पाठ्यक्रम में शामिल की जायेगी हमारी विरासत पुस्तक-शिक्षा मंत्री

स्कूलों में बच्चों के भारी-भरकम बस्तों का बोझ कम करने के लिये राज्य में संचालित सभी शिक्षा बोर्ड के साथ विचार-विमार्श कर कोई तरीका निकाला जायेगा, जिससे बच्चों के बस्ते का बोझ कम किया जा सके। इसी के साथ स्कूली बच्चों का तनाव कम करने के उद्देश्य से माह में एक दिन बैग फ्री डे निर्धारित करते हुये उनसे स्कूलों में अन्य गतिविधियां कराई जा सकती है।
यह बात शिक्षा मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने आज देहरादून के एक निजी होटल में उत्तराखंड अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण निदेशालय एवं एससीईआरटी द्वारा आयोजितएनईपी-2020 के क्रियान्वयन एवं शैक्षणिक गुणवत्ता संवर्द्धन विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि कही। डॉ0 रावत ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में स्कूली बच्चों के बस्तों का बोझ उनके वजन से भी ज्यादा बढ़ गया है, जिसको कम करना उनके सर्वांगीण विकास के लिये आवश्यक हो गया है। उन्होंने कहा कि राज्य में संचालित सभी शिक्षा बोर्डों के अधिकारियों एवं शिक्षाविदों के साथ विचार-विमर्श कर बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने का कोई नया तरीका निकालना होगा। इसके लिये चाहे बच्चों के पाठ्यक्रम को त्रिमासिक एवं अर्द्धवार्षिक के हिसाब से बांटते हुये पाठ्य पुस्तकों एवं नोट बुक्स का चयन भी किया जा सकता है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि बच्चे कई बार लगातार पढ़ाई से ऊब जाते हैं जिससे वह तनाव में आ जाते हैं। उनकी इस समस्या को दूर करने के लिये माह में एक दिन को बैग फ्री डे निर्धारित करते हुये उस दिन बच्चों से केवल खेल-कूद, वाद-विवाद प्रतियोगिता, कृषि कार्य, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ ही अन्य कौशल विकास से संबंधी गतिविधियां कराई जा सकती है। उन्होंने कार्यशाला में मौजूद विभागीय अधिकारियों से राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत भारतीय ज्ञान परम्परा पर आधारित विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल करने तथा हमारी विरासत पुस्तक नाम से एक पाठ्य पुस्तक तैयार करने को कहा ताकि बच्चों को अपने जनपद, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर की विरासत एवं इतिहास पुरूषों के बारे में जानकारी मिल सके। उन्होंने कार्यशाला में आये उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, विद्या भारती एवं नेफा नई दिल्ली से आये शिक्षा अधिकारियों एवं विषय विशेषज्ञों का स्वागत करते हुये उनके राज्य में एनईपी पर किये गये कार्यों के प्रस्तुतिकरण के लिये आभार जताया। डॉ0 रावत ने कहा कि एनईपी के अंतर्गत किये गये कार्यों के साथ करने से सभी राज्यों को एक-दूसरे से कुछ नया सीखने को मिलेगा। शिक्षा मंत्री ने कहा कि निकट भविष्य में राज्य में संचालित विभिन्न बोर्डों के साथ टीचिंग शेयरिंग को लेकर अनुबंध किया जायेगा ताकि अच्छे शिक्षकों को एक-दूसरे बोर्ड के स्कूलों में शिक्षण कार्य के लिये बुलाया जा सकेगा, जिसका फायदा छात्र-छात्राओं को मिलेगा। कार्यशाला में शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रदेश के स्कूलों में 220 दिन अनिवार्य रूप से पठन-पाठन किया जायेगा, इसके लिये उन्होंने अधिकारियों को नवीन शैक्षिणिक सत्र शुरू होने से पूर्व पूरी कार्ययोजना तैयार कर शैक्षिक कैलेंडर बनाने के निर्देश दिये। साथ ही उन्होंने भविष्य में स्कूली बच्चों को जुलूस-प्रदर्शनों एवं विभाग से इतर अन्य गतिविधियों में शामिल ने किये जाने के निर्देश दिये।
कार्यशाला में सचिव विद्यालयी शिक्षा रविनाथ रमन ने कहा कि राज्य में एनईपी-2020 को लेकर जनपदों में भी कार्याशालाओं का आयोजन किया जायेगा। उन्होंने कहा कि राज्य के 4500 से अधिक प्री-प्राइमरी पाठशालाओ एवं आंगनबाडी केन्द्रों में एनईपी लागू कर ली गई है, अन्य कक्षाओं में भी धीरे-धीरे इसे लागू किया जायेगा।
कार्यशाला में गुजरात से आये आसिफ सामंत एवं कल्पेश कुमार द्वारा नवाचार के अंतर्गत सूचना और तकनीकी का समन्वयन विषय पर प्रस्तुतिकरण दिया। जिसमें बताया गया कि गुजरात में विद्यार्थियों तथा शिक्षकों की ऑनलाइन उपस्थिति, छात्रों का ऑनलाइन मूल्यांकन एवं प्रत्येक छात्र की यूनिक पहचान संख्या के द्वारा ऑन लाइन अनुश्रवण किया जाता है। इसी क्रम में एनसीईआरटी नई दिल्ली से प्रो0 इन्द्राणी भादुडी ने ग्रेड थ्री से कक्षा-12 तक बच्चों का समग्र मूल्यांकन पर प्रस्तुतिकरण दिया। जिसमें उन्होंने बताया कि बच्चों का सम्पूर्ण मूल्यांकन 360 डिग्री प्रगति कार्ड तैयार कर अभिभावक, छात्र तथा शिक्षकों के लिये शैक्षणिक प्रगति के साथ ही उनके स्वास्थ्य, अभिरूचि मूल्यों तथा जिज्ञासों का आंकलन किया जाता है।
कार्यशाला में विधायक लैंसडाउन दीलीप रावत, सचिव विद्यालयी शिक्षा रविनाथ रमन, महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी, निदेशक माध्यमिक शिक्षा एवं सीमैट सीमा जौनसारी, निदेशक प्राथमिक शिक्षा वंदना गर्ब्याल, अपर निदेशक राम कृष्ण उनियाल, अपर निदेशक माध्यमिक गढ़वाल महावीर सिंह बिष्ट, विरेन्द्र सिंह रावत, एस0पी0 खाली, डॉ0 आर0डी0 शर्मा, अजय नौडियाल, संयुक्त निदेशक दिनेश चन्द्र गौड़ सहित डायट के प्रधानाचार्य, जिला शिक्षा अधिकारी एवं खंड शिक्षाधिकारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ0 मोहन सिंह बिष्ट ने किया।

