सिल्क्यारा विजय अभियान पुस्तक का राज्यपाल सहित सीएम ने किया विमोचन

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को दून विश्वविद्यालय, देहरादून में आयोजित ‘सिलक्यारा विजय अभियान’ प्रथम वर्षगाँठ एवं 19वाँ राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सम्मेलन-2024 में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने सिल्क्यारा विजय अभियान पुस्तक एंव अन्य पुस्तकों का विमोचन किया। उन्होंने सिल्क्यारा रेस्क्यू अभियान पर बनी लघु फिल्म का अवलोकन भी किया।

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने कहा कि यह अभियान राज्य आपदा प्रबंधन क्षमता का उत्कृष्ट उदाहरण है। विश्व के पर्वतीय देशों के लिए यह उदाहरण है कि किस प्रकार से सिलक्यारा टनल में फँसने के बाद किस प्रकार 41 श्रमिकों को बचाव कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण किया गया। यह धैर्य, लीडरशिप, कॉर्डिनेशन और अपने संकल्प को पूरा करने का बहुत बड़ा उदाहरण है। पूरे विश्व ने देखा है कि किस 17 देशों के एक्सपर्ट्स 41 फँसे हुए श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने का कार्य जिसमे एक भी श्रमिक को खरोंच तक नहीं आई। उन्होंने कहा कि इस विजय अभियान का डॉक्यूमेंटेशन किया जाना भी एक ऐतिहासिक कार्य है। यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी। राज्यपाल ने कहा कि भारतीयों के अंदर जो क्षमता है, जिसे पूरी दुनिया ने कोविड के दौरान भी देखा था। इसके बाद सिलक्यारा टनल में फंसे श्रमिकों का बचाव कार्य भी इसका एक और उदाहरण है।

राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश को ईश्वर ने बहुत से प्राकृतिक संसाधनों से नवाजा है। अब इनके संरक्षण की जिम्मेदारी भी हमारी है। उन्होंने कहा कि राजभवन में वाटर हार्वेस्टिंग पर कार्य किया जा रहा है, जिसके अच्छे परिणाम दिख रहे हैं। उन्होंने आम जन से अपने आस-पास नौले धारों और प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण का आह्वान किया। राज्यपाल ने कहा कि हमें स्थानीय समुदायों की भागीदारी को भी प्रोत्साहित करना है जल प्रबंधन में ग्राम पंचायतों और नागरिक संगठनों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमसे आग्रह किया है कि पर्यावरण की रक्षा करते हुए उन्होंने कहा कि एक पेड़ माँ के नाम लगाकर इस आंदोलन को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दें। उन्होंने कहा कि माताओं, बहनों में कुछ भी कर गुजरने की एक अद्भुत क्षमता है। हमें अपनी बहनों को आगे बढ़ाने में उनका साथ देना है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बीते वर्ष सिलक्यारा के सफल बचाव अभियान ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में एक नया अध्याय लिखा था। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और सहयोग से 17 दिनों के अथक प्रयासों से सिलक्यारा टनल में फंसे हुए 41 श्रमिकों को सुरक्षित बचाया गया था। उन्होंने कहा पूरा विश्व और देश के लोग सिल्क्यारा के लिए दुवा कर रहा था। जो अभियान सामूहिक समर्पण और तकनीकी दक्षता की अनुपम मिसाल बना। जिसे अब आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अध्ययन और शोध का विषय भी माना जा रहा है। उन्होंने सिल्क्यारा के सफल रेस्क्यू के एक वर्ष होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सम्मेलन बीते 19 वर्षों से प्रदेश में विज्ञान एवं नवाचार को प्रोत्साहित करने के साथ युवा वैज्ञानिकों को प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। ये सम्मेलन शोध पत्रों के प्रस्तुतीकरण, सामाजिक महत्व के शोध, नवाचार और नीतिनिर्धारण जैसे गंभीर विषयों पर चिंतन का मंच भी है। हर वर्ष सम्मेलन में राज्य से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होती है, पिछले तीन वर्षों में हमने ग्रामीण विज्ञान, भारतीय ज्ञान-विज्ञान परंपरा और आपदा प्रबंधन जैसे विषयों पर नवाचार और शोध को प्रोत्साहित किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष सम्मेलन में उत्तराखण्ड में जल एवं प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण जैसे प्रासंगिक और महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा होगी, जो जलवायु परिवर्तन और बढ़ती हुए जनसंख्या को देखते हुए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा हमारा राज्य जल संपदा को संजोए हुए है। उन्होंने कहा इस सम्मेलन में राज्य और देशभर से आए वैज्ञानिकों व शोधकर्ताओं द्वारा जल स्रोतों के संरक्षण और संवर्धन जैसे विषयों पर भी गहन मंथन होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में भारत दशकों से नित नए कीर्तिमान स्थापित करता रहा है। कोरोना वैक्सीन से ब्रह्माण्ड के अबूझ रहस्यों तक, हम भारतीय विज्ञान को नए स्तर पर ले जाने का कार्य निरंतर कर रहे हैं। भारत ने समय समय पर अपनी वैज्ञानिक और बौद्धिक संपदा को सिद्ध करके दिखाया है। भारत के महान खगोलशास्त्री आर्यभट्ट, आचार्य कणाद, आचार्य नागार्जुन, महर्षि सुश्रुत जैसे अनेक लोग, भारत के वो वैज्ञानिक स्तंभ हैं, जिनके सिद्धांतों पर आज का आधुनिक विज्ञान स्थापित है। दुनिया को ज्ञान, विज्ञान और शिक्षा देने का काम भारत ने किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अनेकों कार्य हुए हैं। आज भारत में गुड गवर्नेंस के लिए विज्ञान और तकनीकी का व्यापक उपयोग हो रहा है। प्रधानमंत्री की प्रेरणा से हम उत्तराखण्ड में भी नई प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रहे हैं। देहरादून में देश की पांचवीं साइंस सिटी का निर्माण तेजी से हो रहा है। प्रदेश के प्रत्येक जनपद में साइंस और इनोवेशन सेंटर, लैब्स ऑन व्हील्स, और ैज्म्ड लैब्स के माध्यम से विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में विश्व स्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विकसित भारत की परिकल्पना में महिलाओं की अहम भूमिका है। मुख्यमंत्री ने सभी विश्वविद्यालयों और संस्थाओं से बालिकाओं को साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आगे बढ़ने हेतु विशेष प्रोत्साहित करने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने कहा सरकार, राज्य की भौगोलिक विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए पर्यटन, कृषि और पर्यावरण के लिए उन्नत तकनीकों का उपयोग सुनिश्चित कर रही है। हमारा प्रयास है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से आम लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाया जाए। उन्होंने कहा इस सम्मेलन के सभी सत्रों में मिले सुझावों को प्रदेश सरकार अमल में लाकर प्रदेश के समग्र विकास को गति प्रदान करेगी।

