उत्तराखण्ड को 2025 तक देश का अग्रणी राज्य बनाने के लिए सभी आई.ए.एस. अधिकारियों को पूरी प्रशासनिक नेतृत्व क्षमता से कार्य करना होगा। राज्य के समग्र विकास एवं जन समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए सरलीकरण, समाधान एवं निस्तारण के मंत्र के साथ आगे बढ़ना है। यह बात मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को सचिवालय में एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर्स कांफ्रेंस के शुभारंभ के दौरान कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के समग्र विकास के लिए मसूरी में आयोजित चिंतन शिविर में जो सुझाव सामने आये हैं, उन सभी सुझावों को धरातल पर लाया जाए। जन समस्याओं के समाधान के लिए प्रक्रियाओं के सरलीकरण पर विशेष ध्यान दिया जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि अपने कार्यों के लिए आम जन को अनावश्यक रूप से दफ्तरों में न आना पड़ें। फाईल सिस्टम को ऑनलाईन लाने पर फोकस किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि शासन स्तर पर फाइलें अनावश्यक रूप से लम्बित न हों। जो फाइलें रूकी हैं, उनका दुबारा परीक्षण करवाया जाए। अनावश्यक रूप से फाइलें लंबित होने पर संबंधित अधिकारी एवं कर्मचारी की जिम्मेदारी तय की जाए। जनपदों में जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी की सरकारी योजनाओं को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह सुनिश्चित किया जाए कि समाज के अंतिम पंक्ति पर खड़े लोगों को केन्द्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं का पूरा लाभ मिले। सभी जनपदों के तहसील दिवस और बीडीसी की बैठकें नियमित रूप से की जाए। अधिकारियों का जन सामान्य के साथ अच्छा व्यवहार होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि सुशासन दिवस पर ग्राम चौपाल का आयोजन किया जायेगा, इसमें सभी आई.ए.एस अधिकारी अलग-अलग क्षेत्रों में ग्राम चौपालों में प्रतिभाग करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ जनपदों में जिलाधिकारियों द्वारा अपने कार्यों के साथ ही अतिरिक्त समय में जन सेवा के कार्य किये जा रहे हैं, यह सराहनीय प्रयास है। उन्होंने कहा कि अधिकारी अपने प्रशासनिक कार्यों के अलावा जिस क्षेत्र में दक्ष हैं, अगर अपनी दक्षता से जन सेवा कर रहे हैं, तो यह राज्य हित में एक अच्छा प्रयास है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2023 में भारत में जी-20 शिखर सम्मेलन होगा। जी-20 से दो दल उत्तराखण्ड भी आयेंगे। इस दौरान हम उत्तराखण्ड के स्थानीय उत्पादों, हस्तशिल्प एवं अन्य क्षेत्रों में क्या कर सकते हैं, इस कांफ्रेंस में इस पर व्यापक चर्चा की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी का अमृत काल शुरू हो चुका है, इस अवधि में राज्य में क्या महत्वपूर्ण कार्य हो सकते हैं, इस पर भी मंथन किया जाए। उन्होंने कहा कि समय प्रबंधन पर भी विशेष ध्यान दिया जाए।
मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने कहा कि आईएएस वीक का मूल मंत्र एक दूसरे को जानना है। इससे एक दूसरे के साथ रहने से जो बॉन्डिंग होती है, यह हमारी कार्यकुशलत बढ़ा देती है। इससे धीरे -धीरे हमारी ऑफिसियल वर्किंग में बहुत सुधार आता है। मुख्य सचिव ने कहा कि अपने कार्यालय में फैमिलियर माहौल बनाने से भी कुशलता बढ़ती है। जिलों में तैनात अधिकारियों से उन्होंने कहा कि जनपद की सड़क, बिजली, पानी की समस्या या आमजन की किसी भी प्रकार की समस्याओं को सुनने के लिए हम कितने संवेदनशील हैं, इससे बहुत फर्क पड़ता है। समस्याओं को दूर करने के लिए समस्याओं को समझना जरूरी है और उसके लिए अधिकारी के मन में आमजन के प्रति संवेदनशील होना जरूरी है। आप उनकी समस्याओं को समझ जाएंगे, और साथ ही यह भी समझ जाएंगे कि इनकी समस्याओं को हल करना आपकी जिम्मेदारी है, तो उस समस्या को हल करने का रास्ता आप निकाल ही लेंगे।
मुख्य सचिव ने कहा कि हमें हमेशा सकारात्मक रहना है। यह हम सभी के लिए, हमारी सर्विस लाईफ और पर्सनल लाईफ दोनों के लिए बेहतर है। उन्होंने कहा कि नियम काम को आसान बनाने के लिए बने हैं। इंटरप्रिटेशन की बात है, कई अधिकारी कर्मचारी नियमों की इस प्रकार व्याख्या करते हैं कि रूल्स में यह नहीं लिखा कि यह हो सकता है, परंतु इसमें व्याख्या इस प्रकार भी तो सकती है कि यह कहां लिखा है कि आप यह नहीं कर सकते हैं। अधिकारी सकारात्मक होगा तो यह कहेगा कि आमजन के लिए लाभप्रद है, और इस काम के लिए रोका नहीं गया है तो किया जा सकता है। हमें सकारात्मक सोच रखनी है। मुख्य सचिव ने कहा कि आपको यदि कोई दिक्कत आती है तो आपके पास वरिष्ठ अधिकारी हैं, आपको लगता है कि इस मामले ने आपको कौन अधिकारी गाइड कर सकता है, उन्हें लेटर लिखने से पहले फोन लगाकर बात कर लें। मैं हमेशा आप लोगों के लिए उपलब्ध हूं।
मुख्य सचिव ने कहा कि हमारे प्रदेश में फूलों, फलों और सब्जी उत्पादन में बहुत अधिक सम्भावनाएं हैं। इससे हजारों लोगों को रोजगार मिल सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे प्रदेश में पॉलीहाऊस की बहुत अधिक मांग है, जिला प्लान से हम बहुत कम दे रहे हैं। उन्होंने जिलाधिकारियों को 31 मार्च 2023 तक पॉलीहाऊस 100 प्रतिशत सैचुरेशन करने की बात कही। उन्होंने रिवर्स माईग्रेशन को रोकने के लिए ओल्ड एज लोगों से बात करके उन्हें शामिल करते हुए, उनकी आवश्यकताओं को जानकर उनके लिए सुविधाएं उपलब्ध कराकर रिवर्स माईग्रेशन को रोक सकते हैं।
मुख्य सचिव ने कहा कि हमें अपना दृष्टिकोण सकारात्मक रख कर संवेदनशील रहना है और करियर की शुरूआत में आईएएस ज्वाईन करते समय कुछ कर दिखाने का हम सपना देखते हैं, उसे मरने नहीं देना है। बहुत से ऑफिसर सर्विस ज्वाईन करने के बाद सोचते हैं कि नौकरी में आ गए अब सब खत्म, ये एंड नहीं है, ये बिगिनिंग है।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, एल. फैनई, सचिव आर.मीनाक्षी सुंदरम, शैलेश बगोली एवं अन्य आई.ए.एस अधिकारी उपस्थित रहे।
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मासूम चेहरों की मुस्कराहट की वजह बने आईएएस बंशीधर तिवारी
हर असरदार शख्स के घर दिवाली पर तोहफों की बारिश हो जाती है। गिफ्ट, मिठाई, ड्राई फ्रूट, चॉकलेट, जूस औन न जाने क्या क्या लोग लेकर आ जाते हैं। असरदार शख्स यदि आईएएस अफसर हो, तो कहने ही क्या। उस पर यदि डीजी सूचना, डीजी शिक्षा, निदेशक पंचायतीराज, एमडी जीएमवीएन जैसे अहम पदों की जिम्मेदारी हो, तो तोहफों की संख्या का अंदाजा आप लगा सकते हैं। इन तोहफों को समेटने की बजाय बंशीधर तिवारी ने उनका सही उपयोग करते हुए असल जरूरतमंद लोगों तक इसे पहुंचाया। शनिवार को दोपहर बाद एक इनोवा भर कर सामान लेकर वे बनियावाला स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस आवासीय बालिका छात्रावास पहुंचते हैं। यहां 107 छोटी छोटी बच्चियों के चेहरे इन गिफ्ट, मिठाई, चॉकलेट, फुलझड़ी को देखते ही खिल उठते हैं। ये सिलसिला यहीं नहीं थमता, बल्कि शहर के कई अन्य ऐसे ही स्थानों पर वे कई दिनों से ऐसे ही सामान लेकर पहुंच रहे हैं। इन तमाम चीजों का जिक्र यहां इसीलिए किया जा रहा है, क्योंकि यहीं इस राज्य में कई आईएएस, इंजीनियर और कई अहम पदों पर बैठे ऐसे अफसर भी हैं, जो दिवाली पर मिलने वाले इन उपहारों को दोबारा बाजार में बेचने के लिए भी कुख्यात रहे हैं।