विषयों के विश्व स्तरीय शिक्षकों के व्याख्यान और पाठ्यक्रम बच्चों को पढ़ाएंगे शिक्षक

मुख्य सचिव डॉ एसएस संधु ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि बच्चों को गुणवत्तापरक शिक्षा उपलब्ध कराए जाने हेतु आधुनिक तकनीक की सहायता ली जाए।

मुख्य सचिव ने कहा कि विभिन्न विषयों के विश्व स्तरीय शिक्षकों के व्याख्यान और पाठ्यक्रम ऑनलाइन माध्यम से बच्चों को पढ़ाए जाने हेतु प्रयास किए जाएं। उन्होंने कहा कि इससे छात्र छात्राओं को विश्वस्तरीय ज्ञान भी प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि हमें पूरे प्रदेश में ऐसे स्कूल विकसित किए जाने की आवश्यकता है जहां छात्रों को एकल शिक्षक के भरोसे न रहना पड़े। मॉडल स्कूल की तर्ज पर ऐसे स्कूल विकसित किए जाएंए जहां सभी विषयों के शिक्षक, लैब, लाइब्रेरी आदि उपलब्ध होंए ताकि बच्चों का समग्र विकास हो सके।

मुख्य सचिव ने कहा कि गरीब बच्चों को कई बार पारिवारिक परिस्थितियों के कारण स्कूल छोड़ना पड़ जाता है। इसके लिए गरीब मेधावी छात्र छात्राओं के लिए स्कॉलरशिप स्कीम शुरू की जाए।

इस अवसर पर सचिव रविनाथ रमन और महानिदेशक शिक्षा बंशीधर तिवारी सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

