पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत रविवार को देहरादून लौट आए। वह सोमवार को कांग्रेस के प्रचार अभियान से जुड़ेंगे। चौबट्टाखाल से चुनाव लड़ने की चर्चाओं की खबरों को उन्होंने सिरे से खारिज किया। कहा कि वे चुनाव लड़ेंगे या पार्टी के लिए प्रचार संभालेंगे, इसका फैसला पार्टी को लेना है। उनके या बहु अनुकृति के टिकट पर फैसला पार्टी को करना है।
हरक सिंह रावत ने कहा कि वो सोमवार को कांग्रेस के कार्यक्रम में शामिल होंगे। इसके साथ ही प्रचार अभियान से भी जुड़ेंगे। वे पार्टी प्रत्याशियों के लिए खुलकर प्रचार करेंगे। कांग्रेस को सत्ता में लाने के लिए काम करेंगे। वे हर उस सीट पर प्रचार करेंगे, जहां उनका प्रभाव है। अपनी ओर से पूरा प्रयास करेंगे कि कांग्रेस भारी बहुमत से विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करे।
हरक सिंह रावत ने चौबट्टाखाल से चुनाव लड़ने के सवाल पर कहा कि उनकी ओर से किसी भी सीट पर चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं जताई गई है। उनका इस्तेमाल किस तरह किया जाना है, ये कांग्रेस पार्टी को तय करना है। उन्हें या अनुकृति को टिकट देने के सवाल पर कहा कि वे चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं है। ये पहले भाजपा को भी बता दिया गया था। अब कांग्रेस को भी बता दिया गया है।
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हरक सिंह रावत के कांग्रेस में शामिल होने पर भाजपा ने ली चुटकी
पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के कॉंग्रेस में शामिल होने पर भाजपा ने हरीश रावत और कॉंग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि आज पूरी तरह साबित हो गया है, हरीश रावत और कॉंग्रेस पर लगे भ्रष्टाचार और राज्य विरोधी आरोप बिलकुल सही हैं।
पार्टी प्रदेश प्रवक्ता सुरेश जोशी की तरफ से जारी किए आधिकारिक बयान में कहा गया कि कल तक सार्वजनिक और मीडिया मंचों पर उनकी ही पोल खोलने वाले हरक को पार्टी में शामिल करने का तो यही अर्थ है कि उन्हे वह सभी आरोप स्वीकार है। उन्होने कहा कि कल तक हरीश रावत उनको लोकतन्त्र का हत्यारा बताते हुए पानी पी-पी कर अनेकों अलंकारों से सुशोभित कर रहे थे। आज उनको और कॉंग्रेस को वही उज्याडु बैल स्वीकार है। उन्हे जनता के सामने अपने इस हृदय परिवर्तन के कारणों को स्पष्ट करना चाहिए अन्यथा जनता से गलतबयानी के लिए सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए। इस सारे प्रकरण के बाद भाजपा को भरोसा है कि जनता में भी उनकी पोल खुल गयी है और अब अब न केवल हरीश रावत और बल्कि किसी भी कॉंग्रेस नेता की बातों पर भरोसा नहीं करने वाली है। इसलिए उनका सकारात्मक वोट प्रदेश में भाजपा की पुनः सरकार बनाने के पक्ष में पड़ने वाला है।
हरीश रावत की हा के बाद आखिरकार हरक सिंह की हो ही गई वापसी
