मिलावटी आटा खाकर बीमार प्रकरण में सीएम ने सख्त, मुख्य सप्लायर और दुकानदारों पर केस दर्ज

नवरात्र के दौरान देहरादून में कुट्टू के आटे से बने पकवान खाने से 100 से भी अधिक लोग फूड प्वाइजनिंग से प्रभावित हुए। स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने बताया कि सभी मरीजों की हालत स्थिर है और अगले 24 घंटे में अधिकांश मरीजों को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डाॅ धन सिंह रावत के निर्देशों के बाद खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफडीए) ने राज्य के सीमावर्ती इलाकों के साथ देहरादून और आसपास के इलाकों में दुकानों व अन्य प्रतिष्ठानों में ताबड़तोड़ छापेमारी चलाया गया। जिसमें एक दर्जन से अधिक लोगों के खिलाफ मुकदमें दर्ज कराये गये हैं।

कुट्टू का आटा सप्लायर का गोदाम सील, केस दर्ज
आयुक्त खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफडीए) डॉ. आर राजेश कुमार ने कहा आज सुबह सूचना मिली कि राजकीय दून मेडिकल कॉलेज और कोरोनेशन अस्पताल में मरीज भर्ती किए गए हैं। मरीजों के परिजनों से पूछताछ करने पर पता चला कि इन सभी ने कुट्टू के आटे से बनी सामग्री का सेवन किया था, जिसके बाद उन्हें फूड पॉइजनिंग के गंभीर लक्षण दिखाई देने लगे। जांच के दौरान पाया कि मरीजों के परिवारों ने अलग-अलग दुकानों से कुट्टू का आटा खरीदा था, लेकिन सभी आटे का स्रोत सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) और विकासनगर (देहरादून) से जुड़ा हुआ था।

मुख्य सप्लायर और जिम्मेदार दुकानदारों की पहचान
जांच में सामने आया कि कुट्टू के आटे की आपूर्ति निम्नलिखित प्रतिष्ठानों द्वारा की गई थी:
1. मेसर्स गोविंद सहाय शंकर लाल – यह प्रतिष्ठान सहारनपुर (उ.प्र.) से कुट्टू का आटा सप्लाई कर रहा था।
2. विकास गोयल चक्की – यह चक्की मोग्गंज जामा मस्जिद के पास, थाना कोतवाली शहर, सहारनपुर (उ.प्र.) में स्थित है, जहां कुट्टू का आटा पिसा गया था।
3. Laxmi Trading, Sangam Vihar, Bhojwala Road, Vikasnagar, Dehradun – यह प्रतिष्ठान देहरादून में कुट्टू के आटे का मुख्य वितरक था। इसका गोदाम मेट्याला अकबरी मस्जिद, देहरादून के पास स्थित है।

मुख्य संचालक :
शीशपाल चीतान पुत्र शोभा राम–Laxmi Trading, विकासनगर, देहरादून

खाद्य सुरक्षा मानकों का उल्लंघन
जांच में पाया गया कि FSSAI (भारतीय खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण) के निर्देशों और गाइडलाइन्स के विपरीत इन प्रतिष्ठानों ने मिलावटी कुट्टू का आटा सप्लाई किया था, जिससे 84 लोगों की जान जोखिम में पड़ गई।

एफआईआर दर्ज, सैंपल लिए गए और गोदाम सील

घटना की गंभीरता को देखते हुए खाद्य सुरक्षा विभाग ने तत्काल कार्रवाई की:
मुख्य सप्लायर Laxmi Trading के खिलाफ एफआईआर दर्ज।
गोदाम को सील कर दिया गया।
संदिग्ध कुट्टू के आटे के नमूने लिए गए, जिन्हें जांच के लिए भेजा गया।
सहारनपुर स्थित चक्की और दुकान की भी जांच की जा रही है।
आगामी दिनों में अन्य प्रतिष्ठानों पर भी कार्रवाई जारी रहेगी।

यूपी के फूड कमिश्नर को पत्र
आयुक्त खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफडीए) डॉ. आर राजेश कुमार ने कहा कि खाद्य विभाग लगातार तीन महीने वस्तुओं के सैंपल ले रहा था और छापेमारी अभियान भी चला रहा था। इस संबंध में यूपी के फूड कमिश्नर को भी 15 दिन पहले एक पत्र लिखा था कि मिलावटखोरों पर कार्रवाई करें क्योंकि अधिकांश मिलावटी उत्पाद यूपी से उत्तराखंड आते हैं।

टोल फ्री नंबर 1800-180-4246 पर दर्ज कराएं शिकायत
खाद्य आयुक्त डा. आर राजेश कुमार ने बताया कि जिला अभिहीत अधिकारी मनीेष सिंह की ओर से आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया है। उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने आम जनता से अपील की है कि खुले या संदिग्ध कुट्टू के आटे का सेवन न करें। खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता की जांच कर ही खरीदारी करें। कुट्टू का आटा खरीदते समय प्रमाणित दुकानों से ही खरीदें। यदि किसी खाद्य पदार्थ के सेवन के बाद अस्वस्थ महसूस करें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। मिलावटी आटे की जानकारी टोल-फ्री हेल्पलाइन 1800-180-4246 पर दें।

24 घंटे में अधिकांश मरीजों को अस्पताल से छुट्टी
स्वास्थ्य सचिव व आयुक्त खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफडीए) डॉ. आर राजेश कुमार ने दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल और कोरोनेशन अस्पताल का दौरा किया और मरीजों का हाल-चाल जाना। उन्होंने फूड पॉइजनिंग से पीड़ित मरीजों और उनके परिजनों से मुलाकात कर उनकी स्थिति जानी और चिकित्सकों को बेहतर इलाज और सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी कहा कि अनावश्यक रूप से मरीजों को अन्य अस्पतालों में रेफर न किया जाए। स्वास्थ्य सचिव डा. आर राजेश कुमार ने बताया कि सभी मरीजों की हालत स्थिर है और अगले 24 घंटे में अधिकांश मरीजों को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से लाभांवित हो रहे हैं प्रदेश के 8.88 लाख किसान

