प्रदेश में इन्फ्रास्ट्रक्चर, नीति सुधार व सरलीकरण में बहुत सुधार हुआ-धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में राज्य स्तरीय उद्योग मित्र समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि राज्य में काम कर रहे उद्योग ही हमारे ब्रांड एम्बेसेडर है। राज्य सरकार द्वारा इन्वेस्टर्स फ्रेंडली वातावरण बनाने के लिए बहुत से सुधार किये गये हैं। इसी का परिणाम है कि पिछले एक वर्ष में 9 हजार करोड़ से अधिक का निवेश राज्य में हुआ है। ईज ऑफ डूईंग बिजनेस में हम एचीवर्स की श्रेणी मे आए हैं। इन्फ्रास्ट्रक्चर, नीति सुधार व सरलीकरण में काफी काम किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार हर सम्भव नीतिगत व रेगुलेटरी सुधार करने के लिये तत्पर है। औद्योगिक क्षेत्रों में मैप एप्रूवल सीडा के माध्यम से कराए जाने की औद्योगिक एसोसिएशन के प्रतिनिधियों की मांग पर मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को इसका परीक्षण कर आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिये। एमएसएमई के तहत छोटे छोटे औद्योगिक प्लॉट के ट्रांसफर की प्रक्रिया को सरल किया जाए। मुख्यमंत्री ने प्लास्टिक रीसाइक्लिंग व वैकल्पिक औद्योगिक इकाइयों को प्रोत्साहित करने की नीति बनाने के भी निर्देश दिये।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हर जिले में आवश्यकतानुसार लीसा डिपो बनाने का परीक्षण कर लिया जाए। सोलर पॉलिसी को रिवाइज किया जाए। इसके लिये उद्योगों से भी सुझाव लिये जाएं। बायोमास, इको टूरिज्म और आयुष क्षेत्र को बढावा देने के लिए जरूरी सुधार किये जाएं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सभी के सहयोग से निवेश फ्रेंडली वातावरण बना रही है। जो भी सुझाव प्राप्त होते हैं उन्हें गम्भीरता से लिया जाता है। विभिन्न बैठकों, संवाद कार्यक्रमों में कुल 133 बिंदुओं पर सुझाव मिले थे, इनमें से 87 पर कार्यवाही हो चुकी है या निर्णय लिये जा चुके हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में केंद्र सरकार के सहयोग से कनेक्टिविटी में काफी काम हुआ है। लगभग 30 हजार करोड़ से अधिक की सड़क परियोजनाओं पर काम चल रहा है।

मुख्यमंत्री ने बैठक में उपस्थित उद्योग संगठनों के प्रतिनिधियों से हर घर झंडा अभियान में 13 से 15 अगस्त तक अपने घरों में तिरंगा फहराने की अपील की।

इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ उत्तराखण्ड के अध्यक्ष पंकज गुप्ता, सिडकुल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष हरेंद्र गर्ग सहित अन्य ने कहा कि पिछले एक साल में उद्योगों को बढावा देने के लिए काफी काम किया गया है। हमारे सुझावों को गम्भीरता से लिया जाता है। उन्होंने अपने अपने सुझाव भी दिये।
इस अवसर पर औद्योगिक विकास विभाग, सार्वजनिक उद्यम विभाग, एमएसएमई विभाग के महत्वपूर्ण शासनादेशों की संकलन पुस्तिका का विमोचन भी किया गया।

बैठक में कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, सुबोध उनियाल, डॉ. धन सिंह रावत, धन सिंह रावत, मुख्य सचिव डॉ एस एस संधु, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर के सुधांशु, सचिव शैलेश बगोली, आर मीनाक्षी सुन्दरम, डॉ पंकज कुमार पाण्डे, सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

सभी शहरी स्थानीय निकायों के मास्टर प्लान तैयार हेतु निर्धारित की जाए समयसीमाः त्रिवेंद्र सिंह रावत

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने ईज ऑफ डुईंग बिजनेस के अंतर्गत सकल राज्य घरेलु उत्पाद का अतिरिक्त 2 प्रतिशत ऋण (लगभग रू0 4800 करोड़) का लाभ लिये जाने के सम्बन्ध में सम्बन्धित विभागों के साथ समीक्षा बैठक आयोजित की गई।