इस अवसर पर सचिव नितेश झा, महानिदेशक यूकॉस्ट प्रो. दुर्गेश पंत, कुलपति डॉ. सुरेखा डंगवाल, डॉ विनोद एवं विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ और वैज्ञानिक उपस्थित रहे।

वर्तमान समय में गुणवत्तापरक शिक्षा पर विशेष ध्यान देने के साथ ही नवीन टेक्नोलॉजी को अपनाना जरूरीः राज्यपाल

शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक पुरस्कार सम्मान समारोह में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि), मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने वर्ष 2023 में शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक पुरस्कारों के लिए चयनित शिक्षक एवं शिक्षिकाओं को सम्मानित किया। शिक्षक दिवस के अवसर पर राजभवन में आयोजित सम्मान समारोह में वर्ष 2023 के लिए चयनित 19 शिक्षकों एवं शिक्षिकाओं को पुरस्कार प्रदान किए गए है।

इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने पुरस्कार प्राप्त करने वाले शिक्षक-शिक्षिकाओं को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि विषम परिस्थितियों एवं दुर्गम क्षेत्रों में विद्यालयी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए महत्वपूर्ण योगदान देने वाले शिक्षक वास्तव सम्मान के अधिकारी हैं। उन्होंने कहा कि ‘‘मैं शिक्षा के क्षेत्र में आपकी सेवाओं और प्रतिबद्धता के लिए प्रदेशवासियों की ओर से आपका आभार व्यक्त करता हूँ’’।

राज्यपाल ने कहा कि गुरु का स्थान सबसे ऊपर है। राज्य शैक्षिक पुरस्कार से चयनित उत्कृष्ट शिक्षक अन्य शिक्षकों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उन्होंने कहा कि आज के दिन, विशेष रूप से, हर व्यक्ति को अपने विद्यार्थी जीवन की अवश्य ही याद आती है और अपने शिक्षक भी याद आते हैं। अपने गुरुओं को याद करते हुए राज्यपाल ने कहा कि गुरुओं द्वारा दिया गया ज्ञान आज भी मार्गदर्शन और प्रेरणा देता है।