भाजपा से बर्खास्त हरक सिंह रावत ने कांग्रेस ज्वाइन कर ली है। शुक्रवार को उन्होंने कांग्रेस के वार रूम में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। इस दौरान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी भी मौजूद रहे। हरक के साथ ही उनकी पुत्र वधू ने भी कांग्रेस की सदस्यता ली है। कांग्रेस में शामिल होने के बाद हरक सिंह ने कहा कि 20 साल तक कांग्रेस के लिए संघर्ष किया है। एक बार फिर कांग्रेस को मजबूत करने में हम लोग जुटेंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में शामिल होने के लिए कोई शर्त नहीं रखी है। बिना शर्त शामिल हुआ। टिकट की बातों से भी इनकार किया। कहा कि यहां एक ही शर्त है, भाजपा को हराना।
कहा कि 2016 में जब मैंने बगावत की उसके बाद भी लगातार सोनिया गांधी की मैंने तारीफ की है। लगातार टीवी चौनलों पर भी कहा था कि सोनिया गांधी का कई एहसान है। उन्होंने लगातार मुझ पर भरोसा किया है। कहा कि कोई माफीनामा नहीं दिया गया है। राजनीति में माफीनामा की कोई जगह नहीं होती है। मैं यहां एक गिलहरी की तरह भूमिका अदा करूंगा। हरक ने इस दौरान भाजपा पर कई आरोप लगाए। कहा कि टिकट की बातें झूठ थीं।
हरक सिंह रावत को शामिल कराने से पहले ही कांग्रेस ने अपना शुरुआती ब्ल्यू प्रिंट तैयार कर लिया था। विधानसभा चुनाव में हरक भाजपा के खिलाफ प्रचार का अहम किरदार होंगे। सूत्रों के अनुसार हरक को केवल एक टिकट दिया जाएगा, जिस पर उनकी बहू अनुकृति गुसाईं लैंसडौन सीट से चुनाव लड़ सकती हैं। हरक को कांग्रेस के लिए प्रचार करने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। दिल्ली में मौजूद सूत्रों ने कांग्रेस के इस फार्मूले की पुष्टि की है। उनका कहना है कि अभी प्रारंभिक स्तर पर इस फार्मूले पर कुछ सहमति बनी है। आगे इस विषय पर पूर्व सीएम हरीश रावत और शीर्ष नेता मंथन कर रहे हैं। हाईकमान जो भी तय करेगा, वहीं अंतिम होगा।
निशुल्क बिजली के बाद अब बिजली चोरी पर सरकार की रहेगी सख्ती
ऊर्जा मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने प्रदेश में बिजली चोरी पर अंकुश लगाने के लिए ठोस कार्ययोजना को अमल में लाने के लिए निर्देश जारी किए है।
ऊर्जा मंत्री डा हरक सिंह रावत विभाग को 100 यूनिट तक बिजली खपत करने वाले उपभोक्ताओं का बिल माफ करने और 200 यूनिट तक खपत करने वालों से 50 फीसद बिल लेने के लिए प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दे चुके हैं। इस पर करीब 400 करोड़ से अधिक का बोझ सरकारी खजाने पर पड़ेगा। इसकी भरपाई के लिए बिजली चोरी पर सख्ती से अंकुश लगाया जाएगा। ऊर्जा मंत्री के इस संबंध में निर्देश के बाद विभाग इसे लेकर भी जल्द कार्ययोजना को अंतिम रूप देगा।
बता दें कि बीते दिनों ऊर्जा विभाग की समीक्षा बैठक हुई। इसमें मुख्य सचिव डा. एसएस संधू भी राज्य में बिजली चोरी रोकने और लाइन लास में कमी लाने के लिए लगातार प्रयास जारी रखने की हिदायत दे चुके हैं। हालांकि ऊर्जा निगम ने बीते चार वर्षों में राजस्व वृद्धि को उपायों पर जोर दिया है। विद्युत चोरी हतोत्साहित करने को ऊर्जागीरी अभियान चलाया जा रहा है। वहीं बिलिंग दक्षता में चार फीसद वृद्धि हुई है। वर्ष 2020-21 में लाइन लास में कमी आई। ट्रांसमिशन लास 2017-18 में 1.39 फीसद था, जो वर्ष 2020-21 में 1.11 फीसद है। लाइन लास कम करने और बिजली चोरी रोकने के लिए अब सख्त कदम उठाने की पैरोकारी की जा रही है।
