रणनीति बनाकर आपदा की रिपोर्ट देगी संयुक्त कमेटी

जोशीमठ, चमोली के ऋषिगंगा और धौलीगंगा में आयी आकस्मिक बाढ़ एवं आपदा के सम्बन्ध में सदस्य राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (एन.डी.एम.ए.) सैय्यद अता हसनेन व राजेन्द्र सिंह की संयुक्त अध्यक्षता में देशभर के महत्वपूर्ण तकनीकी और अनुसंधान संस्थानों के वैज्ञानिकों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संयुक्त बैठक आयोजित की गयी।

सभी वैज्ञानिकों ने जनपद चमोली में आई प्राकृतिक आपदा तथा उत्तराखण्ड में आने वाली अन्य आपदाओं से बेहतर तरीके से निपटने की रणनीति और विभिन्न संस्थानों के बेहतर समन्वय से विकास और पर्यावरण के मध्य संतुलन स्थापित करने के सम्बन्ध में व्यापक विचार-विमर्श किया गया तथा महत्वपूर्ण सुझाव आदान-प्रदान किये गये।

विचार-विमर्श में तय किया गया कि विभिन्न संस्थानों की एक संयुक्त कमेटी बनायी जाय जो हिमालय में आने वाली प्राकृतिक आपदाओं की रोकथाम और पर्यावरण के संरक्षण के सम्बन्ध में गहन अध्ययन करते हुए उत्तराखण्ड सरकार को अपनी रिपोट प्रस्तुत करेंगे साथ ही प्राकृतिक आपदा के निपटने के लिए उत्तराखण्ड सरकार को हर तरह की तकनीकि व अन्य प्रकार की मदद प्रदान की जायेगी।

इस दौरान मुख्य सचिव उत्तराखण्ड ओम प्रकाश ने राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण और बैठक से जुड़े संस्थानों को अवगत कराया कि आपदा प्रभावित क्षेत्र में बनी प्राकृतिक झील को तुड़वाने के लिए लगातार संतुलित तरीके से काम किया जा रहा है। उन्होंने उत्तराखण्ड अन्तरिक्ष उपयोग केन्द्र (यूसैक) के निदेशक डॉ. एम.पी. बिष्ट की रिपोर्ट का हवाला दते हुए कहा कि कुछ दिन पूर्व प्राकृतिक झील से केवल एक ओर से पानी की निकासी हो रही थी किन्तु सैटेलाइट के ताजा आंकड़ों के अनुसार अब तीन ओर से झील से पानी के निकासी हो रही है जिससे किसी भी प्रकार के संकट की कोई संभावना नहीं है।

मुख्य सचिव ने इस दौरान नेहरू पर्वतारोहण संस्थान, राज्य आपदा मोचन बल (एस.डी.आर.एफ.), आई.टी.बी.पी. और युसैक के निदेशक को संयुक्त रूप से झील वाले क्षेत्र की रेकी करते हुए उनको रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिये।

इस दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित बैठक में अतिरिक्त सचिव भारत सरकार डॉ. वी. त्रिपुगा, संयुक्त सचिव रमेश कुमार दन्ता सहित भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आई.एम.डी), वाडिया भूविज्ञान संस्थान, आई.आई.टी. रूड़की, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एन.आई.एच.), भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण संस्थान, रक्षा भू-भाग अनुसंधान प्रयोगशाला (डी.टी.आर.एल.), एन.टी.पी.सी. आदि विभाग और संस्थान बैठक से जुड़े हुए थे।

श्रद्धांजलि सभा के जरिए चमोली आपदा में मृतकों की आत्मशांति की गई प्रार्थना

चमोली में आई आपदा में लापता लोगी की सलामती के लिए प्रार्थना की गई। ग्राम सभा हरिपुर कलां में सत्यमेव जयते समिति एवं गढ़वाल महासभा से जुड़े पदाधिकारियों ने सामूहिक रूप से मां गंगा तट पर एकत्रित होकर चमोली जिले के रेणी गांव के पास ग्लेशियर टूटने से आई आपदा में हुए जानमाल के नुकसान पर गहरा दुःख व चिंता जताते हुए मृतकों की आत्मिक शांति हेतु केंडल जलाकर एवं लापता लोगो की सलामती के लिए मां गंगा से प्रार्थना की।

इस मौके पर सत्यमेव जयते समिति के अध्यक्ष अनिल जोशी ने कहा कि केदारनाथ आपदा के जख्म अभी भरें भी नही थे कि कोरोनाकाल के बीच दिल को दहलाने वाली ये भीषण आपदा आ गयी। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में इस प्रकार घटनाएं दुःखद है। गढ़वाल महासभा के अध्यक्ष डॉ राजे सिंह नेगी ने कहा कि उत्तराखंड में प्रस्तावित और निर्माणधिन सभी जल विधुत परियोजनाओं की पुनःसमीक्षा होनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो पाए।

उन्होंने उत्तराखंड आपदा के मृतकों को श्रद्वांजलि अर्पित करते हुए कहा कि कंक्रीट के जंगल बनाने से प्राकृतिक आपदाओं को लोगों को झेलना पड़ रहा है। इस पर विचार करते हुए पर्यावरण रक्षा की दिशा में बड़े कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। ग्लेशियर के मुहाने पर बांधों के निर्माण पर उन्होंने रोक लगाने की मांग भी की। श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में मनोज जखमोला, राजन बडोनी, दिनेश थपलियाल, रवि बाबू शर्मा, कमल शर्मा, आनंद रानाकोटी, विष्णु,गोकुल डबराल, सुमन गौड़, सुनील जुगलान, अशोक रयाल, राकेश कुकरेती, शशि कंडवाल, सीमा देवी, अनिता सिलस्वाल, सुबोध बडोला, संगीता सिलस्वाल, अनिता गुप्ता शामिल थे।