मुख्यमंत्री ने ईज ऑफ डुईंग बिजनेस के अंतर्गत सकल राज्य घरेलु उत्पाद का अतिरिक्त 2 प्रतिशत ऋण सुविधा का लाभ लिए जाने हेतु अपेक्षित सुधारों को शॉर्ट टर्म और लोंग टर्म के अनुसार बांटते हुए शॉर्ट टर्म सुधारों को इस वित्तीय वर्ष से पूर्व पूर्ण् किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने उद्योग, राजस्व विभाग, शहरी विकास, पंजीकरण विभाग, वित्त विभाग, श्रम विभाग, वन विभाग, खनन विभाग, खाद्य आपूर्ति आदि विभागों को तेजी से ईज ऑफ डुईंग बिजनेस में किये जाने वाले अपेक्षित सुधारों को पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राज्य को जीएसडीपी का अतिरिक्त 02 प्रतिशत ऋण सुविधा का लाभ मिल सकेगा। इस सम्बन्ध में विभिन्न विभागों के स्तर पर जो सुधार किये जाने हैं, उन्हें अविलम्ब पूरा करें। उन्होंने वन नेशन वन राशन कार्ड में फेयर प्राईस शॉप के डिजिटाईजेशन के कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने शहरी विकास विभाग को सभी शहरी निकायों का मास्टर प्लान तैयार किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने प्रोपर्टी टैक्स हेतु ऑनलाइन पेमेन्ट सिस्टम को शीघ्र शुरू किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने सीडा (SIDA), आवास और जिला विकास अथॉरिटी को सिंगल विंडो में इंटीग्रेटेड पेमेन्ट शुरू किए जाने के कार्य मे तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने शहरी विकास को ऑटोमैटिक म्यूटेशन सॉफ्टवेयर एवं रजिस्ट्रेशन विभाग को पिछले 20 साल का रिकॉर्ड ऑनलाइन किए जाने पर तेजी से कार्य किए जाने के निर्देश भी दिए।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने टेंडरिंग प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए इंटीग्रेटेड डैशबोर्ड तैयार किए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने वित्त विभाग को स्वतंत्र शिकायत निवारण तंत्र प्रणाली (इंडीपेंडेंट ग्रीवांस रिड्रेसल मैकेनिज्म) विकसित किए जाने सहित विभिन्न बिन्दुओं पर सम्बन्धित विभागों को निर्धारित टाइमलाइन देते हुए अपेक्षित सुधारों को पूरा करने के निर्देश दिए। ऑनलाइन पोर्टल पर तीव्र भुगतान, शहरी निकायों में सुधारीकरण, नवीनीकरण की आवश्यकता की समाप्ति अथवा अपेक्षित सुधार तथा जनपद स्तर पर ईज ऑफ डुईंग बिजनेस से सम्बन्धित सुधारों के सम्बन्ध में भी सम्बन्धित विभागों को तेजी से सुधार पूरा करते हुए निर्धारित समयसीमा के अन्दर कार्य पूर्ण किए जाने की बात कही।

मुख्य सचिव ने कहा कि रजिस्ट्रेशन विभाग को पिछले 20 साल का रिकॉर्ड ऑनलाईन किए जाने के लिए नेशनल लेवल एजेन्सी हायर की जाए ताकि निर्धारित समय सीमा के अन्दर कार्य पूर्ण किया जा सके। उन्होंने पॉलिसी अमेन्डमेंड से पहले आमजन की राय लेने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि किसी भी पॉलिसी में सुधार से पहले आमजन की राय लेने हेतु इसे पब्लिक डोमेन में डाला जाना एक अच्छा कदम होगा।

मुख्य सचिव ने कहा कि सकल राज्य घरेलु उत्पाद का अतिरिक्त 2 प्रतिशत ऋण सुविधा के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा शॉर्ट टर्म वाले सभी सुधार निर्धारित समय सीमा के अन्दर कर लिए जाएंगे। इससे उत्तराखण्ड को ईज ऑफ डुईंग बिजनेस के अंतर्गत सकल राज्य घरेलु उत्पाद का 2 प्रतिशत लगभग 4800 करोड़ में से 4200 करोड़ का ऋण लाभ प्राप्त हो सकेगा।

बैठक में बताया गया कि ऊर्जा सैक्टर में एग्रीगेट टैक्नीकल एण्ड कमर्शियल लॉस ( AT&C Losses ) एवं एसीआर एंड एआरआर गैप ( ACR & ARR Gap ) को निर्धारित टारगेट से अधिक सुधार किया है। बताया गया कि उत्तराखण्ड राज्य आईपीए रैंकिंग के 08 पिलर्स में 07 में टॉप परफोर्मर रहा है। वन नेशन वन राशन कार्ड के तहत आधार सीडिंग का कार्य 100 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है। फेयर प्राईस शॉप के डिजिटाईजेशन का कार्य 15 फरवरी तक पूर्ण कर लिया जाएगा।

इस अवसर पर मुख्य सचिव ओमप्रकाश, सचिव अमित नेगी, सचिन कुर्वे, हरबंस सिंह चुघ, दिलीप जावलकर, डॉ पंकज कुमार पाण्डेय, सुशील कुमार, प्रभारी सचिव विनोद सुमन आदि उपस्थित थे।