छात्रों से संवाद में बोले सीएम, सफलता के लिए संयम, नियम और अनुशासित जीवन जरूरी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सफलता के लिए संयम, नियम और अनुशासित जीवन जरूरी है। मुख्यमंत्री ने गुरूवार को राजीव गांधी नवोदय विद्यालय ननूरखेड़ा में विद्यार्थियों के साथ परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम में छात्रों से संवाद किया। उन्होंने छात्रों को उत्तराखण्ड एवं देश का भविष्य निर्माता बताते हुए उन्हें परीक्षा की तैयारियों के लिये ज्ञानवर्धक सलाह देकर उनकी शंकाओं का समाधान किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पेंटिंग प्रतियोगिता के प्रतिभागी छात्रों को पुरस्कार भी प्रदान किये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छात्रों के साथ इस आयोजन में शामिल होकर वे स्वयं को और अधिक ऊर्जा से भरा हुआ अनुभव कर रहे हैं। बच्चों की परीक्षाएं आने वाली हैं और उनके साथ इस विषय पर संवाद करना भी एक सुखद अनुभव है। इससे उन्हें अपने स्कूल के दिनों का भी स्मरण करने का अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि उनके एक शिक्षक ने बचपन में उन्हें विद्यार्थी के पांच मुख्य गुणों के बारे में एक श्लोक के माध्यम से बताया था कि उसमें कौवे की तरह जानने की चेष्टा, बगुले की तरह ध्यान लगाने की क्षमता, श्वान निद्रा और अल्पाहारी और गृहत्यागी गुण पांच गुण होने चाहिये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि परीक्षाओं में थोड़ा तनाव होना स्वाभाविक बात है, परन्तु जब यह तनाव बहुत अधिक बढ़ जाता है तो न केवल परीक्षा के परिणाम में इसका विपरीत असर पड़ता है बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव पड़ता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने कुछ समय पहले पूर्व राष्ट्रपति, भारत रत्न स्व. एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी पर आधारित किताब “अग्नि की उड़ान“ पढ़ी। इस किताब से वे अत्यंत प्रभावित हुए, क्योंकि यह किताब हमें बताती है कि सफलता, परिश्रम के साथ-साथ व्यक्ति की सकारात्मक सोच पर निर्भर करती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आप लोग डा. कलाम या हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित अनेक महान लोगों की जब जीवनी पढ़ेंगे, तब पाएंगे कि उनमें एक बात समान है और वो है सकारात्मक सोच। जब मेहनत के साथ सकारात्मक सोच का मिश्रण हो जाता है तो व्यक्ति को सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। मुख्यमंत्री ने कहा कि छात्रों को भी ऐसी किताबें पढ़नी चाहिये। परीक्षा की तैयारियों से संबंधित प्रधानमंत्री जी ने भी एक किताब लिखी है, इसका नाम है “एग्जाम वॉरियर्स“ यह किताब अत्यंत ही रूचिपूर्ण और ज्ञानवर्धक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी कुछ दिन पूर्व जहां एक ओर हमने वीर बाल दिवस मनाकर गुरू गोविंद सिंह के महान सपूतों का स्मरण किया, वहीं दूसरी ओर हमने चिर युवा सन्यासी स्वामी विवेकानंद का जन्मदिवस भी युवा दिवस के रूप में मनाया। स्वामी विवेकानंद का उनके जीवन में बहुत अधिक प्रभाव रहा है। जब अपने स्कूल के दिनों में उन्होंने उनकी यह उक्ति उठो, जागो और लक्ष्य तक पहुंचे बिना रूको मत पढ़ी तभी ठान लिया था कि जीवन में जिस भी क्षेत्र में जाउंगा, अपना 100 प्रतिशत योगदान देने का प्रयास करूंगा। उन्होंने छात्रों का आह्वान किया कि आप लोग भी जिस क्षेत्र में जाएं उस क्षेत्र में अपना 100 प्रतिशत योगदान देकर उस क्षेत्र के नेता अर्थात लीडर बनें। जैसे आप खेल के क्षेत्र में जाएं तो सचिन तेंदुलकर की भांति खेल के लीडर बने। आप गायक बनें तो लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी जैसे महान गायक बनें और यदि आप लोग राजनीति में आए तो नरेन्द्र मोदी की भांति विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता बनें।
मुख्यमंत्री ने छात्रों से कहा कि आप सबने इस कार्यक्रम के माध्यम से बहुत सारी पेंटिंग भी बनाई हैं। जिनमें पर्यावरण संरक्षण सहित अन्य बहुत से समाजोपयोगी विषयों को समाहित किया है। इसके लिये उन्होंने सभी के प्रयासों की सराहना भी की। मुख्यमंत्री ने छात्रों का आहवान किया कि सभी छात्र कड़े अनुशासन, सही समय प्रबंधन और अपने माता-पिता एवं गुरूजनों के आशीर्वाद से जिस भी क्षेत्र में जाए, अपने परिवार, राज्य और देश का नाम रोशन करें।
मुख्यमंत्री ने छात्रों को प्रेरित करने के लिये ‘‘मंजिल ही जीवन का किस्सा है राही बन उस तक जाना है सफलता-असफलता जीवन का हिस्सा है इनसे घबराना कैसा है उठो, जागो और संघर्ष करों यही तो बस जीवन कहता है’’ कविता भी सुनाई।
संवाद के दौरान छात्रा कु. शैलजा कुकरेती, छात्रा कु. खुशी, पूजा, निशा गुप्ता रानी, छात्र रामकरण, युवराज आदि द्वारा परीक्षा की तैयारियों एवं मुख्यमंत्री से बचपन में परीक्षाओं की तैयारी से संबंधित प्रश्नों के उत्तर में मुख्यमंत्री ने कहा कि परीक्षा के समय कुछ तनाव सभी को रहता है किंतु पहले के और अबके समय में बड़ा अंतर है। आज पूरी दुनिया आपके मोबाइल में सिमटी है। पहले संसाधनों का अभाव था, उनकी प्राइमरी शिक्षा स्लेट, दफ्ती, दवात और टाट पट्टी में बैठकर हुई। 3-4 कि.मी. पैदल चलकर स्कूल जाना पड़ता था। उन्होंने छात्रों से कहा कि वे अपनी सोच सकारात्मक रखें, आप जैसा बनना चाहेंगे वही बनेंगे। आज हमारे साथ हमारे अभिभावक के रूप में प्रधानमंत्री जैसा व्यक्तित्व है जो परीक्षा के समय छात्रों से चर्चा कर उनका मार्ग दर्शन कर रहे हैं।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, सचिव रविनाथ रमन ने भी छात्रों को संबोधित किया। महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी ने सभी का आभार व्यक्त किया तथा सभी छात्रों को आने वाली परीक्षाओं की सफलता के लिये शुभकामना दी।

उच्च शिक्षण संस्थानों के सभी छात्रों की बनेगी आभा आईडी

प्रदेश की उच्च शिक्षा में गुणवत्ता बनाये रखने एवं छात्र-छात्राओं में नैतिक मूल्यों के विकास के दृष्टिगत एनईपी के अंतर्गत विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा संबंधी विषयों का समावेश किया जायेगा। इसके साथ ही प्रदेश की उच्च शिक्षा व्यवस्था में एकरूपता लाने के लिये सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में एक प्रवेश, एक परीक्षा, एक परिणाम और एक चुनाव कार्य योजना को लागू किया जायेगा। सभी शिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की डिजीटल हेल्थ आईडी अनिवार्य रूप से बनाई जायेगी। इसके अलावा उच्च शिक्षण संस्थानों में नशा मुक्त अभियान, तम्बाकू मुक्त अभियान, टीबी मुक्त अभियान एवं रक्तदान अभियान चलाये जायेंगे।