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखण्ड सरकार, खेती किसानी की तरक्की के लिए प्रयासरत है। इसके लिए कृषि विभाग कई कल्याणकारी योजनाएं चला रहा है। साथ ही केंद्र सरकार की अहम योजनाओं के लाभ भी प्रदेश के किसानों तक पहुंचाए जा रहे हैं।
कृषि विभाग किसानों को प्रमाणित बीज वितरण, कृषि उपकरणों की उपलब्धता, सिंचाई सुविधा, उर्वरक, कीट नियंत्रण, फसल बीमा की सुविधा देने के साथ ही केंद्र सरकार के सहयोग से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं का लाभ दे रहा है। सरकार किसानों को अपने खेत की मिट्टी के पोषक तत्वों की जांच करते हुए, उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, इसके लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना चलाई जा रही है। योजना के तहत भारत सरकार द्वारा इस वित्तीय वर्ष में 508.89 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है।
इसी तरह परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत कलस्टर के आधार पर चयनित गांवों जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। वर्तमान में यह योजना 3900 क्लस्टर में संचालित की जा रही है, इसके लिए भारत सरकार ने वर्तमान वित्तीय वर्ष में 13127.40 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है।

सम्मान निधि से लाभांवित हो रहे हैं 8.88 लाख किसान
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत प्रदेश में 8.88 लाख पंजीकृत किसानों को प्रतिवर्ष छह हजार रुपए की धनराशि डीबीटी के माध्यम से उनके खाते में दी जा रही है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में कुल 178.04 करोड़ की धनराशि उपलब्ध कराई गई है। योजना के तहत अब तक प्रदेश में कुल 2757.20 करोड़ की धनराशि वितरित की जा चुकी की है। इसी तरह प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत एक अप्रैल से सभी जनपदों में चावल और मंडुआ फसल को योजना के तहत कवर किया जा रहा है।

एससी-एसटी बहुल गांवों के लिए विशेष योजना
सरकार अनुसूचित जाति एवं जनजाति के छोटी जोत वाले किसानों के लिए विशेष कृषि विकास कार्यक्रम चला रही है। इसके तहत वर्तमान वित्तीय वर्ष में चयनित गांवों के लिए 700 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है।
राज्य सरकार कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए ठोस कदम उठा रही है। हमारी प्राथमिकता आधुनिक तकनीक और नवाचारों को किसानों तक पहुंचाना है, जिससे खेती अधिक लाभकारी और टिकाऊ बन सके। उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए जैविक खेती, फल उत्पादन और औषधीय पौधों की खेती को विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जा रहा है।
-पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री उत्तराखंड

बड़ी संख्या में पहले से नौकरी कर रहे अभ्यर्थियों ने पास की पीसीएस परीक्षा

देहरादून। राज्य में सख्त नकलरोधी कानून और सरकार की पारदर्शी परीक्षा प्रक्रिया प्रतिभावान अभ्यर्थियों के लिए मील का पत्थर साबित हो रही है। धामी सरकार के महज तीन साल के कार्यकाल के भीतर जहां समूह ग में 40 फीसद युवाओं ने सरकारी नौकरी की दो से चार परीक्षाएं पास की हैं, वहीं पीसीएस परीक्षा परिणाम के बाद भी पहले से नौकरी कर रहे युवाओं ने परीक्षा पास कर टॉप पदों पर नौकरी पाई है। इनमें अकेले 17 नायब तहसीलदार हैं, जिन्होंने पीसीएस परीक्षा पास की है। ऐसे में यहां अतिश्योक्ति नहीं होगी कि धामी सरकार में प्रतिभावान युवाओं को प्रतिभा से नौकरी पर नौकरी मिल रही है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार के सख्त नकलरोधी कानून और पारदर्शी परीक्षा नीति के परिणाम दिखने लगे हैं। समूह ग में न केवल समय पर परीक्षा और परिणाम बल्कि नियुक्ति पत्र मिलने के राज्य में रिकॉर्ड बन गए हैं। वहीं, पारदर्शी परीक्षा से 30 से 40 फीसद प्रतिभावान युवाओं ने एक नहीं बल्कि दो से चार नौकरी की परीक्षा पास की हैं। अकेले यूकेपीएससी की परीक्षाओं में 448 युवाओं ने दो से ज्यादा नौकरी की परीक्षा पास की हैं। जबकि यूकेएसएसएससी में यह संख्या कई गुना ज्यादा है। खासकर पटवारी, क्लर्क, फॉरेस्ट गार्ड, रेंजर से लेकर विभिन्न विभागों में नौकरी पाने में युवाओं ने मेधा का परिचय दिया है। अब पीसीएस परीक्षा का परिणाम जारी हुआ तो यहां भी पहले से नायब तहसीलदार, समीक्षा अधिकारी, आबकारी निरीक्षक, ईओ, शिक्षक जैसे पदों पर कार्यरत अभ्यर्थियों ने एसडीएम, डीएसपी, वित्त अधिकारी आदि टॉप पदों पर परीक्षा पास की है। इससे स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार का सख्त नकलरोधी कानून युवाओं के लिए वरदान साबित हो रहा है। इससे पहले राज्य में नकल करके और सिफारिश से एक ही परिवार को चार चार नौकरी मिलती थी। लेकिन अब कठोर नकलरोधी कानून से एक अभ्यर्थी चार से पांच नौकरी की परीक्षा पास कर प्रतिभा का लोहा मनवा रहा है।

