मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्व विद्यालय, श्रीनगर के स्थापना दिवस और स्वर्ण जयंती कार्यक्रम में वर्चुअल प्रतिभाग करते हुए विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती समारोह की सभी को शुभकामना दी। उन्होंने हिमालय पुत्र स्वर्गीय हेमवती नन्दन बहुगुणा का स्मरण करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय उनकी विकासवादी सोच का परिणाम है। विश्वविद्यालय पिछले पांच दशकों से स्व. बहुगुणा के विकास के सपने को साकार करने हेतु प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि पचास वर्षों से विश्वविद्यालय अपने दायित्वों का बखूबी निर्वहन कर रहा है, इसी का परिणाम है कि 2009 में इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में मान्यता मिली।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह विश्वविद्यालय शिक्षा एवं शोध के क्षेत्र में नित नए आयाम स्थापित कर रहा है। विश्वविद्यालय द्वारा अर्जित किए गए विभिन्न रिकॉर्ड विश्वविद्यालय के कुशल नेतृत्व और विश्वविद्यालय के शैक्षणिक, गैर शैक्षणिक कर्मचारियों के अथक परिश्रम का प्रतिफल है। विश्वविद्यालय के शिक्षक प्रशिक्षण के माध्यम से लोगों को कृषि, मोटे अनाज के उत्पादन, पर्यावरण, आर्थिकी, संस्कृति, स्थानीय भाषा, के क्षेत्र में कुशल एवं जागरूक भी बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के शैक्षणिक प्रयास कुछ मामलों में अत्यंत विशेष हैं। लगभग 13 हजार फुट की ऊँचाई पर स्थित तुंगनाथ में यह विश्वविद्यालय अपने अथक प्रयासों से एक शोध विस्तारण केन्द्र को संचालित कर रहा है, जिसके अन्तर्गत उच्च हिमालयी दुर्लभ प्रजाति के अनेक औषधीय तथा सगंध पादपों पर शोध किया जाता है। यह कार्य शोध, आयुर्वेद एवं चिकित्सा के साथ ही यहां की आर्थिकी के विकास में भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय ने अपने विशिष्ट प्रयासों से जनसामान्य के लिए इस क्षेत्र की धरोहरों को संग्रहित, संरक्षित एवं प्रदर्शित करने के उद्देश्य से एक पुरातात्त्विक संग्रहालय की स्थापना भी की है, यह अत्यंत सराहनीय कार्य है। आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में संपूर्ण विश्व न केवल हमारी शक्ति और ज्ञान परंपरा से परिचित हो रहा है बल्कि प्रत्येक क्षेत्र में हमारा अनुसरण करने को भी तत्पर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ’‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत‘’ के स्वप्न को साकार करने हेतु उत्तराखंड में डबल इंजन की सरकार निरंतर कार्य कर रही है। देहरादून में सांइस सिटी का निर्माण, हल्द्वानी में देश के पहले एस्ट्रो पार्क का निर्माण, अल्मोड़ा में सांइस सेंटर का निर्माण इसके कुछ विशिष्ट उदाहरण हैं। प्रधानमंत्री की प्रेरणा से राज्य सरकार भी प्रदेश के सर्वांगीण विकास की दिशा में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय ले रही है।
इस अवसर पर वर्चुअल माध्यम से विधायक विनोद कण्डारी, कुलपति हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्व विद्यालय, प्रो.अन्नपूर्णा नौटियाल, निदेशक जी.बी.पन्त राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान प्रो. सुनील नौटियाल, कुलपति नार्थ ईस्ट सेंट्रल वि.वि. डॉ. प्रभा शंकर शुक्ला एवं अन्य गणमान्य उपस्थित थे।
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अखंड ज्ञान के लिए नई शिक्षा नीति हैं विशिष्टः प्रो. अन्न्पूर्णा
अखंड ज्ञान प्राप्ति हेतु सीमाएँ समाप्त करने के लिए नई शिक्षा नीति विशिष्ट है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में परिकल्पनात्मक और लचीलेपन से युक्त बहुपक्षीय नवाचार प्रमुख है। भाषा समेकीकरण का एक बड़ा माध्यम है। जर्मनी, जापान, चीन, कोरिया और इजराइल आदि जैसे देश मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करते हैं। भारतवर्ष एक बहुभाषीय देश है इस दृष्टि से भारतवर्ष में मातृभाषा में शिक्षा एक चुनौती है। इसके लिए अलग-अलग भाषाओं में पाठ्यक्रम तैयार करना और उसके अनुसार शिक्षण पद्धति में परिवर्तन करने का एक बड़ा दायित्व आधुनिक युवा शिक्षाविदों पर है। यह बात प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल, कुलपति, हे.न.ब. गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर गढवाल, उत्तराखण्ड तथा सदस्या, न्यू एजुकेशन इम्प्लीमंेटेशन कमिटी द्वारा मुख्य अतिथि के रूप में कही गयी।