राज्यपाल ने कहा कि समाज एवं राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि 2047 तक भारत को विश्व गुरु और विकसित भारत बनाने की दिशा में शिक्षकों की अहम भूमिका होगी। शिक्षकों से कहा बच्चों के सर्वांगीण विकास का दायित्व आप सभी के कंधों पर ही है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में गुणवत्तापरक शिक्षा पर विशेष ध्यान देने के साथ ही नवीन टेक्नोलॉजी को अपनाना जरूरी है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी शिक्षकों को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह दिन शिक्षकों के प्रति आदर सम्मान प्रकट करने का दिन है। आज के दिन सम्मानित हो रहे शिक्षकों ने समाज में ज्ञान का संचार एवं अपने अनुभव और मार्गदर्शन से विद्यार्थियों के जीवन को आकार देने का कार्य किया है। भारतीय संस्कृति में गुरु का सर्वाेच्च स्थान होता है। शिक्षक हर स्थिति में अपने विद्यार्थी को मार्गदर्शन देने का कार्य करता है। गुरु ही अपने प्रकाश से अंधकार की अज्ञानता को दूर करता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राचीन इतिहास में गुरु शिष्य परंपरा का उल्लेख मिलता है। शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित होने वाले शिक्षक अन्य लोगों को भी प्रेरणा देंगे एवं समाज के लिए रोल मॉडल हैं। गुरु का कार्य शिक्षा देने के साथ ही अपने शिष्य के व्यक्तित्व का निर्माण, अनुशासन एवं समाज के प्रति भावनाओं को जागृत करना भी है। वर्तमान समय में नैतिक शिक्षा की आवश्यकता है। धीरे-धीरे समाप्त हो रहे मूल्यों को पुनः जागृत करने का जिम्मा भी गुरुओं का है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि डिजिटल युग में शिक्षकों की भूमिका और बढ़ गई है। तकनीकी विकास और वैश्वीकरण के दौर में शिक्षक, छात्रों को संस्कृति से जोड़ने का कार्य करते हैं। उन्होंने कहा राज्य के विकास और नौनिहालों के भविष्य को बनाने में राज्य सरकार शिक्षकों की हर संभव मदद करेगी। उन्होंने कहा राज्य सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में कई ऐतिहासिक फैसले लिए हैं। राज्य में शिक्षकों के लिए अनुकूल वातावरण बनाया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षकों के प्रशिक्षण एवं कौशल विकास के लिए विशेष योजनाएं शुरू की गई हैं। शिक्षकों को नवाचार से जोड़ने पर निरंतर कार्य जारी है। उन्होंने कहा कि राज्य के शिक्षक हर क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। कोरोना महामारी के दौरान भी शिक्षकों ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूर्ण मनोयोग से किया है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने शैलेश मटियानी पुरस्कार के तहत मिलने वाली धनराशि को दस हजार से बढ़ाकर 20 हजार रुपये किए जाने की घोषणा की।

शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने उपस्थित सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि सभी के अथक प्रयासों से राज्य में शिक्षा के स्तर में सुधार हुआ है। इस अवसर पर उन्होंने शिक्षा विभाग द्वारा किए जा रहे कार्यों एवं नवाचारों की जानकारी दी। कार्यक्रम में सचिव विद्यालयी शिक्षा रविनाथ रामन ने सम्मान समारोह में उपस्थित लोगों का स्वागत किया और सम्मान समारोह की विस्तृत जानकारी दी।

महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में सचिव संस्कृत शिक्षा दीपक कुमार, अपर सचिव शिक्षा रंजना राजगुरु, शिक्षा विभाग के अन्य उच्च अधिकारीगण और पुरस्कार प्राप्त करने वाले शिक्षक-शिक्षिकाएं व उनके परिजन उपस्थित रहे।

राजभवन में आयोजित वसंतोत्सव का अवलोकन कर विभिन्न फूलों की आकर्षक प्रदर्शनी को सराहा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को राजभवन में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) से भेंट कर उन्हें वसंतोत्सव की शुभकामना दी। मुख्यमंत्री ने राजभवन में आयोजित वसंतोत्सव का अवलोकन कर इस अवसर पर आयोजित आकर्षक पुष्प प्रदर्शनी की सराहना करते हुए इस आयोजन को प्रकृति से जुड़ने का सार्थक प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि विभिन्न प्रजाति के पुष्पों का सौंदर्य मानसिक शांति के साथ पर्यावरण की स्वच्छता का भी संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विभिन्न प्रकार के पुष्पों के लिये भी उत्तराखण्ड की पहचान रही है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने स्कूली छात्रों द्वारा तैयार की गई पेंटिंग की भी सराहना की। मुख्यमंत्री ने प्रदर्शनी में प्रतिभाग कर रहे लोगों से मिलकर उनके सुझावों से अवगत हुए तथा विभिन्न विभागीय स्टालों का अवलोकन कर जानकारी भी ली।