जीएमओयू की बसें दौड़ेंगी कंडी रोड, रामनगर व कोटद्वार के बीच सफर होगा आधा
देहरादून। कोटद्वार से लेकर रामनगर तक की जनता के लिए अच्छी खबर है। कोटद्वार-रामनगर जाने वाले कंडी मार्ग पर जीएमओयू की बस का संचालन फिर से किया जाएगा। यह फैसला को वन मंत्री हरक सिंह रावत ने वन मुख्यालय में अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में लिया।
कंडी मार्ग पाखरों-मोरघट्टी-कालागढ़-रामनगर के बीच अब गढ़वाल मोटर्स ऑनर्स यूनियन लिमिटेड (जीएमओयू) की बस सेवा शुरू होगी। शुक्रवार को वन मुख्यालय में वन मंत्री हरक सिंह की बैठक में यह फैसला किया गया। इस मार्ग के शुरू होने पर कोटद्वार और रामनगर के बीच दूरी आधी रह जाएगी।
वन मुख्यालय में इस सड़क पर जीएमओयू की बसों के संचालन का फैसला होने के बाद मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग की ओर से कांर्बेट पार्क प्रशासन से भी बस संचालन की अनुमति का आदेश जारी करने का निर्देश जारी किया। पहले इस रूट पर जीएमओयू की बस का संचालन होता था। हाईकोर्ट के आदेश पर बसों का संचालन रोक दिया गया।
वन मंत्री हरक सिंह के मुताबिक हाईकोर्ट ने निजी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाई थी। जीएमओयू की बसें सार्वजनिक परिवहन का हिस्सा हैं। इसके बावजूद इन बसों के संचालन पर अधिकारियों ने रोक लगाई। इस रूट से रामनगर और कोटद्वार के बीच करीब 80 किलोमीटर का ही फासला रह जाता है। यूपी होते हुए जाने पर यह रूट 160 किलोमीटर का है।
निजी वाहनों को अनुमति नहीं
निजी वाहन से इस रूट का इस्तेमाल करने के लिए अभी अनुमति की जरूरत पड़ेगी। वन मंत्री के मुताबिक इस रूट पर बस संचालन होने पर सामान्य यात्रियों का सबसे अधिक राहत मिलेगी। पर्यटकों के लिए पाखरों से अब जिप्सियों का संचालन किया जा रहा है। अब तक 15 जिप्सियों का पंजीकरण भी हो चुका है।
कोटद्वार-कांडा-ढिकाला रूट को भी मंजूरी, 25 से संचालन शुरू
कोटद्वार से कांडा होते हुए कार्बेट के ढिकाला जोन तक अब आसानी से पहुंचा जा सकेगा। यह रूट भूस्खलन के कारण वन क्षेत्र में आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया था। हरक सिंह के मुताबिक कार्बेट फाउंडेशन से मिले फंड से इस रूट की मरम्मत कराई गई। अब यह मार्ग आवाजाही के लिए खोला जाएगा। 25 दिसंबर को खुद वे इस रूट पर परिवहन संचालन का शुभारंभ करेंगे।
उत्तराखंड के वन मंत्री को अदालत ने सुनाई तीन साल की सजा, वर्ष 2012 के विस चुनाव का है मामला
वर्ष 2012 में विधानसभा चुनाव के दौरान सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने के मामले में आज सीजेएम कोर्ट रूद्रप्रयाग ने उत्तराखंड के वन मंत्री हरक सिंह रावत को सजा सुनाई है। सजा के रूप में वन मंत्री हरक सिंह रावत को तीन साल की सजा सुनाई है।
बता दें कि वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में डा. हरक सिंह रावत और उनके चार समर्थक वीरेंद्र बुटोला, अंकुर रौथाण, वीर सिंह बुडेरा के साथ ही रघुवीर सिंह के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा डालना, चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करना और प्रशासनिक अधिकारी-कर्मचारियों के साथ अभद्रता करने का आरोप लगा था। इस मामले में रुद्रप्रयाग सीजेएम कोर्ट में मुकदमा चला।
