सीएम ने नाबार्ड से सौंग बांध निर्माण, ग्रोथ सेंटरों के विकास के लिए मांगा सहयोग

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा राज्य के विकास में विभिन्न वित्तीय एवं विकासात्मक सहयोग से संचालित योजनाओं के क्रियान्वयन के सम्बन्ध में बैठक हुई। बैठक में नाबार्ड के चेयरमैन डॉ0 जी0आर0 चिंतला, सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज, कृषि मंत्री सुबोध उनियाल, सहकारिता मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत के साथ ही मुख्य सचिव ओम प्रकाश उपस्थित थे। मौके पर नाबार्ड द्वारा प्रकाशित पैक्स-एक बहुउद्देशीय सेवा केन्द्र योजना मार्गदर्शिका का भी विमोचन किया गया।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने राज्य के विकास में नाबार्ड द्वारा दिये जा रहे सहयोग के प्रति आभार जताते हुए कहा कि राज्य में ट्राउट मछली पालन की दिशा में काफी कार्य हुआ है। इसके साथ पोल्ट्री, मसरूम उत्पादन की भी राज्य में काफी संभावनायें हैं। उन्होंने सौंग बांध के निर्माण, ग्रोथ सेन्टरों के विकास एवं ग्राम लाइट योजना को बढ़ावा देने में भी नाबार्ड से सहयोगी बनने को कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सौंग बांध की लागत 1200 करोड़ है। इसके बनने से प्रतिवर्ष 90 करोड़ की बिजली की बचत होने के साथ ही देहरादून को आगामी 60 वर्षो तक ग्रेविटी आधारित पेयजल की आपूर्ति हो सकेगी। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी 670 पेक्स को बहुउद्देशीय सेवा केन्द्र के रूप में संचालित करने के लिये सहयोग की अपेक्षा की।

उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के सहकारी बैंक को स्थिति अन्य पहाड़ी राज्यों से बेहतर है इसका फायदा सहकारी बैंक ले सकते हैं जिसके तहत नाबार्ड 500 से लेकर 1000 करोड़ रूपए केवल 2-90 प्रतिशत की ब्याज दर से दे सकता है। साथ ही इसके तहत जो अनुपात बनाए रखना होता है उसमें भी नाबार्ड छूट् दे सकता है। आत्म निर्भर भारत के तहत कृषि आधारभूत सुविधा निधि के तहत कृषकों के लिए फसल कटाई उपरांत के प्रबंधन पर ध्यान देने की बात कही। यदि पैक्स नाबार्ड की स्कीम पैक्स- बहु उद्देशीय सेवा केंद्र तथा कृषि आधारभूत सुविधा निधि का लाभ मिलकर लेते हैं तो उन्हें केवल 01 प्रतिशत की ब्याज दर पर ऋण सुविधा उपलब्ध हो पायेगी। उन्होंने नाबार्ड की एलईडीपी तथा एमईडीपी योजनाओं के माध्यम से सुविधा देने पर अपनी सहमति जताई। कृषक उत्पादक संगठन के लिए प्रोहत्सन करने के साथ-साथ ओएफपीओं के गठन पर भी जोर दिया ताकि जिन लोगो के पास जमीन नहीं है उन्हें भी फायदा मिल सके।