मिनिस्टीरियल संवर्ग का मुख्य प्रशासनिक अधिकारी पद अब राजपत्रित अधिकारी में शामिल

राज्य सरकार ने मिनिस्टीरियल संवर्ग के ’मुख्य प्रशासनिक अधिकारी’ पद को राजपत्रित अधिकारी की प्रतिष्ठा प्रदान की है।
विदित हो कि मिनिस्ट्रियल संवर्ग के द्वारा लंबे समय से यह मांग की जा रही थी, जिस पर मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने मिनिस्ट्रियल संघ को व्यवस्था में शीघ्र बदलाव किए जाने का आश्वासन दिया था। इसी क्रम में राज्य शासन की ओर से इस बाबत गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। राज्यपाल महोदय की स्वीकृति के उपरांत सचिव शैलेश बगोली की ओर से इस आशय के आदेश आज जारी किए गए हैं।

यह आदेश भी हुए जारी
उत्तरांचल फेडरेशन ऑफ मिनिस्टीरियल सर्विसेज एसोसिएशन की मांग के अनुसार राज्य सरकार ने मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के पद पर पदोन्नति हेतु पात्रता अवधि कुल 25 वर्ष के स्थान पर 22 वर्ष करने का भी गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।

उत्तराखंड संस्कृत विवि के 10वें दीक्षांत समारोह में पहुंचे राज्यपाल

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने आज हरिद्वार में उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के 10वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने विश्वविद्यालय के मेधावी छात्र-छात्राओं को पदक और शोधार्थियों को शोध उपाधियां प्रदान की। दीक्षांत समारोह में राज्यपाल द्वारा पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण को आयुर्वेद एवं भारतीय ज्ञान परम्परा के संरक्षण के लिए तथा शिक्षाविद् पद्मश्री डॉ. पूनम सूरि को समाज सेवा एवं वैदिक शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए डी. लिट की मानद उपाधि प्रदान की गई। राज्यपाल ने इस अवसर पर विश्वविद्यालय की नई शोध पत्रिका ‘देवभूमि जर्नल ऑफ मल्टीडिसीप्लिनरी रिसर्च’ का भी विमोचन किया।

दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने पदक एवं उपाधि प्राप्त करने वाले सभी छात्र-छात्राओं एवं उनके अभिभावकों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्होंने उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं से कहा कि आप सभी संस्कृत के प्रचार एवं प्रसार में अपना योगदान दें। उन्होंने कहा कि संस्कृत को पूरे विश्व तक ले जाना आप सभी की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि युवा आने वाले 25 वर्ष विकसित भारत, आत्मनिर्भर भारत, समृद्ध भारत, श्रेष्ठ भारत और विश्वगुरू भारत के लक्ष्यों को प्राप्त करने में पूर्ण उत्साह, समर्पण और निष्ठा के साथ कार्य करें।

राज्यपाल ने युवाओं का आह्वान किया कि वे अपनी परम्पराओं का संरक्षण करते हुए भारत को समृद्ध और दुनिया का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र बनाने के महान अभियान का हिस्सा बनें। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा में उपलब्ध ज्ञान में सभी चुनौतियों का समाधान निहित है। देश की एकता में संस्कृत का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि संस्कृत हमारी समृद्ध संस्कृति का आधार और भारत की आत्मा की वाणी है। उन्होने कहा कि संस्कृत भाषा भारतीयता की डीएनए है एवं प्राचीन के संरक्षण के साथ नवीन ज्ञान का प्रयोग भी आवश्यक है।

राज्यपाल ने संस्कृत विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की प्रशंसा करते हुए संस्कृत के विकास एवं प्रचार-प्रसार के लिए सराहना की। उन्होंने संस्कृत के क्षेत्र में लड़कियों को ज्यादा अवसर व प्रोत्साहन देने पर जोर दिया ताकि संसकृत का ज्ञान प्रत्येक घरों तक पहुंचे। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय में 04 शोध पीठों की स्थापना होने पर खुशी जताते हुए इसे विश्वविद्यालय के हित में सराहनीय कदम बताया।

