भाजपा की बढ़ी परेशानी, कैसे एडजस्ट होंगे भाजपा विधायक

राज्य सरकारों की ओर से संसदीय सचिवों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से प्रदेश भाजपा सरकार के साथ ही पार्टी विधायकों की चिंताएं भी बढ़ने लगी हैं। इस निर्णय से सरकार के सामने अब विधायकों को सत्ता में एडजस्ट करने की चुनौती आ खड़ी हुई है तो सरकार में ओहदा पाने के अरमान पाले विधायकों को भी झटका लगा है।
प्रदेश में भाजपा भारी बहुमत से सत्ता में आई है। इस बहुमत के साथ ही भाजपा के सामने कई चुनौतियां भी आई हैं। इसमें सबसे बड़ी चुनौती सभी पार्टी विधायकों को उचित सम्मान और सत्ता में हिस्सेदारी देने की भी है। प्रदेश में सरकार बनाने के बाद भाजपा ने क्षेत्रीय व जातीय संतुलन साधते हुए मंत्रिमंडल की संख्या अभी फिलहाल दस तक ही सीमित रखी है।
मंत्रिमंडल में अभी दो पद रिक्त चल रहे हैं। संवैधानिक व्यवस्था के मुताबिक उत्तराखंड में अधिकतम बारह सदस्यीय मंत्रिमंडल हो सकता है। मंत्रिमंडल के इन दो रिक्त पदों पर कई वरिष्ठ विधायकों को दावा है। इनमें लगभग आधा दर्जन विधायक ऐसे भी हैं जो पूर्व में मंत्री रह चुके हैं। गाहे-बगाहे ये विधायक अप्रत्यक्ष तौर पर वरिष्ठता के नाते रिक्त मंत्री पदों पर अपना दावा जताने से चूकते भी नहीं हैं।
विधायकों की संख्या बहुत अधिक होने के कारण फिलहाल सरकार और मुख्यमंत्री मंत्रिमंडल के दो पदों को भरने के मामले में चुप्पी ही साधे हुए हैं। हालांकि, निकट भविष्य में इन पदों का भरना तय है। माना जा रहा था कि मंत्रिमंडल के रिक्त पदों को भरने के बाद भाजपा बड़ी संख्या में वरिष्ठ विधायकों का मान सम्मान रखने के लिए उनकी संसदीय सचिवों के रूप में तैनाती कर सकती है।
दरअसल, पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने भी इस परिपाटी के मुताबिक संसदीय सचिवों की तैनाती की थी। कांग्रेस ने सरकार में उठ रहे विरोधी स्वरों को शांत करने के लिए सात विधायकों को संसदीय सचिव का दायित्व दिया था। इन्हें कैबिनेट मंत्रियों जैसे अधिकार तो नहीं थे लेकिन इन्हें सभी सुविधाएं कैबिनेट मंत्रियों समान दी गई थी।
मौजूदा सरकार में भी माना जा रहा था कि आने वाले समय में भाजपा इसी परिपाटी को आगे बढ़ा सकती है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से दी गई व्यवस्था के बाद संसदीय सचिव बनाने की परंपरा भी समाप्त हो गई है। इससे सरकार के सामने विधायकों को एडजस्ट करने की चुनौती बढ़ गई है।

सीएम के प्रयासों से गढ़वाली व कुमाऊंनी बोली को मिलेगा बढ़ावा

गढ़वाली व कुमाऊंनी बोली के प्रचार-प्रसार के लिए एक अनूठी पहल की गई है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा गढ़वाली व कुमाऊंनी बोली को संविधान की 8 वीं अनुसूची में शामिल किए जाने के प्रयास किए जा रहे है। उन्होंने कहा कि गढ़वाली व कुमाऊंनी बोली को दर्जा दिलाने की मांग पहले भी संसद में भी उठाई जा चुकी है और यह प्रयास जारी है।
उत्तराखंड की लोक भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए अब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र द्वारा सोशल मीडिया में भी गढ़वाली, कुमाऊंनी व उत्तराखंड की अन्य बोली भाषा में आम-जन से संवाद स्थापित किया जा रहा है। जिसकी शुरूआत आज मुख्यमंत्री ने अपने ट्वीटर अकाउंट में गढ़वाली व कुमाऊंनी बोली में ट्वीट कर की गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें सदैव अपनी संस्कृति, बोली भाषा से जुड़ाव रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज का युवा सोशल मीडिया में अधिक सक्रिय है। सोशल मीडिया में अपनी लोक भाषा गढ़वाली, कुमाऊंनी व उत्तराखंड की अन्य बोली भाषा में संवाद करने से युवा पीढ़ी के साथ-साथ भावी पीढ़ी को भी अपनी बोली व संस्कृति से जुड़ने का मौका मिलेगा। सीएम ने लोगों से अपेक्षा की है कि वे समय-समय पर सोशल मीडिया पर गढ़वाली, कुमाऊंनी व उत्तराखंड की अन्य बोली भाषा में भी उनसे संवाद स्थापित करेंगे।