युवाओं को कर्मवीर बनकर अपनी क्षमताओं को पहचानना होगाः त्रिवेंद्र

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने थानों में जलागम प्रबंधन विभाग द्वारा संचालित ग्राम्या-2 परियोजना अन्तर्गत स्थापित एग्री बिजनेस ग्रोथ सेंटर का लोकार्पण किया। उन्होंने ग्रोथ सेंटर में बनाये जा रहे उत्पादों का निरीक्षण भी किया। मुख्यमंत्री ने ग्रोथ सेंटर के कैटलॉग का विमोचन किया एवं स्थानीय लोगों को मुख्यमंत्री राहत कोष के चेक भी वितरित किये। स्थानीय किसानों और युवाओं को विभिन्न कृषि एवं गैर कृषि आधारित उत्पादों के संग्रहण, प्रसंस्करण एवं विपणन केन्द्र के रूप में थानों में कृषि पर आधारित ‘‘ ग्राम्यनिधि’’ ग्रोथ सेंटर बनाया गया है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि राज्य में 100 से अधिक ग्रोथ सेंटरों को स्वीकृति दी जा चुकी है। सभी ग्रोथ सेंटर अलग-अलग कांसेप्ट पर तैयार किये जा रहे हैं। राज्य सरकार हर न्याय पंचायत पर एक ग्रोथ सेंटर बनाने की दिशा में कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि थानों क्षेत्र में कृषि योग्य भूमि काफी है। खेती का सदुपयोग करते हुए यहां कई ग्रोथ सेंटर बनाये जा सकते हैं। थानों में बनाये गये ग्रोथ सेंटर में पैकेजिंग और ब्रांडिग अच्छी की गई है। हमें स्थानीय उत्पादों को और अधिक प्रमोट करने की जरूरत है। स्थानीय उत्पादों की मार्केट में डिमांड भी बहुत अधिक है। उन्होंने कहा कि इस ग्रोथ सेंटर को और अधिक विस्तार दिये जाने की जरूरत है। ग्रोथ सेंटर में हमेशा सामान इतना होना चाहिए कि लोगों को डिमांड पर शीघ्र उपलब्ध हो जाय।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि हमारे युवाओं को कर्मवीर बनना होगा। हमें अपनी क्षमताओं को पहचानना होगा। स्वरोजगार के क्षेत्र में उत्तराखण्ड में अनेक कार्य हो सकते हैं। इससे युवा दूसरों को भी अपने साथ रोजगार दे सकते हैं। युवाओं को ऐसे ग्रोथ सेंटरों में जरूर आना चाहिए। इससे उनके मन में स्वरोजगार की दिशा में कार्य करने के लिए नये विचार आयेंगे। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना एवं एमएसएमई के तहत अनेक क्षेत्रों में कार्य किये जा सकते हैं। इन योजनाओं का लाभ लेकर युवा काफी आमदनी अर्जित कर सकते हैं। आत्मनिर्भर भारत की दिशा में आगे बढ़ने एवं चाइनीज उत्पादों के बहिष्कार के लिए हमें स्थानीय स्तर पर हर प्रकार के उत्पाद तैयार करने होंगे। उन्होंने कहा कि थानों एवं कोटाबाग में ग्राम लाईट की जो शुरूआत हुई है। इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ना होगा। हमारा प्रयास होना चाहिए कि आने वाले त्योहारों में हम सभी स्थानीय उत्पादों का प्रयोग करें। कुछ अच्छे डिजायनरों द्वारा विभिन्न उपकरणों के बनाने के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था भी की जायेगी।

जलागम मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि इस ग्रोथ सेंटर की सबसे अच्छी विशेषता है कि इसे स्थानीय किसानों का संगठन ‘मालकोटी स्वायत्त सहकारिता’ संचालित करेगा। जिसमें 11 राजस्व ग्रामों के 17 कृषक समूहों के 257 कृषक जुड़े हैं। यह खुशी की बात है कि ‘ मालकोटी स्वायत्त सहकारिता’ कृषक संघ द्वारा एक साल में 13.27 लाख का व्यवसाय किया गया जिसमें 6.83 लाख का शुद्ध लाभ प्राप्त किया। संघ के जुड़े किसानों ने प्रसंस्कृत और बेकरी उत्पादों के साथ-साथ संरक्षित नर्सरी में पौधे उगाकर उनका विक्रय भी किया है। इस ग्रोथ सेंटर के बनने से आस-पास के किसानों को भी फायदा मिलेगा। यह प्रसन्नता का विषय है कि ग्रोथ सेंटर में 35 से अधिक कृषि एवं गैर कृषि उत्पाद तैयार किये जा रहे हैं।