अपने संबोधन में कुलपति प्रोफेसर दिनेश चंद्र शास्त्री ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों, भविष्य की योजनाओं और चुनौतियों को विस्तार से सामने रखा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय को शासन स्तर पर उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत संचालित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संस्कृत विश्वविद्यालय की प्रकृति को देखते हुए यहां पर प्राचीन ज्ञान से संबंधित न्याय, वैशेषिक, सांख्य, मीमांसा, वेदांत, धर्मशास्त्र और पुराणों आदि से संबंधित उच्च स्तरीय अनुसंधान होना जरूरी है। इसके लिए अपेक्षित संख्या में पद उपलब्ध न होने के कारण चुनौतियां बनी हुई हैं।

दीक्षांत समारोह के आधार संबोधन में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली के कुलपति प्रोफेसर श्रीनिवास बरखेड़ी ने कहा कि संस्कृत विश्वविद्यालयों को भारतीय ज्ञान प्रणाली के उल्लेखनीय केंद्रों के रूप में विकसित होना चाहिए। साथ ही संस्कृत को आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करके लोगों तक पहुंचाना चाहिए। उन्होंने उत्तराखंड को ज्ञान की भूमि बताया और कहा कि यहां के छात्रों और शिक्षकों को अपनी मूल परंपरा का संरक्षण करते हुए अंतरविषयी ज्ञान को बढ़ावा देना चाहिए।

दीक्षांत समारोह के समापन से पूर्व कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। वरिष्ठ आचार्य प्रोफेसर दिनेश चमोला ने स्नातकों को उपाधि हेतु उपस्थित किया। संचालन का दायित्व डॉ शैलेश तिवारी ने निभाया।

इस अवसर पर गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमदेव शतांशु, आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुनील जोशी, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर ओम प्रकाश नेगी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह, मुख्य विकास अधिकारी प्रतीक जैन, अपर जिलाधिकारी(प्रशासन) पी0एल0 शाह, एसडीएम पूरण सिंह राणा, एसपी सिटी स्वतंत्र कुमार सिंह, एस0एस0 जायसवाल, डॉ0 सुशील उपाध्याय सहित अनेक विशिष्ट लोग उपस्थित थे।

राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने सराहनीय सेवाओं के लिए किया पुलिस अधिकारियों को सम्मानित

74वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने गुरुवार को परेड ग्राउंड में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह में ध्वज फहराया तथा राष्ट्रीय ध्वज को नमन करते हुए परेड की सलामी ली। इस अवसर पर सीआरपीएफ, आई.टी.बी.पी., पुलिस, पीएसी, होमगार्ड, पीआरडी के जवानों सहित एन.सी.सी की टुकड़ियों ने परेड करते हुए राज्यपाल को सलामी दी। राज्य के लोक कलाकारों व विभिन्न स्कूली बच्चों ने भी विभिन्न सांस्कृतिक लोक नृत्य का मनोहारी प्रदर्शन किया। गणतंत्र दिवस के अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) व मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखण्ड पुलिस के ‘विजन डॉक्यूमेंट’ का अनावरण किया। इस अवसर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले पुलिस कर्मियों को उनकी सराहनीय सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया।
परेड ग्राउंड में आयोजित गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम के दौरान महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग, ग्राम्य विकास, पर्यटन विभाग, उद्यान विभाग, शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, वन विभाग, उद्योग विभाग द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों, योजनाओं तथा नीतियों पर आधारित झांकियों का भी प्रदर्शन किया गया। इस प्रदर्शन में उद्यान विभाग की झांकी को प्रथम, पर्यटन विभाग को द्वितीय तथा शिक्षा विभाग की झांकी को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। इस अवसर पर द्वितीय गढ़वाल राइफल्स, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, उत्तराखण्ड पुलिस, आई.आर.बी द्वितीय, उत्तराखण्ड विशेष पुलिस, उत्तराखण्ड विशेष पुलिस (महिला), होमगार्ड, पीआरडी, एनसीसी ब्वॉइज, एनसीसी गर्ल्स ने भव्य परेड में प्रतिभाग किया। परेड करने वाली टुकड़ियों में प्रथम स्थान पर द्वितीय प्लाटून केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल, द्वितीय स्थान पर प्रथम दस्ता गढ़वाल राइफल्स और तृतीय स्थान पर 5वीं प्लाटून उत्तराखंड महिला दल रहीं। इस अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक दलों द्वारा छोलिया, गढ़वाली, भांगडा, कौथिक, बसन्त, हारूल, नृत्य का प्रदर्शन किया गया। जिसका उपस्थित दर्शकों ने खूब आनंद लिया।
परेड ग्राउण्ड में आयोजित इस समारोह में सांसद नरेश बंसल, मेयर देहरादून सुनील उनियाल गामा, विधायक खजान दास, मुख्य सचिव डॉ.एस.एस.संधु, डी.जी.पी. अशोक कुमार, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव राज्यपाल डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा, महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी, जिलाधिकारी देहरादून सोनिका सहित पुलिस तथा प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी, जनप्रतिनिधि, विशिष्ट गणमान्य अतिथि एवं जनसामान्य भी उपस्थित रहे।