17 नायब तहसीलदारों ने पास की पीसीएस परीक्षा

राज्य में गत दिवस जारी पीसीएस में प्रतिभावान अभ्यर्थियों ने सफलता के झंडे गाड़ दिए हैं। जोशीमठ में नायब तहसीलदार आशीष जोशी ने महज दो साल के भीतर चौथी नौकरी एसडीएम जैसे पद पर टॉप कर अपनी मेधा का प्रदर्शन किया है। इसी तरह आबकारी निरीक्षक पंकज भट्ट, अधिशासी अधिकारी वैभव कांडपाल, समीक्षा अधिकारी मुकेश जोशी, बिजनौर में प्रशिक्षु एसडीएम आकांक्षा गुप्ता, अक्षिता भट्ट, नायब तहसीलदार रोबिन राणा, अलकेश नौडियाल आदि ने एसडीएम समेत टॉप पदों पर नौकरी पाई है इनमें अकेले 17 अभ्यर्थी जो पहले से ही नायब तहसीलदार हैं, जिन्होंने पीसीएस परीक्षा पास की हैं। जबकि प्रतिभावान सोनिया सिंह, सौम्य गबर्याल, अनिल रावत जैसे युवाओं की लम्बी फेहरिस्त है, जिन्होंने पहले ही प्रयास में पीसीएस की टॉप नौकरी प्राप्त की है।

राज्य में नकल माफियाओं की तोड़ी कमर

उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कमान संभालते ही सबसे पहले नकल माफिया की कमर तोड़ी है। मुख्यमंत्री धामी ने वर्षों से दीमक की तरह मेहनती और काबिलियत रखने वाले युवाओं की नौकरी पर डाका डालने वाले नकल माफियाओं का नेस्तनाबूद किया। करीब 60 से ज्यादा नकल माफियाओं को सलाखों के भीतर डाला। राज्य में देश का सबसे कठोर नकलरोधी कानून लाते हुए युवाओं के हितों की रक्षा पर फैसला लिया। नतीजन, परिणाम भी सबके सामने आने लगे। जो परीक्षाओं में पहले सिफारिश और नकल माफियाओं से एक एक परिवार को चार नौकरी मिलती थी, अब उन नौकरियों में मेहनती और काबलियत वाले युवाओं को सफलता मिल रही है।

युवाओं को प्रतिभा के बूते मिल रही मनपसंद नौकरी

सरकार के निर्णय का परिणाम है कि युवाओं को समय पर न केवल नौकरी मिली बल्कि एक साथ दो से ज्यादा परीक्षाएं पास करने से मनपसंद नौकरी का विकल्प भी मिला। युवाओं को नौकरी मिलने की यह रफ्तार अभी भी जारी है। बहरहाल उत्तराखंड में धामी सरकार के तीन साल के कार्यकाल की उपलब्धियां नौकरी पाने वाले युवाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है।

पीसीएस, लोअर पीसीएस समेत अन्य पदों पर बड़ी संख्या में युवाओं ने दो से ज्यादा नौकरी की परीक्षा पास की है। आयोग में इस तरह के मामले पहली बार देखे जा रहे हैं। खासकर दो से ज्यादा परीक्षा पास करने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है। पारदर्शी परीक्षा प्रकिया और सख्त नकलरोधी कानून का परिणाम है कि युवाओं को प्रतिभा के अनुरूप नौकरी मिल रही है।

जीएस रावत, सचिव, यूकेपीएससी, उत्तराखंड

जनपदों में असुरक्षित भवनों को सुरक्षित करने के लिए बनेगी सात सदस्यीय समिति

जोशीमठ में भूधंसाव की घटना के बाद अब सरकार प्रदेश के समस्त जनपदों के डेंजर जोन के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता पर सात सदस्यीय समिति बनाने पर विचार कर रही है। यह समिति अपनी रिपोर्ट देगी, इसके बाद उन भवनों को सुरक्षित किया जाएगा। यह जानकारी प्रदेश के आवास मंत्री डा. प्रेमचंद अग्रवाल ने दी।

आवास मंत्री डा. अग्रवाल ने जानकारी देकर बताया कि धामी सरकार जोशीमठ आपदा के बाद राज्य के सभी जनपदों में वर्तमान में निर्मित ऐसे भवन जों भूकंप, भू-स्खलन, भू-धंसाव, अतिवृष्टि आदि की दृष्टि से जोखिम भरे भवनों की श्रेणी में आते हैं। उन्हें चिन्हित कर सुरक्षित करने को मानक संचालन प्रक्रिया संबंधी प्रस्ताव पर विचार कर रही है।

आवास मंत्री डा. अग्रवाल ने बताया कि समस्त जनपदों में भूकंप, भू-स्खलन, भू-धंसाव, अतिवृष्टि आदि जोखिम संभावित भवनों के चिन्हिकरण कर सुरक्षित करने को सात सदस्यीय समिति बनाने पर विचार कर रही है। डा. अग्रवाल ने बताया कि अपने-अपने जनपदों में जिलाधिकारी इस समिति की अध्यक्षता करेंगे, जबकि अन्य छह इसके सदस्य रहेंगे।

आवास मंत्री डा. अग्रवाल ने बताया कि जिलाधिकारी के अलावा इन छह सदस्यों में जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अथवा सचिव, संबंधित क्षेत्र के उपजिलाधिकारी, लोकनिर्माण विभाग अथवा सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता, सहायक भू-वैज्ञानिक (भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग), आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के निदेशक अथवा उनके द्वारा नामित प्रतिनिधि और संबंधित नगर निकाय के अधिशासी अधिकारी रहेंगे।