सरकार का प्रयास, प्रत्येक ग्रोथ सेंटर के उत्पादों की अच्छी ब्रांडिंग हो

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शुक्रवार को सचिवालय में डिजिटल माध्यम से त्रिस्तरीय पंचायतों (ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत एवं जिला पंचायत) को 15वें वित्त आयोग के टाईड अनुदान की कुल 143.50 करोड़ धनराशि का डिजिटल हस्तान्तरण किया। यह धनराशि उत्तराखण्ड की 7791 ग्राम पंचायतों, 95 क्षेत्र पंचायतों एवं 13 जिला पंचायतों को दी गई।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि पंचायतों को धनराशि का डिजिटल स्थानान्तरण होने से कार्यों में तेजी व पारदर्शिता आयेगी। सरकारी सिस्टम के प्रति लोगों का विश्वास भी बढ़ेगा। राज्य सरकार ग्रोथ सेंटर को बढ़ावा देने के लिए हरसम्भव प्रयास कर रही है। इसमें पंचायतों एवं पंचायतीराज विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। राज्य सरकार का प्रयास है कि न्याय पंचायतों पर जो भी ग्रोथ सेंटर बने, उनकी अपनी अलग पहचान हो। प्रत्येक ग्रोथ सेंटर के उत्पादों की अच्छी ब्रांडिंग हो।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने पंचायतीराज विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि पंचायतों में जो भी कार्य हो रहे हैं, उनकी जियो टैगिंग एवं जीआईएस मैपिंग की जाय। पंचायतों में जो भी कार्य किये जा रहे हैं उनमें मानकों एवं डिजायन का विशेष ध्यान रखा जाय। कार्यों की नियमित मॉनिटरिंग की जाय। यह सुनिश्चित किया जाय कि पचायतों की दी जाने वाली धनराशि का सही उपयोग हो। पचायतों में पथ प्रकाश की व्यवस्था का ध्यान रखा जाय। जल संरक्षण से संबधित कार्यों में विशेषज्ञों से भी राय ली जाय। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि भारत सरकार द्वारा लागू मा. प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना डिजिटल इंडिया का प्रोग्राम का उद्देश्य सरकारी सेवाओं को उन्नत करना, सरकारी योजनाओं की जानकारी ऑनलाईन पंहुचाना एवं ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देना है।

निदेशक पंचायतीराज एचसी सेमवाल ने बताया कि सभी त्रिस्तरीय पंचायतों को अपनी कार्य योजना ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर अपलोड करनी है और इसी पोर्टल के अनुरूप जियो टैगिंग व अन्य कार्य संपादित करने हैं। उन्होंने जानकारी दी कि वर्तमान में 7791 ग्राम पंचायतों में से 6773 ग्राम पंचायतें ई-ग्राम स्वराज पोर्टल क्रियाशील हो चुकी हैं। 3554 ग्राम पंचायतों ने ऑनलाईन पेमेण्ट प्रारम्भ कर दिया है। इस पोर्टल के माध्यम से पंचायत को केन्द्रीय वित्त एवं राज्य वित्त तथा अन्य श्रोतों से प्राप्त धनराशि तथा पंचायत में कराये जा रहे विकास कार्यों की प्रगति के साथ-साथ अन्य जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए प्रदेश में 11 नए ग्रोथ सेंटरों को मंजूरी

मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि पिछले दिनों में कोराना संक्रमितों की संख्या में बढ़ोतरी से घबराने की आवश्यकता नहीं है। उत्तराखण्ड में अभी तक सामुदायिक संक्रमण नहीं हुआ है। जितने भी केस आ रहे हैं, उनकी कोई ट्रेवल हिस्ट्री है या कान्टेक्ट के केस हैं। ये सभी पहले से निगरानी में चल रहे थे। अभी कुछ दिन और कुल मामलों में बढ़ोतरी हो सकती है परंतु 10-15 दिनों में एक्टीव केस की संख्या में कमी आने लगेगी। हमारी डबलिंग रेट में पिछले तीन दिन में कुछ सुधार हुआ है। प्रदेश में पाॅजिटिवीटी रेट, राष्ट्रीय औसत से कम है। हमारे यहां कोरोना संक्रमण में मृत्यु दर 1 प्रतिशत से कम है जबकि भारत का औसत लगभग 2.8 प्रतिशत है। पेंशेंट केयर मेनेजमेंट पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कान्टेक्ट ट्रेसिंग को भी प्रमुखता दी जा रही है। प्रदेश में 31 कंटेन्मेंट जोन बनाए गए हैं, जहां बहुत सख्त व्यवस्था लागू है।

कोरोना टेस्ट बढ़ाने के निर्देश
मुख्य सचिव ने कहा कि कोरोना टेस्ट की संख्या बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। पहले सप्ताह में प्रति दिन सेम्पल का औसत एक था जबकि 16 वें सप्ताह में यह औसत बढ़कर 834 हो गया है। यह जल्द ही 1000 प्रति दिन हो जाएगा। देहरादून में लगभग 5500 प्रति मिलीयन और नैन्ीताल में 3185 प्रति मिलीयन जनसंख्या टेस्ट किए जा रहे हैं जो कि राष्ट्रीय औसत से अधिक हैं। अन्य जिलों में भी टेस्ट बढ़ाए जा रहे हैं। टेस्टिंग लेब की संख्या बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं।यदि राज्य में कोराना संक्रमित मामलों का विश्लेषण किया जाए तो इनमें 41 प्रतिशत में कोई लक्षण नहीं है, 53 प्रतिशत में बहुत ही मामूली लक्षण हैं, 4.5 प्रतिशत में मध्यम और 1.74 प्रतिशत अधिक लक्षण वाले हैं। स्पष्ट है कि हमारे यहां गम्भीर केस नहीं हैं।