इन्हें मिला सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक-
रमेश कुमार पाल, पुलिस उपाधीक्षक (एम) (से0नि0) पुलिस मुख्यालय।
विरेन्द्र दत्त उनियाल, पुलिस उपाधीक्षक (से0 नि0) जनपद देहरादून।
कैलाश चन्द पंवार, पुलिस उपाधीक्षक (से0 नि0) एसटीएफ।
पंकज कुमार उप्रेती, पुलिस उपाधीक्षक (से0 नि0) सतर्कता सैक्टर हल्द्वानी।
विरेन्द्र सिंह रावत, पुलिस उपाधीक्षक (से0 नि0) मुख्यमंत्री सुरक्षा।
मोहन गिरी, उप निरीक्षक अध्यापक (से0 नि0) एटीसी हरिद्वार।
दिनेश चन्द्र, प्लाटून कमाण्डर, 31वीं वाहिनी पीएसी रूद्रपुर।
विक्रम सिंह, उप निरीक्षक वि0श्रे0 (से0 नि0) जनपद हरिद्वार।
पितृशरण बहुगुणा उप निरीक्षक आरमोरर (से0 नि0) पुलिस मुख्यालय।
मोहन राम, उप निरीक्षक वि0श्रे0 (से0 नि0) एसपीआर हलद्वानी।
जई राम, मुख्य आरक्षी वि0श्रे0 चालक (से0 नि0) 46वीं वाहिनी पीएसी।

विशिष्ट कार्य के लिए राज्यपाल उत्कृष्ट सेवा पदक
दलीप सिंह कुंवर, पुलिस उपमहानिरीक्षक व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून।
आयुष अग्रवाल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ उत्तराखण्ड।
देवेन्द्र पींचा, पुलिस अधीक्षक, चम्पावत।
राकेश चन्द्र देवली, अपर पुलिस अधीक्षक, मुख्यमंत्री सुरक्षा उत्तराखण्ड।
दिनेश चन्द्र बडोला, पुलिस उपाधीक्षक पीटीसी नरेन्द्र नगर।
पूरन सिंह रावत, निरीक्षक एम पुलिस मुख्यालय।

महिलाओं को नौकरी में क्षैतिज आरक्षण मिला, धामी सरकार ने निभाया वादा

उत्तराखंड सरकार की ओर से महिलाओं के आरक्षण विधेयक को आज यानी मंगलवार को राज्यपाल गुरमीत सिंह की मंजूरी मिल गई है। राजभवन की मंजूरी के साथ ही महिला अभ्यर्थियों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का कानूनी अधिकार भी मिल गया है।
जानकारी के लिए बता दें कि राज्य सरकार ने 30 नवंबर 2022 को विधानसभा में बिल को सर्वसम्मति पारित कराकर राजभवन भेजा था। वहीं, विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान सदन में पारित 14 बिलों, जिनमें अधिकतर संशोधित विधेयक थे, के साथ महिला आरक्षण बिल को भी राज्यपाल गुरमीत सिंह की मंजूरी मिलनी थी।

न्याय और विधि विशेषज्ञों से कराया परीक्षण
बता दें कि उत्तराखंड राजभवन से ज्यादातर विधेयकों को मंजूरी मिल गई, लेकिन महिला क्षैतिज आरक्षण बिल विचाराधीन रहा। राजभवन ने विधेयक को मंजूरी देने से पहले इसका न्याय और विधि विशेषज्ञों से परीक्षण कराया है। इस कारण विधेयक को मंजूरी मिलने में एक महीने का समय लग गया। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिछले दिनों महिला क्षैतिज आरक्षण कानून के जल्द लागू होने के संकेत दिए थे।

विधेयक पर एक नजर…
1. 18 जुलाई 2001 को अंतरिम सरकार ने 20 प्रतिशत आरक्षण का शासनादेश जारी किया।
2. 24 जुलाई 2006 को तत्कालीन तिवारी सरकार ने इसे 20 से बढ़ाकर 30 प्रतिशत किया।
3. 26 अगस्त 2022 को हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान आरक्षण के शासनादेश पर रोक लगाई।
4. 04 नवंबर 2022 को सरकार की एसएलपी पर सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी।
5. 29 नवंबर 2022 को सरकार ने विधानसभा के सदन में विधेयक पेश किया।
6. 30 नवंबर 2022 को सरकार ने विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कराकर राजभवन भेजा।
7. 10 जनवरी 2022 को राज्यपाल ने विधेयक को मंजूरी दे दी।

