घायल वनकर्मी को एयर एम्बुलेंस से एम्स दिल्ली में कराया भर्ती

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर बिनसर वन्यजीव विहार में वनाग्नि की चपेट में आकर झुलसे चार वन कर्मियों को हल्द्वानी स्थित सुशीला तिवारी बेस अस्पताल से दिल्ली एम्स के ट्रामा सेंटर में भर्ती किया जा रहा है। अब तक तीन घायलों को भर्ती किया जा चुका है, जबकि चौथे घायल की भर्ती प्रक्रिया गतिमान है।
मुख्यमंत्री ने एम्स में भर्ती किये गये घायलों के परिजनों के दिल्ली में ठहरने आदि की व्यवस्था के भी निर्देश स्थानिक आयुक्त अजय मिश्रा को दिये हैं।
केन्द्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा तथा एम्स के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास ने भी भर्ती घायलों का हाल-चाल जाना तथा उनके उपचार की जानकारी भी प्राप्त की।

कोरोना को मात देकर सीएम त्रिवेंद्र हुए दिल्ली एम्स से डिस्चार्ज

उत्तराखंड के लोगों के लिए अच्छी खबर है, प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत दिल्ली एम्स से आज डिस्चार्ज हो गए हैं। वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं, मगर चिकित्सकों ने उन्हें कुछ दिनों के लिए होम आइसोलेट रहने की सलाह दी है।

दरअसल, कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव होने के बाद सीएम दून मेडिकल कॉलेज में भर्ती हुए थे। मगर, बुखार व फेफड़ों में तकलीफ के चलते उन्हें 28 दिसंबर को एम्स दिल्ली रेफर किया गया था।

वहीं, मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य होने पर कैबिनेट मंत्रियों व वरिष्ठ नेताओं सहित भाजपा कार्यकर्ताओं में खुशी का माहौल है। हालांकि, डिस्चार्ज होने के बाद वह सीएम त्रिवेंद्र दून नहीं आ रहे हैं। वह दिल्ली स्थित आवास में होम आइसोलेशन में ही रहेंगे।

संकटमोचक को विदाई देने पहुंचे दिग्गज भाजपा नेता

पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली आज अपने अनंत सफर पर रवाना हो गए। पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनके शव का अंतिम संस्कार किया गया। भाजपा के संकटमोचक को अंतिम विदाई देने के लिए उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सहित कई राज्यों के मुख्यमंत्री, योग गुरु बाबा रामदेव और विपक्ष के कई दिग्गज नेता भी पहुचे। सभी ने नम आंखों से जेटली को विदाई दी। विदेश यात्रा पर होने की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अरुण जेटली के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाए। हालांकि उन्होंने शोकाकुल परिवार से फोन पर बात की थी। बहरीन में अपना दुख व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा था कि मैं यहां इतनी दूर हूं और मेरा दोस्त अरुण चला गया।
भाजपा मुख्यालय में दी श्रद्धांजलि
इससे पहले दिवंगत नेता अरुण जेटली का पार्थिव शरीर भाजपा मुख्यालय लाया गया जहां केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह और वरिष्ठ पार्टी नेताओं तथा कार्यकर्ताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन, प्रकाश जावड़ेकर, पीयूष गोयल, अनुराग ठाकुर और आप के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने भी जेटली को श्रद्धांजलि अर्पित की। जेटली के पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटकर उनके कैलाश कॉलोनी स्थित आवास से दीन दयाल उपाध्याय स्थित भाजपा मुख्यालय लाया गया। भाजपा मुख्यालय के बाहर पार्टी कार्यकर्ता अपने नेता को अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए कतार में खड़े थे और ‘जब तक सूरज चांद रहेगा जेटली तेरा नाम रहेगा’ तथा ‘जेटली जी अमर रहें’ जैसे नारे लगा रहे थे।