इसी साल फरवरी में मामले को लेकर हरक सिंह रावत को जमानत मिली थी। हालां, मामले में सुनवाई जारी रही। जमानत के दौरान हरक सिंह रावत को न्यायालय में एक घंटे खड़ा भी रहना पड़ा था। दरअसल, न्यायालय ने मंत्री को कोर्ट में हाजिर होने का समन दिया था, लेकिन मंत्री पूर्व में उपस्थित नहीं हो सके थे। आठ फरवरी को मंत्री सीजेएम कोर्ट में हाजिर हुए, जहां लगभग एक घंटे की प्रक्रिया के बाद उन्हें जमानत मिली।
डोबरा-चांठी पुल से जाने पर हरक सिंह रावत का रास्ता ग्रामीणों ने रोका
डोबरा-चांठी पुल के रास्ते सेम मुखेम मंदिर परिवार के साथ जा रहे वन मंत्री हरक सिंह रावत को ग्रामीणों ने जाने नहीं दिया। ग्रामीणों की जिद के आगे हरक सिंह रावत को हारना पड़ा और उन्हें दूसरे रास्ते से जाने पर मजबूर होना पड़ा।
दरअसल कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत अपने परिवार सहित प्रताप नगर के सेम मुखेम मंदिर में दर्शनों के लिए जा रहे थे। इस दौरान जल्दी मंदिर पहुंचने के लिए वन मंत्री का काफिला डोबरा चांठी पुल के ऊपर से गुजर रहा था। पुल के दूसरी तरफ चांठी गांव की तरफ रोलाकोट गांव के ग्रामीण पिछले एक सप्ताह से विस्थापन की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं। ग्रामीणों ने उनका काफिला रोक लिया और अपनी समस्याएं बताई। बताया कि लंबे समय से ग्रामीण विस्थापन की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार उनका विस्थापन नहीं कर रही है।
आग लगने की झूठी खबर या फोटो सोशल मीडिया पर डाली, तो कार्रवाई होगी
विदेशी जमीं के जंगलों की आग वाली वीडियों और फोटो को उत्तराखंड का बताकर सोशल मीडिया पर वायरल करने से कानूनी कार्रवाई हो सकती है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने ट्वीट के जरिए तथा वन मंत्री सहित कई लोगों ने इसे भ्रामक खबर, वीडियों और फोटो बताया है। वहीं, डीजीएलओं ने इस पर कार्रवाई की बात कही है।
बता दें कि इन दिनों सोशल मीडिया पर आग लगने से उत्तराखंड जंगल की 71 हेक्टेयर जमीन पूरी तरह से बर्बाद हो गई है और लोगों की जान सहित कई जानवरों की मौत होने वाली खबर और वीडियों वायरल हो रही है। सोशल मीडिया पर ही जबरदस्त तरीके से ऐसी फेक न्यूज का खंडन शुरू हो गया। खुद वन मंत्री हरक सिंह ने साफ किया कि सोशल मीडिया पर उत्तराखंड के नाम से जो जंगल की आग की फोटो-वीडियो वायरल हो रहे हैं, उनमें कुछ पुराने और कुछ विदेशों के हैं।
वन मंत्री हरक सिंह ने आरोप लगाया कि फेक न्यूज फैलाकर विभाग की छवि को धूमिल किया जा रहा है। इसके बाद वन प्रमुख जयराज ने बाकायदा आदेश जारी कर मुख्य वन संरक्षक पराग मधुकर धकाते को सोशल मीडिया प्रभारी नियुक्त किया, उनसे कहा गया कि तथ्यों से परे सूचनाओं का पुरजोर खंडन करें। वहीं, वन अधिकारियों को भी आदेश दिया कि मीडिया प्रभारी को सटीक और सही जानकारी दी जाए। इसके साथ धकाते भी फेक न्यूज के खिलाफ सोशल मीडिया पर सक्रिय हो गए, उन्होंने सही जानकारी देते हुए एक वीडियो भी अपलोड किया।
पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने कहा कि सोशल मीडिया पर वायरल उत्तराखंड के जंगलों में आग की खबरों में कोई सच्चाई नहीं है, वायरल फोटो-वीडियो में कुछ पुराने तो कुछ विदेशों के हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
ग्रामीण क्षेत्रों 15वें राज्य वित्त आयोग से अधिक हिस्सेदारी देने का निर्णय
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में आज कैबिनेट की बैठक हुई। जिसमें कई प्रस्तावों पर निर्णय लिया गया। इसकी जानकारी शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने दी।
कोविड-19 से सम्बन्धित बाॅर्डर पर काॅरन्टीन किए जाने सम्बन्धी मा0 उच्च न्यायालय के निर्देशों के क्रम में होने वाले व्यवस्थागत, संस्थागत समस्या की जानकारी न्यायालय को दी जाएगी।
15वें राज्य वित्त आयोग के अनुदान धनराशि का निकायों में वितरण दरों में परिवर्तन किया गया है। ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत में 35ः30ः35 को बदल कर क्रमशः 75ः10ः15 किया जाएगा। कुल 852 करोड़ रूपए की धनराशि में से 575 करोड़ रूपए पंचायती राज एवं 278 करोड़ शहरी निकाय को दिया जाएगा।
उत्तराखण्ड जोत चकबन्दी नियमावली 2020 को मंजूरी दी गयी। इसके अन्तर्गत नाम, परिभाषा, नोटिस भेजना, अधिसूचना जारी करना, इत्यादि को स्पष्ट किया गया है।
पेयजल संस्थान के प्रबन्ध निदेशक पद की चयन प्रक्रिया में वार्षिक प्रविष्टि के लिए समय सीमा 8 वर्ष की जगह 5 वर्ष की गयी।
मदिरा दुकानों के बन्द रहने की अवधि में फुटकर अनुज्ञापी के पिछले वित्त वर्ष मार्च माह में 10 दिन के नुकसान 34 करोड़ एवं 1 अप्रैल से 3 मई के बीच 195 करोड़ रूपए का भार सरकार वहन करेगा।
मुख्यमंत्री राज्य कृषि विकास योजना लागू की गयी। इसके अन्तर्गत केन्द्र सरकार के बीच फण्ड के गैप की भरपाई राज्य सरकार करेगी। बीज क्रय हेतु अन्य निगमों के अतिरिक्त कृषि विश्वविद्यालय पंतनगर, टिहरी भरसार विश्वविद्यालय एवं आईसीएआर के लिए अनुमति दी गयी।
राज्य वन्यजीव अवैध शिकार अपराध रोकथाम के लिए 14 पदों का सृजन किया गया। यह पद विभागीय पद होगा।
स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सकों के लिए बिना अवकाश 5 वर्ष की अनुपस्थिति पर सेवा समाप्त की जाएगी।
सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग में लोक सेवा आयोग के माध्यम से सूचना अधिकारी के पद पर हिन्दी विषय की अनिवार्यता समाप्त की गयी।
सार्वजनिक वाहन व्यवसायियों के परमिट नवीनीकरण की फीस के छूट के अन्तर्गत 14 करोड़ 23 लाख की भरपाइ्र सरकार द्वारा की जाएगी। एवं रोड टैक्स में 3 माह की छूट के पश्चात 63 करोड़ 28 लाख रूपए की भरपाई राज्य सरकार करेगी।
सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय शिक्षा अभियान के एकीकरण के बाद समग्र शिक्षा अभियान चलेगा। जहां पहले कुल 2677 पद थे। अब पदों की संख्या 1959 हो जाएगी।
पर्यटन विभाग के अन्तर्गत होटल, रेस्टोरेंट, ढाबा को संरक्षण देने के लिए पानी पर लिए जाने वाले बिल जल मूल्य कर वृद्धि को 15 प्रतिशत को 9 प्रतिशत लिया जाएगा। इससे 1 करोड़ 87 लाख का व्यय भार राज्य सरकार पर होगा।
