बच्चों की सुरक्षा के लिए एक करोड़ रूपये की रिवोल्विंग फण्ड की व्यवस्था की जायेगीः सीएम

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने थाना डालनवाला में उत्तराखण्ड के प्रथम बाल मित्र पुलिस थाने का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने बच्चों की सुरक्षा के लिए 01 करोड़ के राहत कोष की घोषणा की।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड में बाल मित्र थाने के रूप में उत्तराखण्ड में एक नई शुरूआत की गई है। यह पुलिस का एक महत्वपूर्ण सुधारात्मक कदम होगा। उन्होंने कहा कि बच्चों को जिस माहौल में ढ़ालना चाहें, वे उस माहौल में ढ़ल जाते हैं। इसलिए बच्चों को बेहतर माहौल मिलना जरूरी है। बाल मित्र पुलिस थाने से लोगों को ये लगे कि बच्चों के संरक्षक आ रहे हैं। जो बच्चे अनजाने में अपनी दिशा से भटक जाते हैं, इन थानों के माध्यम से इनको सही दिशा देने के प्रयास किये जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा निराश्रित बच्चों के लिए सरकारी सेवाओं में 05 प्रतिशत तथा दिव्यांगजनों के लिए भी 04 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई है।

उत्तराखण्ड बाल संरक्षण अधिकार आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने कहा कि पुलिस के सहयोग से प्रदेश के सभी 13 जिलों में बाल मित्र पुलिस थाने खोले जायेंगे। इन थानों में बच्चों के काउंसलिग की व्यवस्था भी की जायेगी। उन्हें कहा कि इसके लिए पुलिस विभाग को 13 लाख रूपये दिये जायेंगे।

पुलिस महानिदेशक श्री अशोक कुमार ने कहा कि बाल मित्र पुलिस थाना प्रदेश में नई मुहिम शुरू की गई है। हमारा प्रयास है कि हर थाने को महिला एवं चाइल्ड फ्रेंडली बनाया जाय। इससे थाने के नाम से बच्चों के मन में जो भय रहता है, वह दूर होगा। उन्होंने कहा कि राज्य में ऑपरेशन ‘मुक्ति’ के तहत लगभग 2200 बच्चे चिन्हित किये गये। इनको सड़को से भीख मांगने के प्रचलन से बाहर निकाला गया। इस अभियान के तहत ‘भिक्षा नहीं शिक्षा दो’ की मुहिम चलाई गई। आज इनमें से अधिकांश बच्चे स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं।

इस अवसर पर मेयर सुनील उनियाल गामा, विधायक खजानदास, महिला आयोग की अध्यक्ष विजया बड़थ्वाल, सचिव विनोद रतूड़ी, एच.सी सेमवाल, डीआईजी गढ़वाल नीरू गर्ग, जिलाधिकारी देहरादून आशीष श्रीवास्तव, एसएसपी देहरादून डॉ. वाई.एस. रावत आदि उपस्थित थे।

बाल आयोग ने आरटीई में फर्जी दस्तावेजों पर एडमिशन पाने वाले उठाया यह कदम, जानिए

शिक्षा का अधिकार अधिनियम का दुरुपयोग कर तीर्थनगरी के स्कूलों में दाखिले लेने वालों को अब स्कूूल की पूरी फीस वापस करनी होगी। यह आदेश उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने बुधवार को आयोग में हुई सुनवाई के बाद जारी किया है।
बता दें, ऋषिकेश में आईटीई के तहत कुल 45 बच्चे विभिन्न स्कूलों में शिक्षा ले रहे हैं। तीर्थनगरी की एक युवती ने तहसील प्रशासन पर आईटीई के तहत गलत आय प्रमाणपत्र बनाने का आरोप लगाया था तथा इसकी शिकायत बाल आयोग से की थी। बाल आयोग ने शिकायत पर संज्ञान लेते हुए उप जिलाधिकारी, तहसीलदार और पटवारी की फटकार लगाई थी। साथ ही इस पर सभी विद्यालयों में आरटीई के तहत शिक्षा लेने वालों की सूची तैयार कर उनके भौतिक निरीक्षण करने के निर्देश दिए थे। आयोग में बुधवार को इस मामले में सुनवाई हुई। इसमें तहसीलदार रेखा आर्य ने जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की, लेकिन रिपोर्ट पर शिकायतकर्ता युवती ने आपत्ति जाहिर की। इसके बाद आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम का गलत तरीके से उपयोग कर शिक्षा लेने वाले बच्चों को स्कूलों की पूरी फीस वापस करनी होगी। इसके अलावा जो निर्धन वर्ग के बच्चे हैं, उन्हें नए सत्र से आवेदन कराने तथा ऐसे बच्चे जो इस अधिनियम का लाभ नहीं उठा सके हैं, उन्हें स्पांसरशिप योजना के तहत दो हजार रुपये मासिक दिए जाने के लिए आवेदन करना होगा।