कुछ आईएएस और अन्य अफसर तो ऐसे रहे, जो उनके घर आने वाले मिठाई के डिब्बों को अपने ड्राइवर के जरिए फिर उन्हीं दुकानों तक पहुंचा देते थे। इन मिठाई के डिब्बों को बेचने के बाद जो भी मिलता था, उसे लेने में कोई संकोच नहीं करते थे। ऐसे में बंशीधर तिवारी जी की ये पहल हर उस असरदार शख्स के लिए सीख है, जिसके घरों में तोहफों की बारिश होती है। ऐसा नहीं है कि उनकी ओर से ऐसा पहली बार किया गया हो। बल्कि पीसीएस के रूप में एसडीएम पद से अपनी सेवाएं शुरू करने के समय से ही वे हर दिवाली पर अपने यहां आने वाले सामान को अनाथ आश्रम, सरकारी स्कूलों के छात्रावास में बांटते आए हैं। काश उनकी इस मुहिम को देख कर बाजार में तोहफों को बेचने वाले कुछ सीख ले सकें। उनकी ये मुहिम असल मायनों में दिवाली जैसे महापर्व को बेहद खास बना देती है।
साभार- रवि नेगी, वरिष्ठ पत्रकार
आईएएस अधिकारियों के तबादले, पावरफुल हुए हल्के
मुख्यमंत्री की स्वीकृति के बाद बड़े पैमाने पर शासन ने तबादले किये है। कई जिलों के जिला अधिकारियों को भी बदला गया है। कुल 16 आईएएस और 5 पीसीएस अधिकारियों के के तबादले किये गए हैं।
आईएएस अरविंद सिंह ह्यांकी को कुमायूं आयुक्त बनाया गया।
आईएएस दीपेंद्र चैधरी को कमिश्नर परिवहन।
आईएएस मंगेश घिल्डियाल को जिलाधिकारी टिहरी बनाया गया।
आईएएस वंदना को जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग का चार्ज।
आर मीनाक्षी सुंदरम से विद्यालयी शिक्षा विभाग का सचिव पद ले लिया गया है।
आर के सुधांशु को पीडब्ल्यूडी दिया गया है।
हरबंस सिंह चुग को वन एवं पर्यावरण विभाग का सचिव बनाया गया है।
नितेश झा को सचिव स्वास्थ्य से हटाकर सिंचाई और लघु सिंचाई तथा पेयजल विभाग के सचिव बनाया गया है।
साथ ही कुछ आईएएस अधिकारियों के दायित्व में फेरबदल भी किया गया है किसी के पर भी काटे गये और किसी का कद बढ़ाया भी गया है।
ज्ञात हो कि उत्तराखंड में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल में ओमप्रकाश और नितेश झा से बड़े विभाग हटा लिये गये है। माना जा रहा है कि कुछ अधिकारियों पर लगातार आरोप लग रहे थे, मुख्यमंत्री एक्शन को इसी नजर से देखा जा रहा है। उत्तराखंड में हुए अमन मणि त्रिपाठी कांड में पास जारी करने का आदेश देने वाले मुख्यमंत्री के खासमखास अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश से पीडब्लूडी विभाग और इंफ्रास्ट्रक्चर की जिम्मेदारी हटा दी गई है।
वहीं स्वास्थ्य सचिव नितेश झा को भी विभाग से हटा दिया गया है। उनकी जगह अमित नेगी को नया स्वास्थ्य सचिव बनाया गया है।
5 पीसीएस अधिकारियों के भी तबादले किये गये हैं-
अरविन्द पाण्डे को रुद्रप्रयाग से देहरादून का एडीएम प्रशासन व रामजी शरण को रुद्रप्रयाग भेजा गया है। झरना कमठान को एनएचएम का एडीशनल मिशन डायरेक्टर बनाया गया है। जबकि अभिषेक त्रिपाठी और प्रदीप सिंह रावत के भी कुछ विभाग घटाये बढ़ाये गये हैं।