उत्तराखण्ड आने के इच्छुक अधिकांश लोगों को लाया जा चुका
मुख्य सचिव ने बताया कि बाहर से प्रदेश में आने के लिए लगभग 2 लाख 62 हजार प्रवासियों ने आनलाईन रजिस्ट्रेशन कराया है, इनमें से 1 लाख 81 हजार लोगों को ट्रेन, बस या निजी वाहनों के माध्यम से लाया जा चुका है। अब लोग आने के लिए कम इच्छुक हैं। 28 मई को 98 हजार बल्क एसएमएस किए गए जिनमें से लगभग 3 हजार लोगों ने ही आने की इच्छा व्यक्त की।

अनुशासन, धैर्य और साहस बनाए रखने की अपील
मुख्य सचिव ने कहा कि हालांकि स्थिति चुनौतिपूर्ण है, परंतु किसी तरह से घबराने या आशंकित होने की आवश्यकता नहीं है। हमारी पूरी तैयारी है। अनुशासन, धैर्य और साहस से हम जल्द ही प्रदेश में कोरोना को नियंत्रित कर लेंगे। ग्राम स्तर से लेकर राज्य स्तर तक अधिकारी व कर्मचारी अनवरत लगे हैं। मुख्यमंत्री स्तर पर स्टेट टास्क फोर्स के साथ रोज समीक्षा की जाती है और परिस्थितियों के अनुरूप निर्णय लिए जाते हैं। केबिनेट भी नियमित रूप से स्थिति की समीक्षा करती है।
मुख्य सचिव ने कहा कि धीरे-धीरे शिथिलता दी जा रही है। बाजार के खुलने के समय को सुबह के 7 बजे से शाम के 7 बजे तक किया गया है। लेकिन कुछ सावधानियां रखनी जरूरी हैं। एक जगह पर भीड़ न करें। फिजीकल डिस्टेंस बनाकर रखें, बाहर जाने पर मास्क का अनिवार्यता से प्रयोग करें और हाथों को बार-बार धोएं।

मनरेगा के 18 हजार कार्य संचालित, 2 लाख 44 हजार श्रमिक कार्यरत
मुख्य सचिव ने बताया कि प्रदेश में सभी जिलों में मनरेगा के काम चल रहे हैं। 18 हजार से अधिक मनरेगा के कार्यों में 2 लाख 44 हजार श्रमिक लगे है। 9760 नए जाॅब कार्ड बनाए गए है। इनमें से 6400 को काम भी उपलब्ध कराया गया है।

11 नए ग्रोथ सेंटर स्वीकृत, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगी मजबूती
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। ऐसे ही एक निर्णय किया गया है कि आराकोट में मंडी परिषद के माध्यम से सेब का सोर्टिंग व ग्रेडिंग सेंटर बनाया जाएगा। इससे हमारे सेब के उत्पादकों को अच्छी कीमत मिलेगी। प्रदेश में पहले से 83 ग्रोथ सेंटर स्थापित हैं। हाल ही में प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर 11 नए ग्रोथ सेंटर को मंजूरी दी गई है। इनमें पिथौरागढ़ के मुन्स्यारी में पक्षी पर्यटन, चमोली के गैरसैंण में मसाला व देवाल में शहद, नैनीताल के कोटाबाग में शहद और आर्गेनिक उत्पाद, रामगढ़ में खाद्य प्रसंस्करण, अल्मोड़ा में नेचुरल फाईबर, ऊधमसिंहनगर के गदरपुर में मसाला, जसपुर में दुग्ध व उच्च गुणवत्ता की रजाई, उत्तरकाशी के रैथल में साहसिक पर्यटन पर आधारित ग्रोथ सेंटर स्थापित किए जाएंगे। इसी प्रकार भीमताल में बेकरी, रामनगर में सोवेनियर, बागजला में ऐंपण के ग्रोथ सेंटर को सैद्धांतिक स्वीकृति दी गई है। इन ग्रोथ सेंटर से युवाओं और स्थानीय लोगों को आजीविका के अवसर मिलेंगे।
सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग।

