हाई कोर्ट ने पंचायत चुनाव में आरक्षण निर्धारण को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को आज खारिज कर दिया। कोर्ट ने सरकार द्वारा अपनाई गई आरक्षण प्रक्रिया को सही ठहराया है और कहा है कि चुनाव अधिसूचना जारी होने के कारण याचिका निरस्त की जा सकती है। हाइ कोर्ट के आदेश के बाद पंचायतों में आरक्षण बदलाव की संभावनाओं और अटकलों पर पूरी तरह से विराम लग गया है। इससे अब तक पसोपेश में चल रही राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग दोनों को ही बड़ी राहत मिली है।
बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने किच्छा ऊधमसिंह नगर निवासी लाल बहादुर कुशवाहा की जनहित याचिका पर सुनवाई की। जिसमें सरकार की ओर से पंचायत आरक्षण की 13 अगस्त और 22 अगस्त की अधिसूचना को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता ने कहा था कि सरकार द्वारा आरक्षण व्यवस्था को दो भागों में विभाजित किया है। एक जिन ग्राम पंचायतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है, उसमें आरक्षण चैथे चक्र में लागू करने की व्यवस्था है, दूसरी वह ग्राम पंचायतें जिनमें नए वार्ड बने हैं या 50 फीसद नए सदस्य जुड़े हैं। या कोई नई ग्राम पंचायत बनी है, उसमें प्रथम चक्र में आरक्षण लागू करने की व्यवस्था की गई है। याचिकाकर्ता का कहना था कि यह आरक्षण व्यवस्था उत्तर प्रदेश पंचायती राज व्यवस्था-1994 के प्रावधानों का उल्लंघन है, लिहाजा सरकार का नोटिफिकेशन निरस्त होने योग्य है। खंडपीठ ने सरकार के द्वारा की गई आरक्षण प्रक्रिया को सही ठहराते हुए आत जनहित याचिका को खारिज कर दिया।
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कैसे होगी पढ़ाई जब प्रदेश में शिक्षकों के 7 हजार पद रिक्त है!
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने कहा कि प्रदेश में 7 हजार शिक्षकों के पद रिक्त पड़े हैं। सरकार भी इन पदो को भरे जाने के लिए गंभीर है, लेकिन शिक्षकों की नियुक्ति का मामला हाईकोर्ट की शरण में है जिस कारण सरकार कोई फैसला नही कर पा रही है। शिक्षामंत्री का कहना है कि जैसे ही हाईकोर्ट की तरफ से आदेश आएगा। सरकार द्धारा शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर चयन आयोग को निर्देश दे दिए जाएंगे।
वहीं, शिक्षा मंत्री ने कहा कि बेहतर पठन पाठन व शैक्षणिक माहौल के लिए प्रदेश में बोर्ड बदलने की जरूरत नहीं है। जरूरत है तो पाठ्यक्रम बदने की जिसके लिए सरकार ने सैलेबस बदलने की पहल की है। जिसे केबिनेट में भी पास करा लिया गया है। जिसके बाद अब विद्यार्थी एनसीईआरटी की पुस्तकें पढ़ सकेंगे। कक्षा एक से लेकर इंटरमीडिएट तक के सभी विद्यालयों के लिए इसे अनिवार्य कर दिया गया है। एनसीईआरटी पुस्तकों के माध्यम से ही मेडिकल, इंजीनियरिंग तथा अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न पत्र तैयार किए जाते हैं। इस व्यवस्था के बाद हमारे विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षाओं में बेहतर करेंगे।
हाइकोर्ट ने पंचकुला मामले में सरकार को लताड़ा, कहा हर मोर्चे पर रहे नाकाम
डेरा सच्चा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को पंचकूला की सीबीआई की एक कोर्ट ने शुक्रवार को रेप के 15 साल पुराने मामले में दोषी माना। बाबा को दोषी ठहराए जाने के तुरंत बाद ही उनके समर्थक उग्र हो गए और हरियाणा-पंजाब समेत 5 राज्यों में उन्होंने तांडव मचाया। हिंसा का सबसे ज्यादा असर पंचकूला में देखने को मिला, जहां 29 लोगों की मौत हो गई। वहीं सिरसा में भी 2 लोगों की जान चली गई.हिंसा पर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने खट्टर सरकार को लगातार तीसरे दिन जमकर लताड़ा है. कोर्ट ने कहा कि सरकार ने राजनीतिक फायदे के लिए शहर को जलने दिया. ऐसा लगता है कि सरकार ने सरेंडर कर दिया।
इससे पहले शुक्रवार को कोर्ट के फैसले के बाद पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि स्वयंभू बाबा गुरमीत राम रहीम सिंह के अनुयायियों द्वारा की जा रही हिंसा और आगजनी के कारण हुई क्षति की भरपाई डेरा सच्चा सौदा से कराई जाए। अदालत ने आदेश दिया कि कोई भी राजनीतिक, सामाजिक या धार्मिक नेता कोई भड़काऊ बयान नहीं दे और अगर कोई ऐसा करता है, तो उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए। पीठ ने आदेश में कहा, स्थिति से निपट रहे अधिकारी बिना भय के और निष्पक्षता के साथ अपना काम करे। अगर कोई अधिकारी कर्तव्य के निर्वहन में चूकता है तो उसके खिलाफ अदालत कड़ी कार्रवाई करेगी।
प्रदेश में शराब को बंद नही किया जा सकताः खजान दास
भाजपा विधायक खजान दास ने मसूरी में पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि प्रदेश के किसान क्यों आत्मा हत्या कर रहे है, इसको लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत द्वारा जांच बैठा दी गई है। वही प्रदेश का किसान स्वाभिमानी है और उनको नही लगता है कि किसान ऋण से परेशान होकर आत्माहत्या कर रहा है। उन्होने कहा कि किसानोे के ऋण को माफ करने कि स्थिति में प्रदेश सरकार नही है क्योकि प्रदेश पर पहले ही 45 हजार करोड का कर्ज है। जिसमें 11 हजार करोड रूपये का ऋण किसानो पर है। वही प्रदेश में आय के सोत्र सीमित है ऐसे में किसानो के ऋण का माफ किया जाना मुश्किल है। उन्होने कहा कि प्रदेश में शराब को बंद नही किया जा सकता क्योकि अबकारी और खनन से राजस्व आता है। परन्तु खनन पर भी हाईकोर्ट के द्वारा रोक लगी हुई है। वही अगर नदीयों से चुगान और शराब के आने वाला राजस्व ही बद हो जायेगा तो प्रदेश को भारी परेशानियों का सामना करना पडेगा। उन्होने बताया कि इन्ही दिक्कतो को समाप्त करने के लिये प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत लगातार प्रयास कर रहे है। जिसको लेकर वह प्रधानमंत्री से सम्पर्क कर प्रदेश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने की मांग कर रहे है।