चेक बाउंस मामले में तीन माह की सजा और 3 लाख रुपए जुर्माना

चेक बाउंस मामले में न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट ऋषिकेश नंदिता काला की अदालत ने आरोपी कुंदन लाल को तीन माह के कारावास तथा तीन लाख रुपए का जुर्माना की सजा सुनाई है।

अधिवक्ता शुभम राठी ने बताया कि वीरपुरखुर्द निवासी प्रकाश बोरा की जान पहचान एम्स अस्पताल ऋषिकेश में कार्यरत मूल रूप से सेमवाल गांव, थाना सत्यो, जिला टिहरी गढ़वाल निवासी कुंदन लाल से थी। कुंदन लाल ने मई 2016 में प्रकाश बोरा से 2 लाख रुपए पांच महीने के लिए उधार लिए थे और पांच महीने बाद पैसे लौटाने के एवज में एक 2 लाख रुपए का चेक परिवादी को दिया जो की बैंक में लगाने पर बाउंस हो गया। जब परिवादी ने कुंदन लाल से अपनी रकम का तकाजा किया तो कुंदन ने सिर्फ 15 हजार नकद लोटाए तथा शेष 1,85,000 का फिर से कुछ दिन बाद का एक चेक परिवादी को दिया। वह चेक भी बैंक में लगाने पर बाउंस हो गया। उसके पश्चात कुंदन लाल ने परिवादी को पैसा लौटाने से साफ इंकार कर दिया।

परिवादी द्वारा अधिवक्ता शुभम राठी के माध्यम से कोर्ट में केस दर्ज किया। छह साल चले इस मामले में कोर्ट ने कुंदन लाल को दोषी पाया और उसे तीन माह के कारावास से दंडित किया साथ ही कुंदन लाल पर तीन लाख रुपए जुर्माना भी लगाया गया, जो की उसके द्वारा परिवादी को अदा किया जाएगा।

कोर्ट फैसलाः चेक बाउंस में आरोपी दोषमुक्त

ऋषिकेश में चेक बाउंस के आठ साल पुराने मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायिक मजिस्ट्रेट ऋषिकेश की अदालत ने छह माह की साधारण सजा सुनाई है। आरोपी पर न्यायालय ने दो लाख 92 हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया है। मामला वर्ष 2014 का है।

अधिवक्ता शुभम राठी ने बताया कि अशोक कुमार तिवारी निवासी पुरानी चुंगी गैरोला नगर ज्योतिषी का कार्य करते है। उनकी परिचित रामरती पूजा पाठ का कार्य करने उनके यहां आया जाया करती थी। अधिवक्ता ने बताया कि रामरती ने अपने पति बैजनाथ की गंभीर बीमारी से पीड़ित होने की बात कहकर अशोक कुमार तिवारी से तीन लाख रूपये उधार मांगे। परिचित होने के कारण अशोक कुमार तिवारी ने महिला रामरती को तीन लाख रूपये नगद दिए।

इसके स्वरूप रामरती ने आठ हजार रूपये और दो लाख 92 हजार रूपये का चेक उन्हें 25 सितंबर 2014 को दिया। यह चेक अगले ही दिन 26 सितंबर 2014 को बाउंस हो गया। इसके बाद मामला न्यायालय में विचाराधीन रहा।

अधिवक्ता शुभम राठी की मजबूत पैरवी की बदौत न्यायधीश राजेंद्र कुमार ने यह माना कि आरोपी महिला रामरती निवासी आईडीपीएल अपने समर्थन में कोई मजबूत सबूत पेश नहीं कर पाई। साथ ही असंतोषजनक जवाब देते हुए बयानों में विरोधाभास पाया गया। इसी को आधार बनाते हुए न्यायालय ने आरोपी महिला रामरती को छह माह की सजा सुनाई है।

चेक बाउंस के मामले में कोर्ट ने सुनाया फैसला, आरोपी को डेढ़ वर्ष का कारावास

ऋषिकेश में चेक बाउंस के दो अलग-अलग मामलों में सिविल जज जूनियर डिवीजन व न्यायिक मजिस्ट्रेट ऋषिकेश की अदालत ने डेढ़ वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही आरोपी पर जुर्माना भी लगाया है। मामला वर्ष 2017 का है।

अधिवक्ता लक्ष्मी नारायण तिवारी व उनके सहयोगी अधिवक्ता विशाल रामदे ने बताया कि चंद्रमणि शुक्ला पुत्र राजबहादुर शुक्ला निवासी गीतानगर ऋषिकेश रेलवे रोड़ पर गारमेंट की दुकान संचालित करते हैं। उनकी दुकान में अक्सर सामान खरीदने को राकेश कुमार कश्यप आता जाता रहता था। इस दौरान चंद्रमणि शुक्ला और राकेश कुमार कश्यप के बीच अच्छी जान पहचान हो गई। एक रोज राकेश कुमार ने चंद्रमणि शुक्ला से कहा कि वह ऋषिलोक कालोनी में स्थित अपना मकान बेचना चाहता है। इस बावत दोनों के बीच आपसी सहमति से 20 लाख रूपये का सौदा हुआ।

जिसके बयाने के तौर पर चंद्रमणि शुक्ला ने राकेश कुमार कश्यप को अलग-अलग तिथियों में छह लाख रूपये दिए। मगर, कुछ कारणों के चलते मकान की रजिस्ट्री राकेश कुमार कश्यप नहीं करवा पाया। इसके चलते दोनों के बीच अनुबंध समाप्त हो गया। अब आरोपी राकेश कुमार ने बयाने की राशि के तीन चेक चंद्रमणि को दिए। जो तीन लाख, दो लाख और एक लाख रूपये के थे। वादी चंद्रमणि ने जब यह चेक बैंक में लगाए तो वह बाउंस हो गए। इसके बाद मामला कोर्ट में अब तक विचाराधीन था।

