पुस्तक ‘भारतीय हिमालय क्षेत्र एक सतत भविष्य की ओर’ का हुआ विमोचन

नीति आयोग, भारत सरकार द्वारा जी.बी. पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, अल्मोड़ा और अन्तरराष्ट्रीय एकीकृत पर्वतीय विकास केन्द्र के साथ राजपुर रोड स्थित होटल में ‘स्प्रिंगशेड प्रबंधन एवं जलवायु अनुकूलनः भारतीय हिमालयी क्षेत्र में सतत विकास के लिए रणनीतियां विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर हे.न. बहुगुणा विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल द्वारा लिखित पुस्तक ‘भारतीय हिमालय क्षेत्र एक सतत भविष्य की ओर’ का विमोचन किया गया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग करते हुए कहा कि इस कार्यशाला से जहां भारतीय हिमालयी क्षेत्र में जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने के प्रयासों को बल मिलेगा, वहीं जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए कार्ययोजना बनेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार स्प्रिंग शेड मैनेजमेंट और जलवायु संरक्षण की दिशा में प्राथमिकता से कार्य कर रही है। पर्यावरण संतुलन और जैव विविधता बनाये रखने के लिए इकोनॉमी और इकोलॉजी के बीच समन्वय बनाकर कार्य किये जा रहे हैं। राज्य में जी.डी.पी की तर्ज पर जी.ई.पी इंडेक्स तैयार कर जल, वन, भूमि और पर्वतों के पर्यावरणीय योगदान के आकलन के प्रयास किये गये हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड देश का एक महत्वपूर्ण वाटर टावर भी है। यहां के ग्लेशियर पानी के अविरल स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिकी संकट से समस्याओं के समाधान के लिए राज्य में अनेक कार्य किये जा रहे हैं। जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए राज्य में ‘स्प्रिंग एण्ड रिवर रिजुविनेशन अथॉरिटी’ का गठन किया गया है। इसके तहत 5500 जमीनी जलीय स्रोतों तथा 292 सहायक नदियों का चिन्हीकरण कर उपचार किया जा रहा है। हरेला पर्व पर राज्य में व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण किया गया। अमृत सरोवर योजना के तहत राज्य में 1092 अमृत सरोवरों का निर्माण किया जा चुका है। मुख्यमंत्री ने कहा कि नदी जोड़ो परियोजना के तहत पिडंर को कोसी, गगास, गोमती और गरूड़ नदी से जोड़ने का अनुरोध नीति आयोग से किया गया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह कार्यशाला उत्तराखण्ड ही नहीं बल्कि देश के पर्वतीय क्षेत्रों के प्राकृतिक जल स्रोतों के वैज्ञानिक पुनर्जीवीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण पहल साबित होगी।

उपाध्यक्ष नीति आयोग सुमन के. बेरी ने हिमालयी राज्यों में खाली हो रहे गांवों को फिर से पुनर्जीवन दिए जाने के लिए बाहर बस गए लोगों को अपने गांवों में वापस लाने के लिए जागरूक करने पर जोर दिया। उन्होंने इसके लिए वाईब्रेंट विलेज योजना को गंभीरता से लेते हुए, ऐसे गांवों में रोजगार और मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने की बात कही। उन्होंने नीति आयोग के अध्यक्ष एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने के लिए विज्ञान, सामुदायिक सहभागिता एवं महिलाओं को सशक्तिकरण पर विशेष बल दिए जाने की बात कही। इसके लिए उन्होंने ब्रॉडबैंड सेवा के विस्तार, इन्टरनेट कनेक्टिविटी बढ़ाये जाने पर बल दिया।

सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की वजह से प्राकृतिक जल स्रोतों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। उत्तराखण्ड की परंपरा में जल स्रोतों को पवित्र माना जाता है और इनकी पूजा की जाती है। जल के महत्व को ध्यान में रखते हुए इसके संरक्षण के लिए सबको सामुहिक प्रयास करने होंगे।

इस अवसर पर नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. सारस्वत, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, नीति आयोग के सलाहकार सुरेन्द्र मेहरा, प्रमुख वन संरक्षक धनंजय मोहन, उप निदेशक आईसीआईएमओडी इजाबेल, निदेशक एनआईएचई प्रो. सुनील नौटियाल उपस्थित थे।