उन्होंने यह भी कहा कि मल्टीडिसिप्लीनेरी रिसर्च यूनिवर्सिटी (मेरू) नवाचार युक्त शोध के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य करने जा रही है। प्रो. नौटियाल भारत सरकार के पण्डित मदन मोहन मालवीय नेशनल मिशन ऑन टीचर्स एवं टीचिंग के अन्तर्गत परिचालित फेकल्टी डेवेलपमेंट सेंटर द्वारा दिनांक 12 से 25 मार्च, 2021 तक ‘पेडागॉजिकल टेक्निक्स एंड रिसर्च मैथोडोलॉजी‘ विषय पर चलने वाले रिफ्रैशर कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रही थी।
डॉ विकास दवे, निदेशक, साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश ने मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए कौशल विकास, रचनात्मकता और मनोवैज्ञानिक तैयारी नई शिक्षा नीति के सर्वाधिक प्रभावी कदम हैं। नई शिक्षा नीति की चर्चा करते हुए उन्होंने शिक्षापद्धति के सम्बन्ध में जनसामान्य को भी चिंतन की आवश्यकता पर बल दिया। शिक्षा का मनोवैज्ञानिक विवेचन प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि प्रस्तावित नई शिक्षा नीति मंे ऐसी व्यवस्था की गयी है कि इससे बच्चों में निराशा नहीं आयेगी और वे जीवन की कठिन से कठिन परिस्थिति का सामना करते हुए स्वयं, देश और समाज की उन्नति में सहभागी बन सकें। उन्हांेने कहा कि नैतिक मूल्यों की गिरावट को रोकने और नैतिक उन्नयन हेतु अध्यापकों को ही प्रयास करना होगा।
शिक्षकों को लक्ष्य के प्रति एकाग्रता, समर्पण, टीमवर्क तथा अच्छे प्रशिक्षण की आवश्यकता है। भारतवर्ष को पुनः विश्वगुरु बनाने के लिए भारतीय शिक्षा पद्धति महत्त्वपूर्ण है और इससे ही आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना चरितार्थ हो सकेगी।
फेकल्टी डेवेलपमेंट सेन्टर की निदेशक प्रो0 इन्दु पाण्डेय खण्डूड़ी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए इस रिफ्रैशर कोर्स की विषयवस्तु पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम ‘पेडागॉजी एण्ड रिसर्च मैथोडॉलॉजी‘ में समाहित शिक्षाशास्त्रीय पद्धतियों और शोध प्रविधियों के विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर केन्द्रित होगा। पूरे देश के विभिन्न संस्थानों से लगभग 18 शिक्षाविद् इन प्रतिभागियों को ऑनलाइन प्रशिक्षण देेंगे। प्रो खण्डूड़ी ने बताया कि दो सप्ताह तक ऑनलाइन चलने वाले इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में केरल, महाराष्ट्र, नई दिल्ली, उड़ीसा, बिहार, उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखण्ड जैसे 7 राज्यों के विभिन्न उच्चशिक्षण संस्थानों के 51 शिक्षक प्रतिभागी ऑनलाइन प्रतिभाग कर रहे हैं।
सत्र का संचालन डॉ0 सोमेश थपलियाल, एसिस्टेंट डायरेक्टर, फेकल्टी डेवेलपमेंट संेटर ने किया। डॉ. कविता भट्ट, रिसर्च एसोसिएट ने अतिथियों का परिचय करवाया तथा डॉ. राहुलकुँवर सिंह, एसिस्टेंट डायरेक्टर ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियो का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम के दौरान पारुल, बलवीर, जगदम्बा तथा रामेश्वरी इत्यादि भी उपस्थित रहे।
गढ़वाल विवि का परीक्षा कार्यक्रम जारी
गढ़वाल विवि में 19 सितंबर से स्नातक, स्नातकोत्तर और व्यवसायिक पाठ्यक्रमों की अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाएं शुरू होंगी। विवि के अनुसार, नए कार्यक्रम के तहत परीक्षा कार्यक्रम विवि की वेबसाइट में अपलोड कर दिया गया है।
एमएचआरडी (मानव संसाधन विकास मंत्रालय) और यूजीसी ने सभी विवि को 30 सितंबर तक परीक्षा कराने के निर्देश दिए हैं। पूर्व में विवि की ओर से एक सितंबर और 10 सितंबर से परीक्षा शुरू कराने का निर्णय लिया गया था, लेकिन परीक्षा बार-बार टालनी पड़ी।
अब विवि ने एक बार फिर नई तिथि तय की है। विवि के परीक्षा नियंत्रक प्रो. आरसी भट्ट ने बताया कि विवि के परिसरों और संबद्ध शिक्षण संस्थानों में 19 सितंबर से बीए, बीएससी, बीकॉम, बीपीएड के अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाएं शुरू होेंगी।
परीक्षा तिथियां
एलएलबी – 20 से 26 सितंबर
बीएध्बीएससी – 19 सितंबर से 9 अक्तूबर
एमससी – 19 से 3 अक्तूबर
एमकॉम- 20 से 3 अक्तूबर
एमए- 28 से 10 अक्तूबर
नेट – 16 से 25 सितंबर
बीफार्मा – 19 से 29 सितंबर
एमबीए- 20 से 30 सितंबर
जर्नलिज्म एंड मॉस कम्युनिकेशन – 19 से 27 सितंबर
बीसीए, बीएससी (आईटी) और बीएससी (सीएस) – 19 से 27 सितंबर
एमएससी (आईटी) व एमएससी (सीएस) की परीक्षा- 19 से 1 अक्तूूबर