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने आज राष्ट्रीय दृष्टिबाधितार्थ संस्थान देहरादून के सभागार में श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय से सम्बद्ध अशासकीय एवं निजी शिक्षण संस्थानों के साथ विभिन्न बिन्दुओं को लेकर बैठक की। जिसमें डॉ0 रावत ने कहा कि प्रदेश में उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे सभी छात्र-छात्राओं की डिजिटल हेल्थ आईडी अनिवार्य रूप से बनाई जायेगी, ताकि छात्र-छात्राओं के स्वास्थ्य से संबंधित समस्त जानकारियां ऑनलाइन सुरक्षित रह सकेगी और जरूरत पड़ने पर उसका उपयोग कर सकेंगें। इसी प्रकार सभी छात्र-छात्राओं की आयुष्मान कार्ड भी बनाये जायेंगे, जिसके लिये राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण विश्वविद्यालयों के साथ क्यूआर कोड़ साझा करेगा, जिसे विश्वविद्यालय अपने संबद्ध संस्थानों को उपलब्ध करायेगा जिसके आधार पर सभी छात्र-छात्राएं डिजीटल हेल्थ आईडी के लिये अपना पंजीकरण करा सकेंगे। डॉ0 रावत ने कहा कि प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत प्रदेश को 2024 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। जिसमें उच्च शिक्षण संस्थानों की भागीदारी भी अहम है। उन्होंने ने सभी शिक्षण संस्थानों से अपनी क्षमता के अनुसार एक से पांच तक टीबी मरीजों को गोद लेते हुये अपने सामाजिक दायित्वों को निभाने का आह्वान किया। इसी प्रकार सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में सुभाष चन्द्र बोस जयंती 23 जनवरी से लेकर एक माह तक रक्तदान शिविरों का आयोजन कराने को कहा, जिसमें स्वास्थ्य विभाग का भी सहयोग रहेगा। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत सभी छात्र-छात्राओं को स्वैच्छिक रक्तदान के लिये ई-रक्तकोश, आरोग्य सेतु ऐप और विभागीय पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा ताकि जरूरत पड़ने पर रक्तदान के लिये बुलाया जा सके। इसके अलावा उन्होंने शिक्षण संस्थानों में नशा मुक्त अभियान, तम्बाकू मुक्त अभियान संचालित करने को भी कहा। विभागीय मंत्री ने कहा कि उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापरक शिक्षा के साथ ही नैतिक शिक्षा आधारित ज्ञान का होना भी आवश्यक है। इसके लिये एनईपी-2020 के तहत विश्वद्यालयों के पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान परम्परा आधारित नैतिक शिक्षा से संबंधित विषयों को भी शामिल किया जायेगा। उन्होंने उच्च शिक्षा में एकरूपता लाने के लिये विश्वविद्यालयों को एक प्रवेश, एक परीक्षा, एक परिणाम और एक चुनाव की कार्य योजना पर काम कर अगले शैक्षणिक सत्र से लागू करने के निर्देश दिये। उन्होंने सभी निजी शिक्षण संस्थानों से नैक मूल्यांकन के लिये अनिवार्य रूप से आवेदन करने को कहा। इसके लिये विश्वविद्यालय के माध्यम से नैक मूल्यांकन कार्यशाला का आयोजन फरवरी माह में कराया जायेगा। बैठक में श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 महावीर सिंह रावत ने विश्वविद्यालय द्वारा संचालित क्रियाकलापों व भविष्य की योजनाओं की जानकारी दी, साथ ही उन्होंने निजी शिक्षण संस्थानों के संचालकों को किसी भी प्रकार की समस्या का त्वरित समाधान का भरोसा दिलाया। बैठक में विश्वविद्यालय के कुलसचिव खेमराज भट्ट ने निजी शिक्षण संस्थानों से मान्यता से संबंधी प्रक्रिया को शीघ्र पूरा करने को कहा। कार्यक्रम का संचालन सहायक परीक्षा नियंत्रक डॉ0 हेमंत बिष्ट ने किया।

बैठक में श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ0 एम0एस0 रावत, महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ0 विनीता शाह, निदेशक एनआईवीएच डॉ0 मनीष वर्मा, वरिष्ठ प्रशिक्षण अधिकारी एनईवीएच जगदीश लखेड़ा, कुलसचिव खेमराज भट्ट, सहायक परीक्षा नियंत्रक डॉ0 हेमंत बिष्ट, देवेन्द्र सिंह रावत, सुनील नौटियाल सहित विश्वविद्यालय से सम्बद्ध आशासकीय मान्यता प्राप्त एवं निजी शिक्षण संस्थानों के चेयरमैन, निदेशक एवं प्राचार्य उपस्थित रहे।