सीएम ने सतत विकास लक्ष्य हस्ताक्षर अभियान का किया शुभारंभ

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सतत विकास लक्ष्यों की 7वीं वर्षगांठ के अवसर पर सतत् विकास लक्ष्य हस्ताक्षर अभियान का शुभारम्भ किया एवं एस.डी.जी से संबंधित वीडियो का विमोचन किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि 2030 तक इन 17 सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विभागों को रौडमैप के हिसाब से निरंतर आगे बढ़ना होगा। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए जन भागीदारी भी महत्वपूर्ण है। जन सहयोग एवं सामाजिक संस्थाओं एवं विभिन्न संस्थानों का भी पूरा सहयोग लिया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय संतुलन के साथ समावेशी विकास जरूरी है। उन्होंने कहा कि सतत् विकास लक्ष्यों में उत्तराखण्ड की रैंकिंग में सुधार हुआ है, लेकिन प्रदेश को प्रथम स्थान पर लाने के लिए और प्रयासों की जरूरत है। 2018 में उत्तराखण्ड सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में 10वें स्थान पर था, जबकि अभी राज्य चौथे स्थान पर है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड के पास प्राकृतिक संपदाओं का भण्डार है। इन प्राकृतिक संपदाओं का बेहतर तरीके से सदुपयोग करना होगा। उद्योगों के क्षेत्र में भी उत्तराखण्ड में अपार संभावनाएं हैं।

सतत् विकास लक्ष्य 2030 तक गरीबी के सभी रूपों को समाप्त करने के लिए एक साहसिक एवं सार्वभौमिक समझौता है जो सबके लिए एक समान, न्यायपूर्ण और सुरक्षित विश्व की रचना करेगा। इसके लिए 17 सतत विकास लक्ष्य रखे गये हैं। भुखमरी समाप्त करना, खाद्य सुरक्षा और बेहतर पोषण हासिल करना तथा सतत कृषि को बढ़ावा देना। स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करना और सभी के लिए आजीवन तंदुरुस्ती को बढ़ावा देना। समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना और सभी के लिए आजीवन शिक्षा-प्राप्ति के अवसरों को बढ़ावा देना। लैंगिक समानता हासिल करना और सभी महिलाओं और बालिकाओं का सशक्तिकरण करना। सभी के लिए जल और स्वच्छता की उपलब्धता और सतत प्रबंधन सुनिश्चित करना। सभी के लिए किफायती, भरोसेमंद, सतत और आधुनिक ऊर्जा की उपलब्धता सुनिश्चित करना। सभी के लिए सतत, समावेशी और संधारणीय आर्थिक विकास, पूर्ण और लाभकारी रोजगार और उचित कार्य को बढ़ावा देना। समुत्थानशील अवसंरचना का निर्माण करना, समावेशी और संधारणीय औद्योगीकरण को बढ़ावा देना और नवोन्मेष को प्रोत्साहित करना।

राष्ट्रों के अंदर और उनके बीच असमानता को कम करना। शहरों और मानव बस्तियों को समावेशी, सुरक्षित, समुत्थानशील और संधारणीय बनाना। सतत उपभोग और उत्पादन पैटर्न सुनिश्चित करना। जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों से निपटने के लिए तात्कालिक कार्रवाई करना। सतत विकास के लिए महासागरों, समुद्रों और समुद्रीय संसाधनों का संरक्षण करना और इनका संधारणीय तरीके से उपयोग करना। स्थलीय पारिस्थिकी-तंत्रों का संरक्षण और पुनरुद्धार करना और इनके सतत उपयोग को बढ़ावा देना, वनों का सतत तरीके से प्रबंधन करना, मरुस्थल-रोधी उपाय करना, भूमि अवक्रमण को रोकना और प्रतिवर्तित करना और जैव-विविधता की हानि को रोकना। सतत विकास के लिए शांतिपूर्ण और समावेशी सोसाइटियों को बढ़ावा देना, सभी को न्याय उपलब्ध कराना तथा सभी स्तरों पर कारगर जवाबदेह और समावेशी संस्थाओं का निर्माण करना एवं कार्यान्वयन के उपायों का सुदृढ़ीकरण करना और सतत विकास के लिए वैश्विक भागीदारी का पुनरुद्धार करना शामिल है।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव आर.मीनाक्षी सुदंरम, अरविन्द सिंह ह्यांकी, डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, एडिशन सीईओ सीपीपीजीजी डॉ. मनोज पंत उपस्थित थे।