केन्द्रीय बजट में लॉजिस्टिक्स नीति जारी करने की घोषणा

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के जरिये निवेशकों को आकर्षित करने, छोटे और मझोले कारोबारियों को उत्पीड़न से बचाने और प्रतिस्पर्धी बाजारों में उनके लिए मौका बनाए रखने की कोशिश कर रही केंद्र सरकार निवेश से लेकर निर्यात तक, नियमन, प्रमाणन और परिवहन संबंधी खर्चे घटाएगी। साथ ही इनसे संबंधित झंझट भी खत्म करेगी। हालांकि सरकार लॉजिस्टिक्स नीति बनाने की घोषणा कर इस दिशा में पहले ही आगे बढ़ चुकी है, लेकिन बजट में कुछ प्रावधान कर इसे जल्द ही अमली जामा पहनाने का भी संकेत दिया गया है। वित्त मंत्री ने सिंगल विंडो ई-लॉजिस्टिक्स मार्केटप्लेस की सुविधा के साथ लॉजिस्टिक्स नीति जारी करने की घोषणा बजट में की है।
सिंगल विंडो
सिंगल विंडो से नियमन-प्रमाणन में लगने वाला वक्त बचेगा, दुश्वारियां घटने के साथ लॉजिस्टिक्स मद में लागत कम होगी। अभी इस मद में सकल घरेलू उत्पाद का 14 फीसद से अधिक खर्च होता है, जिसे वर्ष 2022 तक 10 फीसद के नीचे लाने का लक्ष्य रखा गया है। भारत का लॉजिस्टिक्स सेक्टर 20 से अधिक सरकारी एजेंसियों, सरकार की 40 सहायक पार्टनर कंपनियों, 37 निर्यात संवर्धन परिषद और 500 से अधिक प्रमाणपत्रों के साथ बेहद जटिल है। अभी 16,000 करोड़ डॉलर (करीब 12 लाख करोड़ रुपये) के बाजार वाले इस सेक्टर में 200 शिपिंग कंपनियां, 36 लॉजिस्टिक्स सेवाएं, 129 इनलैंड कंटेनर डिपो, 168 कंटेनर फ्रेट स्टेशन और 50 से अधिक आइटी सिस्टम व बैंक शामिल हैं, जो 10 हजार से अधिक वस्तुओं के परिवहन में अपनी भूमिका निभाते हैं।
यह क्षेत्र 1.20 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देता है। इतनी अहम भूमिका निभाने वाले इस सेक्टर की जटिलता यहीं खत्म नहीं होती। आयात-निर्यात के मामले में भी 81 प्राधिकरणों और 500 प्रमाणपत्रों की जरूरत पड़ती है। नियमन, प्रमाणन के बाद ही परिवहन के जाल में उलझे इस सेक्टर से संबंधित कार्यशैली पर आर्थिक सर्वेक्षण में भी सवाल उठाए गए थे। निर्यात के लिए दिल्ली से जा रहे माल के बंदरगाह तक पहुंचने में 19 दिन लगने का उदाहरण देकर सर्वे रिपोर्ट में खामी से निजात पाने का सुझाव दिया गया था।
वित्त मंत्री ने बजट पेश करने के दौरान अलग-अलग क्षेत्रों के लिए लॉजिस्टिक्स के संबंध उन सभी उपायों और सुविधाओं की घोषणा की है, जिससे परिवहन, प्रमाणन और नियमन में खर्च घटेगा। बजट में ब्लॉकध्तालुका स्तर पर भंडारण गृह, गांव स्तर पर बीज भंडार गृह, रेल और हवाई सेवा से जुड़ी कोल्ड चेन की व्यवस्था की गई है। सरकार का मानना है कि इससे लॉजिस्टिक्स खर्च घटेगा और निर्यात में 5-8 फीसद की वृद्धि होगी। उद्यमी गुणवत्ता पूर्ण निर्माण करेंगे। इसके अलावा सरकार ने लॉजिस्टिक्स बाजार को 2022 तक 250 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा है। वह मान रही है तब इस क्षेत्र में करीब 2.20 करोड़ लोगों को रोजगार मिलेगा।
इन्वेस्टमेंट क्लीयरेंस सेल
निवेशकों के लिए एंड-टु-एंड यानी शुरू से लेकर अंत तक हर स्तर पर सुविधाएं देने के लिए इस सेल का प्रावधान किया गया है। इसमें निवेशक को निवेश से पहले सलाह, भूमि की उपलब्धता के साथ केंद्र और राज्य से अनुमति दिलाने की सुविधा भी शामिल होगी। यह सेल भी फेसलेस होगा यानी इन्वेस्टमेंट क्लीयरेंस सेल का पोर्टल बनेगा और आवेदन से लेकर निस्तारण तक पूरी व्यवस्था ऑनलाइन होगी।
निर्यातकों के लिए ई-रिफंड
केंद्र, राज्य एवं स्थानीय स्तर पर निर्यातित वस्तु पर लिए गए शुल्क व कर की वापसी ई-रिफंड से होगी। निर्यातकों को विभागों के चक्कर नहीं काटने होंगे। इसके लिए सरकार योजना लांच करने जा रही है।