42वें इंडियन नेशनल कार्टाेग्राफिक एसोसिएशन में इंडियन नेवी बैंड ने बांधा समा

इंडियन नेशनल कार्टोग्राफिक एसोसिएशन (INCA) की 42वीं अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन राष्ट्रीय जल सर्वेक्षण कार्यालय (NHO), देहरादून द्वारा 09 से 11 नवंबर 22 तक किया जा रहा है। आज बुधवार 9 नवम्बर 2022 को INCA के इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित उत्तराखंड के राज्यपाल महामहिम लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह, (सेवानिवृत्त) द्वारा उद्घाटन किया गया। एक ओर जहाँ उत्तराखण्ड वासियों में राज्य स्थापना दिवस का उत्साह एवं खुशियाँ थी, वहीं देवभूमि की इस धरा पर आज ही के दिन राष्ट्रीय जल सर्वेक्षण कार्यालय द्वारा एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कराया जाना बहुत ही गौरवशाली है। भारत सरकार के मुख्य जल सर्वेक्षक (Chief Hydrographer to the Govt . of India) वाइस एडमिरल अधीर अरोड़ा, NM इंडियन नेशनल कार्टोग्राफिक एसोसिएशन (INCA) के वर्तमान अध्यक्ष हैं। वर्ष 1979 में INCA के स्थापना के बाद से ही राष्ट्रीय जल सर्वेक्षण विभाग (NHD) के अधिकारी एवं कर्मचारी कार्टोग्राफी के क्षेत्र में सक्रियतापूर्वक बेहतरीन काम करते आ रहे हैं। इससे पहले राष्ट्रीय जल सर्वेक्षण कार्यालय (NHO) ने 01 से 03 नवंबर 2017 तक देहरादून में 37वीं INCA सम्मलेन का आयोजन किया था।

इंडियन नेशनल कार्टोग्राफिक एसोसिएशन (INCA) की स्थापना 1979 में हुई थी और यह कार्टोग्राफी के क्षेत्र में 3000 से अधिक सदस्यों के साथ सबसे बड़े संगठनों में से एक के रूप में विकसित हुआ है। नेशनल हाइड्रोग्राफिक ऑफिस (NHO), सर्वे ऑफ इंडिया, इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन, नेशनल थीमैटिक मैप ऑर्गनाइजेशन एवं सामान पेशा वाले अन्य कई संसथान तथा यूनिवर्सिटीज जैसे संगठन इस एसोसिएशन का हिस्सा हैं। कार्टोग्राफी के विभिन्न पहलुओं में सामंजस्य स्थापित करने के लिए देश भर के विभिन्न केंद्रों में इसकी विभिन्न शाखायें कार्यरत हैं। यह बड़े गर्व की बात है कि कई मानचित्रकार, प्रख्यात वैज्ञानिक, योजनाकार और पेशेवर वर्षों से अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग ले रहे हैं।

मोनिका ओह माय डार्लिंग पर इंडियन नेवी बैंड का जबरदस्त परफॉर्मेंस
भारतीय जवानों को 1967 की फिल्म कारवां का मशहूर सॉन्ग पिया तू अब तो आजा… मोनिका, ओह माय डार्लिंग की धुन बजाते हुए जबरदस्त परफॉर्मेंस दी। उत्तराखंड में पहली बार इंडियन नेवी बैंड ने प्रस्तुति दी। राष्ट्रीय जल सर्वेक्षण परिसर में सर्द मौसम के वाबजूद बड़ी संख्या में मौजूद दर्शकों की मौजूदगी में शाम के समय इंडियन नेवी बैंड द्वारा संगीतमय अपनी प्रस्तुति दी गई। उत्तराखंड में पहली बार प्रस्तुति दे रहे इंडियन नेवी बैंड ने शाम 7 से बजे से संगीतमय प्रस्तुति शुरू कर माहौल को खुशनुमा बनाकर मौजूद हर शख्स को झूमने पर मजबूर कर दिया। लगभग 1 घंटे की प्रस्तुति में नेवी बैंड ने अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय, सेना व बॉलीबुड के कई गीतों पर पहनी शानदार प्रस्तुति दी।