अधिवक्ता लक्ष्मी नारायण तिवारी ने न्यायालय में यह साबित करने में कामयाब रहे कि राकेश कुमार कश्यप ने चंद्रमणि शुक्ला से रूपये लिए, जिन्हें लौटने के लिए चेक दिए गए। मगर, वह बाउंस हो गए, नोटिस के बावजूद भी रूपयों का भुगतान नहीं किया गया।

अधिवक्ता की मजबूत पैरवी की बदौलत न्यायधीश राजेंद्र कुमार ने आरोपी राकेश कुमार कश्यप पुत्र राजकुमार निवासी ऋषिलोक कालोनी आशुतोष नगर ऋषिकेश को चेक बाउंस के अपराध में दो मामलों में डेढ़ वर्ष के साधारण कारावास की सजा सुनाई है साथ ही जुर्माना भी लगाया गया है।

पिता और पुत्र को मारपीट के मामले में कोर्ट ने सुनाई एक-एक साल की सजा

मारपीट के एक मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट ऋषिकेश आलोक राम त्रिपाठी की अदालत ने आरोपी पिता और पुत्र को दोषी पाते हुए एक-एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही 1500-1500 रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। अर्थदंड न देने पर दोनों को एक माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगतना होगा।

मामला 11 अगस्त 2016 का है। बताया गया कि वादी जीत बंधन फल लेने के लिए बड़ी सब्जी मंडी गए थे। यहां पर सुरेश गुप्ता से किसी बात पर कहासुनी हो गई। इसके बाद दोपहर करीब डेढ़ बजे वादी को तारामाता मंदिर मायाकुंड के समीप सुरेश गुप्ता और उसका पुत्र आशीष गुप्ता मिल गए। आरोप था कि दोनों पिता और पुत्र ने वादी के साथ जमकर मारपीट की। इस कारण वादी के मुंह पर चार टांके आए और दो दांत भी टूट गए। वादी की तहरीर के आधार पर पुलिस ने पिता-पुत्र के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कर जांच के बाद चार्जशीट न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में दाखिल की।

इस मामले में राज्य की ओर से सहायक अभियोजन अधिकारी राकेश चंद ने मजबूत पैरवी की। इसके आधार पर न्यायाधीश आलोक राम त्रिपाठी ने आरोपी सुरेश गुप्ता पुत्र बनारसी तथा आशीष गुप्ता पुत्र सुरेश गुप्ता को दोषी पाया। उन्होंने दोषी पिता और पुत्र को एक-एक वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही 1500-1500 रुपये का अर्थदंड भी लगाया।

न्यायिक मजिस्ट्रेट ऋषिकेश की अदालत ने गुलदार खाल तस्करी में सुनाई तीन साल की सजा

न्यायिक मजिस्ट्रेट ऋषिकेश आलोक राम त्रिपाठी की अदालत ने थाना रानीपोखरी क्षेत्र के गुलदार की खाल तस्करी मामले में आरोपी को वन्य जीव संरक्षण अधिनियम का दोषी पाते हुए सजा सुनाई है। अदालत ने दोषी को तीन वर्ष का सश्रम कारावास तथा 10 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है।
रानीपोखरी के जाखन पुल से बीते 28 फरवरी 2014 को मुखबिर की खास सूचना पर एसटीएफ देहरादून की टीम ने चेकिंग अभियान चलाया। इस दौरान एक युवक मनीष अधिकारी पुत्र नरेन्द्र सिंह अधिकारी को संदिग्ध पाते हुए रोका गया। युवक की तलाशी लेने पर उसके कब्जे से गुलदार की एक खाल बरामद हुई थी। मौके से टीम ने युवक को गिरफ्तार कर वन्य जीव संरक्षण अधिनियम में मुकदमा पंजीकृत किया था। इसके बाद मामला न्यायिक मजिस्ट्रेट ऋषिकेश की अदालत में चला। कोर्ट में आरोपी की ओर से अपने बचाव में कोई मजबूत साक्ष्य पेश नहीं किया गया, जबकि पुलिस की ओर से बताया कि गया गिरफ्तारी के वक्त आरोपी के दाहिने हाथ में नीले व सफेद रंगा के केरी बैग थे। इसके दोनों ओर हिंदी और अंग्रेजी में जोशीमठ की दुकान का पता लिखा था। पुलिस की ओर से बताया गया कि आरोपी मनीष अधिकारी का वर्तमान पता भी अपर बाजार जोशीमठ, चमोली भी है।
आरोपी की ओर से बरामद खाल को भारतीय जीव संस्थान में वैज्ञानिक परीक्षण के लिए भेजा गया। उक्त संस्थान से प्राप्त वैज्ञानिक परीक्षण रिपोर्ट में उक्त खाल को गुलदार की खाल बताया गया। इस मामले में राज्य की ओर से सहायक अभियोजन अधिकारी राकेश चंद ने मजबूर पैरवी की। इसके बाद न्यायाधीश आलोक राम त्रिपाठी ने आरोपी को दोषी पाते हुए तीन साल के सश्रम कारावास तथा दस हजार रुपए का अर्थदंड लगाया है। दोषी के अर्थदंड न देने पर छह माह का अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी पड़ेगी।