मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कुरूक्षेत्र, हरियाणा में आयोजित चौथे अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में अंतरराष्ट्रीय गीता सेमिनार में सम्बोधित करते हुए कहा कि गीता विश्व को निष्काम कर्म का संदेश देती है। जीवन का लक्ष्य भौतिक संसाधनों की प्राप्ति नहीं बल्कि सुख प्राप्ति है। यही कारण है कि अब इनकम इंडेक्स के साथ ही हैप्पीनेस इन्डेक्स की बात की जाने लगी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के आयोजन के लिए बधाई देते हुए कहा कि गंगा के साथ ही गीता और उपनिषद जैसे ग्रन्थों से हमारी पहचान है। इनमें सच्चे सुख का सार मौजूद है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के गांव-गांव में पांडवों की स्मृतियां विद्यमान हैं। यहां शुभ अवसरों पर पांडवों से जुड़े चक्रव्यूह आदि का मंचन होता है। पांडव नृत्य अकल्पनीय होते हैं। उत्तराखण्ड में लाखा मण्डल पांडवों से जुड़ा स्थान है।
इससे पूर्व, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ उत्तराखंड पैवेलियन और प्रथम गुरु नानक देव के 550वें प्रकाशोत्सव की प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन हरियाणा सरकार द्वारा किया जा रहा है। उत्तराखण्ड इसमें पार्टनर स्टेट के रूप में प्रतिभाग कर रहा है।
इस अवसर पर शिक्षामंत्री हरियाणा कंवरपाल गुर्जर, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज, हिमाचल प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष राजीव बिंदल, जिम्बाब्वे के हाई कमिश्नर, नेपाल के डिप्टी हाई कमिश्नर आदि उपस्थित थे।