पूर्णागिरि मेले के संचालन को विकास प्राधिकरण की स्थापना होगी

जनपद चम्पावत के एक दिवसीय भ्रमण के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने टनकपुर में जन संवाद कार्यक्रम के दौरान आम जनता को संबोधित किया। सीएम ने लोहाघाट एवं चम्पावत विधानसभा की सड़कों के रख-रखाव व निर्माण के लिए 10 करोड़ रूपये देने की घोषणा की।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चम्पावत विधानसभा क्षेत्र हेतु टनकपुर रोडवेज वर्कशाप को केन्द्रीय वर्कशाप का दर्जा देने, नरियालगांव में नस्ल सुधार हेतु योजना को अपग्रेड किये जाने, पूर्णागिरि टनकपुर सड़क के दोनों ओर जंगली जानवरों से सुरक्षा हेतु सुरक्षा कार्य तथा पूर्णागिरी में पेयजल, रास्ता एवं शौचालय आदि अवस्थापना निमार्ण कार्य की व्यवस्था, चम्पावत में चाय बागान विकास, स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत टनकपुर व चम्पावत का सौन्दर्यीकरण, जिले में छोटी-छोटी झीलों का निर्माण, पूर्णागिरि मेला क्षेत्र में अवस्थापना विकास तथा रोपवे का निर्माण पूर्ण कराने की घोषणा की।
पूर्णागिरि मेले के संचालन हेतु विकास प्राधिकरण की स्थापना, विधानसभा क्षेत्र टनकपुर व चम्पावत में पार्किंग, हाईटेक शौचालय एवं चम्पावत में बस अड्डे का निर्माण, गौड़ी नदी का संरक्षण एवं संवर्द्धन, टैªकिंग रूटों का निर्माण, चम्पावत नगर हेतु मास्टर प्लान व सीवर लाइन का निर्माण, चम्पावत में इकोपार्क का निर्माण, चम्पावत क्वैराला पंपिंग योजना में गति लाने, कठवापाती में सिडकुल की स्थापना के साथ गैडाखाली में हनुमान मंदिर के पास पुल का निर्माण करने की घोषणा की। उन्होंने जनपद में नजूल भूमि फ्री होल्ड करने हेतु समय सीमा बढ़ाने की भी घोषणा की।
मुख्यमंत्री ने लोगों से प्रत्येक परिवार द्वारा ‘एक व्यक्ति एक पेड़’ लगाकर प्रदेश को हराभरा करने हेतु संकल्प लेने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में फैशन डिजाईन, प्लास्टिक इंजिनियरिंग संस्थान, हॉस्पिटैलिटी संस्थान इसी वित्तीय वर्ष से स्थापित किये जा रहे है, जिसमें शत-प्रतिशत रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। उन्होंने कहा कि पंचेश्वर बांध के निर्माण से एनएचपीसी द्वारा पूरे देश में पैदा की जा रही बिजली से अधिक बिजली पैदा होगी साथ ही विकास के नये आयाम स्थापित होंगे, पर्यटन गतिविधियों में इजाफा होगा और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। उन्होंने कहा कि बांध के निर्माण से कुछ परेशानियां होंगी लेकिन उन्हें दूर किया जायेगा।

जनता मिलन कार्यक्रम में आर्थिक सहायता के लिए पहुंच रहे फरियादी


देहरादून।
मुख्यमंत्री के जनता मिलन कार्यक्रम में भी शराब की दुकानों के विरोध का मुद्दा उठा। रायपुर व जोहड़ीगांव से आए प्रतिनिधिमंडल ने रिहायशी क्षेत्रों में खोली जा रही शराब की दुकानों को बंद करने की मांग रखी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जिलाधिकारी को इस प्रकरण पर रिपोर्ट देने को कहा है। 
इस दौरान मुख्यमंत्री ने बड़ी संख्या में फरियादियों की समस्याओं को सुना और समयबद्ध निस्तारण के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि समस्या निस्तारित होने की सूचना संबंधित व्यक्ति को दी जानी चाहिए।  
न्यू कैंट रोड स्थित सीएम आवास के जनता दर्शन हॉल में जनता मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में 40 से अधिक आर्थिक सहायता के प्रकरण रखे गए। मुख्यमंत्री ने इन प्रकरणों को गुणदोष के आधार पर निस्तारित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आर्थिक सहायता के जो प्रकरण चिकित्सा उपचार से संबंधित हैं, उनके साथ मेडिकल बिल तथा चिकित्सा उपचार संबंधी प्रमाणपत्र अनिवार्य रूप से लगाने होंगे। 
जो चिकित्सा बिल तथा चिकित्सा उपचार के प्रकरण मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के अंतर्गत निपटाए जा सकते हैं, उन्हें संबंधित विभागों को भेजा जाए। इससे पूर्व मुख्यमंत्री आवास में सुबह से ही बड़ी संख्या में फरियादी जुटने शुरू हो गए थे। 
सभी की शिकायतों को विभागवार रजिस्टर्ड किया गया और इसके बाद मुख्यमंत्री के सामने संबंधित प्रकरण रखे गए। कार्यक्रम में विशेष यह रहा कि मुख्यमंत्री ने दो बार लोगों की शिकायतों को सुना। पहले मुख्यमंत्री सुबह तकरीबन 11 बजे तक कार्यक्रम में रहे और इसके बाद राजभवन एक अन्य कार्यक्रम में शिरकत करने चले गए। वहां से वापस आकर उन्होंने फिर से समस्याओं को सुना। 
उनकी अनुपस्थिति में प्रमख सचिव मनीषा पंवार, डॉ. उमाकांत पंवार, सचिव अमित नेगी, राधिका झा व आयुक्त गढ़वाल विनोद शर्मा ने जनता की शिकायतों को सुना। 
राजस्व मामलों में अलग अधिकारी होगा नियुक्त
मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि अधिकांश शिकायतें राजस्व संबंधी मामलों की हैं। इन समस्याओं के निस्तारण के लिए एक अलग अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिए गए हैं।