आवास मंत्री डा. अग्रवाल ने बताया कि इन सात सदस्यीय समिति में आवश्यकतानुसार कोई भी संबंधित विशेषज्ञ को आमंत्रित सदस्य के रूप में नाम किया जा सकता है। बताया कि यह समिति प्रत्येक जनपद में ऐसे निर्मित भवन जो जोखिम संभावित भवनों की श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि 30 डिग्री से अधिक ढाल पर निर्मित भवन, नदियों के अंतर्गत अथवा फ्लड जोन के अंतर्गत निर्मित भवन आदि ऐसे समस्त भवन जो असुरक्षित हों।

आवास मंत्री डा. अग्रवाल ने बताया कि ऐसे असुरक्षित भवनों का भी चिन्हिकरण किया जाएगा, जिन्हें रेट्रोफिटिंग द्वारा सुरक्षित किया जा सकता है। बताया कि समिति इनके चिन्हिकरण के बाद आपदा न्यूनीकरण भवनों को सुरक्षित किये जाने के लिए आवश्यक कार्यवाही करेगी।

जन्मदिन विशेष-धामी के लिए गये फैसले जो आज बन गये नजीर

उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दूसरे कार्यकाल के डेढ़ साल पूरे हो चुके हैं। उनकी सरकार का यह कालखण्ड सेवा, समर्पण और सुशासन के लिए समर्पित रहा। इस कालखण्ड में समूचा प्रदेश विकास के पथ पर अग्रसर रहा। पहाड़ और मैदान का भेद किए बगैर सभी क्षेत्रों के संतुलित विकास का आधार तैयार किया गया। क्षेत्र विशेष की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए प्राथमिकताओं के आधार पर योजनाएं तैयार की गईं। जनसरोकार से जुड़े तमाम मुद्दे सुलझाए गए और जनहित में ताबड़तोड़ फैसले भी लिए गए। लेकिन, इसी बीच कई ऐसे अप्रत्याशित विवाद चुनौती के रूप में सामने आए जिनसे निपटना आसान नहीं था। ये चुनौतियां भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और अपराध से सम्बंधित थीं। अहम बात यह थी कि इन विवादों में सत्ताधारी दल से जुड़े कुछ लोगों की संलिप्तता रही, जिन पर सूझबूझ के साथ प्रभावी कार्रवाई करके पुष्कर सिंह धामी ने खुद को मजबूत और साहसिक फैसले लेने वाला मुख्यमंत्री साबित किया। अपना पराया किए बगैर आरोपियों पर की गई सख्त कार्रवाई से धामी सरकार पर जनता का विश्वास बढ़ा है।
वर्ष 2022 के शुरुआत में उत्तराखण्ड में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा की सत्ता में जबरदस्त वापसी हुई। चुनाव युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई में लड़े गए थे। इस चुनाव में कई इतिहास बदले और कई रिकॉर्ड टूट गए। इसके अलावा अंधविश्वास को भी गहरी चोट पहुंची। 21 मार्च 2022 को बतौर मुख्यमंत्री की दूसरी पारी शुरू करते ही पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश के विकास और पारदर्शी शासन पर फोकस शुरू कर दिया। सरकारी सिस्टम में सुधार की कवायद तेज हो गई। दूर दराज के क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का जाल बिछाने का रोडमैप तैयार किया गया, जिसे तेजी से धरातल पर उतारा जा रहा है। सामाजिक समरसता कायम करने और कामन सिविल कोड लागू करने के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जा चुका है। कमेटी कामन सिविल कोड का ड्रफ्ट तैयार कर चुकी है। इसके अलावा हर तरह के माफिया पर शिकंजा कसते हुए आम लोगों को राहत पहुंचाई जा रही है। वर्ष 2025 तक उत्तराखण्ड को देश का सर्वाेत्तम प्रदेश बनाने के लक्ष्य की ओर धामी बढ़ रहे हैं। प्रगति और सुशासन के इस माहौल के बीच कुछ अप्रत्याशित चुनौतियां भी समय समय पर मुख्यमंत्री धामी के सामने आईं।
जुलाई 2022 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को जानकारी मिली कि उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से संचालित की जा रही भर्ती परीक्षाओं में लम्बे समय से धांधली हो रही है। एक संगठित गिरोह पेपर लीक कर परीक्षार्थियों से मोटी रकम वसूल रहा है, जिससे पात्र युवाओं का चयन नहीं हो पा रहा है। यह बात सामने आई कि 4-5 दिसंबर 2021 को आयोग ने विभिन्न विभागों में स्नातक स्तर के 916 पदों पर भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की थी। इसके छह माह बाद 22 जुलाई 2022 को उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने भर्ती परीक्षा में धांधली का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से शिकायत की। इस पर मुख्यमंत्री ने पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार को भर्ती की जांच कराने का आदेश दिया। पुलिस महानिदेशक के आदेश पर रायपुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया और प्रकरण की विवेचना एसटीएफ को सौंपी गई। तफ्तीश से निकला कि आयोग ने लखनऊ के जिस प्रिंटिंग प्रेस आरएमएस टेक्नो साल्यूशंस प्रा. लि. को पेपर छापने और परीक्षा कराने की जिम्मेदारी सौंपी थी, उसके मालिक ने ही नकल माफिया से मिलीभगत कर पेपर लीक किया था। एसटीएफ अब तक प्रिंटिंग प्रेस के मालिक सहित तीन दर्जन से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। इस मामले में एक चौंकाने वाली बात सामने आई कि सत्ताधारी दल से जुड़ा उत्तरकाशी जिले का जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह भी इस नकल माफिया गिरोह की अहम कड़ियों में से एक है। यह बात सामने आते ही विपक्ष धामी सरकार पर हमलावर हो गया। धामी ने डीजीपी को आदेश दिए कि कोई आरोपी कितना भी रसूखदार क्यों न हो या किसी भी राजनैतिक दल से जुड़ा हो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए।