कन्या भ्रूण हत्या सबसे बड़ा पाप, पिछले दो वर्षों में राज्य में बालिका लिंगानुपात में काफी सुधारः टीएसआर

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि हमें बालिकाओं को स्वतंत्रता देनी होगी। उनकी क्षमताओं पर विश्वास करना होगा। संकोच, जीवन की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा है। बेटियों को संकोच नहीं करना चाहिए। जब संकोच दूर होगा तभी प्रगति होगी। मुख्यमंत्री ने कन्या भ्रूण हत्या को बहुत बड़ा पाप बताते हुए कहा कि पिछले दो वर्षों में राज्य में बालिका लिंगानुपात में काफी सुधार आया है।

सोलर और पिरूल पावर प्रोजेक्ट से बदलेगी पहाड़ की तस्वीर
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में 62 ग्रोथ सेंटरों को मंजूरी दी है। ये ग्रामीण विकास के महत्वपूर्ण आर्थिक केंद्र साबित होंगे। पर्वतीय क्षेत्रों में खेती को जंगली जानवरों द्वारा नुकसान पहुंचाया जाता है। इसका विकल्प भी खोजना है। अदरक, लहसुन, हल्दी की खेती को अपनाया जा सकता है। पहाड़ में सोलर पावर प्रोजेक्ट और पिरूल से बिजली बनाने के लिए प्रोजेक्ट आवंटित किए गए हैं। चीड़ जो कि विनाश का प्रतीक था, जल्द ही रोजगार में सहायक होगा।

आगे बढ़ने के लिए मंथन जरूरी
मुख्यमंत्री ने कहा कि सुधार के लिए राजनीतिक हितों से ऊपर उठना होगा। आगे बढ़ने के लिए मंथन करना जरूरी है। इस वर्ष राज्य स्थापना सप्ताह के अंतर्गत रैबार, सैनिक सम्मेलन, महिला सम्मेलन, युवा सम्मेलन आदि कार्यक्रम इसी उद्देश्य से किये गये। ऐसे कार्यक्रमों से नीति निर्धारण और व्यवस्था परिवर्तन में सहायता मिलती है। ग्राउन्ड पर काम करने वाले और नीति निर्धारण करने वाले जब एक मंच पर मिलते हैं तो इससे राज्य व समाज के विकास की दिशा निर्धारित होती है।

महिलाओं के स्वास्थ्य व शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाए
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि उत्तराखंड में महिलाओं की स्थिति पहले से अच्छी है। यहां की महिलाएं जुझारू हैं। उत्तराखण्ड निर्माण में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही। पर्यावरण संरक्षण में यहां की महिलाओं का बड़ा योगदान रहा है। कृषि और पशुपालन में मुख्य रूप से महिलाएं ही काम करती हैं। महिलाओं के स्वास्थ्य व शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। राज्य स्थापना सप्ताह के अंतर्गत श्रीनगर में महिला सम्मेलन आयोजित किए जाने पर खुशी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि 20-25 साल पहले महिलाओं के विकास के लिए बात नहीं होती थी।

महिलाओं से ही पहाड़ का अस्तित्व
अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी ने कहा कि पहाड़ को अगर किसी ने बचाया है तो वह महिलाएं हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड की कला और लोक कलाकारों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाए जाने की जरूरत है। यहां बेहतरीन फिल्में बनें जिन्हें कि देश विदेश में देखा जाए। सरकार से अपील की कि महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा जिम्मेदारी उन्होंने पलायन को लेकर अपनी लिखी कविता भी सुनाई।

अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने गढ़वाली में अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड आंदोलन में महिलाओं की अहम भूमिका रही है। इस सम्मेलन में जो भी सुझाव मिलेंगे, उन्हें पूरा करने के लिए सरकार कोशिश जरूर करेगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी महिलाओं के लिए कई योजनाएं बनाने की बात करते हैं। उनका महिलाओं को फायदा जरूर मिलेगा।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत व अन्य अतिथियों ने जिलाधिकारी पौड़ी धीरज सिह गर्ब्याल की पहल पर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन एवं राष्ट्रीय पोषण अभियान, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग पौड़ी के तहत महिला समूह द्वारा बनाए गए झंगोरा लड्डू का स्वाद चखा और उसकी तारीफ की।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का ड्रीम प्रोजेक्ट है रूरल ग्रोथ सेंटर

राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में क्लस्टर आधारित एप्रोच पर ग्रोथ सेंटर विकसित कर रही है। प्रदेश की 670 न्याय पंचायतों मे ग्रोथ सेंटर स्थापित किए जाएंगे। इनमें से 58 ग्रोथ सेंटर को मंजूरी दी जा चुकी है। इनमें एग्रीबिजनेस, आई.टी., ऊन, काष्ठ, शहद, मत्स्य आधारित ग्रोथ सेंटर शामिल हैं।
उत्तराखण्ड की विकास दर, देश की विकास दर से अधिक रही है। राज्य की प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2016-17 में 1,61,172 रूपए थी जो कि वर्ष 2018-19 में बढ़कर 1,98,738 रूपए हो गई है। इस प्रकार प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय देश की औसत प्रति व्यक्ति आय से 72,332 रूपए अधिक हो गई है। आर्थिक वृद्धि का यह लाभ राज्य के दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों व ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाने और वहां से हो रहे पलायन को रोकने के लिए मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उत्तराखण्ड ग्राम्य विकास व पलायन आयोग की स्थापना की थी। आयोग ने प्रत्येक जिले में भ्रमण किया, वहां के लोगों से फीडबैक लिया और एक अध्ययन रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसके अनुसार आजीविका के साधनों का अभाव, पलायन का सबसे बड़ा कारण माना गया। स्थानीय संसाधनों व परिस्थितियों के अनुसार अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग रणनीति बनाए जाने की आवश्यकता बताई गई।
सरकार व शासन स्तर पर गहन मंथन के बाद तय किया गया कि बिजली, सड़क, पानी, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी आधारभूत सुविधाओं के विकास के साथ ही ग्रामीणों के लिए आजीविका के साधन जुटाए जाने पर सबसे अधिक फोकस किया जाए। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जाए। ऐसा तभी हो सकता है जबकि स्थानीय तौर पर उपलब्ध संसाधनों पर आधारित योजना तैयार की जाए। इसके बैकवर्ड व फारवर्ड लिंकेज तैयार किए जाएं।
राज्य सरकार ने योजना को अमलीजामा पहनाते हुए 670 न्याय पंचायतों में क्लस्टर एप्रोच पर थीम बेस्ड ग्रोथ सेंटर विकसित करने का निर्णय लिया। क्लस्टर आधारित एप्रोच, वित्तीय समावेशन, ब्रांड का विकास व मार्केट लिंकेज इसकी प्रमुख विशेषता है। योजना की मुख्यमंत्री कार्यालय स्तर से लगातार माॅनिटरिंग की जाती है। इसी का परिणाम है कि अभी तक प्रदेश में 58 ग्रोथ सेंटरों को मंजूरी दी जा चुकी है। इनमें 7 ग्रोथ सेंटर जलागम विभाग के तहत, मत्स्य विभाग के तहत 10, डेयरी में 4, एकीकृत आजीविका सहयोग कार्यक्रम में 25 व उत्तराखण्ड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड में 10 ग्रोथ सेंटर स्वीकृत किए जा चुके हैं। जलागम विभाग के ग्रोथ सेंटर विश्व बैंक परियोजना से व मत्स्य विभाग के एनसीडीसी परियोजना से वित्त पोषित किए जाने हैं। शेष के लिए 435 लाख रूपए से अधिक की राशि अवमुक्त की जा चुकी है। इसी प्रकार कुल 23 ग्रोथ सेंटर के प्रस्ताव और प्राप्त हो चुके हैं। इनमें वन विभाग के अंतर्गत 8, यूएसआरएलएम में 5, उत्तराखण्ड खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड में 2, रेशम विभाग में 4 व उत्तराखण्ड बांस एवं रेशा विकास परिषद में 4 प्रस्तावों पर कार्ययोजना बनाई जा रही है।
विकसित किए जाने वाले ग्रोथ सेंटर जड़ी-बूटी, बर्ड वाचिंग, पर्यटन, एग्रीबिजनेस, शहद, हर्बल, रेशम, बांस व रेशा, ऊन, मसाले, मत्स्य पालन, आईटी, काष्ठ, मंडुवा, झंगौरा, चैलाई आदि पारम्परिक अनाज आदि पर आधारित हैं। इन ग्रोथ सेंटरों से ग्रामीणों को उत्पादन के लिए आवश्यक सहयोग मिलेगा और उत्पादन को मार्केट भी उपलब्ध करवाया जाएगा। युवाओं को स्थानीय स्तर पर ही रोजगार व आजीविका प्राप्त होगी। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।