INCA के इस 42वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की मुख्य थीम ‘डिजिटल कार्टोग्राफी टू हार्नेस ब्लू इकोनॉमी (Digital Cartography to Harness Blue Economy)’ है। सम्मलेन के विचार-विमर्श को 7 उप-विषयों में विभाजित किया जायेगा। ये 7 उप-विषय हैं : मानचित्रण के लिए स्पेस टेक्नोलॉजीज (Space Technologies for Mapping), सतत विकास के लिए कार्टोग्राफिक एप्लिकेशन (Cartographic Applications for Sustainable Development), आपदा प्रबंधन में जियोमैटिक्स (Geomatics in Disaster Management), पर्यावरण योजना और प्रबंधन के लिए मैपिंग (Mapping for Environmental Planning & Management), आरएस और जीआईएस का उपयोग करके प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन एवं मानचित्रण (Natural Resourses Management and Mapping using RS and GIS), संसाधन प्रबंधन के लिए हाइड्रोग्राफी (Hydrography for Resourses Management and Mapping using RS and GIS) एवं भूमि संसाधन मानचित्रण एवं सर्वेक्षण (Land Resourse Mapping and Surveying) सभी विषय मानचित्रकार और वैज्ञानिक समुदाय के लिए समकालीन रुचि के हैं। क्षेत्र में प्रतिष्ठित कर्मियों द्वारा इन विषयों पर बड़ी संख्या में पेपर प्रस्तुत किए जाएंगे। कांग्रेस का परिणाम विकासात्मक उद्देश्यों के लिए कार्टोग्राफी को एक उपकरण के रूप में उपयोग करने की व्यवहार्यता का पता लगाना है।

इंडियन नेशनल कार्टोग्राफिक एसोसिएशन (INCA) की 42वीं अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भारत के महासर्वेक्षक सुनील कुमार (संयुक्त सचिव) डीएसटी, संयुक्त मुख्य हाइड्रोग्राफर Rear Admiral लोचन सिंह पठानिया, निदेशक NATMO और प्रमुख वैज्ञानिक इसरो, एसईआरबी, आईआईआरएस, एनआरएसए, एनएटीएमओ के अतिरिक्त चंडीगढ़ विश्वविद्यालय, शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय, जाधवपुर विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के शिक्षाविद आदि शामिल होंगे।

वंदे मातरम ट्रेनिंग एजुकेशन फाउंडेशन के सदस्यों ने की राज्यपाल से मुलाकात

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) से वंदे मातरम ट्रेनिंग एजुकेशन फाउंडेशन के अध्यक्ष राजेश प्रसाद सेमवाल व रविंद्र जुगरान ने राजभवन में मुलाकात की। राजेश प्रसाद सेमवाल पूर्व सैनिक हैं तथा उत्तरकाशी एवं टिहरी जिले के स्थानीय युवाओं को स्वयं के खर्चे पर सेना में भर्ती का प्रशिक्षण व प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए निःशुल्क कोचिंग दे रहे हैं। उनके फाउंडेशन द्वारा प्रशिक्षित 55 युवाओं का चयन सेना में हुआ है। उन्होंने 35 ग्रामों को नशा मुक्त किया है। साथ ही उनके द्वारा कई बालिकाओं को सेना में भर्ती हेतु निःशुल्क कोचिंग व शारीरिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

राज्यपाल ने सेमवाल द्वारा निःस्वार्थ भाव से किए जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए उन्हें हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि संस्था द्वारा नशा मुक्ति अभियान, युवाओं को सेना भर्ती व प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराई जा रही है जो सराहनीय है। उन्होंने कहा की उत्तराखंड के युवा बेहद सशक्त हैं, उन्हें केवल दिशा दिखाने जरूरत है। उन्होंने कहा की इस अभियान से पूर्व सैनिकों, रेडक्रॉस व स्थानीय प्रशासन को भी जोड़ा जाए।

नौ सेना दिवस पर स्मारिका का विमोचन

नौ सेना दिवस के अवसर पर राजपुर रोड स्थित राष्ट्रीय जल सर्वेक्षण कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि.) गुरमीत सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी कार्यक्रम में मौजूद थे। इस दौरान राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री ने “इंडियन लिस्ट ऑफ रेडियो सिग्नल्स” स्मारिका के पांचवें संस्करण का संयुक्त रूप से विमोचन किया और नौ सेना की प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया।
इस अवसर पर चीफ हाइड्रोग्राफर (भारत सरकार) वॉइस एडमिरल अधीर अरोड़ा (नौसेना मेडल), ज्वाइंट हाइड्रोग्राफर रियल एडमिरल लोचन सिंह, डीजीपी अशोक कुमार सहित अन्य सैन्य अधिकारी एवं गणमान्य लोग उपस्थित थे।