मुख्यमंत्री का लोकतंत्र सेनानियों के परिजनों ने जताया आभार

लोकतंत्र सेनानी आश्रित संघ उत्तराखंड ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार जताया है। लोकतंत्र सेनानियों की विधवा पत्नी एवं विधुर पति को भी लोकतंत्र सेनानी सम्मान पेंशन दिए जाने के आदेश पर खुशी जताई।

संयोजक दयाशंकर पांडेय ने सीएम धामी को लिखे पत्र में कहा कि लोकतंत्र सेनानी आश्रित संघ पिछले छह साल से उत्तराखंड में अपनी मांग को लेकर प्रयासरत था। जीवित लोकतंत्र सेनानियों को 2018 से सम्मान पेंशन का लाभ मिल रहा था, लेकिन दिवंगत लोकतंत्र सेनानियों के आश्रितों को लाभ नहीं मिल रहा था। उन्होंने कहा कि संगठन की ओर से मुख्यमंत्री के समक्ष मामला लाया गया। इसमें बताया गया कि जीवित लोकतंत्र सेनानियों की संख्या कम रह गई है।

ऐसे में सभी लोकतंत्र सेनानियों के परिवारों को पेंशन नहीं मिल पा रही है। इस पर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सकारात्मक निर्णय लेने का आश्वासन दिया था। राज्य में भाजपा सरकार के एक वर्ष पूर्ण होने पर उन्होंने इसकी घोषणा की। बेहद कम समय में ही घोषणा को मूर्त रूप देते हुए शासनादेश जारी हो गया है। आपातकाल का दंश झेल चुके इन परिवारों ने बेहद कठिन समय में लोकतंत्र को जिंदा रखने में अपना योगदान दिया है। उम्मीद है कि प्रदेश में सभी लोकतंत्र सेनानी जो पूर्व में इससे वंचित रह गये थे, अब लाभ उठा सकेंगे। पांडे ने कहा कि सीएम धामी ने संघ और भाजपा के नींव के पत्थरों को सम्मान देकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की घोषणा का मान बढ़ाया है।

इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाकर घोंटा था लोकतंत्र का गलाः डा. प्रेमचंद

इंदिरा गांधी द्वारा 1975 में 25 जून को लगाये गए आपातकाल को काला अध्याय के रूप में याद किया जाता रहेगा। यह बात आपातकाल की 47वीं वर्षगांठ पर आयोजित विधानसभा स्तर के कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री व क्षेत्रीय विधायक डा. प्रेमचंद अग्रवाल ने कही। इस मोके पर आंदोलन में जेल जाने वाले लोकतंत्र सेनानियों के आश्रितों को सम्मानित किया गया।

आवास विकास स्थित सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज में आपातकालीन की बरसी पर विधानसभा स्तर पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर मंत्री डा. अग्रवाल ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी के शासन के दौरान 1975 में लगा आपातकाल काले अध्याय से कम नहीं था। इस दौरान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचला गया। आपातकाल के दौरान पूरे देश में लोकतांत्रित तरीके से आंदोलन हुए।

डा. अग्रवाल ने कहा कि इस वक्त सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग भी किया गया। डा. अग्रवाल ने कहा कि उनके परिवार ने भी अनेक यातनाएं सही और जेल की हवा भी खाई। बताया कि बड़े भाई ताराचंद ने इंदिरा गांधी को पत्र भेजकर उनके द्वारा किये जा रहे कार्याे को गलत ठहराया था। कहा कि जेल में आपातकाल के दौरान पकड़े गए लोगों को सामान्य कैदी की तरह ही रखा जाता था। उन्हें कीड़े लगे चावल और पानी वाली दाल मिलती थी।

डा. अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस ने उस समय अपनी सत्ता बचाने और राजनीति स्वार्थ पूरा करने के लिए लोकतंत्र की हत्या देश में आपातकाल लगाकर की थी। कहा कि आपातकाल की नींव 12 जून 1975 को ही रख दी गई थी। इस दिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को रायबरेली के चुनाव अभियान में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने का दोषी पाया था और उनके चुनाव को खारिज कर दिया था। इतना ही नहीं, इंदिरा पर छह साल तक चुनाव लड़ने पर और किसी भी तरह के पद संभालने पर रोक भी लगा दी गई थी। जब 25 जून 1975 की आधी रात इमरजेंसी लागू की गई थी जनता के सारे अधिकार छिन गए थे।

डा. अग्रवाल ने बताया कि आपातकाल में जयप्रकाश नारायण की अगुवाई में पूरा विपक्ष एकजुट हो गया और देशभर में इंदिरा के खिलाफ आंदोलन शुरू हुआ। सरकारी मशीनरी विपक्ष के आंदोलन को कुचलने में लग गई थी। आंदोलनकारियों को जेल में डाला जाने लगा। 21 मार्च 1977 तक देश आपातकाल में पिसता रहा।

इस मौके पर लोकतंत्र सैनानियों व उनके आश्रितों को पुष्पमाला पहनाकर सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वालों आश्रितों में बृजेश चंद शर्मा, दया शंकर पांडेय, भारतेंदु शंकर पांडेय शामिल रहे।

इस मौके पर प्रदेश प्रवक्ता मयंक गुप्ता, मेयर अनिता ममगाई, देवेंद्र दत्त सकलानी, मण्डल अध्यक्ष ऋषिकेश दिनेश सती, मण्डल अध्यक्ष वीरभद्र अरविंद चौधरी, मण्डल अध्यक्ष महिला मोर्चा उषा जोशी, प्रधानाचार्य राजेन्द्र पांडेय, कपिल गुप्ता, संजय शास्त्री, सुमित पंवार, जयंत शर्मा, व्यापारी नेता प्रतीक कालिया, पार्षद प्रदीप कोहली, विजेंद्र मोघा, सोनू प्रभाकर, लक्ष्मी रावत, सुंदरी कंडवाल, तनु तेवतिया, राकेश पारछा, अनिता तिवाड़ी, माधवी गुप्ता, प्रमिला त्रिवेदी, आरती दुबे, नितिन सक्सेना, रुपेश गुप्ता, राजू शर्मा सहित आदि भाजपा कार्यकर्ता मौजूद रहे।