विद्यालयों का निरीक्षण कर महानिदेशालय को सौंपेंगे रिपोर्ट

‘विद्या संवाद’ कार्यक्रम के अंतर्गत शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी विभागीय कार्यों की समीक्षा के लिये विभिन्न जनपदों में जायेंगे। जहां वह शिक्षकों, अभिभावकों एवं छात्र-छात्राओं से संवाद स्थापित करेंगे। विद्या संवाद कार्यक्रम के दौरान विभागीय अधिकारी शिक्षा की गुणवत्ता सहित विभागीय कार्यों का अवलोकन करेंगे, साथ ही न्यायालय में योजित वादों की संख्या में कमी लाने के लिये संबंधित शिक्षकों से वार्ता करेंगे। इसके लिये शिक्षा महानिदेशालय द्वारा सभी जनपदों के लिये अधिकारी नामित कर दिये हैं।

विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने मीडिया को जारी एक बयान में बताया कि नवम्बर माह के प्रथम सप्ताह प्रदेशभर में विद्या संवाद कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। जिसके तहत विभाग के वरिष्ठ अधिकारी विभिन्न जनपदों में जाकर शिक्षकों, अभिभावकों और छात्र-छात्राओं से संवाद स्थापित करेंगे। उन्होंने कहा कि इसके लिये महानिदेशालय स्तर से जनपदवार अधिकारी नामित कर दिये गये है, जो शीघ्र ही संबंधित जनपदों में जाकर संवाद स्थापित करेंगे। विभागीय मंत्री ने बताया कि महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी को देहरादून जनपद आवंटित किया गया है, जबकि निदेशक माध्यमिक शिक्षा राकेश कुमार कुंवर को पिथौरागढ़, निदेशक अकादमी शोध एवं प्रशिक्षण सीमा जौनसारी को हरिद्वार, निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा वंदना गर्ब्याल को टिहरी, अपर निदेशक महानिदेशालय विद्यालयी शिक्षा राम कृष्ण उनियाल को उत्तरकाशी, अपर निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा एस0पी0 खाली को चमोली, अपर निदेशक एससीईआरटी डॉ0 आर0डी0 शर्मा को पौड़ी गढ़वाल, संयुक्त निदेशक डॉ0 एस0बी0 जोशी को चम्पावत, संयुक्त निदेशक एससीईआरटी आशा पैन्यूली को ऊधमसिंह नगर, प्रभारी अपर निदेशक सीमैट दिनेश चन्द्र गौड़ को रूद्रप्रयाग, संयुक्त निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा रघुनाथ लाल आर्य को बागेश्वर, हरीश चन्द्र सिंह रावत को नैनीताल और संयुक्त निदेशक माध्यमिक शिक्षा कंचन देवराड़ी को अल्मोडा जनपद की जिम्मेदारी सौंपी गई है। डॉ0 रावत ने बताया कि विद्या संवाद कार्यक्रम के तहत नामित अधिकारी अपने-अपने जनपदों के प्रत्येक विकासखंड में कम से कम तीन विद्यालयों का समग्र अनुश्रवण करेंगे, जिसकी रिपोर्ट वह आगामी 15 नवम्बर तक महानिदेशालय को उपलब्ध करायेंगे। डॉ0 रावत ने बताया कि विद्या संवाद कार्यक्रम के दौरान विभागीय अधिकारी न्यायालयों में दायर विभिन्न वादों से संबंधित शिक्षकों के साथ वार्ता कर वादों की संख्या में कमी लाने का प्रयास भी करेंगे ताकि वादों से संबंधित विभिन्न लम्बित प्रकरणों पर विभाग अग्रिम कार्रवाही कर शिक्षा व्यवस्था को और अधिक सुचारू कर सकेगा। इसके अलावा कार्यक्रम के दौरान विद्यालयों में अधूरे पड़े निर्माण कार्यों, परीक्षाफल सुधार, वर्चुअल कक्षाओं के संचालन, एनईपी के अंतर्गत बालवाटिका कार्यक्रम की स्थिति, मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता सहित छात्रों के पठन-पाठन आदि की स्थिति का जायजा लेने के निर्देश भी अधिकारियों को दिये गये हैं। डॉ0 रावत ने बताया कि विद्या संवाद कार्यक्रम की सभी जनपदों से प्राप्त रिपोर्ट की समीक्षा की जायेगी और रिपोर्ट में सुझाये गये सुझावों को अमल में लाया जायेगा।

शिक्षा मंत्री ने विभागीय अधिकारियों को लगाई जमकर फटकार

कैबिनेट मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने शिक्षा विभाग में लम्बित प्रकरणों को समय पर पूरा न किये जाने को लेकर विभागीय अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। विद्या समीक्षा केन्द्र की धीमी प्रगति, बीआरसी-सीआरसी की तैनाती, स्कूल ड्रेस, जूते, बैग एवं पुस्तक वितरण में देरी, ब्लॉक से लेकर निदेषालय स्तर पर लम्बे समय से रिक्त पदों की डीपीसी ने किये जाने सहित कई प्रकरणों पर विभागीय अधिकारियों का जबाव तलब किया। विभागीय मंत्री ने नितांत अस्थाई व्यवस्था के तहत 6 विषयों में शिक्षकों के रिक्त पद भरे जाने हेतु अधिकारियों को आगामी कैबिनेट में प्रस्ताव लाने के निर्देश दिये।