इसके बाद विधानसभा में चल रहा नियुक्तियों का गोरखधंधा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के संज्ञान में आया। सोशल मीडिया के जरिए बात सामने आई कि विधानसभा में अपने अपनों को रेवड़ियां बांटने का गोरखधंधा वर्ष 2000 में उत्तराखण्ड के पृथक राज्य बनते ही शुरू हो गया था। सरकारें बनीं, बदलीं लेकिन नौकरियां बांटने और बेचने का कारोबार बदस्तूर जारी रहा। श्अपात्रश् नौकरी पाते रहे और श्पात्रश् के हिस्से में सिर्फ निराशा आती रही। ये काम इतने शातिराना तरीके से हुए कि धामी सरकार का राज शुरू होने पर भी नियमों को ताक पर रखकर विधानसभा में 72 नियुक्तियां कर दी गईं। नौकरी पाने वालों में आरएसएस और भाजपा से जुड़े कुछ लोग भी शामिल थे। चूंकि मामला विधानसभा अध्यक्ष के कानूनी अधिकार क्षेत्र का था जिससे सरकार के हाथ बंधे थे। फिर भी मुख्यमंत्री धामी ने विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी को पत्र लिखकर नियुक्तियों में हुए भाई भतीजेवाद और फर्जीवाड़े की जांच करने और अवैध नियुक्तियों को तत्काल निरस्त करने का आग्रह करके सबको चौंका दिया। उनका यह कदम लीक से हटकर है। अब तक के मुख्यमंत्री बाखबर होते हुए भी श्सब चलता है चलता रहेगाश् की सोच से बंधे रहे। जब धामी ने पत्र लिखा तो उस वक्त विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी विदेश दौरे पर थीं। लौटते ही उन्होंने इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए उच्चस्तरीय जांच कमेटी गठित की और विवादित सचिव को फोर्स लीव पर भेज दिया। उसी समय कार्रवाई इतनी सख्ती से की गई कि सचिव का दफ्तर तक सील करवा दिया गया। जांच कमेटी को हर हाल में एक माह के भीतर अपनी रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए। इस कार्रवाई में विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी को सीएम धामी का पूरा सपोर्ट मिला। कमेटी ने दिन रात एक करते हुए विधानसभा में नियुक्तियों से सम्बंधित सभी दस्तावेज खंगाले और निर्धारित समयावधि से पहले ही अपनी रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दी। रिपोर्ट के आधार पर विधानसभध्यक्ष ने इस रिपोर्ट की सिफारिश के आधार पर 2016 में हुईं 150 तदर्थ नियुक्तियां, 2020 में हुईं 6 तदर्थ नियुक्तियां, 2021 में हुईं 72 तदर्थ नियुक्तियां और उपनल के माध्यम से हुईं 22 नियुक्तियां रद्द कर दीं। विधानसभा सचिव को भी निलम्बित कर दिया गया। समिति ने अपनी जांच में पाया है कि इन भर्तियों में नियमों का पालन नहीं किया गया। न विज्ञप्ति निकाली और न आवेदन मांगे, अपनाई गई यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद-14 और अनुच्छेद-16 का उल्लंघन है। किसी मुख्यमंत्री के लिए इस तरह के मामलों में कार्रवाई की पहल करना इतना आसान नहीं होता क्योंकि रद्द की गईं 250 नियुक्तियों में से 72 तदर्थ नियुक्तियां 2021 में भाजपा शासनकाल में ही हुई थीं। फिर भी उन्होंने पूरी निष्पक्षता से मामले की जांच करने और नियमों के विरुद्ध हुई नियुक्तियों को निरस्त करने का लिखित आग्रह विधानसभा अध्यक्ष से किया।
उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक और फिर विधानसभा में करीबियों को नियम विरुद्ध नौकरियां दिए जाने के विवाद अभी थमे नहीं थे कि रूह कंपा देने वाला एक हत्याकाण्ड सामने आ गया। योग नगरी ऋषिकेश के पास एक आलीशान रिजॉर्ट में अंकिता भण्डारी नाम की लड़की की हत्या कर दी गई। इस हत्याकाण्ड से पूरे उत्तराखण्ड के उबाल आ गया। पुलिस जांच में रिजॉर्ट का मालिक पुलकित आर्य और उसके दो मैनेजर हत्यारे निकले। पुलकित आर्य के पिता विनोद आर्य पूर्व दर्जाधारी राज्य मंत्री रहे हैं जबकि उसका भाई अंकित आर्य मौजूदा समय में उत्तराखण्ड पिछड़ा वर्ग आयोग का उपाध्यक्ष था। दोनों ही भाजपा के सदस्य थे। यह तथ्य सामने आते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित करने के आदेश दिए। इसके साथ ही इस हत्याकाण्ड को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने की पहल भी की है ताकि आरोपियों को जल्दी से जल्दी सख्त से सख्त सजा दिलाई जा सके। इधर, भाजपा ने भी मुख्य आरोपी पुलकित के पिता विनोद आर्य और भाई अंकित आर्य को भाजपा से निष्कासित कर दिया है। अंकित आर्य को उत्तराखण्ड पिछड़ा वर्ग आयोग के उपाध्यक्ष पद से हटा दिया गया है। भ्रष्टाचार, अनियमितता और उपराध से जुड़े इन तीनों मामलों में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आरोपियों पर जिस तरह से निष्पक्ष और कड़ी कार्रवाई की है, उससे युवाओं में उम्मीद बंधी है कि भविष्य में उनके हक सुरक्षित रहेंगे।

