अपेक्षित नहीं रहने के लिए भी बतौर प्रभारी उन्होंने खुद को उत्तरदायी ठहराने से गुरेज नहीं किया।
रावत के इस स्टैंड को प्रदेश कांग्रेस कमेटी पर दबाव बढ़ाने वाला माना जा रहा है। हालांकि इससे प्रदेश में पार्टी के भीतर गुटबंदी तेज होने के आसार हैं। प्रदेश में कांग्रेस के भीतर प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश की सियासी जुगलबंदी को हरीश रावत खेमे से गाहे-बगाहे चुनौती मिलती रहती है। हालांकि श्रीनगर और बाजपुर में आठ जुलाई को होने वाले नगर निकाय चुनाव में पार्टी को कामयाबी दिलाने को पार्टी के सभी दिग्गज नेता एकजुट दिख रहे हैं। पहले बाजपुर और फिर गुरुवार को श्रीनगर नगरपालिका परिषद अध्यक्ष पद के चुनाव में पार्टी प्रत्याशी के समर्थन में सभी दिग्गजों ने एक साथ प्रचार भी किया। फिलहाल पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मीडिया से बातचीत में प्रदेश में कांग्रेस के भीतर किसी तरह की गुटबाजी होने से साफ इन्कार किया है।

तो क्या एक साल पहले ही हो जाएंगे लोकसभा चुनाव

यूं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक लंबे समय से राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को लोकसभा चुनाव के साथ कराने की वकालत करते रहे हैं। ऐसी अटकलें हैं कि अपनी दलील को अमली जामा पहनाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव करीब एक साल पहले ही कराने पर विचार कर रही है। इसके पीछे का गणित कुछ यह है कि बीजेपी की कोशिश है, साढ़े तीन सालों के दौरान किए गए कामों को लेकर जनता के बीच जाएं और उनसे वोट मांगे। बजाय इसके कि वह 20 महीना और इंतजार करें और रोजगारी और किसानों की समस्या हल करने में अपनी असफलता को और उजागर होने दें। केंद्र सरकार को यह भी पता है कि विपक्ष मौजूदा समय में बेहद कमजोर है, लेकिन उसे यह भी साफ दिख रहा है कि विपक्षी दल कांग्रेस अभी भी देश के कुछ हिस्सों में प्रभावी है। दूसरा यह कि हाल ही में मध्य प्रदेश में संपन्न हुए स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस की स्थिति में जिस तरह सुधार हुआ है। साथ ही पश्चिम बंगाल के निकाय चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने जिस तरह भारी जीत दर्ज की है।वह निश्चित तौर पर बीजेपी के लिए चिंता का सबब होगा। कहीं न कहीं बीजेपी यह भी जानती है कि मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और गुजरात में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में उसे सत्ता-विरोधी माहौल का सामना करना होगा। ऐसे में अगर पूर्व के चुनावों के मुकाबले पार्टी की सीटों में कमी आती है। तो इसका सीधा असर 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर भी पड़ेगा।
बीजेपी को यह भी याद रखना होगा कि जनता अक्सर सत्तारूढ़ दल के प्रदर्शन से असंतुष्ट होकर उनके खिलाफ मतदान करती रही है। भले विपक्ष कमजोर हो। मगर, इसी साल गोवा और मणिपुर में हुए विधानसभा चुनाव में ऐसा देखने को मिला। जहां कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. यह अलग बात है कि विधायकों को अपने पाले में शामिल करने में सफल रही बीजेपी ने गोवा और मणिपुर में सरकार बनाई, लेकिन इस सच्चाई को नहीं झूठलाया जा सकता कि बीजेपी के प्रति असंतुष्टि की भावना है।