सूबे के विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने आज शिक्षा महानिदेशालय ननूरखेड़ा में शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक ली। डॉ0 रावत ने विभाग में लम्बित प्रकरणों को समय पर पूरा न किये जाने पर विभागीय अधिकारियों से जबाव तलब कर जमकर लताड़ लगाई। उन्होंने विभागीय कार्यप्रणाली में तेजी लाने व लम्बित प्रकरणों को शीघ्र पूरा करने के निर्देष विभागीय अधिकारियों को दिये। विद्या समीक्षा केन्द्र की धीमी प्रगति पर नाराजगी जताते हुये डॉ0 रावत ने कहा कि विद्या समीक्षा केन्द्र का निर्माणकार्य छह महीने के भीतर पूरा कर लिया जाय। उन्होंने कहा कि समीक्षा केन्द्र के निर्माण कार्यों में कतई भी लापरवाही बर्दाष्त नहीं की जायेगी। विभागीय मंत्री ने ब्लॉक, जिला एवं निदेषालय स्तर पर लम्बे समय से रिक्त पड़े प्रषासनिक संवर्ग के पदों पर डीपीसी करने तथा बीआरसी व सीआरसी की शीघ्र तैनाती करने के निर्देष भी अधिकारियों को दिये। इसके अलावा उन्होंने निःषुल्क स्कूल ड्रेस, जूते एवं बैग के लिये छात्र-छात्राओं के बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से शीघ्र धनराषि भेजने को भी कहा। डॉ0 रावत ने आगामी कैबिनेट बैठक में नितांत अस्थाई व्यवस्था के तहत दैनिक वेतनमान के आधार पर 6 विषयों में षिक्षकों के रिक्त पद भरे जाने हेतु प्रस्ताव लाने के निर्देष विभागीय अधिकारियों को दिये। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था के तहत स्थानीय स्तर पर षिक्षकों की तैनाती की जायेगी ताकि विज्ञान जैसे विषयों में शिक्षकों की कमी दूर की जा सकेगी।

बैठक में विद्यालयी शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी, निदेशक माध्यमिक शिक्षा आर के कुंवर, निदेशक प्राथमिक शिक्षा वंदना गर्व्याल, संयुक्त निदेशक बी एस नेगी सहित शासन के अधिकारी उपस्थित रहे।

शिक्षा विभाग की चतुर्थ वर्गीय राज्य कर्मचारी संघ ने किया कार्यकारिणी का विस्तार

उत्तराखंड चतुर्थ वर्गीय राज्य कर्मचारी संघ (शिक्षा विभाग) की प्रांतीय कार्यकारिणी की ओर से पदोन्नति, कम्प्यूटर टंकण में शिथलीकरण तथा प्रदेश कार्यकारणी का विस्तार किया गया।
शनिवार को राजकीय इंटर कालेज आईडीपीएल में उत्तराखंड चतुर्थ वर्गीय राज्य कर्मचारी संघ (शिक्षा विभाग) की प्रांतीय कार्यकारिणी की ओर से बैठक आयोजित की गई। बैठक में पदोन्नति, कम्प्यूटर टंकण में शिथलीकरण तथा प्रदेश कार्यकारणी का विस्तार किया गया। इस मौके पर प्रांतीय अध्यक्ष ईश्वरी दत्त पाण्डेय ने कहा कि एकता ही संगठन को मजबूत बनाती हैं। कार्यकारणी का विस्तार करते हुए निर्वाचित पदाधिकारियों के साथ प्रदेशसंरक्षक दृ गुमान सिंह पंवार, प्रदेश अध्यक्ष ईश्वरी दत्त पाण्डेय, वरिष्ठ उपाध्यक्ष-प्रकाश स्वरूप तिवारी, प्रदेश महामंत्री सुरेंद्र सिंह मियां, प्रदेश उप महामंत्री मनोज कुमार गुप्ता, महिला उपाध्यक्ष भगवती देवी, कनिष्ठ उपाध्यक्ष चंद्र शेखर बहुगुणा, कोषाध्यक्ष बहादुर सिंह, महेशानंद गोस्वामी, सुदर्शन सिंह, करण सिंह कठैत, ललित मोहन, चंद्र पाल, अनूप सिंह, नारायण सिंह महेता, बालकृष्ण, हरीश, हेमा गुप्ता, राधा शर्मा, राधा चौहान, हरेंद्र सिंह चौहान, कर्ण सिंह नेगी, संजय कुमार आदि को प्रदेश कार्यकारणी में मनोनीत किया गया। इस अवसर पर प्रदेश के सभी जनपदों के जिलाध्यक्ष और जिला मंत्रियों ने प्रतिभाग किया। बैठक की अध्यक्षता प्रांतीय अध्यक्ष ईश्वरी दत्त पाण्डेय तथा संचालन मनोज कुमार गुप्ता ने किया।

उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा केंद्रों के आसपास नहीं होंगे शादी-समारोह, जानें पूरी पाबंदियां

उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा में कोई व्यवधान उत्पन्न हो इसके लिए केंद्र के आसपास शादी-समारोहों पर पाबंदी रहेगी। परीक्षा अवधि में न तो लाउडस्पीकर में गाने बजाए जा सकेंगे और न ही अन्य आयोजनों में ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग किया जा सकेगा।

उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद रामनगर की ओर से 28 मार्च से 19 अप्रैल तक हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं कराई जाएंगी। इनकी तैयारियों के संबंध में बीते दिनों हल्द्वानी में नैनीताल जिले के शिक्षा विभाग की बैठक भी हुई। जिसमें जिला शिक्षा अधिकारी ने केंद्र व्यवस्थापकों और कस्टोडियन को जरूरी दिशा-निर्देश देते हुए बताया था कि परीक्षा शुरू होने से पूर्व सभी केंद्रों में धारा 144 लागू हो जाएगी। जिन परीक्षा केंद्रों की परिधि में आवासीय भवन हैं उनमें किसी भी तरह के शादी-समारोह जैसे बड़े आयोजनों पर रोक रहेगी। ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग वर्जित रहेगा।

मुख्यमंत्री ने सड़कों के निर्माण कार्य को दी 5 करोड़ रूपए की स्वीकृति

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की घोषणा के अन्तर्गत पूर्व विधायक स्व. राजेंद्र शाह की आदमकद प्रतिमा के लिए 11.96 लाख की स्वीकृति दी गई है। इस धनराशि को एकमुश्त जारी करने की भी मुख्यमंत्री ने सहमति दी है।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लोक निर्माण, शिक्षा, समाज कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण, पर्यटन और धर्म संस्कृति समेत कुछ अन्य विभागों से संबंधित विकास कार्यों की स्वीकृति दी है। लोक निर्माण के तहत विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण के लिए करीब 5 करोड़ की स्वीकृति जारी की है।

राज्य योजना के तहत जनपद उत्तरकाशी के विधानसभा क्षेत्र यमुनोत्री के विकासखंड चिन्यालीसौड़ के अंतर्गत मरगांव-जसपुर-चमियारी से उलण मोटर मार्ग के नवनिर्माण के लिए 3.30 करोड़ की स्वीकृति दी है। चालू वित्त वर्ष में इस मोटर मार्ग के लिए 10 हजार की स्वीकृति प्रदान की है। इससे इस मोटर मार्ग का निर्माण सुनिश्चित हो गया है। इस विधानसभा क्षेत्र में इस योजना समेत कुल 41.14 करोड़ की स्वीकृतियां जारी कर दी हैं।

हरिद्वार के खानपुर में दो खड़जा मार्ग के निर्माण कार्य के लिए 55.19 लाख की स्वीकृति जारी की गई है। ऊधमसिंहनगर के रुद्रपुर विधानसभा क्षेत्र के बुक्सौरा में आनंद सिंह के घर से फाल सिंह के घर तक मार्ग निर्माण के लिए 21.68 लाख की मंजूरी दी है। रुद्रपुर में ही एनएच-74 से प्रेमनगर अलखदेवी मार्ग के चैड़ीकरण का कार्य भी मंजूर कर दिया है। इसके लिए मुख्यमंत्री ने 5.29 लाख की स्वीकृति दी है। गदरपुर दिनेशपुर मदकोटा मोटर मार्ग के 04 किलोमीटर से श्यामनगर तक मार्ग का सुदृढ़ीकरण और निर्माण कार्य के लिए 1.73 करोड़ की स्वीकृति दी है।
पर्यटन विभाग के तहत नैनीताल जिले में भीमताल में करकोटक की चोटी का पर्यटन की दृष्टि से विकास और सौंदर्यीकरण के लिए मुख्यमंत्री ने 94.92 लाख की मंजूरी दी है। इसके लिए चालू वित्तीय वर्ष में 50 लाख की धनराशि अवमुक्त करने के भी आदेश दिए हैं।

मुख्यमंत्री ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत कुल 951 अनाच्छित बस्तियों में रह रहे बच्चों को केंद्र सरकार से अनुमन्य दरों पर परिवहन सुविधा मुहैया कराने की भी मुख्यमंत्री ने स्वीकृति दी है। केंद्र सरकार से इसके लिए कुल 2743 बच्चों को 6 हजार रुपए प्रति बच्चा प्रति वर्ष की दर से कुल 164.58 लाख रुपए अनुमोदित किया गया है।

टिहरी जिले के राजकीय इंटर कालेज ठेला, नैलचामी मे 4 कक्षा कक्षों के निर्माण को भी मुख्यमंत्री ने सहमति दी है। कार्यदायी संस्था ग्रामीण निर्माण विभाग ने इसके लिए 45 लाख का इस्टीमेट भेजा था। इसमें से 40 फीसदी राशि 18 लाख जारी करने पर स्वीकृति दी गई है। टिहरी के ही थौलधार विकासखंड के राजकीय इंटर कालेज बगियाल में दो कक्ष-कक्षों केनिर्माण के लिए 42.28 लाख की मंजूरी दी गई है। मुख्यमंत्री की घोषणा के क्रम में ही क्यारी स्थित राजकीय इंटर कालेज में दो कक्षा कक्षों की मंजूरी के लिए भी 42.28 लाख की सहमति दी है।

डोईवाला विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत राजकीय इंटर कालेज इठारना का जीर्ण शीर्ण भवन ध्वस्त कर नया भवन बनाया जाएगा। इसके लिए 4.53 करोड की मुख्यमंत्री ने सहमति दी है। पहली किश्त के रूप में 40 फीसदी यानि 1.81 करोड़ की राशि जारी करने की स्वीकृति दी है। देहरादून के राजकीय प्राथमिक विद्यालय डोभालवाला की मरम्मत कार्य के लिए 8.99 लाख की स्वीकृति दी है। पहली किश्त 3.60 लाख अवमुक्त करने की सहमति दी है।