धामी कैबिनेट में यह रहे अहम फैसले, आप भी जानें…

सीएम पुष्कर सिंह धामी कैबिनेट ने आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण का लाभ देने के लिए विधेयक लाने को मंजूरी दी है। इसी मानसून सत्र में विधेयक सदन के पटल पर रखा जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की अध्यक्षता में आज सचिवालय में हुई कैबिनेट बैठक में 22 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। सूत्रों ने बताया कि यह विधेयक 2004 से तब से लागू माना जाएगा। जब से राज्य आंदोलनकारियों को नौकरियों में आरक्षण का लाभ मिलना शुरू हुआ था। ताकि इस अवधि में आरक्षण का लाभ लेने वाले कर्मचारियों के भी हित सुरक्षित हो सकें। दरअसल, एनडी तिवारी सरकार ने सबसे पहले आंदोलनकारियों को 2004 में आरक्षण का लाभ दिया था। तब सात दिन से अधिक जेल में रहने वाले अथवा घायलों को समूह ग के पदों पर जिलाधिकारियों के मार्फत सीधी नौकरियां दी गई थी। वहीं, सात दिन से कम जेल में रहने वाले अथवा चिन्हित आंदोलनकारियों को 10 फीसदी आरक्षण देनेका प्रावधान किया था। लेकिन ये सभी लाभ जीओ के आधार पर मिल रहे थे।

26 अगस्त, 2013 को हाईकोर्ट ने आरक्षण पर रोक लगा दी थी, जबकि मार्च 2018 में आरक्षण के लाभ सेसंबंधित जीओ, नोटिफिकेशन और सरकुलर सभी को खारिज कर दिया था। दिसंबर,15 में हरीश रावत सरकार ने विधानसभा के सदन में विधेयक पारित कर राजभवन को भेजा था, लेकिन तब से यह विधेयक राजभवन में लंबित पड़ा रहा।

सितंबर, 22 में धामी सरकार ने इस विधेयक को राजभवन से वापस मंगाते हुए आंशिक संशोधन के लिए कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में सब कमेटी गठित की थी।

मार्च, 23 में गैरसैंण कैबिनेट बैठक में सब कमेटी की सिफारिशें लागू करने व नए सिरे से संशोधित विधेयक लाने को हरी झंडी दी गई। अब धामी सरकार आंदोलनकारियों से किए वादे के मुताबिक उसे साकार करने जा रही है।

कैबिनेट के प्रमुख फैसले
-संविदा, तदर्थ व नियत वेतनमान कर्मचारियों को भी बाल्य देखभाल व पितृत्व अवकाश
– उत्तराखंड आयुष नीति को मंजूरी
-सरकारी विश्व विद्यालय के लिए अंब्रेला एक्ट
-निजी विश्व विद्यालयों में 25 फीसदी सीटें स्थानीय छात्रों के लिए आरक्षित
-स्टेट इंस्टीट्यूट आफ होटल मैनेजमेंट रामनगर के ढांचा स्वीकृत
-एकल संवर्गपदों पर रिजल्ट घोषित होनेपर प्रतीक्षा सूची भी बनेगी
-अनुपूरक बजट को मंजूरी
-इंदिरा मार्केट रि डेवलपमेंट परियोजना को मिला एक्सटेंशन
-उत्तराखंड माल एवं सेवाकर संशोधन विधेयक को मंजूर

प्रदेश सरकार महिलाओं के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही-धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेश सरकार महिलाओं के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है। यही नहीं सुरक्षित जननी विकसित धारिणी की अवधारणा को भी साकार किया जा रहा है इसी के दृष्टिगत महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग उत्तराखण्ड द्वारा केंद्र पोषित महत्त्वकांक्षी प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के अंतर्गत 4944 गर्भवती/धात्री महिलाओं को रु. 1.15 करोड़ की धनराशि डी. बी. टी. के माध्यम से डिजिटली सीधे बैंक खाते मे भेजी गयी है।
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना का उद्देश्य काम करने वाली महिलाओं की मजदूरी की भरपाई करने के लिए मुआवजा देना और उनके आराम और उचित पोषण को सुनिश्चित करना है। यह प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत निम्नलिखित तीन किस्तों मे किया जाता है। जिसमें पहली किस्त 1000 रुपए गर्भावस्था के पंजीकरण के समय, दूसरी किस्त 2000 रुपये, यदि लाभार्थी छह महीने की गर्भावस्था के बाद कम से कम एक प्रसवपूर्व जांच कर लेते हैं, जबकि तीसरी किस्त 2000 रुपए, जब बच्चे का जन्म पंजीकृत हो जाता है और बच्चे को बीसीजी, ओपीवी, डीपीटी और हेपेटाइटिस-बी सहित पहले टीके का चक्र शुरू होता है, दी जाती है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे कठोर कार्यवाही करने वाले सीएम हैं धामी

भाजपा ने बेरोजगारों के आंदोलन के दौरान युवाओं पर दर्ज मुकदमो को वापस लेने की सीएम की घोषणा को शानदार और स्वागत योग्य कदम बताया।

भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि युवाओं के हित मे यह शानदार निर्णय है। यह घटना दुखद है, लेकिन जिस तरह से मुकदमे वापस लिए जायेंगे वह सुखद है। कहा कि युवाओं को मोहरा बनाकर कांग्रेस स्वार्थ सिद्धि की राजनीति करती आयी है। जबकि युवा सीएम धामी ने युवा और बेरोजगारों के हित देखते हुए कई कठोर निर्णय लिए है। पारदर्शी परीक्षाओं से युवाओं का भविष्य सुरक्षित होगा और कोई उनके हक पर डाका नही डाल पायेगा।
उन्होंने कहा कि राज्य मे कड़ा नकल विरोधी कानून देश के दूसरे राज्यों के लिए भी नजीर है। हालांकि कांग्रेस जैसे दलों को यह उपलब्धि नही पच रही है और अपनी कारगुजारियों पर पर्दा डालने के लिए वह विरोध पर उतर आयी है। राज्य के 22 वर्ष के इतिहास मे ऐसे निर्णय लेने वाले सीएम पुष्कर सिंह धामी ही है, जिन्होंने बिना काल खंड देखे घपले घोटालों की जाँच की और आरोपियों को सलाखों के पीछे भेजा। यह उनका नैतिक साहस और भ्रष्टाचार के खिलाफ अडिग होकर जीरो टॉलरेंस की नीति का अनुपालन करना था। कहा कि विगत दिवस गैरसैण मे पारित वजट मे उन्होंने युवाओं को फोकस कर पर्याप्त प्रावधान किये है।

आज पूरी पारदर्शिता और समयबद्धता से परीक्षाओं का आयोजन किया जा रहा है। तीन परीक्षाओं का सफलतापूर्वक आयोजन किया जा चुका है। अन्य परीक्षाओं का आयोजन जारी केलेण्डर के अनुसार किया जा रहा है। समस्त प्रतियोगी परीक्षाओं को नकल विहीन बनाने का संकल्प अब फलीभूत होने जा रहा है।

उन्होंने कहा कि सरकार सभी वायदों पर खरी उतर रही है। इसमे समान नागरिक संहिता के लिये गठित समिति जनप्रतिनिधियों, विभिन्न संगठनों, संस्थाओं, आमजन आदि से सुझाव लेकर ड्राफ्ट तैयार कर रही है। दूसरे राज्य भी उत्तराखंड के ड्राफ्ट को बेहतर बता रहे है। सरकार ने सख्त धर्मांतरण कानून बनाया है तो प्रदेश की महिलाओं को सरकारी नौकरी में उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए हमने 30 प्रतिशत महिलाओं के क्षैतिज आरक्षण देने का जो फैसला लिया था, उसे कानून बनाकर धरातल पर उतारने का कार्य किया है। राज्य आंदोलनकारियों को भी दस प्रतिशत आरक्षण, अपणि सरकार पोर्टल, ई-ऑफिस, सीएम हेल्पलाईन आदि सुधारों के द्वारा कार्यसंस्कृति में गुणात्मक सुधार हुआ है। सरकार ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिये भ्रष्टाचार मुक्त एप 1064 लांच किया है। इस एप प्राप्त शिकायतों पर गम्भीरतापूर्वक कार्यवाही हो रही हैं। 46 लाख 70 हजार से अधिक लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं। इससे आम जन को लाभ मिल रहा है।

हर लंबित मांग और समस्या का समाधान निकाल रहे युवा सीएम धामी

देवभूमि के लाल धामी तूने फिर कर दिया कमाल… यह लाइन आज उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट बैठक होने के बाद हुए एक बहुप्रतिक्षित निर्णय को लेकर कहा जा रहा है। राज्य आंदोलनकारियों को पिछले 12 वर्षों से आरक्षण का लाभ नही मिल पा रहा था। ऐसे में संवेदनशील मुख्यमंत्री धामी ने आज की कैबिनेट में ऐतिहासिक निर्णय लेकर साबित कर दिया कि जनहित के मुद्दों को लेकर धामी सरकार केन्द्र की मोदी सरकार की तरह संवेदनशील है।
केन्द्र की मोदी सरकार ने शायद पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया ही इस लिए है कि देवभूमि जब युवा अवस्था में होगा तो राज्य देश के सर्वश्रेष्ठ राज्यों में ना केवल शुमार होगा, बल्कि देश का प्रतिनिधित्व करने वाला अग्रणी हिमालय राज्य भी होगा। मुख्यमंत्री धामी राज्य के विकास के लिए साहसिक निर्णय ले रहे है तो इस बात की तस्दीक भी हो रही है। वैसे भी इस बात को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कई बार देवभूमि आगमन पर खुले मंच से कह भी चुके है। ऊर्जावान युवा मुख्यमंत्री उसको चरितार्थ भी कर रहे है।

राज्य आंदोलनकारियों की हितैषी धामी सरकार
राज्य आंदोलन में अपनी अग्रणी भूमिका निभाने वालों को राज्य सरकार कैसे भूल सकती है। यह कहना है मुख्यमंत्री धामी का। अपने पहले कार्यकाल में धामी सरकार ने अल्प समय में राज्य आंदोलनकारियों की पेंशन में वृद्धि की। उसके बाद जिला मुख्यालयों में वर्षो से बंद पड़ी चिन्हित प्रक्रिया की फाइलों को दुबारा से खुलवाया। उसके बाद राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरी में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिलाने के लिए सब कमिटी का गठन किया। पिछली कैबिनेट बैठक में कमेटी के द्वारा रिपोर्ट ना आने पर नाराजगी जताते हुए धामी ने अगली बैठक में इसे ना रखने पर कार्रवाई की चेतावनी तक दे डाली। आज कैबिनेट ने इस सब कमेटी के निर्णय को स्वीकार कर राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरी में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिलाने पर मुहर लगा दी।

’’साहसिक और राज्य हित में निर्णय ले रही धामी सरकार’’
राज्य की हर समस्या और मांग पर धामी सरकार सही और साहसिक निर्णय ले रही है। धामी सरकार-2 अपने 1 वर्ष के कार्यकाल को पूरा करने जो रही है। अगर इन एक साल में धामी सरकार के निर्णय और कार्यशैली को देखे तो कई फैसले साहसिक और कठोर रहे है जो राज्य के विकास और आम आदमी को कई दशकों तक राहत देते हुए नजर आ रहे है।