जेटली के परिवार से की बात
प्रधानमंत्री ने यूएई से ही जेटली की पत्नी संगीता और बेटे रोहन से बात की और उन्हें सांत्वना दी। इस दौरान जेटली के परिवार ने उनसे विदेश दौरा रद्द नहीं करने को कहा। दिल्ली विश्वविद्यालय से छात्र नेता के रूप में राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत करने वाले जेटली सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील भी थे। वह अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में भी केंद्रीय मंत्री रहे थे। उनकी गिनती देश के बेहतरीन वकीलों के तौर पर होती रही। 80 के दशक में ही जेटली ने सुप्रीम कोर्ट और देश के कई हाई कोर्ट में महत्वपूर्ण केस लड़े। 1990 में उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट ने सीनियर वकील का दर्जा दिया। वीपी सिंह सरकार में वह अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल का पद संभाला था।

विदेश में की घोटालों की पड़ताल
पिछले बीस वर्षों के दौरान जेटली ने वाणिज्य, सूचना प्रसारण, कानून, कंपनी मामले, वित्त, रक्षा जैसे कई महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाले। चाहे 1989 में बोफोर्स घोटाले की विदेशों में जाकर पड़ताल करनी हो, 2002 में गुजरात दंगों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का साथ देना हो या फिर 2009 से 2014 के दौरान राज्यसभा में बतौर नेता विपक्ष मनमोहन सिंह सरकार के भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर करना, वे हर बार नई ऊर्जा और रणनीति के साथ भाजपा की राजनीति को नई धार प्रदान करते नजर आते। इस साल मई में जेटली ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर स्वास्थ्य कारणों से नई सरकार में कोई जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया था।

अरुण जेटली की मौत का सच
पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली लंबे समय से चली आ रही गंभीर बीमारियों को हर बार मात देते थे। मधुमेह, मोटापा, गुर्दा, कैंसर, पेट और फेफड़े से जुड़े रोगों का उन्होंने डटकर सामना किया। निधन से पहले 12 घंटे के भीतर दो बार हार्ट अटैक भी आया। आंतों में रक्तस्त्राव होने के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। वर्ष 2014 में जेटली ने एम्स में गैस्ट्रो यानि पेट से जुड़ा एक ऑपरेशन कराया था। जिसके बाद उनका वजन भी काफी कम हुआ था। चूंकि वह मधुमेह रोग से लंबे समय से ग्रस्त थे।
ऑपरेशन के बाद से डॉक्टरों ने स्वास्थ्य को लेकर उन्हें खास सतर्कता बरतने की सलाह दी थी, जिसके बाद सुबह से लेकर रात तक जेटली संतुलित आहार का सेवन करते थे। सात्विक भोजन के लिए उनका टिफन बाकायदा घर से बनकर वित्त मंत्रालय और सदन तक आता था। हालांकि वर्ष 2017 में उन्हें किडनी (गुर्दे) से जुड़ी तकलीफ शुरू हो गई। कई बार डायलिसिस के बाद वर्ष 2018 में एम्स में किडनी प्रत्यारोपण कराया। प्रत्यारोपण के करीब छह माह तक जेटली काफी स्वस्थ्य रहे। हालांकि डॉक्टरों ने आइसोलेशन में ही रहने की सलाह दी थी लेकिन फिर भी वह जरूरतमंद लोगों को पूरा वक्त देते थे। दिसंबर 2018 में उनकी तबियत में गिरावट आई।
जांच करने पर फेफड़े में एक प्रकार के कैंसर की पुष्टि हुई। इसके बाद जनवरी में न्यूयॉर्क के डॉक्टरों से ऑपरेशन भी कराया। इस ऑपरेशन के बाद से जेटली का स्वास्थ्य लगातार गिरता चला गया। वे पहले से काफी कमजोर हो गए थे। बीते 9 अगस्त को उन्हें सांस लेने में तकलीफ और फेफड़ों में पानी भरने की शिकायत हुई थी जिसके बाद से एम्स में भर्ती थे।