युवा कल्याण व पीआरडी विभाग के तहत विधानसभा क्षेत्र ज्वालापुर के ग्राम नौकराग्रांट बुग्गावाला में मिनी स्टेडियम का निर्माण किया जाएगा।इसके लिए मुख्यमंत्री ने 96.85 लाख के सापेक्ष 40 फीसदी धनराशि यानि 38.74 लाख की वित्तीय स्वीकृति दी है।

मुख्यमंत्री ने समाज कल्याण विभाग के तहत तहसील लक्सर मे अंबेडकर वृद्ध आश्रम विष्णु विहार कालोनी गोरधनपुर रोड के लिए घोषणा मद से 10 लाख की अनुदान सहायता स्वीकृत की है। अनुसूचित जाति बाहुल्य क्षेत्रों में अवस्थापना सुविधाओं का विकास योजना के तहत 61 निर्माण कार्यों के लिए 3.38 करोड़ अवमुक्त किए जाने पर सहमति दी है। समाज कल्याण विभाग में व्यवसायिक तथा विशेष सेवाओं के लिए भुगतान में विभागीय आनलाइन पेंशन पोर्टल की सुरक्षा आडिट के भुगतान के लिए 66 हजार की राशि मंजूर की गई है। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के तहत 31 निर्माण कार्य के ले 1.47 करोड़ की मंजूरी दी गई है। इसमें ऊधमसिंह नगर में 12, नैनीताल में 18 और देहरादून में एक निर्माण कार्य होना है।

पेयजल और स्वच्छता विभाग के तहत अल्मोड़ा के सोमेश्वर विधानसभा क्षेत्र में सुनौली अनुसूचित बस्ती दाड़िमखोला, थापला व बसौली में 3 हैंडपंप लगाए जाने हैं। इसके लिए मुख्यमंत्री ने 9.41 लाख की स्वीकृति के साथ ही इस राशि को जारी करने निर्देश दिए हैं।

आबकारी विभाग में ट्रैक और ट्रैस प्रणाली लागू की जाएगी। इस प्रणाली को लागू करने के लिए मुख्यमंत्री ने 4.63 करोड़ के बजट प्राविधान किए जाने के संबंध में विभागीय प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आपदा प्रबंधन विभाग के तहत चिन्यालीसौड़ के आपदा प्रभावित कान्सी के प्रभावित परिवारों को अन्यत्र सुरक्षित स्थान पर विस्थापित किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। आपदा प्रबंधन विभाग के तहत पिथौरागढ़, देहरादून, हरिद्वार को क्रमशः 1 करोड़, 3 करोड़ और 5 करोड़ कुल 9 करोड़ की राशि अवमुक्त करने की मुख्यमंत्री ने स्वीकृति दी है। लेकिन राज्य कार्यकारी समिति की आगामी बैठक में इसकी कार्यात्तर स्वीकृति ली जाएगी।

इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने विश्व बैंक सहायतित परियोजना उत्तराखंड डिजास्टर रिकवरी प्रोजेक्ट दृएएफ के अंतर्गत हो रहे कार्यों के लिए 50 करोड़ की स्वीकृति दी है। इस प्रोजेक्ट के तहत करीब 50 पुलों का निर्माण, 5 नदी किनारे सुरक्षित निर्माण कार्य, यूएसडीएमए भवन निर्माण कार्य, 7 ढलान स्थिरीकरण कार्य तथा एसडीआरएफ मुख्यालय निर्माण कार्य चल रहा है। साथ ही प्रोजेक्ट के अधीन आकस्मिक आपातकालीन व्यवस्थाओं के घटक के तहत 140 एंबुलेंस, 1000 फालर बेड्स, 4 सीटी स्कैन मशीन व लैब सुदृढीकरण कार्य होना है।

सिलेबस में 30 फीसदी कटौती के साथ परीक्षा देंगे छात्रः मीनाक्षी सुंदरम

कोरोना महामारी के बीच छात्रों के लिए राहत देने वाली खबर है। संक्रमण के चलते विद्यालयों के बंद रहने की वजह से उत्तराखंड सरकार ने सिलेबस में 30 फीसदी कटौती करने का निश्चय कर दिया है। शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने इसके आदेश जारी कर दिए है। इस आदेश के अनुसार राज्य में एनसीईआरटी के स्तर से सिलेबस इस वर्ष 70 फीसदी ही रहेगा।

इस क्रम में वर्ष 2020-21 शैक्षिक सत्र में गृह और बोर्ड परीक्षाएं करवाई जाएंगी। यह फैसला शिक्षा विभाग की ओर से संचालित सरकारी, अशासकीय सहायता प्राप्त और मान्यता प्राप्त स्कूलों पर लागू होगा। शिक्षा सचिव ने बताया कि पहली से आठवीं तक एनसीईआरटी से तय सिलेबस लागू किया जाएगा। नौवीं से 12वीं तक का सिलेबस विद्यालयी शिक्षा परिषद की ओर से तय होगा।

उत्तराखंड में पहली से 12वीं तक एनसीईआरटी किताबें लागू हैं। लेकिन राज्यस्तर से भी कुछ किताब पढ़ाई जातीं हैं। इन किताबों में भी तीस फीसदी की कटौती होनी है। सचिव ने कहा, परीक्षा को देखते हुए जरूर सिलेबस में कटौती हो गई है।