-सीएम धामी ने सरकारी नौकरियों में गड़बड़ियों पर साहसिक फैसला लेते हुए संदेह के घेरे में आई कई परीक्षाओं की जांच कराई। यह जानते हुए भी कि जिसकी सरकार में ऐसी जांच होती है सिंडिकेंट उसकी सरकार को हर तरफ से प्रभावित करता है। इन सबी परवाह ना करते हुए जांच में नकल माफिया की मिलीभगत की पुष्टि होने के बाद कई परीक्षाएं रद्द हुई और कई माफिया, सफेदपोश नेता, सरकारी कर्मचारी जेल भेजे गये। 22 वर्षो के अंतराल में कोई भी सरकार नकल विरोधी कानून नही ला पाई जिससे राज्य को बड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है यह जानकर धामी ने देश का सबसे कठोर नकल विरोधी कानून लाकर माफिया की कमर ही तोड़ दी।

-राज्य की महिलाओं को सरकारी नौकरियों में क्षैतिज आरक्षण देकर धामी ने उत्तराखंड की महिलाओं का भविष्य सुरक्षित कर दिया। कई जनकल्याणकारी योजनाएं चलाकर महिलाओं को सशक्त और आर्थिक रुप से मजबूत करने का कार्य भी धामी सरकार कर रही है।

-देवभूमि के अस्तित्व को बचाने के लिए धामी ने देश का सशक्त धर्मान्तरण कानून लाकर अन्य राज्यों के लिए भी नजीर पेश की। जिसके बाद अन्य राज्यों ने भी इस कानून की दिशा में कदम बढ़ाये।

-सिविल कोड कानून के लिए कमेटी का गठन कर देश के लिए बड़ा संदेश देने में कामयाब रहे कि एक देश एक कानून आज समय की मांग ही नही हर देशवासी के हितों के लिए भी जरुरी है। जो लोग खाते तो हिन्दुस्तान का है और गाते दुश्मन देश का है उन्हें धर्म के नाम पर लूट मचाने और कानून का उल्लंघन करने के इजाजत उत्तराखंड में तो कई नही मिलेगी।

धामी सरकार की कैबिनेट ने आज लिए ये फैसले-
इस दौरान राज्‍य की नई सौर ऊर्जा नीति को मंजूरी मिली।
वहीं राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरी में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की सब कमिटी की रिपोर्ट भी स्वीकृत की गई। अब उक्‍त विधेयक राजभवन भेजा जाएगा।
बैठक में विधायक निधि बढ़ाने को भी मंजूरी मिली।
विधायक निधि 3 करोड़ 75 लाख से बढ़ाकर 5 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष की गई।
मंदिरों के सौंदर्यीकरण के लिए अब एक साल में 25 लाख के बजाय 50 लाख रुपये मिलेंगे।
महिला मंगल दलों को मिलने वाली राशि 25 लाख से बढ़ाकर 40 लाख रुपये की गई।

ढाक गांव, चमोली में मॉडल प्री फैब शेल्टर निर्माण हेतु भूमि का चयन

सचिव आपदा प्रबन्धन डा0 रंजीत कुमार सिन्हा ने सोमवार को मीडिया सेन्टर, सचिवालय में जोशीमठ नगर क्षेत्र में हो रहे भू-धंसाव एवं भूस्खलन के उपरान्त राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे राहत व बचाव तथा स्थायीध्अस्थायी पुनर्वास आदि से सम्बन्धित किये जा रहे कार्यो की मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि जोशीमठ में अग्रिम राहत के तौर पर 3.45 करोड़ रूपये की धनराशि 261 प्रभावित परिवारों को वितरित की गई है। उद्यान विभाग, एचडीआरआई, जोशीमठ के पास स्थित भूमि पर केन्द्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रूड़की के सहयोग से वन बीएचके, टू बीएचके व थ्री बीएचके के मॉडल प्रोटोटाइप प्रीफ्रेब्रिकेटेड शेल्टर का निर्माण कार्य आरम्भ हो चुका है। ढाक गांव, चमोली में वन बीएचके, टू बीएचके व थ्री बीएचके के मॉडल प्रोटोटाइप प्रीफ्रेब्रिकेटेड शेल्टर निर्माण हेतु भूमि चयन होने के बाद भूमि समतलीकरण, बिजली, पानी, सीवर आदि की व्यवस्था हेतु कार्यवाही प्रारम्भ हो चुकी है। आवश्यकता पड़ने पर भराणीसैंण विधानसभा के हॉस्टलों में विस्थापितों के रहने की व्यवस्था का विकल्प खुला रखा गया है।
सचिव आपदा प्रबन्धन ने जानकारी दी है कि जोशीमठ में प्रारम्भ में निकलने वाले पानी का डिस्चार्ज जो कि 06 जनवरी 2023 को 540 एल.पी.एम. था, वर्तमान में घटकर 180 एलपीएम हो गया है। अस्थायी रूप से चिन्हित राहत शिविरों में जोशीमठ में कुल 656 कक्ष हैं जिनकी क्षमता 2940 लोगों की है तथा पीपलकोटी में 491 कक्ष हैं जिनकी क्षमता 2205 लोगों की है। अभी तक 863 भवनों में दरारें दृष्टिगत हुई है। उन्होंने जानकारी दी कि गांधीनगर में 01, सिंहधार में 02, मनोहरबाग में 05, सुनील में 07 क्षेत्र वार्ड असुरक्षित घोषित किए गए हैं। 181 भवन असुरक्षित क्षेत्र में स्थित है। 278 परिवार सुरक्षा के दृष्टिगत अस्थायी रूप से विस्थापित किये गये हैं। विस्थापित परिवार के सदस्यों की संख्या 933 है।