श्रम सुधार के अन्तर्गत उद्योगों द्वारा श्रमिकों को दिया जाने वाला मार्च माह का बोनस जो नवम्बर 2020 में देना था, अब इसे 31 मार्च 2021 तक दिया जा सकता है। जो उद्योग फायदे में होंगे उन्हें 8.33 प्रतिशत बोनस देना होगा। इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के लिए कैबिनेट मंत्री हरक सिंह एवं मदन कौशिक की समिति बनायी गयी।
पर्यटन औद्योगिक ईकाइयों में कार्यरत् आॅटो रिक्शा चालक इत्यादि को एकमुश्त एक हजार रूपए खाते में दी जाएगी। इससे 25 करोड़ का अधिभार राज्य सरकार पर पड़ेगा।
वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली स्वरोजगार योजना, दीनदयाल होम-स्टे योजना में अपै्रल से जून तक ऋण ब्याज पर छूट दी गयी।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सहमति की अवधि को एक वर्ष का विस्तार दिया गया जिस पर कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।
आबकारी होटल, रेस्टोरेंट बार शुल्क में 3 माह की छूट दी गयी।
नवीनीकरण, पंजीकरण शुल्क में 1 वर्ष की छूट दी गयी।
हाईकोर्ट में दाखिल अपनी याचिका को वापस लेने के मूड़ में है वन मंत्री
उत्तराखंड में 2016 के हॉर्स-ट्रेडिंग केस में सीबीआई द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग केस में चल रही जांच मामले बीजेपी नेता हरक सिंह रावत हाईकोर्ट से अपनी याचिका वापस ले सकते हैं। कोर्ट को इस बारे में जानकारी दे दी गई है।
बता दें कि सीबीआई जांच मामले में हरक सिंह रावत ने याचिका दाखिल की है। उन्होंने सीबीआई की जांच को कैबिनेट द्वारा निरस्त कर एसआईटी जांच को चुनौती दी है। पूरे मामले पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी, जिसके बाद सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर ली है. सीबीआई ने हरक सिंह रावत को भी आरोपी बनाया है।
यह है पूरा घटनाक्रम
गौरतलब है कि 2016 में विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोप में किए गए एक स्टिंग में केंद्र सरकार ने 2 अप्रैल, 2016 को राज्यपाल की मंजूरी के बाद सीबीआई जांच शुरू की थी। तब राज्य में कांग्रेस सरकार की बहाली हो गई और सरकार ने कैबिनेट बैठक में सीबीआई जांच को निरस्त कर मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया। इसके बाद भी सीबीआई ने जांच जारी रखी और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को जांच के लिए 9 अप्रैल, 2016 को समन भेजा।
सीबीआई के लगातार समन भेजे जाने को हरीश रावत ने हाईकोर्ट में चुनौती दी और कहा कि राज्य सरकार ने 15 मई, 2016 को सीबीआई जांच के आदेश को वापस ले लिया था और एसआईटी का गठन कर दिया गया था। इसलिए सीबीआई को इस मामले की जांच का कोई अधिकार ही नहीं है। सीबीआई की पूरी कार्रवाई को निरस्त किया जाए। हाईकोर्ट ने सीबीआई को केस की जांच जारी रखने की इजाजत देते हुए यह कहा था कि कोई भी कदम उठाने से पहले उसे हाईकोर्ट की अनुमति लेनी होगी।
बहरहाल, हरीश रावत के सामने सीबीआई केस के रूप में बड़ी चुनौती है. 70 की उम्र पार कर चुके हरीश रावत के लिए राजनीति का यह दौर इतना भारी पड़ेगा इसका अंदाजा उन्हें शायद ही रहा हो। केस दर्ज होने के बाद अब उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।